Friday, January 28, 2011

अमरीकी समाज का महत्त्वपूर्ण अंग है, अमरीका का राष्ट्रीय खेल - फूटबोल जहां ३० सेकण्ड के टेलिविज़न विज्ञापन की कीमत २.६ मिलियन डालर....

अमरीकी समाज का महत्त्वपूर्ण अंग है, अमरीका का राष्ट्रीय खेल - फूटबोल जहां ३० सेकण्ड के टेलिविज़न विज्ञापन की कीमत २.६ मिलियन डालर....
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देश व समाज अभिन्न हैं . हरेक देश के अपने अनूठे त्यौहार , खेलकूद , लोकप्रिय संगीत , खान पान से जुडी प्रथाएं , अपने अलग रस्मो रिवाज भी होते हैं ...जो उस देश कि संस्कृति के अविछिन्न चिन्ह कहलाते हैं ...
हम भारतीय प्रजा के लिए , सर्वप्रिय है - क्रिकेट, सिनेमा , पान , मनोरंजन के लिए सुगम संगीत इत्यादी ...जिस प्रकार , भारतीय प्रजा इन साधनों का आनंद लेती है उसी तरह , चीन या रशिया तथा यूरोपीय प्रांतीय समाज भी अपने अलग प्रकार के मनरंजन के साधन जुटाती है इस तरह हर समाज, अपने अपने विशिष्ट सांस्कृतिक अंगों द्वारा , अपनी अलग पहचान बनाकर , अपने देश व समाज का परिचय , बाहर से आनेवालों को करवाता है ...
ठीक इसी तरह, अमरीकी जनता के मानस मे , " प्रतिद्वंदीता " या स्पर्धा का भाव , स्वभाव मे बसा हुआ है ...
अमरीकी, इस जन्मजात स्पर्धा भाव को स्वभाव मे बसाए हुए , विश्व के सिरमौर बने रहने के प्रति आकृष्ट रहते हैं और साथ साथ, देश प्रेम का जज्बा भी अमरीकीयों मे प्रबल है ...
अमरीकी जनता का स्वभावगत झुकाव इसी स्पर्धाभाव के जरिए, फूटबोल जैसे भीषण प्रतिस्पर्धा की भावना से भरे हुए खेल मे प्रकट हुआ है अमरीकी समाज की विशिष्टता , अमरीकी खेल कूद तथा जीवन शैली मे भी उजागर है ...उसी का एक रूप ' फूटबोल ' का अमरीकी ढंग से खेलाजाने वाला यह गेम भी है ..
अमरीकी खेल कूद व प्रतियोगिता यह भी , अमरीकी समाज का अत्यंत महत्त्वपूर्ण अंग है I

आज आपको , अमरीका के राष्ट्रीय खेल अमेरीकी फूटबोल के खेल के बारे मे , कुछ रोचक बातें बतलाएं ........
यह खेल , यूरोप मे रग्बी के नाम से जाने वाले खेलों से आरम्भ हुआ -
पूर्व रूप रग्बी के खेल ने यूरोप से चलकर अमरीका भूखंड को आबाद करनेवाली यूरोपीय नस्ल की प्रजा को नयी धरती पर लाकर , बदलाव के बाद , फूटबोल का स्वरूप देते हुए स्थापित किया
इस प्रकार , उत्तर अमरीका का राष्ट्रीय खेल फूटबोल नयी धरती पर ,नये रूप मे , आरम्भ हुआ था I
सन १८९२ मे , विलियम ' पज ' हेल्फींगर नामक खिलाड़ी को $ ५०० मे फूटबोल के खेल के लिए , अनुबंधित किया गया था जो, उस वक्त के लिए , बहुत बड़ी रकम थी I
१९ वी शताब्दी और २० वी सदी मे , अमरीका मे , कोलेज या विश्व विद्यालय के स्तर पर फूट बोल खेला जाने लगा और समय बीतते यह खेल, अधिकाधिक लोकप्रिय होता गया I एन ऍफ़ एल के नाम से सन १९२० मे , फूटबोल खेल को सुव्यवस्थित और संगठित करने के हेतु से न्फ्ल संस्था की स्थापना की गयी थी I
तद्पश्चात सन १९५८ मे NFL द्वारा आयोजित, सर्व प्रथम , अत्यंत सुप्रसिध्ध हुई प्रतियोगिता का आयोजन हुआ और एस सफल स्पर्धा ने , फूटबोल को अमरीका का राष्ट्रीय खेल बनाने का कार्य किया I
सन १९६० मे , ए ऍफ़ एल नामक एक और संस्था बनी परंतु बाद मे , AFL व NFL को एक कर दिया गया और अब फूटबोल के खेल का आधुनिक व सब से प्रसिध्ध ' सुपर - बोल ' स्वरूप कायम हुआ I
आज अमरीकी विश्व विद्यालयों मे , छात्रों को अपनी खेल क्षमता के आधार पर , दाखिला मिलने मे , आसानी होती है और अच्छे फूटबोल के खिलाड़ी , अपनी यूनिवर्सिटी या कोलेज के , प्रभावशाली छात्र कहलाते हैं I
सन १८६९ मे , रटगर्ज कोलेज और प्रिंसटन के बीच जम कर मुकाबला हुआ था और इस खेल प्रतियोगिता ने छात्रों और आम जनता के मन को आकर्षित करने मे अत्याधिक सफलता हासिल की थी I
सन १८८३ से १८८० तक फूटबोल के खेल से सम्बंधित कायदे और नियम लगभग तय हो गये थे I

येल विश्वविद्यालय के एक छात्र , " वोल्टर केम्प " को, कई तरह के खेलों मे निपुणता हासिल थी ..जैसे कि , सोकर, बेसबोल का खेल जो अमरीका का क्रिकेट की तरह खेल है पर भारतीय क्रिकेट से अलग है ये सभी खेलों मे , वोल्टर केम्प , निपुण थे परन्तु फूटबोल के खेल मे उनकी दक्षता ने वोल्टर को ' अमरीकी फूटबोल के खेल के पितामह ' का खिताब दिलवाया -- चूंकि वे फूटबोल के खेल के बड़े ही कुशल खिलाड़ी थे और सन १९०४ तक आते आते , फूटबोल की प्रसिध्धि बढ़ने लगी और रात्रि मे विशाल बिजली की रोशनी से झगमगाते स्टेडीयम माने खेल के मैदान मे भी फूटबोल का आयोजन अब आरम्भ हुआ I
चित्र - वोल्टर केम्प का ..
File:Walter Camp - Project Gutenberg eText 18048.jpg
अमरीकी प्रजा के स्वभाव मे , प्रतिद्वंदीता या स्पर्धा की भावना अत्याधिक प्रबल है जो फूटबोल जैसे खेल मे ख़ास द्रष्टिगोचर होती है

भूतपूर्व अमरीकी रास्ट्रपति थीयोडोर रूझवेल्ट ने खेलों मे हिंसा या मारपीट की घटनाओं का , कडा विरोध करते हुए खेल बंद करने की धमकी दी थी जब् किसी एक प्रतियोगिता मे १९ खिलाड़ी घायल हो गये थे तब कड़े नियमों को खेल मे , शामिल किया गया और सन १९३० तक आते आते फूटबोल के खेल का आधुनिक रूप स्थायी हुआ I
उत्तर अमरीकी प्रदेश मे , हर वर्ष , १ जनवरी के दिन, अंतर कोलेज फूटबोल प्रतिस्पर्धा ' रोज़ बोल ' के नाम से आयोजित की जाती है जिसमे " टूर्नामेंट ऑफ़ रोज़ेज़ परेड " , केलीफोर्नीया प्रांत मे , नये साल की अगवानी करते हुए , संपन्न किया जाता है
यह , अमरीकी समाज का महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक आयोजन है जो आम जनता को टेलीविजन के माध्यम से जोड़ता है और खेल आरभ होने से पहले , अमरीका का सु - प्रसिध्ध गायक , अमरीकी राष्ट्र गान गाकर खेल का उद`घाटन करता है ...
इन खेलों के हितैषी " स्पोंसर " कहलाते हैं और खेल प्रसारण के लिए , बहुत बड़ी धन राशि देकर , टेलीवीज़न चैनल्स इन खेलों के प्रसारण का हक्क ,अपनी चेनल के लिए , हासिल करते हैं और विज्ञापन प्रसारण द्वारा तगड़ा नुनाफा बटोरते हैं ..

अत: अब ये फूटबोल एक खेल न रह कर, बहुत विशाल व्यवसाय बन चुका है ...
दूसरा सर्वाधिक प्रसिध्धि पाया फूटबोल का खेल , ' सुपर बोल ' कहलाता है और पहला सुपरबोल जनवरी १५ के दिन सन १९६७ मे खेला गया और हरेक सुपर बोल के खेल को , यादगार बनाते , रोमन शैली के अँक - दीये जाते हैं I
अब २०११ , फरवरी की ६ तारीख को , इस वर्ष के " सुपर बोल के खेल होंगें जिनको - Super Bowl XLV -कहा जाएगा ...
यह खेल , टेलीविजन द्वारा सबसे ज्यादह प्रेषक संख्या बटोरनेवाला खेल होगा जिसकी टीम ' कावबोयज़ , पैकर्स, स्टीलर्स , पेटरीअट्स जैसे नामों से पहचानी जातीं हैं और इन के खिलाड़ी , मिलियनो डालर की आमदनी करते हैं ...
ओलिम्पिक खेलों की तरह जिस शहर को सुपर बोल के आयोजन का मौक़ा मिलता है , वहां अमरीका के हरेक प्रांत से जनता दौड़ी चली आती है और समूचा अमरीकी गणराज्य सुपरबोल के दिन छुट्टी बिता कर , परिवार व मित्रों के साथ ,पास्ता , चिप्स , पीत्ज़ा , बर्गर, Hot Dog , आइसक्रीम , ऐप्पल पाई जैसे अमरीकी भोजन खाते हुए प्रसन्नता से हरेक घर के टेलीविजन तथा हर सार्वजनिक स्थान पे , ये ' सुपरबोल ' के खेल को दिलचस्पी के साथ देखता है ..मजे लेता है ...
सुपर बोल की ट्रोफी चित्र मे है देखें ...Super Bowl 29 Vince Lombardi trophy at 49ers Family Day 2009.JPG
अमरीकी मे मध्य प्रांत , जिस भूखंड पर आबाद हैं वहां जितने भी गणराज्य हैं , वहां फैक्ट्री , कारखाने, उद्योग इत्यादी की बहुलता है और वहां की कर्मठ और उद्यमी प्रजा शारीरिक रूप से अत्याधिक सबल है यहां से चलकर आया , यह फूटबोल का खेल , प्रांतीय खेल न रह कर , अब एक विशाल पैमाने पे आयोजित , राष्ट्रीय खेल बनने मे सफल रहा है I
आज अमरीका मे हरेक प्रांत की अपनी टीम है जिनके नाम सुप्रसिध्ध हैं और कोलेज या विद्यालयों की टीम भी आपस मे, तगड़ी प्रतिस्पर्धा करतीं हैं I

आम अमरीकी जनता से , अगर आप उनके मन से सीधा मन का संपर्क रखना चाहें तो आसान यही है कि आप , फूटबोल मे आज कौन सी टीम जीती या कौन हारा उस पे चर्चा शुरू करें ! अमरीका मे एक कहावत है ' अमेरीकी माने बेस बोल का खेल, मा और ऐप्पल पाई ! पर धन राशि उपार्जन की द्रष्टि से , फूटबोल ही सबसे ज्यादा आय तथा वित्त वितरण करनेवाला खेल है जिसमे सन २०१० मे महज , ३० सेकण्ड के टेलिविज़न विज्ञापन की कीमत २.६ मिलियन डालर तक थी ऐसा सी बी एस टी वी चेनल वालों का कहना है ....
ब फरवरी माह आरम्भ होते ही , अमरीकी जनता , कौन सी टीम जीतेगी और कौन सा खिलाड़ी , फूटबोल के करतब दिखाकर ' प्लेयर ऑफ़ ध यर ' का खिताब हासिल करेगा , इसका इंतज़ार है ....और हां इस साल पीट्सबर्ग शहर की टीम स्टीलर और ग्रीन बे की टीम पेकर के बीच यह जनता के मनोरंजन का खेल ६ फरवरी को होगा .....

Super Bowl XLV

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Pittsburgh Steelers vs. Green Bay Packers
Sunday, February 6, 2011 - 6:30pm ET on FOX
www.nfl.com

Saturday, January 1, 2011

काल तस्मै नमः

"काल तस्मै नमः "
अर्जुन ने ईश्वर का विश्वरुप दर्शन, कुरुक्षेत्र के युध्ध मैदान मेँ किया
जो ऐसे असंख्य अणु विस्फोटोँ से भी ज्यादा कई गुणा प्रखर था ऐसी मान्यता है
तपती हुई धरती से, ठहरे हुए सहरा से, मुश्किल हर लम्हे से,
इन्सा ही बनाता है हर राह नई नई
जिन पर चलकर, आई हैँ, पीढीयाँ, इतिहास नया रचने,
सेतु समय पर रखने इस २१ वीँ सदी मेँ !
जब् हम समय की धारा मे बहते हुए, आगे बढ़ रहे हैं तब हमे इतिहास का अवलोकन अवश्य कर लेना चाहीये और विगत सदीयों से कुछ सीख लेते हुए आगामी सदी मे , मानवता से हुई भूलों को हम पुनः न दुहरायें उस पर ध्यान केन्द्रीत करना चाहीये . नव वर्ष आ अगया ! सन २०११ ! तो यही कहेंगें , " स्वागत नव - वर्ष है अपार हर्ष है अपार हर्ष ! " ये नया साल २०११ , आप सब के लिए भरपूर खुशहाली लेकर आये ये कामना है आईये इस नव वर्ष के द्वार पर हम ऊर्जावान बनें ! प्राणवान बने ये प्रण करें .
उर्जा क्या है ? तो हम यही , कहेंगें, ऊर्जा , चैतन्य शक्ति का वह स्वरूप्प है जिसे हम अग्नि मे तथा प्रकृति के पञ्च महाभूत मे देख सकते हैं ...
हम इंसान भी इसी चेतना या ऊर्जा को धारण किये हुए रहते हैं जब् तक हम प्राणवान रहते हैं . इस ऊर्जा तत्त्व का दुर उपयोग मानव इतिहास काल मे हमने अणु विस्फोट मेँ देखा है . जब् एक धमाका हुआ था ! आग को गोला अपनी चपेट मे जो भी मार्ग मे आया उसे लील गया फिर आसमान मे छा गया और ऐसा बिखरा के संस्कृति और सभ्यता के स्थापत्य को खंडहर मे बदल कर , अपना विनाशकारी स्वरूप दीखला कर सब कुछ भस्म करने पर ही शांत हुआ ! सर्व विनाश के पश्चात ही वह खामोश हुआ ! भूकम्पोँ से भी ज्यादा भीषण था यह ऊर्जा से उपजा आतंक ! उसके बाद आकाश पर उठता जहरीला गुबार कुछ यूं फैला कि जिसमे अनेक इंसानों को मौत से जीते जी , साक्षात्कार हुआ ! अणुबम फटने के बाद , आकाश मे छा गया एक महाज्वाल बनकर , जिसका आकार , मशरुम के आकार जैसा था !
भयानक अणु बम और उसके विस्फोट के बाद , जापान के २ शहर , नागासाकी और हिरोशीमा शहर की हस्ती नहीँ रही ! चूंकि , इन २ शहरों पर ये अणुबम फेंका गया था जिस से हरेक रुह की मौत से भेँट हो गई और उस समय मानव सभ्यता की नीँव हील गई थी और इस अणुबम का आविष्कार अमरीकी सत्ता ने जर्मनी के प्रमुख हिटलर को विश्व युध्ध मे पराजित करने के हेतु से किया था .हमला जापान पर हुआ था क्यों के जापान भी जर्मनी के साथ मिलकर विश्व युध्ध मे अमरीका के खिलाफ उतर पडा था

" हवाई " नाम के टापू पर , अमरीका का अधिकार था , हवाई टापू के ' पर्ल हार्बर ' पर, जापानी सता ने अचानक हमला किया - हवाई पर आक्रमण हुआ हवाई जहाज़ों से बमबारी आरम्भ की गयी तब अमरीकी सता को युध्ध मे मजबूरन दाखिल होना पडा था .

अमरीका उस वक्त तक , विश्व युध्ध मे शामिल न होकर, तटस्थ रहा था - यूरोप मे विश्व युध्ध जोरों से जारी था . जर्मनी के सतासीन राष्ट्र प्रमुख हिटलर के निर्देश मे जर्मनी , हिटलर की नाजी सत्ता के नेतृत्त्व मे , एक के बाद एक राज्यों को परास्त कर , हथिया रहा था .ख़ास तौर से, यहूदी प्रजा पर तो जुल्मों की पराकाष्टा हो रही थी . युध्ध बंदीयों को गेस चेंबर मे नग्न कर के ज़िंदा जला दिया जा रहा था.

इन बंदीगृहों को कंसंट्रेशन केम्प कहते हैं जो नारकीय यातना के केंद्र थे. पोलैंड , आस्ट्रिया, फ्रांस परास्त हो चुके थे - इंग्लैंड , रशिया , जर्मनी से टक्कर लेने की नाकाम कोशिशें कर रहे थे. भारत पराधीन था इंग्लैण्ड के अधीनस्थ भारत मे भी विषम परिस्थितीयाँ फ़ैल रहीं थीं. ये ऊर्जा का तांडव था . आग, हिंसा मृत्यु जहां महाकाली के मर्दन व अट्टहास मे , चहुँओर विनाश लीला मे निमग्न थीं . अमरीका ने अपने बचाव मे , युध्ध मे मर्जी न होते हुए भी , दाखिल होकर , योजनाबध्ध तरीके से , इस विश्व्युध्ध मे भाग लिया और जापान को रोकने के लिए विश्व मे सब से पहली बार अणुबम का उपयोग व प्रयोग किया था. जापान ने हार कबूल करते हुए आत्म समर्पण किया और जर्मनी को भी हार माननी पडी थी. ये था ऊर्जा से जुडा अमरीकी आविष्कार जिसने विश्व की दशा और दिशा बदल दी.

जब प्रकाश या ऊर्जा , नियँत्रित साधनोँ मेँ दीखलाई पडती है जैसे कि दीपक मेँ , तब यही उर्जा व प्रकाश सुख समृध्धि और खुशहाली के सँदेश लाता है.

अर्जुन ने ईश्वर का विश्वरुप दर्शन, कुरुक्षेत्र के युध्ध मैदान मेँ किया जो ऐसे असम्ख्य अणु विस्फोटोँ से भी ज्यादा कई गुणा प्रखर था ऐसी मान्यता है

अमेरीकी पाती के अंतर्गत २०१० को विदा देते हुए , अमरीकी ऊर्जा पर केन्द्रीत २ मुख्य आविष्कारों पर आपका ध्यान केन्द्रीत करना चाहूंगी --
१ है अणु विस्फोट और २ रे के अंतर्गत है , अंतरीक्ष शोध व यात्रा का आविष्कार है
दूसरा आविष्कार अंतरीक्ष या व्योम सम्बंधित :

सौर ऊर्जा से ही मानव जीवन संभव है जो व्योम से प्राप्त होती है। अकटूबर 4 , सन 1957 को सोविएत संघ ने सफलता पूर्वक स्पुतनिक-1 व्योम में लौंच किया ।

जिसका आकार बहुत लघु था। यह विश्व का प्रथम कृत्रिम सेटेलाईट था। यह सागर किनारे माने बीच पर खेलनेवाली बड़ी फूट बोल के जितना ही था । इस बोल का अनुपात 58 सेंटीमीटर या 22 .8 इंच का घेरा लिए हुए था जिसका वज़न महज़ 83.6 किलोग्राम था या 18३.9 पौंड़ था , जिसे पृथ्वी का चक्कर काटने में 98 मिनट लगे थे । इस लौंच के बाद ऐतिहासिक, पोलिटिकल, सैनिक, तकनीकी और वैज्ञानिक आविष्कारों का शुभारम्भ हुआ । स्पुतनिक के आगमन ने 2 महादेशों के बीच विश्व पटल पर अपनी सत्ता व प्रभुता के प्रदर्शन की होड़ भी शुरू करवा दी

उस समय की 2 महासत्ताएँ , सोवियत संघ तथा उत्तर अमरीका ने इस रेस में, अपना वर्चस्व ज़माने की बाज़ी लगा दी और राष्ट्र धन को अंतरिक्ष विज्ञान तथा तकनीकी आविष्कारों के नये क्षेत्र में लगाया और पानी की तरह पैसा बहाना भी शुरू किया था ।

नासा संस्थान इसी प्रतिस्पर्धा से उत्पन्न हुई और शनैः-शनैः विकसित होती गयी और यह प्रतिस्पर्धा तब तलक नहीं थमी कि जब तक अमरीकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्म स्ट्रोंग ने चंद्रमा की धरती पर पहला क़दम रख नहीं दिया । समस्त विश्व को यह ज्ञात हो गया कि अंतरिक्ष-वर्चस्व की इस प्रतिस्पर्धा में सोवियत संघ हार चुका था और सदा-सदा के लिए अमरीका की विजय स्थापित हो चुकी थी।

रात और चाँद : देखिये इस लिंक में, चंद्रमा तक की उड़ान की तैयारी के दृश्य हैं और साथ राष्ट्रपति जोन केनेडी का स्वर भी है

व्योम से, हमारी पृथ्वी एक नील ग्रह सी सुन्दर दीखलाई पड़ती है जहाँ रहनेवाले हम सारे मनुष्य

एक साथ जीयेंगें और एक साथ मरेंगें ...

http://history.nasa.gov/ap11-35ann/apolloMusicComp.MOV

एक पग उठा था मेरा परंतु, मानवता की थी एक लम्बी छलाँग !
रात थी, चाँद था, और सन्नाटे में, श्वेत सरंक्षक वस्त्र में
काँच की खिड़की से, पृथ्वी को देखता, "मैं!
(अंतरिक्ष यात्री : श्री नील आर्मस्ट्रोंग के उदगार काव्य रूप में )

अमरीका के भूत पूर्व राष्ट्रपति जोन ऍफ़. केनेडी शायद अमरीकी राजनीति के सबसे सफल तथा प्रजा के सर्व प्रिय नेता रहे हैं तथा 60 के दशक में वे विश्वपटल पर एक प्रभावशाली खिलाड़ी के रूप में पहचाने जाते हैं । उन्हीं के नाम पर अंतरिक्ष संस्थान फ्लोरिडा प्रांत में नासा स्पेस सेंटर के नाम से सन 1958 में स्थापित किया गया था नासा एक अन्त्रीक्स विज्ञान व तकनीकी संस्थान है । जिसका प्रमुख ध्येय अंतरिक्ष विज्ञान तथा अंतरिक्ष में शोध करना तथा पृथ्वी ग्रह को भविष्य में सुरक्षित किस तरह रखना मानव जाति, मानव सभ्यता को आकाश तथा व्योम में बहुत दूर तक ले चलना यही रहा है । नासा संस्थान में कई तकनीकी आविष्कार किये गये हैं जिनका उपयोग आम इंसानों की ज़िंदगी में भी व्याप्त हुआ है । अंतरिक्ष यात्री को तैयार करना, अंतरिक्ष की अधिकाधिक जानकारी एकत्र करना गृह नक्षत्र तारों से सम्बंधित हमारे सौर मंड़ल में स्थित हर ग्रह का सटीक ज्ञान दर्ज करने से लेकर भावी-पीढी को अंतरिक्ष यात्रा तथा व्योम के प्रति आकर्षित करना ये भी नासा का कार्य क्षेत्र है ।

नासा में निहित 4 अक्षर हैं "एन ए एस ए" इनका बृहत अर्थ है =

नेशनल एरोनॉटिक्स और स्पेस ऐड्मिनीस्त्ट्रेशन (NASA)।

कुछ सचित्र झलकियाँ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

http://history.nasa.gov/ap11-35ann/kippsphotos/apollo.html

यह चित्र देखें : डिस्कवरी अंतरिक्ष वायु यान को एसेम्बली प्लांट में एक एक कल पूर्जा लगाकर जोड़-जोड़ कर खड़ा किया जा रहा है चित्र को आप बड़ा कर के देख सकते हैं और तब नीचे खड़े इंसानों को देखकर अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ये वास्तव में, कितना विशाल यान है -

चलते चलते हमारी यही दुआ है "एक विश्व, एक स्वप्न" साकार हो !

मा धरती तुम्हें शत शत प्रणाम !

USA

lavnis@gmail.com

ये चित्र डेटन शहर के उड्डयन विज्ञान व अनुसंधान के म्युझीयम संस्थान के हैं

DSC01539.JPGगर्म हवा से भरा विशाल गुब्बारा जिससे मनुष्य के उड़ान का शुभारम्भ हुआ
DSC01542.JPGवैज्ञानिक जिसने हवाई यात्रा पर खोज की थी
DSC01570.JPGपुराने ढंग के चमड़े से बने कपडे हवाई जहाज उड़ानेवाले जो पायलट पहनते थे
DSC01582.JPGICARUS -GREEK GOD of FLIGHT in Lobby
" इकारस " ग्रीक मिथकों के देवता की मूर्ति