Sunday, November 15, 2015

भारतीय लोक मानस २१ वीं सदी में हिन्दी चित्रपट पर

ॐ 

' पिंगा ग पोरी पिंगा ग पोरी पिंगा ' लोक गीत कोंकण एवं महाराष्ट्र प्रांत में सुविख्यात है।
 पवित्र श्रावण मास  में , देवी अन्नपूर्णा जिसे '  मंगळागौरी ' कहते हैं उन के व्रत पूजन में गाया जाने 

वाला यह  एक प्राचीन लोक गीत है। इस व्रत को कोंकण , महाराष्ट्र  प्रांतों में  बसनेवाले 

परिणीता  या कहें , नववधुएँ  किया  करती हैं । 




पवित्र श्रावण मास के चारों मंगलवार के दिन, नववधुएं , देवी अन्नपूर्णा माँ की पूजा 

करतीं  हैं। 

 देवी माँ का श्रृंगार इत्र , काजल , सुन्दर सजावट , गहने , चन्दन एवं गुलाब का तेल, 

सुगन्धित द्रव्य मिश्रित उबटन से देवी का षोडशोपचार कर, सुगन्धित फूल जैसे जाइ , 

जूही, गुलाब मोगरा जैसे सुगन्धित पुष्पों से देवी अन्नपूर्णा को प्रसन्न कर सजाया 

जाता है।  

आघाडामधुमालतीदूर्वाचम्पा ,कण्हेरबोररुईतुळसी आंबाडाळिंबधोतराजाईमरवा,

बकुळअशोक इन का प्रयोग उपयुक्त है। 

पूजन श्लोक : ध्यान : 

कुंकुमागरुलिप्तांगां सर्वाभरणभूषिताम् । नीलकंठप्रियां गौरीं ध्यायेऽहंमंगलाह्वयाम् ॥
श्रीशिवमंगलागौर्ये नम: । ध्यायामि । ध्यानार्थे बिल्वाक्षतान् समर्पयामि ॥
अक्षत व बिल्वपत्र : 
अत्रागच्छ महादेवि सर्वलोकसुखप्रदे । यावद् व्रतमहं कुर्वेपुत्रपौत्रादिवृद्धये ॥
श्रीशिवमंगलागौर्ये नम: । आवाहनार्थे अक्षतान् समर्पयामि ॥
अक्षत : 
रौप्येण चासनं दिव्यं रत्‍नमाणिक्यशोभितम् । मयानीतं गृहाण त्वं गौरिकामारिवल्लभे ॥
 श्रीशिवमंगलागौर्ये नमः । आसनार्थे अक्षतान् समर्पयामि ॥
पुष्प गंध पूजा : 
गंधपुष्पाक्षतैर् युक्‍तं पाद्यं संपादितं मया । गृहाण पुत्रपौत्रादीन्सर्वान् कामांश्च पूरय ॥
 श्रीशिवमंगलागौर्ये नम: । पादयो: पाद्यं समर्पयामि ॥

पवित्र जलाभिषेकम :
गंधपुष्पाक्षतैर् युक्‍तमर्घ्यं संपादितं मया । गृहाण मंगलागौरि प्रसन्ना भवसर्वदा ॥
 श्रीशिवमंगलागौर्ये नम: । हस्तयो: अर्घ्यं समर्पयामि ॥
गंधअक्षतफूल : 
कामारिवल्लभे देवि कुर्वाचमनमंबिके । निरंतरमहं वदे चरणौ तव पार्वति ॥
 श्रीशिवमंगलागौर्ये नम: । आचमनीयं समर्पयामि ॥
शुद्धोदक : 
जाह्नीवीतोयमानीतं शुभं कर्पूरसंयुतम् । स्नापयामि सुरश्रेष्ठे त्वांपुत्रादिफलप्रदाम् ॥
 श्रीशिवमंगलगौर्ये नम: । स्नानीयं समर्पयामि ॥
पयो दधि घृतं चैव शर्करामधुसंयुतम् । पंचामृतं मया दत्तं स्नानार्थं परमेश्‍वरि॥
 श्रीशिवामंगलागौर्ये नम: । स्नानार्थे पंचामृतस्नानं समरपयामि ।
पंचामृत :
षष्ठं गंधोदकस्नानं समर्पयामि । शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि ॥
सकलपूजार्थे गंधाक्षतपुष्पं हरिद्राकुंकुमं धूपदीपौ पंचामृतनैवेद्यं चसमर्पयामि ॥ नमस्करोमि ॥
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तद्पश्चात दीप आरती, नैवैद्य और प्रसाद ग्रहण किया जाता है। रात भर जागरण  करती स्त्रियां , गीत 

संगीत से फुगड्या, झिम्मा, पिंगा, बसफुगडी, टिपऱ्या जैसे  प्राचीन लोक रंग में रंगे, खेल खेलतीं हैं। 


महाराष्ट्र सिनेमा निर्माण की प्रस्तुति है यह लोक गीत - देखें - 
https://www.youtube.com/watch?v=n-z6IT3EE5Y#t=10


हिन्दी सिनेमा + संगीत ने बरसों से , सुनहरे चित्रपट पर  कई चलचित्रों में , 

प्राचीन लोक गीतों को नए कलेवर में प्रस्तुत करते हुए , लोक संगीत की धरोहर 

को मनभावन नृत्य, गीत संगीत में संजोकर प्रस्तुत किया है। 

प्रस्तुत है एक पुराना श्वेत श्याम गीत -- 




और इसी श्रृंखला में अब ' बाजीराव मस्तानी ' का यह गीत भी है।


' Pinga Ga Poree, Pinga ga Poree Pinga '

   श्री मंगळागौरी आरती :-

जय देवी मंगळागौरी। ओंवाळीन सोनियाताटीं।।
रत्नांचे दिवे। माणिकांच्या वाती। हिरेया ज्योती।।धृ।।
मंगळमूर्ती उपजली कार्या। प्रसन्न झाली अल्पायुषी राया।। 
तिष्ठली राज्यबाळी । अयोषण द्यावया। ।1।।
पूजेला ग आणिती जाईजुईच्या कळ्या । सोळा तिकटीं सोळा दूर्वा।।
सोळा परींची पत्री । जाई जुई आबुल्या शेवंती नागचांफे।।
पारिजातकें मनोहरें । नंदेटें तगरें । पूजेला ग आणिली।।2।। 
साळीचे तांदुळ मुगाची डाळ। आळणीं खिचडी रांधिती नारी।।
आपुल्या पतीलागीं सेवा करिती फार ।।3।।
डुमडुमें डुमडुमें वाजंत्री वाजती। कळावी कांगणें गौरीला शोभती।।
शोभली बाजुबंद। कानीं कापांचे गवे। ल्यायिली अंबा शोभे।।4।।
न्हाउनी माखुनी मौनी बैसली। पाटाबाची चोळी क्षीरोदक नेसली।।
स्वच्छ बहुत होउनी अंबा पुजूं लागली ।।5।।
सोनिया ताटीं घातिल्या पंचारती। मध्यें उजळती कापुराच्या वाती।।
करा धूप दीप। आतां नैवेद्य षड्रस पक्वानें । तटीं भरा बोनें ।।6।।
लवलाहें तिघें काशीसी निघाली। माउली मंगळागौर भिजवूं विसरली।।
मागुती परतु‍नीयां आली। अंबा स्वयंभू देखिली।।
देउळ सोनियाचे । खांब हिरेयांचे। कळस वरती मोतियांचा ।।7।।


संकलन - लावण्या दीपक शाह