tag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post1337750698464017645..comments2023-11-09T10:02:07.593-05:00Comments on लावण्यम्` ~अन्तर्मन्`: जीवंत प्रकृतिलावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`http://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-38719448908801980912008-05-10T09:47:00.000-04:002008-05-10T09:47:00.000-04:00आप सभी ने इस प्रविष्टी को पढा और अपनी बातेँ शेर की...आप सभी ने इस प्रविष्टी को पढा और अपनी बातेँ शेर कीँ उसके लिये, आप सभी का शुक्रिया --<BR/>" भँवरा बडा नादान " गीता दत्त जी का गीत भी याद आ रहा है<BR/> दिनेश जी व <BR/>राज भाई साहब की बातोँ से --<BR/><BR/>-- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-71818732743872083322008-05-09T12:45:00.000-04:002008-05-09T12:45:00.000-04:00लावण्या जी, आप की कविता मे प्रकृति का अति सुन्दर ...लावण्या जी, आप की कविता मे प्रकृति का अति सुन्दर रुप पढने को मिला...नेह पाश में उलझा कोई <BR/>बन याचक निकट आए,<BR/>ना बोले कुछ, चुप रहे <BR/>सिमट-सिमट लजाए।<BR/>अति उत्तम धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-55759569066530254922008-05-08T22:59:00.000-04:002008-05-08T22:59:00.000-04:00लावण्या जीबहुत उमदा काव्य.धन्यवाद-हर्षद जाँगलाएट्ल...लावण्या जी<BR/>बहुत उमदा काव्य.<BR/>धन्यवाद<BR/>-हर्षद जाँगला<BR/>एट्लांटा युएसएHarshad Janglahttps://www.blogger.com/profile/00844983134116438245noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-8358128003067468132008-05-08T20:27:00.000-04:002008-05-08T20:27:00.000-04:00बहुत बढ़िया है, बधाई.बहुत बढ़िया है, बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-49976891570574806822008-05-08T09:26:00.000-04:002008-05-08T09:26:00.000-04:00बहुत बढ़िया कविता चित्रण भी अच्छा है बधाईबहुत बढ़िया कविता चित्रण भी अच्छा है बधाईसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-82259513592826293072008-05-08T09:18:00.000-04:002008-05-08T09:18:00.000-04:00एक बदलीने झुक कर पूछा,"ओ, मधुकर, तू ,गुनगुन क्या ग...एक बदलीने झुक कर पूछा,<BR/>"ओ, मधुकर, तू ,<BR/>गुनगुन क्या गाये?<BR/>"छपक छप -<BR/>हँसता जीवन......खिल खिलाता जीवन......आपके ये रंग वाकई निराले है .....ओर ये फोटो क्या आपने स्वंय लिए है ?सुंदर........डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-28171011118249816762008-05-08T08:55:00.000-04:002008-05-08T08:55:00.000-04:00बहुत बढ़िया.... इसी तरह काव्य रस धारा बहते रहिये..बहुत बढ़िया.... इसी तरह काव्य रस धारा बहते रहिये..कामोद Kaamodhttps://www.blogger.com/profile/08736388435404634973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-58838206039040084772008-05-08T08:50:00.000-04:002008-05-08T08:50:00.000-04:00अमर कथा प्रेम कीजीवन धारा बहाए, रूप, गंध, यौवन सेभ...अमर कथा प्रेम की<BR/>जीवन धारा बहाए, <BR/>रूप, गंध, यौवन से<BR/>भ्रमर-भ्रमर ललचाए। <BR/>नेह पाश में उलझा कोई <BR/>बन याचक निकट आए,<BR/>ना बोले कुछ, चुप रहे <BR/>सिमट-सिमट लजाए।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-89172298917635180772008-05-08T08:34:00.000-04:002008-05-08T08:34:00.000-04:00हँसी प्रकॄति की-नैसर्गिकताका सुन्दर चित्रणशब्द स्व...हँसी प्रकॄति की-नैसर्गिकता<BR/>का सुन्दर चित्रण<BR/>शब्द स्वयं महके हैं बनकर<BR/>मधुकर का गुंजनराकेश खंडेलवालhttps://www.blogger.com/profile/08112419047015083219noreply@blogger.com