tag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post4909549600566430723..comments2023-11-09T10:02:07.593-05:00Comments on लावण्यम्` ~अन्तर्मन्`: हम और हमारा धर्मलावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`http://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-38002559328860840422009-03-04T06:48:00.000-05:002009-03-04T06:48:00.000-05:00वास्तव में अब बारी है, भारतीय अस्मिता के जागने की....वास्तव में अब बारी है, भारतीय अस्मिता के जागने की.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-78105883975357554532009-03-04T05:27:00.000-05:002009-03-04T05:27:00.000-05:00आपका ब्लॉग अति सुन्दर है, भारतीय संस्कृति के भिन्न...आपका ब्लॉग अति सुन्दर है, भारतीय संस्कृति के भिन्न रंग रूपों में नए प्राण फूंकता. नयी सदी से नए सवाल पूछता.के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-6166167145884240712009-03-03T11:02:00.000-05:002009-03-03T11:02:00.000-05:00लावण्या जी आपने सुब्दर चित्रन्ब किया है. कुछ एक बा...लावण्या जी आपने सुब्दर चित्रन्ब किया है. कुछ एक बार हमें कहा गया कीअपने अतीत पर गौरव है. सीखने को बहुत कुछ है. हमारा भविष्य भी इसी बात पर निर्भर है कि हम कितना ग्रहण कर पाते हैं. आभार.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-31072255625951826782009-03-03T10:22:00.000-05:002009-03-03T10:22:00.000-05:00"अब बारी है, भारतीय अस्मिता के जागने की !"मैं हजार..."अब बारी है, भारतीय अस्मिता के जागने की !"<BR/><BR/>मैं हजार बार आपका अनुमोदन करता हूँ!<BR/><BR/>सस्नेह -- शास्त्री<BR/><BR/>-- हर वैचारिक क्राति की नीव है लेखन, विचारों का आदानप्रदान, एवं सोचने के लिये प्रोत्साहन. हिन्दीजगत में एक सकारात्मक वैचारिक क्राति की जरूरत है. <BR/><BR/>महज 10 साल में हिन्दी चिट्ठे यह कार्य कर सकते हैं. अत: नियमित रूप से लिखते रहें, एवं टिपिया कर साथियों को प्रोत्साहित करते रहें. (सारथी: http://www.Sarathi.info)Shastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-12246995228273608592009-03-03T09:26:00.000-05:002009-03-03T09:26:00.000-05:00पूरी रचना बेजोड़ है । आपने धमॆ से लेकर तमाम जो बात...पूरी रचना बेजोड़ है । आपने धमॆ से लेकर तमाम जो बाते लिखी है वह शानदार है । जीवन के सत्य के बारे में आपने जो कहा है वह बेमिसाल है । चित्र सहित पूरी रचना शानदार है । शुक्रियाkumar Dheerajhttps://www.blogger.com/profile/03306032809666851912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-89027024038563808462009-03-03T03:25:00.000-05:002009-03-03T03:25:00.000-05:00अंतिम चित्र सबसे सुंदर..! क्या परिकल्पना है..!अंतिम चित्र सबसे सुंदर..! क्या परिकल्पना है..!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-26385947420358575292009-03-02T08:18:00.000-05:002009-03-02T08:18:00.000-05:00sahitya, sanskruti, sanskaar, darshan aour vo bhi ...sahitya, sanskruti, sanskaar, darshan aour vo bhi nipat bhartiya..jeene ka yahna hi mazaa he, itihaas jivant hokar jnha khada he dilo me ese logo ka desh...waah...<BR/>achcha laga blog par aakar..अमिताभ श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/12224535816596336049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-74380161359070968272009-02-28T10:03:00.000-05:002009-02-28T10:03:00.000-05:00'इस भारतीय दर्शन को , साहित्य को और धर्म को दकियान...'इस भारतीय दर्शन को , साहित्य को और धर्म को दकियानूसी या पुरातनपंथी ना कहें , शेष , विशेष ऐसा अवश्य बचा है अभी इस में ,<BR/>जो आज भी , विश्व की अन्य प्रजा को , भारत की ओर देखने के लिए<BR/>विवश कर रहा है ....'<BR/>- यही तथ्य आशा जगाता है.hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-8532114317614171012009-02-28T09:30:00.000-05:002009-02-28T09:30:00.000-05:00बहुत ही सुंदर लिखा आप ने, आज इस बात का गर्व है कि...बहुत ही सुंदर लिखा आप ने, आज इस बात का गर्व है कि मै उस देश मै जन्मा, जहां की संस्कृति को आज दुनिया प्रणाम करती है.<BR/>धन्यवदराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-85733392729837023882009-02-28T06:18:00.000-05:002009-02-28T06:18:00.000-05:00इसीलिये भारतीय दर्शन एक "दर्शन" (vision) है कोरा फ...इसीलिये भारतीय दर्शन एक "दर्शन" (vision) है कोरा फलसफा (philosophy) नहीं. इस दर्शन में सत्य वह है जिसे सांसारिक गृहस्थ भी पूर्णतया अपना सकते हैं. इस दर्शन से भयातुर दल कल तक मूर्ती-भंजन करते थे, आज योगाभ्यास पर प्रतिबन्ध लगा रहे हैं, हो सकता है कल कुछ कोनों से अहिंसा और शाकाहार को भी असामाजिक बताया जाए. मगर भारतीय दर्शन के शब्दों में कहूं तो अंततः "सत्यमेव जयते नानृतम्" <BR/>बहुत सुन्दर आलेख, धन्यवाद!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-24575092292462392282009-02-28T05:31:00.000-05:002009-02-28T05:31:00.000-05:00लावण्या जी, आपने बिल्कुल सही लिखा. स्वामी विवेकानन...लावण्या जी, आपने बिल्कुल सही लिखा. स्वामी विवेकानन्द जी के शब्दों में कहूं कि आध्यात्मिकता और जीवन दर्शन के सिवाय विश्व को देने के लिये भारत के पास अन्य कुछ भी नहीं. भारत न तो राजनैतिक ना ही वैज्ञानिक क्षेत्र में औरों की सहायता कर सकता है.और यदि इसकी उन्नति को बढावा देने में हम लोग असफल हुए तो केवल भारतीय संस्कृति को ही नहीं बल्कि सारे विश्व को इसकी बहुत भारी कीमत चुकानी पडेगी.Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-16726246072141072862009-02-28T04:21:00.000-05:002009-02-28T04:21:00.000-05:00भारतीय संस्कृति की विशालता, इसकी गहराई को बहुत चिं...भारतीय संस्कृति की विशालता, इसकी गहराई को बहुत चिंतन शील तरीके से बताया है आपने. सलग्न चित्र जैसे समय को बोलते हुवे हैं, क्रिसन यीशु का चित्र बहुत ही सुन्दर है. अपने धर्म ग्रंथों के छोटे छोटे प्रसंग भी कितनी करुना, कितना कुछ बोलते हैं. इतने सुन्दर और स्वस्थ लेखन की लिए धन्यवाददिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-4116353530197751302009-02-28T03:10:00.000-05:002009-02-28T03:10:00.000-05:00आध्यात्मिक पोस्ट .....आध्यात्मिक पोस्ट .....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-20086007130321335682009-02-28T00:06:00.000-05:002009-02-28T00:06:00.000-05:00हमेशा की तरह सार्थक और अत्यंत ही प्रभावशाली पोस्ट ...हमेशा की तरह सार्थक और अत्यंत ही प्रभावशाली पोस्ट है. यहां पढ कर लगता है कि हमारी संसकृति ने हमें बहुत कुछ विशेष दिया है. और हमारी सच्ची खुशी और शांति उसीको अपनाने में है. आपको बहुत धन्यवाद.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-40880984055054369502009-02-27T23:34:00.000-05:002009-02-27T23:34:00.000-05:00भारतीय संस्कृति का सम्बन्ध धर्म से बहुत गहरा हैभारतीय संस्कृति का सम्बन्ध धर्म से बहुत गहरा हैप्रदीप मानोरियाhttps://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-11089434920861537802009-02-27T22:41:00.000-05:002009-02-27T22:41:00.000-05:00दार्शनिक चिंतन में भारत अग्रणी रहा उस पर गर्व है औ...दार्शनिक चिंतन में भारत अग्रणी रहा उस पर गर्व है और होना चाहिए। किंतु बाद में करीब डेढ हजार साल पहले से वह इस में पिछड़ा। फिर शंकर और उन के बाद विवेकानंद ने दर्शन का यह ध्वज उठाया। लेकिन आज? <BR/><BR/>आज जब दुनिया को दार्शनिक मार्गदर्शन की आवश्यकता है। वैज्ञानिक कह रहे हैं कि पहले जो दर्शन उन्हें मार्ग दिखाता था आज पिछड़ गया है। तब? तब एक बार फिर आवश्यकता है भारत अपने अतीत से सीखे। एक नए दर्शन को दुनिया के सामने रख फिर से मानवता के पथ को आलोकित करे।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-3324287919141384122009-02-27T18:28:00.000-05:002009-02-27T18:28:00.000-05:00-भारत आधुनिक होते हुए भी अपने इतिहास को अपने दर्शन...-भारत आधुनिक होते हुए भी अपने इतिहास को अपने दर्शन को साथ लिए २१ वी सदी तक आ पहुंचा है -परम्परा और धार्मिक नियमों का एक संगम है<BR/>-इसकी आशावादिता -जहां कीचड में कमल खिलने कि अद्भुत क्षमता है ...<BR/>आप की हर बात से पूरी तरह सहमत हूँ.<BR/>यह हमारे भारतीय संस्कृति ही है जो आज भी हम सभी को जोड़े हुए है और जीवन के हर मोड़ पर आगे कैसे बढ़ें -वे रास्ते दिखाती है.बहुत ही सुन्दर चित्र!स्वयं बहुत कुछ कहते हुए चित्र हैं.<BR/> सभी के सभी लेख को सार्थक और 'और भी अर्थपूर्ण बना रहे हैं.<BR/>इतने सुन्दर लेख हेतु धन्यवाद.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-50731194065250518882009-02-27T18:13:00.000-05:002009-02-27T18:13:00.000-05:00बिलकुल सही कह रहीं लावण्या जी आप ! भारतीय चिंतन और...बिलकुल सही कह रहीं लावण्या जी आप ! भारतीय चिंतन और जीवन दर्शन वैश्विक मनीषा को बहुत कुछ दे सकता है -दरअसल जीवन के गूढ़ रहस्यों ,जटिल सवालों को हमारी ऋषि प्रज्ञा बहुत पहले ही हल कर चुकी है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com