लावण्यम्` ~अन्तर्मन्`
मेरी, आपकी, अन्य की बात
Friday, April 6, 2007
चित्र को लिया है स्वर साम्राज्ञी सुश्री लता मँगेशकरजी ने
चित्र को लिया है स्वर साम्राज्ञी सुश्री लता मँगेशकरजी ने
मैँ / लावण्या / " पद्म " मेरी ससुराल मेँ मेरे श्वसुर जी के कमरे मेँ १९७४ १२ नवम्बर
शाम को पापाजी की ओर से प्रीति भोज के अवसर पर जाते हुए
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