Tuesday, July 17, 2007

ब्लोग जगत के सभी साथीयोँ को नमस्कार ! --- ८ वाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन

न्यू जर्सी रेडियो कार्यक्रम की उदघोशिका श्रीमती जासमींन जयवंत ,उस्ताद नासिर अहमद साहब , मैं [ लावन्या] श्रीमती सजनी भार्गव के साथ
ब्लोग जगत के सभी साथीयोँ को नमस्कार !मैँ हाल ही मे लौटी हूँ -- अष्टम - ८ वाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन समाप्त हुआ . मेरा पिछला बयान , उस्ताद सज्जाद साहब के सदाबहार नगमोँ एवं उनकी कला पर था और इत्तिफाक देखिये, तीसरी और अँतिम शाम, उनके बेटे जो स्वयँ सुप्रसिध्ध मेन्डोलीन वादक हैँ उस्ताद नासिर अहमद साहब , उनसे मुलाकात हो गयी - ( --वे सुफेद कुर्ता पाजामा पहने हुए हैँ )--
गज़ल गायक श्री पँकज उधास जी के बगल मेँ नासिर भाई बैठे हुए थे, इतनी जिँदा सँगत दे रहे थे कि बार बार घ्यान उनकी ओर जाता रहा - प्रोग्राम मेँ उन्हे खूब तालियाँ भी मिलीँ और जब पँकज भाई ने उनका परिचय दिया तो एक सुखद आश्चर्य हुआ ! अरे! अभी तो इनके पिताजी का जिक्र किया था और मिलना भी हो गया --
तो देखिये --उस्ताद नासिर साहब को --

10 comments:

  1. प्रणाम लावण्याबेन..नासिरभाई को मेरा आदाब और सुप्रसिध्द सुरलीन(वाँयलिन का प्रकारांतार) कुँवर राजेन्द्रसिंह को म्हारो मालवी राम राम. क्या खूब लग रहे हैं आप इस चित्र में ..लगता है जैसे फ़र्लांग भर की दूरी पर हैं.पंकज भाई के कम से कम आठ शोज़ एंकर कर चुका हूं..एमने पण मारो नमस्कार केजो.नासिर भाई का वास्ता भी हमारे मालवा का ही है क्योंकि सज्जाद साहब सीतामऊ रियासत में मुलाज़िम थे.सीतामऊ रतलाम से तक़रीबन डेढ़ सौ कि.मी.दूर है ..लावण्या बेन ये वही सीतामऊ है जिसके पूर्व नरेश थे डाँ.रघुवीरसिंह..विख्यात इतिहासकार और हिन्दी साहित्यकार जिन्होने वह चर्चित निबंध लिखा था "ताज"कभी हो सका तो उसे अपने ब्लाँग पर जारी करूंगा.डाँ.सीतामऊ मे एक लाजवाब इतिहास शोध केन्द्र बना गये हैं जिसका नाम है नटनागर शोध संस्थान..विदेशों से कई स्काँलर्स आते हैं यहाँ.एक और मालव-पुत्र थे वहाँ हिन्दी सम्मेलन में श्री बालकवि बैरागी..रेशमा शेरा के कालजयी गीत तू चंदा मै चाँदनी के रचयिता..पुन: आपको प्रणाम ..इन कलाकारों से कभी बात हो तो आपके इस छोटे भाई का ज़िक्र करियेगा.बाक़ी सब मज़े में है.मालवा भीगा भीगा है इन दिनों और मनभावन भी.

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  2. लावण्या बेन;
    मालवा का कलाकार आपका साथ फ़ोटू में दिख्या ...अच्छो लग्यो.
    तमारे टेम मिले तो www.malavijajam.blogspot.com पे पधारजो...खुसी मिलेगा हमारे.
    राम.राम.

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  3. अच्छा लगा नासिर भाई की तस्वीर देखकर. हम तो मजबूरीवश फ्लाईट के चंद घंटों पहले अपना प्रोग्राम कैंसिल कर दिये. आगे मुलाकात होगी. आशीष बनाये रहें.

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  4. घर बैठे आपके सौजन्य से कुछ अच्छी तस्वीरें देख सका सो आभार आपका ।

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  5. बेहद सुंदर तस्वीरें…।

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  6. सँजय भाई,
    नमस्ते..
    सुरलीन वादक श्री कुँवर राजेन्द्रसिंह जी भी बढिया सँगत दे रहे थे --
    सीतामऊ व डा.रघुवीरसिंह ( नरेश ) जी के बारे मेँ जानकारी दी --
    उनकी रचनाएँ भी पढवायेँ -- आभार -- अभी से -
    श्री बालकवि बैरागी..रेशमा शेरा के कालजयी गीत तू चंदा मै चाँदनी के रचयिता
    से भी भोजनालय मेँ भेँट हुई थी -- पैर छुए थे मैँने --
    मालवा कभी देखा नहीँ - झीनी झीनी बारिश मेँ सुहावना लग रहा होगा -
    खूब, आनँद लीजियेगा फुहारोँ का ..
    स -स्नेह,
    -- लावण्या

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  7. आदरणीय बाबुजी
    सादर नमस्कार १
    आप का आगमन हुआ मेरे जाल घर पर !
    ये मेरा अहोभाग्य है --भले पधार्याँ --
    यूँ ही उत्साह बढाते रहियेगा.
    स -स्नेह,
    -- लावण्या

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  8. समीर भाई,
    आप व मानोशी टोरोन्टो से नही आये --
    आप लोगोँ की कमी बहुत खली -
    खैर ! अगली बार ही सही --
    ज़िँदगी के किसी न किसी मोड पर स्नेही जनोँ से मुलाकात हो जाना भी सुखद लगता है
    स -स्नेह,
    -- लावण्या

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  9. जयप्रकाश जी -- धन्यवाद --
    आप आ जाते तो आप से भी मिलना हो जाता - खैर ! अगली बार ही सही
    -यही आशय से इतनी सारी तस्वीरेँ तथा अन्य माहिती यहाँ रखीँ हैँ कि आप सभी तक सम्मेलन की बात पहुँचे
    स -स्नेह
    -- लावण्या

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