




yea in my mind those mountains rise,
their perils dyed with evening's Rose,
yet my Ghost, sits at my Eye ,
and hungers for their untoubled snow !
Lyrics written by : Walter De la Mer
मेरे अँतरपट पर इन गिरिशृँगोँ की पडती छाया
साँध्य गुलाबोँ से रँजित है जिनकी भीषण दुर्गमता
फिर भी, मेरे प्राण पलक पर बैठ अकुलाते,
शांत शुभ्र हिम के प्यासे, है कैसी यह पागल ममता !
काव्य पँक्तियाँ : कवि स्व. पँडित नरेन्द्र शर्मा
ओह, ये दृष्य और ये डि ला मेयर की कविता - बहुत आकर्षण है इनमें।
ReplyDeleteLavanyaji
ReplyDeleteBeautiful pictures.
Equally nice poem.
Thanx & rgds.
पर्वत हमें देते हैं सीना तान कर खड़े होने का संदेश और तूफानों का सामना करने की हिम्मत. सागरमाथा का विहंगत दृश्य देख कर यूं लगा कि बादलों के बीच पहुच गए हैं. धन्यवाद यह नयनाभिराम दृश्यावली देखने का अवसर उपलब्ध कराने के लिए. कविताएं भी सुंदर चुनीं आपने.
ReplyDeleteनयनाभिराम, सुन्दर दृश्य।
ReplyDeleteसुंदर परिदृश्य
ReplyDeleteआदरणीय मैं'म,
ReplyDeleteविशाल पर्वतों के पद के नीचे लिखे उतनी ही व्यापक कविता… मै'म बहुत अच्छा लगा पढ़कर
कुछ सीखने को ही मिलता है ऐसे लोगों की
रचनाओं को पढ़कर।
आप सभी की टिप्पणी का बहुत बहुत शुक्रिया -
ReplyDeleteस स्नेह,
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