Wednesday, January 2, 2008

नजरों का फेर या नज़ारों का फेर ? पच्छिम से पूरब की यात्रा ...

poppy माने अफीम के पौधे ..
जो केसरी या लाल फूलों से सजे लहराते , खूबसूरत नज़ारा पेश कर रहे हैं...

या फिर कई रंग में खिलनेवाले बोगन्वेलिया ...जिनमें खुशबु न होने पर भी ये नयनाभिराम सौन्दर्य के धनी हैं जो बाग़ को दिलकश रंग से निखारते हैं.
ओर ये हरी ओर कुछ पकी हुई लाल मिर्चें ...घरों के बगीचों में अक्सर उगती दिखाई देतीं हैं ...मेक्सिकन व्यंजनों में, ऐसी ही मिर्च का उपयोग होता है।
और ये हैं हरे नीम्बू जिन्हें Lime कहते हैं -- ओर पीले , बडे नीम्बू को lemons कहा जाता है ...इनका रस , टकीला में मिलाकर , मेक्सीकन आहार के साथ पीया जानेवाला पेय "मार्र्गरीटा " बनाया जाता है .. टकीला...आगावे नामक कैक्टस से बनता है ...ये सारे द्रश्य, अमरीका के पच्छिम के प्रान्तों में देखे जा सकते हैं ...पर हम , ६ घंटों के हवाई सफर के बाद , सीधे , बर्फ , कोहरे व धुंध से ढंकी , हमारे शहर की गलियों में , आ पहुंचे ! पर ये क्या ? कहाँ गया वो बाग़ ? वो पौधे ? वो फूल ? वो फल और पेड़ , पौधे , साग, जो बागों में मुस्कुरा रहे थे ? यहां तो ऐसा आलम था , के गोया, हम , उत्तरी ध्रुव पर आ पहुंचे हों !!

चारों तरफ, बर्फ की सुफेद चादर फ़ैली हुई थी। धरती माता ने श्वेत वस्त्र धारण कर लिए थे। सुना है ,उत्तर भारत में भी कड़ाके की ठंड पडी है ....
राजस्थान , देहली, कश्मीर, उत्तरांचल, शीत ऋतु से जकडा हुआ है ...
देखा की हमारा डाकिया , मुस्तैदी से , अपनी ड्यूटी पे है ,
वो अपने , डग भरता हुआ , घर , घर जा कर , डाक पहुंचा रहा था !

अब इसे नजरों का फेर कहें या 'नज़ारों का फेर ? ' ~~

~ आहा ! भला हो हमारे "डाकिया महाशय " का ~~

~ ढेरों क्रिसमस व नये साल के कार्ड्स , मिल गए !

तो आप सभी को इस नये साल की शुरुआत में, यही कहूंगी ~~

~ स्वस्थ रहें, खुश रहें, अपने अपने कार्य की सफलता के लिए , आगे बढ़ते जाएँ .

6 comments:

  1. बेहद दिलचस्प विवरण है। प्रकृति का भी और इंसान का भी।

    ReplyDelete
  2. प्रकृति के खूबसूरत नज़ारे दिखाने का शुक्रिया !

    ReplyDelete
  3. सचमुच वाह, क्या खूब

    ReplyDelete
  4. सुन्दर फोटो के साथ दिलचस्प जानकारी !

    नया साल आपके और आपके परिवार के लिए शुभ और मंगलमय हो।

    ReplyDelete
  5. Interesting write ups with nice pic.
    happy new year.

    -Harshad Jangla
    Atlanta, USA

    ReplyDelete
  6. अनिल भाई जी,अन्नपूर्ना जी, जे पी जी, हर्षद जाँगला जी,ममता जी
    आप सभी के सँदेश के लिये बहुत आभारी हूँ ..
    --- स स्नेह, सादर,
    -- लावण्या

    ReplyDelete