Friday, February 22, 2008

तुम सँध्याके रँगोँ मेँ आतीँ, हे सुँदरी, साँध्य रानी ..

(१)
तुम सँध्याके रँगोँ मेँ आतीँ
और आकर मँडरातीँ,
बुलबुल बन, मनके बन को,
कर देतीँ आलोडित !
फिर पुकार बिरहा के बैन नशीले,
बुलबुल तू, दिल को तडपा जातीँ !
बुलबुल, जो तू, मैँ होती...
बनी बावरी जो तू आती-
मेरे जीवन के सूने आँगन को,
भर दे जाती री ~ सुहाग राग!
(२)
अलसायी रेत झीनी, किनारे की,मानोँ किसी मानिनी का आँचल ~
फैला बिखर कर, उन पर पडी
हैँ सीपी - मोती की,
झिलमिलाती कशीदाकारी !
फैला भूरा गगन है वह अलसाया बदन विशाल
भाल क्षितिज, सूर्य कुमकुम, लाल गाल,
ढले लोचन !
हे सुँदरी, साँध्य रानी ..
तुम्हेँ मेरे नमन !
(३)
कौन है वह ?
कौन वह दबे पाँव आती ?
गगन विहारिणी , सुन्दरी ,
मधुहास् का सौरभ
कुम कुम कण बरसाती ?
कौन है वह सुन्दरी ?

उषा की लजाई लाली लिए ,
कर पाश में , अमृत घट लिए
छलकाती अम्बर पे रागिनी
अल्हड़ प्रीती - सी , उन्मादिनी
कौन है वह सुन्दरी ?

संध्या की सजीली सेज पे ,
ह्रदय वीणा को झंकृत किए
ह्रदय के पाश आ कर खोलती
मधु भार मुझ पर डालती
कौन ....... वह सम्मोहिनी ?

- लावण्या

14 comments:

  1. Lavanyaji

    Nice poem.
    What is meaning of Alsaayee & Alodit?
    Rgds.

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  2. फैला भूरा गगन है वह अलसाया बदन विशाल
    भाल क्षितिज, सूर्य कुमकुम, लाल गाल,

    लावण्यजी
    सुन्दर चित्र खींचा है आपने.

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  3. sandhya ke rroop mujhe bhi behad pasand hai shukriya inhein kavita ke madhyam se hum tak pahuchane ke liye

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  4. प्रकृति का मानवीकरण मन को मोह लेता है. बहुत प्यारी सी सन्ध्या रानी सी कविता.. !

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  5. वाह, महादेवी वर्मा की याद आ गयी। बहुत सुन्दर लिखा है।

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  6. बहुत सुंदर कविता ।

    सुंदर चित्रण।

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  7. अरे वाह !! - प्रेम की संध्या या संध्या का प्रेम ? - [ :-)] - मनीष

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  8. आए कविवर, बिखरा गए , काव्य - माधुरी

    विनत भाव से , करें स्वीकार हम रस अंजुरी !

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  9. Manish bhai,
    maine aapke kalatmak Chaya chitra Sandhya vishay per dekhe hain --
    Khushee huee ki aapko ye Kavya geet , pasand aaye !
    sneh ,
    Lavanya

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  10. मीनाक्षी जी, प्रकृति का मानवीय स्वरूप अपना - सा लगता है तभी तो, भाता है !
    धन्यवाद !
    स्नेह,
    - लावण्या

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  11. ज्ञान भाई साहब,
    मुझे इतनी इज्जत बख्शने के लिए,
    आपकी रुणी हूँ !
    स्नेह,

    -- लावण्या

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  12. ममता जी ,
    बहुत बहुत आभार आपका !
    स्नेह,
    --लावण्या

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  13. मनीष जी,

    " संध्या " - तो वही. शांताराम जी की -
    और
    " प्रेम " = राजश्री के फिल्मों के हीरो हुए ,
    हाँ दोनों साथ यहाँ,
    हम और आपके हुए !! ;-)
    बहुत बहुत आभार आपका !
    स्नेह,-- लावण्या

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