
एक समाचार ने 'मुहब्बत " लफ्ज़ पर फिर एक बार सारा ध्यान केँद्रीत कर दीया !
-क्या कुछ नहीँ लिखा या कहा गया है इस एक शब्द पर ! अरे ॥ ढाई आखर है ना "प्रेम " का ! "प्यार" का भी एक से ज्यादा ही पडता है गिनती मेँ हिसाब-पर " इश्क " किसी हिसाब से बँधा है कहीँ ?
ये सुना होगा , कि," हीज़ाबे मुहोब्बत, हम उसको थे कहते, ना वो बोलते थे , न हम बोलते थे "या फिर ये कि," मोहोब्बत की किस्मत बनाने से पहले, ज़माने के मालिक, तू रोया तो होगा "उफ्फ~क्या और कहेँ ????कल एक बेशकिमती तोहफा डाक से आया ! श्रीमान राधेक़ाँत दवे जी ने व श्रीमती कुसुम दवे जी ने एक सँगीत ओडीयो टेप भेजी
नाम था " हुस्न -ए - जाँ : ~
सँगीत निर्देशक हैँ मुज़फ्फर अली -गीतोँ को गा रहीँ थीँ छाया गाँगुली -१) " यारो मुझे मुआफ रखो" ( मीर )
२) खूनेज करिश्मा नाज़ सितम ( नज़ीर अकबराबादी )
३) जब फागुन रँग ( नज़ीर)
४) पिया ब्याज प्याला ( कुतुब शाह) *( छाया व इकबाल सिद्दीकी )
५) निठुरे निठुरे॥अँगना बुहारुँ पहन के कँगना * (ज़रीना बेगम )और अँत का गीत था
६) न तुम होँगेँ न हम होँगेँ ॥" ( नज़ीर) * ( रोली सरन और नवेद सिद्दीकी )
अँतिम गीत, बडी, सहजता से आरँभ हुआ ~
~शब्द / अलफाज़् यूँ घुल रहे थे मानोँ, ज़िन्दगी की हुबहु तस्वीर उभर रही हो !~माशूका कह रही थी कि, ' आज हँस कर बोसा ले लो, प्यार से गले मिलो, चुहल करने के लिये, लतीफे सुनने सुनाने के लिये, आज का वक्त है, तो,। ॥मुहब्बत से पेश आओ हम से आकर मिलो, फिर न जाने, क्या हो ?-
" न तुम होगे न हम होगे "
गीत कुछ इस तरह से दीलोदीमाग मेँ बसने लगा कि पता भी न चला कब आँखेँ नम हुईँ , न जाने कब दबी सिसकीयाँ रह रह कर, मन मसोस कर, गहरे, कहीँ धधकते ज्वालामुखी की तरह, रुह को झकझोर कर सँगीत के साथ साथ, एकाकार हो गईँ !
ये नज़ीर का कलाम था कि, सब कुछ ले डूबा !
मेरे जीवन के दाम्पत्य के क्षण, ३३ सालोँ का लँबा सफर, उससे पहले, १६ /१७ साल की आयु मेँ , अपने जीवन साथी से , पहली बार मिलना, उससे पहले, एक ही गुजराती स्कूल मेँ कक्षा १ से , उन्हेँ देखना, साथ साथ, बडे होना, बचपन की देहलीज को पार कर, वयस्क होना, फिर, परिवार के सभी से जान पहचान , एक दूसरे के घर पर , भोजन करना, गप्पे लडाना, शादी ब्याह, २ सँतानोँ के अभिभावक बनना ~पुत्री सौ. सिँदुर का ब्याह, फिर सोपान की मँगेतर मोनिका से मिलना और उनकी शादी .....
~ ज़िँदगी, पलक झपकाती, किसी, तिलस्मी दुनिया से उतरी 'नाज़्नीन परी सी , मुस्कुराती, शरारत से, आँखेँ मुँद कर, हल्के से,माथा चूमकर, कह रही है," बता मैँ कौन हूँ ?" -
- इतना ही दील से निकला,
" तू मेरी सहेली है....रुह की परछाईँ है " -
-- लावण्या
बहुत टची है यह प्रेम-जौहर की खबर। कौन लोग होंगे, क्या भाव होंगे, कितना स्नेह होगा....
ReplyDeleteमैं कल्पना कर रही थी कि कितना प्यार होगा उन दोनों में जो आज से ६००० साल पहले के लोगों ने स्वीकार और उन्हें इस तरह दफ़न किया ..
ReplyDeleteज़िंदगी सहेली तो है मगर वो भी कहाँ पूरा साथ देती है--लेकिन जितना साथ दे उसी में खुश रह सकें तो फ़िर कल चाहे न तुम हों ,न हम हों .
यदि पहचाने तो प्रेम में बहुत ताकत है.आपकी पोस्ट में मेरा दिल भी डूब गया.
ReplyDeleteज़िंदगी में खूबसूरत लम्हे यादगार बन जाते हैं और सही मायने में यही थाती है ज़िंदगी की.
बहुत पसंद आयी यह पोस्ट.
adbhut.......bemisall..
ReplyDeletesiharan hui padhkar ,DIDI! THX
ReplyDeleteलावण्या जी आपकी पोस्ट का एक अलग ही अंदाज होता है जो दिल को छू जाता है।
ReplyDeleteएकदम निराली पोस्ट-अद्भुत अंदाज.
ReplyDeletemere pas ye geet mp3 me hai.. aapko chahiye to mujhe batayiyega.. aur agar aapke pas pahle se hi ho to mujhse share kijiyega, kyonki mere pas jo hai uska sound quality bahut achchha nahi hai.. :)
ReplyDeleteगजब दो हंसों का जोड़ा.
ReplyDeleteज्ञान भाई साहब जी हाँ ..अवशय ये कोई प्रेमी युगल होगा ..
ReplyDeleteअल्पना जी सही कहा आपने ..बहुत प्रेम होगा जी हाँ ज़िँदगी सहेली तो है परँतु, साथ उतना ही निभायेगी जितनी उसकी डोर होगी !
ReplyDeleteअर्बुदा जी आप पहली बार मेरे जाल घर पे तशरीफ लाईँ हैँ आप का स्वागत है और पोस्ट पसण्द करने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया !
ReplyDeleteThank you so much Anurag bhai --
ReplyDeleteThank you so much dear Parul -- appreciate your thoughts
ReplyDeleteRgds,
L
समीर भाई , शुक्रिया -- कब कनाडा को तशरीफ ला रहेँहैँ आप लोग ? :)
ReplyDeleteममता जी आप ने इतने प्यार से मेरे लिखे को सराहा है कि मैँ , क्या कहूँ ? शुक्रिया तो महज़ एक लफ्ज़ है -
ReplyDeleteजी हाँ अतुल भाई -
ReplyDeleteदो हँसोँ का जोड़ा बिछुड गयो रे !
PD ,
ReplyDeleteI am an absolutely "Non - Techie " person ! :-(
Don't know how to format the songs to be able to send it to you :-(
If you can send it , I'll appreciate it ..Thanx !
बहुत खूबसूरत लेख... एक एक शब्द प्रेम रस में डूबा..
ReplyDeleteआपने सराहा ...शुक्रिया ..
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