Wednesday, June 25, 2008

ऐ ख्वाब .........तुम चले जाओ !


सपने वे नहीं होते जो हम सोते समय देखते हैं,

सपने वे होते हैं जो हमें सोने नहीं देते।”-

- सृजनशिल्पी के ब्लॉग पर एक सूक्ति।

http://srijanshilpi.com/?p=161

[ १ ]

ख्वाब .........तुम चले जाओ !

यूँही आ आ कर फ़िर , दबे पाँव ........लौट जाओ !

जब तुम आ कर चले जाते हो , क्यों अपनी निशानी छोड जाते हो ?

तुम आए तो थे , येही बस है , वही सुनहरी झलक दिखलाओ ,

जो बिखरी रहती है चेहरे पे ! हर चेहरे पर , तुम्हारे जाने के बाद

[ २ ]

ख्वाबों से धुआं उठ कर , कहता है किनारों को ,

हम लौट के आयेंगे फ़िर इन्ही मकामों को -

तेरी आंखों के उजालों में , हम , डूबते जायेंगें ,

पतवार मुहोब्बत की ले , साहिल तक आयेंगें !

कैसा है जुनून - ए - दिल , हर हाल पे बाबस्ताँ,

एक तू है निगाहों में , जले, शमा ज्यूँ आहिस्ता

क्यों प्यासे हैं लब मेरे , क्यों छाई उदासी है ?

क्यों चुप हैं दीवारें ? गमख्वार है क्यों जीना?

[ ३ ]

रहने भी दो ये वाहवाही , हैं ये टूटने के मंजर ,

गुमशुदा की हैं तलाशें , डूबते दिल की है आवाज़ !

ना साथ चाहिए , ना , मंजिल का हौसला ,

ना मांझियों के साहिल , ना , खोने का गिला !

दफना के आए हैं हम , हर रिश्तों को तमाम ,

भूले से आ न जाए , होठों पे तेरा नाम !

हैं याद के समंदर , ठहरी हुई है शाम ,

सब कुछ उदास - सा है , तेरी आरजू के नाम !

कैसे लिखूं मैं नाम तेरा , स्याही से आजकल ?

हो दिल में तुम समाये , मेहमान से बन कर !

चुप रहना ही बेहतर है , करना बर्फ पानी को ,

कहीं आग ना लगा दे , मेरे खौलते ख्याल !

तेरे रास्तों पे आख़िर , ना आए उम्र भर -

लब सी लिए हैं यारां , करते हुए सफर !

पर याद है की बरबस , आती है झूमके

बाँहें गले में डालने , हैं ये इल्तजा के काम !

हैं धड़कने अभी भी , रूह में वही आगाज़ ,

है आज भी लबों पे, हल्का सा तेरा नाम !

है सुकून मुझको यारब - दिल में तडप भी है ,

नही है तो एक तू ही , आंखों में जैसे ख्वाब !

तू ने मुश्किलें छुडाकर दी थी हमे पनाह ,

है आज भी जहन में, ठिठकी हुई सी आह !

कुछ देर को तो तनहा रहने दो जी हमे ,

यादों के झुरमुटों में , ठहरी हुई है शाम !

लंबे उदास साए , लहराते झील पर ,

तकता है मुहँ बांये, आसमान को ज्यों चिनार !

- लावण्या

14 comments:

  1. ख्वाबों से धुआं उठ कर , कहता है किनारों को ,

    हम लौट के आयेंगे फ़िर इन्ही मकामों को -

    bahut hi khubsurat abhivyakti...

    [srijan ke blog wali sukti kitni sahi likhi hui hai---
    wah! khwab wo hain jo hamen sone nahin dete!!!!:)
    lekin jaagati aankhon ke khwab to bahut pareshaan karte hain...

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  2. ऐ ख्वाब .........तुम चले जाओ !

    यूँही आ आ कर फ़िर , दबे पाँव ........लौट जाओ !

    जब तुम आ कर चले जाते हो , क्यों अपनी निशानी छोड जाते हो ?

    तुम आए तो थे , येही बस है , वही सुनहरी झलक दिखलाओ ,

    जो बिखरी रहती है चेहरे पे ! हर चेहरे पर , तुम्हारे जाने के बाद

    बहुत सुंदर जी ..सपने यही दिल पर छा जाते हैं ..

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  3. बहुत सुंदर. हमारे ख्वाब अगर सही हैं तो शायद हमें सोने नहीं दें.

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  4. ख्वाब में अगर कशिश है तो अपने को सच करा कर मानेंगे!

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  5. ऐ ख्वाब .........तुम चले जाओ !

    यूँही आ आ कर फ़िर , दबे पाँव ........लौट जाओ !

    जब तुम आ कर चले जाते हो , क्यों अपनी निशानी छोड जाते हो ?

    तुम आए तो थे , येही बस है , वही सुनहरी झलक दिखलाओ ,

    जो बिखरी रहती है चेहरे पे ! हर चेहरे पर , तुम्हारे जाने के बाद

    wah kya kahun bahut sundar rachana,khwab ke itne rang ,itne bhav,har rachana khubsurat ehsaas,bahut badhai

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  6. लावण्या जी, दबाए बैठी हैं आप, खजाना बड़ा ।
    खुलता है जब भी तराशा हुआ हीरा निकलता है।

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  7. अति सुन्दर..बहुत खूब.

    सृजन शिल्पी जी के ब्लॉग पर यह सूक्ति हमें भी बहुत पसंद आई थी.

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  8. ख्वाबों से धुआं उठ कर , कहता है किनारों को ,
    हम लौट के आयेंगे फ़िर इन्ही मकामों को

    वाह! बहुत ही खूबसूरत.. बधाई स्वीकार करे..

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  9. ख्वाबों से धुआं उठ कर , कहता है किनारों को ,
    हम लौट के आयेंगे फ़िर इन्ही मकामों को -
    bhut khub likhati rhe.

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  10. अत्यंत सुंदर रचनाएँ !

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  11. आप की रचनाएं तो सुदर होती ही हैं।

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  12. आपकी रचनाएं तो सुंदर होती ही हैं।

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  13. ख्वाबों से धुआं उठ कर , कहता है किनारों को ,
    हम लौट के आयेंगे फ़िर इन्ही मकामों को

    बहुत खूबसूरत है,दिल को छू गई...

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