क्यूँ ? आपको चित्र पसँद नहीँ आया अनुराग भाई ? ;-) जान बूझकर रखा है :) - सोचा कोई तो कुछ कहेगा - और आपने कह दिया - ये चित्र "बा" ने बापू के पैरोँ मेँ बहुत उपवास किये थे और हमेशा की तरह वे कई मील चलते थे और बापू के परोँ मेँ दर्द था और बा उन्हेँ बच्चे की तरह प्यार से मालिश कर रहीँ थीँ उस वक्त का है - बा ने बापू से बहुत प्यार किया - जब कोई उनसे शिकायत करता कि , " आप को बापूने कितने दुख दीये ! " तो वो कहतीँ , " शिकायत आप को होगी, मुझे मेरे पति पर पूरी निष्ठा और प्रेम है, मैँ कब आपसे शिकायत करने आयी थी ! आप मुझे मेरे पति के खिलाफ एक शब्द भी बोलकर ना उकसायेँ वही अच्छा होगा " ये सुमति माणेकलाल मुँशी से बा ने कहा था - उनके बीच जो गहरा प्रेम था उसका एक स्वरुप है ये चित्र - इसे पहली बार देखा तब मैँ भावुक होकर बहुत रोई थी बा और बापू,२० वीँ सदी के, वन मेँ काँटोँ पे चलनेवाले, राम और सीता ही हैँ..दुख मेँ भी सहज और एकदूसरे के लिये सम्पूर्णत: समर्पित - - लावण्या
मैं जिस ग्रामीण इलाके में रहता हूं, ब्राडबैंड की सुविधा नहीं है। सर्वर इतना धीमा काम करता है कि इंटरनेट पर आडियो-वीडियो सुन या देख पाना संभव नहीं हो पाता। फिर भी आपलोगों का जो उत्साह है और मेरे भी मन में बापू की जो अमिट छवि है, उन सब से उनकी वाणी सुनने का रोमांच अनुभव कर सकता हूं।
बहुत से अन्य लोगों की तरह मेरी नजर में भी दुनिया में आधुनिक युग में बापू से बड़ा संत व राजनेता कोई नहीं।
ज्ञान भाई साहब, अशोक भाई व अभिषेक भाई आप का आभार जो यहाँ आये और ओडीयो को सुना और अशोक जी सुन नहीँ पाये उसका दुख है ! अभिषेक भाई, आप भी लगायेँ जो आपके पास है - बापू की वाणी हिन्दी भी सुन पायेँ तो अच्छा लगेगा स्नेह, - लावण्या
लावण्याजी,
ReplyDeleteइस रेकार्डिंग का लिंक देने के लिये बहुत धन्यवाद !
नीरज जी ,
ReplyDeleteआप सुनियेगा और बतायेँ कैसा लगा -
- लावण्या
लावण्या जी, ये तो अनमोल चीज़ सुना दी आप ने. बहुत बहुत आभार आप का.
ReplyDeleteLavanyaji
ReplyDeleteYes, it is Anmol.
Thanx.
कमाल कर दिया आप ने लावण्या जी...बहुत दूर की कौडी लायीं हैं आप...अभी तक कानो को विश्वास नहीं हो रहा...बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteनीरज
अनमोल स्मृति!
ReplyDeleteख़बर पढी थी पर सीमित रूचि जागी थी. मगर अब आप कह रही हैं तो अवश्य सुनना होगा.
ReplyDeleteआपका शुक्रिया किस तरह अदा करू.. बहुत अनमोल पोस्ट है ये
ReplyDeleteसुन लिया हो तब फिर आकर लिखियेगा -
ReplyDeleteकैसा लगा
- लावण्या
शुक्रिया इस अनमोल चीज के लिए बस ये चित्र हटा दे.....
ReplyDeleteक्यूँ ? आपको चित्र पसँद नहीँ आया अनुराग भाई ? ;-)
ReplyDeleteजान बूझकर रखा है :)
- सोचा कोई तो कुछ कहेगा -
और आपने कह दिया -
ये चित्र "बा" ने बापू के पैरोँ मेँ बहुत उपवास किये थे और हमेशा की तरह वे कई मील चलते थे
और बापू के परोँ मेँ दर्द था और बा उन्हेँ बच्चे की तरह प्यार से मालिश कर रहीँ थीँ उस वक्त का है -
बा ने बापू से बहुत प्यार किया
- जब कोई उनसे शिकायत करता कि ,
" आप को बापूने कितने दुख दीये ! "
तो वो कहतीँ ,
" शिकायत आप को होगी, मुझे मेरे पति पर पूरी निष्ठा और प्रेम है, मैँ कब आपसे शिकायत करने आयी थी ! आप मुझे मेरे पति के खिलाफ एक शब्द भी बोलकर ना उकसायेँ वही अच्छा होगा " ये सुमति माणेकलाल मुँशी से बा ने कहा था -
उनके बीच जो गहरा प्रेम था उसका एक स्वरुप है ये चित्र - इसे पहली बार देखा तब मैँ भावुक होकर बहुत रोई थी
बा और बापू,२० वीँ सदी के, वन मेँ काँटोँ पे चलनेवाले, राम और सीता ही हैँ..दुख मेँ भी सहज और एकदूसरे के लिये सम्पूर्णत: समर्पित -
- लावण्या
यह तो बहुत महत्वपूर्ण आडियो का लिंक दिया आपने और बापू को सुनने में रोमांच हो आया।
ReplyDeleteमैं जिस ग्रामीण इलाके में रहता हूं, ब्राडबैंड की सुविधा नहीं है। सर्वर इतना धीमा काम करता है कि इंटरनेट पर आडियो-वीडियो सुन या देख पाना संभव नहीं हो पाता। फिर भी आपलोगों का जो उत्साह है और मेरे भी मन में बापू की जो अमिट छवि है, उन सब से उनकी वाणी सुनने का रोमांच अनुभव कर सकता हूं।
ReplyDeleteबहुत से अन्य लोगों की तरह मेरी नजर में भी दुनिया में आधुनिक युग में बापू से बड़ा संत व राजनेता कोई नहीं।
thanks for this rare audio. I also have a small audio clip (in Hindi) of baapu on my pc.
ReplyDeleteज्ञान भाई साहब,
ReplyDeleteअशोक भाई व
अभिषेक भाई
आप का आभार जो यहाँ आये और ओडीयो को सुना और
अशोक जी सुन नहीँ पाये उसका दुख है !
अभिषेक भाई,
आप भी लगायेँ जो आपके पास है - बापू की वाणी हिन्दी भी सुन पायेँ तो अच्छा लगेगा
स्नेह,
- लावण्या