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ये कविता उन के लिए है जो अपने स्वजन को याद कर रहे हैं और अपनों की कमी महसूस कर रहे हैं -
ये कविता उन के लिए है जो अपने स्वजन को याद कर रहे हैं और अपनों की कमी महसूस कर रहे हैं -
स्मृति दीप
भग्न उर की कामना के दीप,
भग्न उर की कामना के दीप,
तुम, कर में लिये,मौन, निमंत्र्ण, विषम,
किस साध में हो बाँटती?
है प्रज्वलित दीप, उद्दीपित करों पे,
नैन में असुवन झड़ी!
है मौन, होठों पर प्रकम्पित,
नाचती, ज्वाला खड़ी!
बहा दो अंतिम निशानी,
जल के अंधेरे पाट पे,
' स्मृतिदीप ' बन कर बहेगी,
यातना, बिछुड़े स्वजन की!
एक दीप गंगा पे बहेगा,
रोयेंगी, आँखें तुम्हारी।
धुप अँधकाररात्रि का तमस।
पुकारता प्यार मेरा तुझे,
मरण के उस पार से!
बहा दो, बहा दो दीप को
जल रही कोमल हथेली!
हा प्रिया! यह रात्रिवेला
औ ' सूना नीरवसा नदी तट!
नाचती लौ में धूल मिलेंगी,
बहुत सुंदर कविता ! शुभकामनाएं !
ReplyDeleteHappy Deepawali.
ReplyDeleteLove to Noah.
Regards
G Vishwanath
दीपावली के इस शुभ अवसर पर आप और आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteवाह! क्या बात है…। ============================
ReplyDelete!॥!दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!॥!
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लावण्या जी, मन को मथ देने वाली कविता लिखी है आपने ।
ReplyDeleteआपको सपरिवार दीपावली की शुभकामनाएं ।
घुघूती बासूती
दीवाली शुभ हो लावण्य दी।
ReplyDeleteसुन्दर पोस्ट बनाना कोई आपसे सीखे!
ReplyDeleteदीपावली आपको और आपके परिवार को बहुत मंगलमय हो।
नव-संवत्सर प्रतिपदा की शुभकामनाएं!
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता ! शुभकामनाएं !
ReplyDeleteहर बार की तरह लाज़बाब
ReplyDeleteप्यारे दीप और कविता भी बहुत प्यारी..दीपावली की शुभकामनाएँ..
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