Thursday, October 30, 2008

संगीत - संध्या : झलकियाँ

संगीत संध्या : श्रोता भी शामिल हुए जश्न में तब , महिलाएं व पुरूष सभी उठ कर नाचे ......ये महाशय लाल शर्ट पहने हुए , संगीत सुनते ही , नाच शुरू कर देते हैं और लोग उन्हें " देसी एल्विस प्रेस्ली " कहते हैं !! :-)
ये कन्याएं भी आनंद ले रहीं हैं ...
हमारे मित्र प्रवीन भाई व भाबी जी खुश हैं --
अमित पंडया तबला वादक हैं ग्रुप के -
दर्शक दीर्घा में तालियाँ बजने लगीं --- वाह जी वाह !
और ये पंडया परिवार गाते हुए ...ऐश्ना , रश्मि जी व राज पंडया जी सारे ही गायक हैं ...
एक सज्जन अपनी श्रीमती के संग प्रसन्न मुद्रा में ...
और हम भी दर्शक बने हुए ...माहौल का आनंद लेते हुए ....सब के साथ हैं ....
ये थीं झलकियाँ - मेरे शहर के संगीत - संध्या की - आपको कैसी लगी ?
फ़िल्म: सत्यम शिवम् सुंदरम का ये शीर्षक गीत गाया गया था --
http://www.youtube.com/watch?v=dufsqvm4cec
ये गीत भी पापा जी का लिखा हुआ है जो नही गाया , पर आप सुनियेगा --
सुनी जो उनके आने की ...आहट ,
गरीब खाना सजाया हमने ...
फ़िल्म: सत्यम शिवम् सुंदरम
http://www.youtube.com/watch?v=loJO0JjdS6Y




7 comments:

  1. आपके शहर के संगीत - संध्या की झलकिया देख कर बहुत अच्छा लगा की आप विदेशी माहौल में भी अपनी परम्पराओं को जड़ से पकडे हुए हैं ! बहुत अच्छा लगता है आपके ब्लॉग पर हमेशा चित्रमय रिपोर्ट्स और लेख पढ़ कर ! आप इसी तरह लिखती रहे ! बहुत अच्छा लगता है !

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  2. यह देख अच्छा लगा कि भारतीय बिरादरी अमरीका में भी भारतीय लगती है।
    धन्यवाद चित्रमय विवरण के लिये।

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  3. अच्छी लगी संगीत संध्या.

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  4. चित्रमय झांकी के साथ कुछ विवरण भी पढ़ने की इच्छा थी..
    अच्छा लगा इसे देखना....

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  5. झलकियाँ - मेरे शहर के संगीत - संध्या की फोटो सहित पोस्ट बहुत ही रोचक लगी . जानकारी देने के लिए धन्यवाद

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  6. बहुत सुंदर ,फ़ोटो देख कर ऎसा लगा जेसे हम भी उस भीड मै ही कही वेठे हो.
    धन्यवाद

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  7. धन्यवाद लावण्या जी. आपने तो घर बैठे ही समारोह का आनंद दिला दिया. नोआ के साथ ट्रिक और ट्रीट के लिए गयीं या नहीं? हम तो कल काफी भूत-प्रेतों से घिरे हुए कैंडी बाँट रहे थे.

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