
अनूप शुक्ला जी की बेबाक बातेँ पढना अपने आप मेँ सोचक व रोचक अनुभव है जैसे : फुरसतिया जी कहिन : ~~
माननीय कविवर समीरलाल जी जो कि अभी हाल ही में समलैंगिकों के साथ देखे गये।
अमेरिका का अमेरिकापन तभी तक है जब तक हिंदमहासागर और अटलांटिक सागर के बीच की दूरी बरकरार है। दूरी मिटते ही वो बेचारा कौड़ी का तीन हो जायेगा। या अमेरिका के जितने हाई वे हैं वे सब के सब साल भर में कई बार लो-वे में बदल जायेंगे। जहां बरसात खतम हुई सारे चौड़े रास्तों पर गड्डे खोदकर बल्ली गाड़कर रामलीला का तम्बू तन जायेगा।
इलाहाबाद और गया के पंडे राबर्ट और जूलिया को जमशेदपुर, दरभंगा के रामदयाल, बरसातीराम का वंसज साबित कर देंगे। वे अगली फ़्लाइट से भारत अपनी जड़ों की तलाश में सरपट भागते चले आयेंगे। इंडियन एअर लाइंस के बल्ले-बल्ले होंगे।
मैं कतरा सही मेरा वजूद तो है/
हुआ करे जो समंदर मेरी तलाश में है
वो खरीदना चाहता का कांसा (भिक्षा पात्र) मेरा
मैं उसके ताज की कीमत लगा के लौट आया।
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हमारे देस में , ख़ास तौर से , पश्चिमी इलाकों में , समलैंगिक विवाह के विरोध में आम जनता ने , राष्ट्रपति के चुनाव के साथ दिए गए प्रस्तावित , मुद्दों में से एक यह भी था
" समलैंगिक विवाह को मान्यता दी जाए या नहीं ? "
और केलिफोर्निया प्रांत में आम जनता ने इस मान्यता का विरोध किया हैं
http://www.latimes.com/news/local/la-me-gaymarriage16-2008may16,1,4027698.story
जिस के कारण , जो समलैंगिक विवाह को मान्यता मिले यह देखना चाहते थे , उन सारे लोगोंको को कहते हैं, बहुत दुःख हुआ है - ये मुद्दा खैर हमें अब तक समझ नहीं आया ! सहानुभूति अवश्य है उन के साथ - आख़िर वे भी इंसान हैं - कई लोग पूरी तरह समर्पित हैं और दंपत्ति की तरह जीते हैं - पर कानूनन उन्हें स्त्री और पुरूष दम्पति जैसे , हक्क नही मिले अब तक आप को , अगर ये समाचार ना मिलें हों तब आप , शायद हिमालय की किसी निर्जन , बर्फीली , गुहा में , जोगी का भेस धरे , समाधि रत होंगें ! :) और ये ख़बर है ओबामा जीत गए " !!! और वे ,अपना मंत्री मंडल गढ़ने में व्यस्त हैं - शाशा और मालीया उनकी २ मासूम सी बेटियों के लिए एक नन्हा पप्पी खरीदने वाले हैं ! :-)
मिशेल एक बेहद प्रभावशाली महिला हैं !
आगामी दिनों में आप , मिशेल को कई , बार देखेंगें - दोनों पढ़े लिखे , जागरूक , आधुनिक समाज को समझने वाले , कुशल इंसान हैं जिन्होंने अपना परिवार , सभ्यता और संस्कृति की ठोस नींव पर , बसाया हुआ है और ये इमारत , अथक श्रम, परिवार के प्रति निष्ठा और समाज के कमजोर तबके के इंसान के प्रति सहानुभूति से प्रेरित है -
धार्मिक प्रवृति भी है पर , जूनून की तरह नहीं ...आगे , ये दम्पति , जो , अमरीका की काले रंग की प्रजा से , निकल कर , आयी है , परन्तु बराक में गोरे लोग , उनकी माँ को भी देखते हैं जो कोकेशीयन् ( गोरी ) थीं और बराक के पिताजी काले थे -- नानी जी जिनका २ दिन पहले देहांत हुआ , उन्होंने कई सारे , निजी , त्याग करके , बराक को , पाला पोसा था -- इन सब का मिलाजुला असर , इस दम्पति को देखकर , अमरीकी प्रजा पर पडा -- बराक ओबामा लंबे संघर्ष के दौरान, संयत रहे हैं ...........
आख़िर , आम जनता ने आज के , आर्थिक , वित्तीय संकट के घिरते बादलों के बीच , बराक को , आशा की किरण मान कर , बहुमति से , अपने अपने मत, बराक के पक्ष में , डाले और तमाम लोगों की आशाएं , बराक से जुडी हुई हैं ...जिनके सामने , अब तक का संघर्ष था उससे भी कठिन रास्ता , अनेकानेक अवरोध तथा कठिनाएयों के साथ खडा है ...
अभी बराक ओबामा , अमरीकी राष्ट्रपति पद की शपथ विधि ले भी नहीं पाये हैं , पर , मेरा मानना है के उनके ऊपर अभी से , कई क्षेत्रों से दबाव और सवाल खड़े होना आरम्भ हो चुका है
ईश्वर , उन्हें सही और सच्चा मार्ग दीख्लाये और इतिहास ने जो मौका दिया है उसके मापदंड में , वे खरे उतरें - यही मेरी कामना है -
बराक ओबामा की जीत के बाद मेरे शहर में स्थित , " अंडर ग्राउंड रेल रोड म्यूज़ियम " - देखने की इच्छा तीव्र हो गयी है -- ये रेल सम्बंधित म्यूज़ियम नहीं है मेरा शहर, सीनसीनाटी , एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ पहुँचने के बाद, हर नीग्रो गुलाम , आजाद करार कर दिया जाता था ! ओहायो नदी पार करते ही , कंटकी प्रांत की सरहद , तक नीग्रो गुलाम को पकडा जा सकता था और पुनः अपने मालिक के हवाले किया जाता था पर हमारे शहर सीनसीनाटी की सरहद में पहुँचने के बाद , वही गुलाम, उत्तरी अमरीका में , आकर, आजाद हो जाता था !!
- जितने भी ऐसे बंदी , गुलाम, नीग्रो छिपछिपाकर , जान बचाते हुए , हमारे शहर सीनसीनाटी की हद्द पार कर जाते थे उन्हें मुक्ति मिलती थी ! उनके छिप कर , यहाँ तक के सफर के रास्तों को ही ," अंडर ग्राउंड रेल रोड " कहा जाता है --
उसी से सम्बंधित सामग्री का म्यूज़ियम यहाँ है -- अब उसे , देखना चाहती हूँ --
http://www.hbo.com/docs/programs/unchained_memories/#
http://www.cincinnati.com/freetime/nurfc/slavery_urailroad.html
- जितने भी ऐसे बंदी , गुलाम, नीग्रो छिपछिपाकर , जान बचाते हुए , हमारे शहर सीनसीनाटी की हद्द पार कर जाते थे उन्हें मुक्ति मिलती थी ! उनके छिप कर , यहाँ तक के सफर के रास्तों को ही ," अंडर ग्राउंड रेल रोड " कहा जाता है --
ReplyDeleteबहुत उम्दा और ज्ञान वर्धक जानकारी दी अपने ! बहुत धन्यवाद और शुभकामनाएं !
post to sadaa ki bhaanti behtareen hai hi..saath hi aapki pic noah ke saath khuub acchhi hai
ReplyDeleteहमारे देश में शायद इसकी इतनी ज़रूरत भी नही.. बहरहाल लेख बढ़िया रहा
ReplyDeleteअन्धकार भरे इतिहास पर उज्ज्वल भविष्य की नीव रखी जाती है।
ReplyDeleteअमेरिका में यह हुआ है। भारत में भी भगवान करें यह हो।
सुंदर लेख पैर बधाई स्वीकार करे मेरे ब्लॉग पैर भी पधारे
ReplyDeletevicharpurna post
ReplyDeleteआज का आपका अंदाज खास लगा .पर समलैंगिक लोगो हम अब भी sexual disorder के तौर पर देखते है....ओर मेरा मानना भी यही है की प्रकति के विरुद्ध कोई भी चीज़ ग़लत है.....आज आप को पढ़कर पर मजा आया
ReplyDeleteओबामा की जीत ने सारे अमरीका को सिनसीनाटी बना दिया है। मेरी कामना है कि पूरी दुनिया जल्द ही सिनसीनाटी हो जाए। जहाँ हर कोई आजाद हो बंधन-मुक्त लेकिन अनुशासित।
ReplyDeleteकैलिफोर्निया की ख़बर और उसके बाद इन्टरनेट पर हो रहा बखेडा दोनों पढ़ा :-) म्यूजियम के बारे में तो आप और जानकारी देंगी ही. इंतज़ार रहेगा.
ReplyDeleteaapka ye lekh bhi hamesha ki tarah bahut hi achha raha di....
ReplyDeleteअच्छा लगा आपके शहर का गौरवशाली इतिहास जानकर. यह याद्कर्के भी शर्म आती है की इंसान इंसान को जानवरों की तरह खरीद-बेच सकता है.
ReplyDeleteआप जब रेल म्यूजियम देखें तो विस्तार से बताएं...आप ने सिनसिनाटी की यादें तजा कर दी...बहुत खूबसूरत शहर है....ओहाईयो नदी पर बने हुए पर्पल ब्रिज पर की गई चहल कदमी दिमाग में कौंध गयी...
ReplyDeleteनीरज
धन्यवाद सब जानकारी कै लिये
ReplyDeleteओबामा ने जिस तरह से अप्रतिम लोकप्रियता हासिल की है....उसके पीछे भले ही अनेक कारक हो लेकिन फिलहाल तो उनसे जुड़ी सभी जानकारी सनसनी जैसी होगी......आप वहाँ रहकर हमें अपनी भाषा में रिपोर्ट करती रहेंगी, इससे ज्यादा खुशी और क्या होगी. शुक्रिया आज की जानकारी के लिए.
ReplyDeleteसौभाग्य है आपका जो ऐसे ऐतिहासिक शहर में हैं , जहाँ गुलामी से निजात मिलती थी। दक्षिण के राज्यों में रिपब्लिकन ज्यादे जीतते हैं ?
ReplyDeletehttp://www.electoral-vote.com/
ReplyDeleteहाँ अफलातून भाई, सही सोचा आपने ...ये लिन्क देखियेगा --