Monday, December 1, 2008

वंदे मातरम !

मोशे नाम है इस सुनहरे भूरे बालोँ वाले प्यारे नन्हे मुन्ने बच्चे का -
यहूदी माता, रीवाक और रबाइ गवीरल नोष होल्ज़्बर्ग का पुत्र है ये अनाथ मोशे ! मम्मी ....मम्मी ...मम्मी ...के आक्रंद से गूँज रहा था वातावरण और पूजा हो रही थी ॥अन्तिम सम्मान दिया जा रहा था मृतक युगल को ...
और मोशे बिलख रहा था ...
वंदे मातरम !
भारत माता स्वतन्त्र और सुरक्षित रहतीं हैं जब् उसके बहादुर सपूत , माता की रक्षा करते हुए जान की बाजी लगाते हुए अपना सर्वस्व अर्पण कर देते हैं। ये तस्वीर देशभक्त अमर शहीद सँदीप उन्नीकृशणन की है --
( उनकी बिलखती माँ धनलक्ष्मी जी उन्हेँ अँतिम बार दुलारते हुए :-((
धनलक्ष्मी जी के इस दुःख का, कोइ उपाय है क्या आज, किसी के पास ???
मोशे के इस दुःख का, कोइ उपाय है क्या आज, किसी के पास ???

मोशे इज्राईके लिए रवाना हो चुका है इतिहास का यह् खूनी पन्ना फडफडाता हुआ गिर कर खून के धब्बों से गंदा होकर गिर पडा है और ये खून आंसुओं के सैलाब से अभी तक धुल नही पाया।

नीचे की तस्वीर में पुजारी जिस रबाई कहते हैं यहूदी धार्मिक विधि से एक दम्पति का विवाह करवाते नज़र आ रहे हैं - गवीरल नोष - और उनकी पत्नी रिवाक भी नव वधु के बगल में खडी हैं --
और अंत में .................जितने , आतंकवादी मार गिराए गए , ९ , आतंकी , उनके शव कहाँ दफनाये जायेंगें ? क्या पाकिस्तान उन्हें , जगह देगा ? उनकी माताएं , रास्ता देख रही होंगीं ? शायद , उनके घर भी कोइ बहन हो ...क्या ये खूनी आतंकी , इन बहनों के साथ भी इसी तरह का नृशंश व्यवहार करते होंगें ? जैसे अफ़ग़ानिस्तान की स्कुल जाती लड़कियों पे उन्हीं के लोगों ने , तेजाब फैका और मुंह जला दिए थे ?
आख़िर क्यूं ? क्या चाहते हैं ये आतंकी ? और क्या , उनका दीनो धर्म उन्हें ऐसे नापाक काम करना सिखलाता है ? या , धर्म का नाम बदनाम करनेवाले , इनका दीमाग , अधकचरे उसूलों से , जहर लिपटे , अमानवीय तौर तरीके सीखलाता है जिसके असर में आकर , ये कम उमर के लड़के , खूंखार आतंकी बन कर मौत का तांडव रचते हैं ? ................
हे परम कृपालु ईश्वर, आप सर्व शक्तिमान हो ....
ऐसे अमानवीय विचारों को , नेस्त नाबूद कर दो ....
आप , ही हरेक धर्म के ईश्वर हो !
....कृपा कर दो ! अब बस बहुत हुआ .......
भारत माता की जय ! अमर शहीदों की जय !!




24 comments:

  1. ''धनलक्ष्मी जी के इस दुःख का, कोइ उपाय है क्या आज, किसी के पास ???

    मोशे के इस दुःख का, कोइ उपाय है क्या आज, किसी के पास ???''

    अच्‍छा होता मोमबत्तियां जलानेवाले लोग इस सवाल का जवाब भी देते।
    अक्षर टाइप करने से पहले आज आंख पोंछना पड़ गया।

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  2. क्या बतायें जी, आपने इतने संजीदा सवाल लिख दिये हैं पोस्ट में कि कोई जवाब सूझ नहीं पा रहा।
    दुख का जवाब मौन है।

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  3. मन मस्तिष्क को झनझना देने वाले विचार है यह . वस्तुतः यह विचार ही आतंक का पहरुआ है. इसे तो मिटाना ही चाहिए.

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  4. मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि ! अब क्या किया जाय ?

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  5. आप ने संवेदना के मर्म पर चोट की है। धर्म मानव कल्याण के लिए था आज उसे ही मानव के संहार के लिए उपयोग किया जा रहा है।

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  6. आतंक के दमन के लिये एक स्‍वालम्‍बी शासन की जरूरत है जो हिन्‍दु मुस्लिम के लिये शासन न कर भारतीयों के लिये करें। इस आंतकी हमले के लिये मुख्‍यत: हमारी सरकार दोषी है जिसने धर्म के नाम पोटा जैसे आतंक विरोधी कानून को खत्‍म किया।

    आज शहीदों पर ऑंसू बहाने की अपेक्षा प्रण लेने की जरूरत है कि अब हम पुन: ये दिन नही देखेगे।

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  7. ..कृपा कर दो ! अब बस बहुत हुआ .......

    बस आज तो आपके शब्द ही मेरी भावना अभिव्यक्त कर सकते हैं !

    रामराम !

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  8. जाने कब खत्म होंगे ये आतंक के साये...
    दुख पीड़ा आक्रोश के सिवा क्या दे जाते हैं ये...

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  9. जिस माँ ने गर्भ में पाला, अपना दूध पिलाकर बड़ा किया, पूरे दुलार और प्यार से नौजवान बनाया, आज उसी बेटे की लाश पर विलाप........ कैसे सह रही होगी सैनिक की माँ

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  10. भारत माता की जय ! अमर शहीदों की जय !!

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  11. २ साल का वो नन्हा बच्चा जिसका जन्मदिन था उस दिन .....उसके माँ बाप को मारा गया नरीमन पॉइंट में...... उन्हें मारने वाले दफ़न हो या न हो मुझे नही परवाह ........मुझे उनसे नफरत है नफरत...........मै एक आम भारतीय हूँ...मेरे देश का एक एक नौजवान एक एक आदमी जब बेवजह मरता है ...तब मेरा खून खौलता है तब मै diplomatic युद्ध की बात नही सोचता हूँ ..जब मेरे देश का २९ साल का नौजवान सिपाही अपने सीने में गोली खाता है ...तब मेरा खून खोलता है .....बुद्धिमान लोग इसे भावावेश कहेगे .....पर जब आपके घर पर घुसकर हमला होता है तब केवल तर्क नही किए जाते ..

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  12. ab ishwar hi kuchh kare in ishwar ke naam pe ladane walo.n ka .....!

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  13. शोक है, आक्रोश है ! क्या कहें मौन के अलावा कुछ नहीं सुझाता अब !

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  14. स्तब्ध हूँ ,क्या कहूँ ..?

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  15. pardukhkatarta sirf karuna ko hi path de sakti hai .....yatharta , nark ke saman dukhdayak ho gaya hai.....

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  16. आपके सवालों के तो केवल हृदय के अंतर में ही मिल सकते हैं किंतु विडंबना यह है कि हृदय की भावनाएं तो भ्रष्टाचार और आपा-धापी के नीचे इतनी दब चुकी हैं कि उसकी कराहटें तक भी सुनाई नहीं पड़ती।
    अमर शहीदों को मेरी श्रद्धांजली।

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  17. बच्चे को देख कर कलेजा मुहं को आता है...इस मासूम के साथ होते अन्याय को इश्वर ने कैसे बर्दाश्त किया होगा...आतंकवादी इंसान होते ही नहीं दरिन्दे होते हैं
    नीरज

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  18. क्या लिखू??? कोई जबाब नही !! हम सब को इस बात का जबाब पुछना चाहिये हमारे नेताओ से , हमारे प्यारे मनमोहन सिंह से, उस बेगानी माईनो से क्या पुछना,
    आंखे भर आई ...
    धन्यवाद

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  19. लावण्या जी,
    आपके ह्रदय से निकले प्रश्नों नें पाठकों के ह्रदय को अवश्य छुआ है मगर हृदयहीन आतंकवादी किसी जान की कीमत क्या जानें. उनको तो बुद्धिमत्ता, सामर्थ्य और कठोरता से ही निबटना पडेगा.

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  20. क्या कहें..................
    ईश्वर विध्वन्शियो को या तो सद्बुद्धि दें या उनका सामूल नाश करें.

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