
यहूदी माता, रीवाक और रबाइ गवीरल नोष होल्ज़्बर्ग का पुत्र है ये अनाथ मोशे ! मम्मी ....मम्मी ...मम्मी ...के आक्रंद से गूँज रहा था वातावरण और पूजा हो रही थी ॥अन्तिम सम्मान दिया जा रहा था मृतक युगल को ...
और मोशे बिलख रहा था ...
भारत माता स्वतन्त्र और सुरक्षित रहतीं हैं जब् उसके बहादुर सपूत , माता की रक्षा करते हुए जान की बाजी लगाते हुए अपना सर्वस्व अर्पण कर देते हैं। ये तस्वीर देशभक्त अमर शहीद सँदीप उन्नीकृशणन की है --
( उनकी बिलखती माँ धनलक्ष्मी जी उन्हेँ अँतिम बार दुलारते हुए :-((
धनलक्ष्मी जी के इस दुःख का, कोइ उपाय है क्या आज, किसी के पास ???
मोशे के इस दुःख का, कोइ उपाय है क्या आज, किसी के पास ???
मोशे इज्राईल के लिए रवाना हो चुका है इतिहास का यह् खूनी पन्ना फडफडाता हुआ गिर कर खून के धब्बों से गंदा होकर गिर पडा है और ये खून आंसुओं के सैलाब से अभी तक धुल नही पाया।
नीचे की तस्वीर में पुजारी जिस रबाई कहते हैं यहूदी धार्मिक विधि से एक दम्पति का विवाह करवाते नज़र आ रहे हैं - गवीरल नोष - और उनकी पत्नी रिवाक भी नव वधु के बगल में खडी हैं --

आख़िर क्यूं ? क्या चाहते हैं ये आतंकी ? और क्या , उनका दीनो धर्म उन्हें ऐसे नापाक काम करना सिखलाता है ? या , धर्म का नाम बदनाम करनेवाले , इनका दीमाग , अधकचरे उसूलों से , जहर लिपटे , अमानवीय तौर तरीके सीखलाता है जिसके असर में आकर , ये कम उमर के लड़के , खूंखार आतंकी बन कर मौत का तांडव रचते हैं ? ................
हे परम कृपालु ईश्वर, आप सर्व शक्तिमान हो ....
ऐसे अमानवीय विचारों को , नेस्त नाबूद कर दो ....
आप , ही हरेक धर्म के ईश्वर हो !
....कृपा कर दो ! अब बस बहुत हुआ .......
भारत माता की जय ! अमर शहीदों की जय !!
''धनलक्ष्मी जी के इस दुःख का, कोइ उपाय है क्या आज, किसी के पास ???
ReplyDeleteमोशे के इस दुःख का, कोइ उपाय है क्या आज, किसी के पास ???''
अच्छा होता मोमबत्तियां जलानेवाले लोग इस सवाल का जवाब भी देते।
अक्षर टाइप करने से पहले आज आंख पोंछना पड़ गया।
क्या बतायें जी, आपने इतने संजीदा सवाल लिख दिये हैं पोस्ट में कि कोई जवाब सूझ नहीं पा रहा।
ReplyDeleteदुख का जवाब मौन है।
मन मस्तिष्क को झनझना देने वाले विचार है यह . वस्तुतः यह विचार ही आतंक का पहरुआ है. इसे तो मिटाना ही चाहिए.
ReplyDeletesorry, nno comment. narayan narayan
ReplyDeleteमेरी भावभीनी श्रद्धांजलि ! अब क्या किया जाय ?
ReplyDeleteआप ने संवेदना के मर्म पर चोट की है। धर्म मानव कल्याण के लिए था आज उसे ही मानव के संहार के लिए उपयोग किया जा रहा है।
ReplyDeleteआतंक के दमन के लिये एक स्वालम्बी शासन की जरूरत है जो हिन्दु मुस्लिम के लिये शासन न कर भारतीयों के लिये करें। इस आंतकी हमले के लिये मुख्यत: हमारी सरकार दोषी है जिसने धर्म के नाम पोटा जैसे आतंक विरोधी कानून को खत्म किया।
ReplyDeleteआज शहीदों पर ऑंसू बहाने की अपेक्षा प्रण लेने की जरूरत है कि अब हम पुन: ये दिन नही देखेगे।
..कृपा कर दो ! अब बस बहुत हुआ .......
ReplyDeleteबस आज तो आपके शब्द ही मेरी भावना अभिव्यक्त कर सकते हैं !
रामराम !
sahidon ko naman
ReplyDeleteजाने कब खत्म होंगे ये आतंक के साये...
ReplyDeleteदुख पीड़ा आक्रोश के सिवा क्या दे जाते हैं ये...
जिस माँ ने गर्भ में पाला, अपना दूध पिलाकर बड़ा किया, पूरे दुलार और प्यार से नौजवान बनाया, आज उसी बेटे की लाश पर विलाप........ कैसे सह रही होगी सैनिक की माँ
ReplyDeleteभारत माता की जय ! अमर शहीदों की जय !!
ReplyDelete२ साल का वो नन्हा बच्चा जिसका जन्मदिन था उस दिन .....उसके माँ बाप को मारा गया नरीमन पॉइंट में...... उन्हें मारने वाले दफ़न हो या न हो मुझे नही परवाह ........मुझे उनसे नफरत है नफरत...........मै एक आम भारतीय हूँ...मेरे देश का एक एक नौजवान एक एक आदमी जब बेवजह मरता है ...तब मेरा खून खौलता है तब मै diplomatic युद्ध की बात नही सोचता हूँ ..जब मेरे देश का २९ साल का नौजवान सिपाही अपने सीने में गोली खाता है ...तब मेरा खून खोलता है .....बुद्धिमान लोग इसे भावावेश कहेगे .....पर जब आपके घर पर घुसकर हमला होता है तब केवल तर्क नही किए जाते ..
ReplyDeleteab ishwar hi kuchh kare in ishwar ke naam pe ladane walo.n ka .....!
ReplyDeleteशोक है, आक्रोश है ! क्या कहें मौन के अलावा कुछ नहीं सुझाता अब !
ReplyDeleteस्तब्ध हूँ ,क्या कहूँ ..?
ReplyDeleteवंदे मातरम !
ReplyDeletepardukhkatarta sirf karuna ko hi path de sakti hai .....yatharta , nark ke saman dukhdayak ho gaya hai.....
ReplyDeleteआपके सवालों के तो केवल हृदय के अंतर में ही मिल सकते हैं किंतु विडंबना यह है कि हृदय की भावनाएं तो भ्रष्टाचार और आपा-धापी के नीचे इतनी दब चुकी हैं कि उसकी कराहटें तक भी सुनाई नहीं पड़ती।
ReplyDeleteअमर शहीदों को मेरी श्रद्धांजली।
बच्चे को देख कर कलेजा मुहं को आता है...इस मासूम के साथ होते अन्याय को इश्वर ने कैसे बर्दाश्त किया होगा...आतंकवादी इंसान होते ही नहीं दरिन्दे होते हैं
ReplyDeleteनीरज
क्या लिखू??? कोई जबाब नही !! हम सब को इस बात का जबाब पुछना चाहिये हमारे नेताओ से , हमारे प्यारे मनमोहन सिंह से, उस बेगानी माईनो से क्या पुछना,
ReplyDeleteआंखे भर आई ...
धन्यवाद
Ni:shabd sa hoon
ReplyDeleteलावण्या जी,
ReplyDeleteआपके ह्रदय से निकले प्रश्नों नें पाठकों के ह्रदय को अवश्य छुआ है मगर हृदयहीन आतंकवादी किसी जान की कीमत क्या जानें. उनको तो बुद्धिमत्ता, सामर्थ्य और कठोरता से ही निबटना पडेगा.
क्या कहें..................
ReplyDeleteईश्वर विध्वन्शियो को या तो सद्बुद्धि दें या उनका सामूल नाश करें.