Sunday, December 28, 2008

" शांति यहीँ मिलेगी !" जी हाँ , सिर्फ़ ,कला की साधना से ...

अनुराग शर्मा :
हमारी अपनी पारुल
डा। मृदुल कीर्ति जी :
जिनके योगदान को आप यहाँ क्लिक करके देखिये --

http://www.mridulkirti.com/about.html

उपनिषदो के हिन्दी काव्यानुवाद हिन्दी साहित्य जगत को देकर
मृदुल जी ने शाश्वत काव्य का पृष्ठ ,
हिन्दी साहित्य के संग जोड़ने का अभूतपूर्व कार्य किया है --
हिन्दी साहित्य की प्रगति , आज संजाल पर भी हुई है
और यह मृदुल जी का पवित्रतम योगदान है ......
कालजयी कृतियाँ अब विश्व के कोने कोने में व्याप्त होकर
अपनी पवित्रता फैलाने को , उद्यत है .....
आज के अशांति व असमंजस के दौर में , पुनः एक बार,
भारतीय वांग्मय की गरिमा ,
हमारे , मार्गदर्शन हेतु , आगे बढ़ कह रही है ,
" शांति यहीँ मिलेगी !"
जी हाँ , सिर्फ़ ,कला की साधना से ...
हमारे अमूल्य साहित्य द्वारा पुनः स्थापित हो रही है
इस बार , सरल भाषा में , ताकि , इनका बोध सुगम बने -
और यह कठिन कार्य
एक माता और गृहिणी विदुषी सन्नारी की कृपा का
अमृत फल है जिसे वे हम सभी को सौंप रहीं है ,
इतनी सरलता से .....ये उनका बड़प्पन है।
उपनिषदो मेँ प्रयुक्त क्लिष्ट, भाषा एवँ उपदेश को ,
हमारी बोलचाल की भाषा द्वारा समझाते हुए
गेय छँदोबध्ध व कलात्मक काव्य स्वरुप मेँ प्रतुत करने का कठिन कार्य
डा। मृदुल कीर्ति जी ने किया है
इस तरह हिन्दी साहित्य की प्रगति आधुनिक युग की देन
संजाल पर भी यह धरोहर पुनर्स्थापित हुई है
और यह मृदुल जी का अभूतपूर्व योगदान है कला व साहित्य के प्रति
कालजयी कृतियाँ संवर कर सदा के लिए संजोए जाने लायक हो गईं हैं
जिसका श्रेय , मृदुल जी को देना चाहती हूँ --
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अब मिलिए, स्वरों की जादूगरी से !
मन मोहने की विधा में सिध्ध हस्त ,
कवियत्री तथा एक बेहतरीन गायिका से
हमारी अपनी , पारुल जी से ...

http://kushkikalam.blogspot.com/2008/06/blog-post_17.html
पारुल बड़ा सुंदर गातीं हैं और आप उन्हें सुन पायेंगें उन्हीं के हिन्दी ब्लॉग पर

http://parulchaandpukhraajkaa.blogspot.com/
इसका लिंक यहाँ ऊपर दिया है --
अबा आगे बढ़ते हैं , कवि सम्मलेन की ओर ...
ये सारे हिन्दी कवि सम्मलेन हैं।
जिन्हें " हिन्दी युग्म " ने अपनी वेब साईट " आवाज़" पर प्रस्तुत किया है --
पॉडकास्ट कवि सम्मेलन :
सदा की भांति , लाजवाब तथा सिध्ध हस्त व मधुर शैली में ,
कवि सम्मलेन का संचालन किया है -- मृदुल कीर्ति जी ने
पाँचवाँ अंक
चौथा अंक
तीसरा अंक
दूसरा अंक
पहला अंक
हाल ही में पारुल ने मुझे मेरी एक कविता सस्वर गा कर भेजी ,
आप भी सुनिए , और अवश्य बतायें, आपको यह प्रयास कैसा लगा।
हिन्दी साहित्य की प्रगति का यशस्वी सोपान देखिये ~~
यह मृदुल जी द्वारा रचित
ईशावास्य उपनिषद / मृदुल कीर्ति
कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति" कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति
प्रश्नोपनिषद / मृदुल कीर्ति" प्रश्नोपनिषद / मृदुल कीर्ति
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और अब मिलिए , अनुराग भाई से........

जिन्हें "पित्स्बर्गिया" भी बुलाया जाता है
परन्तु उनका नाम है अनुराग शर्मा --
वे स्वयं कहते हैं,
" आपको अनुराग शर्मा का नमस्कार!
ज़्यादा कुछ नहीं है अपने बारे में बताने को।
पिट्सबर्ग में बैठकर हिन्दी में रोज़मर्रा की बातें लिखता हूँ।
शायद उनमें से कुछ आपके काम आयेंगी और कुछ आपका दिन सार्थक करेंगी."

वे पेंस्ल्वेनिया प्रांत के पित्ज्बर्ग शहर में रहते हैं और वहीं से
रेडियो प्रोग्रामका सफलता पूर्वक संचालन कर चुके हैं।
"सृजन गाथा " हिन्दी पत्रिका में उनका ये आलेख भी अवश्य देखियेगा

http://www.srijangatha.com/2008-09/nov/pitsvarg%20se.htm

Pitt Audio - पिट ऑडियो

http://pittpat.blogspot.com/

अनुराग भाई ने , अपनी स्वयं की तथा
आदरणीय श्री 'कमल' जी की कविता को स्वर दिया है ॥
अंत में स्व। मुकेश जी से सुनिये " मानस " से यह अजर अमर दोहे ....
कवि सम्मलेन अवश्य सुनियेगा --
लिंक ये रहे --
और बताएं कैसा रहा ये प्रयास -
पाँचवाँ अंक

http://podcast.hindyugm.com/2008/12/podcast-kavi-sammelan-december-2008.html

20 comments:

  1. इंतिज़ार रहेगा...

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  2. बहुत सुंदर लगा सब के बारे पढना, कल सुनेगे पारूल जी की आवाज मे उन का गीत, आप का धन्यवाद

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  3. आपने बडी उपयोगी जानकारी दी मा.मृदुल कीर्ति जी द्वारा उपनिषदो का काव्यमयी अनुवाद किया गया है ! उपनिषद सूखा और तपा हुआ कुन्दन रुपी ज्ञान है ! अन्तिम सत्य , और वो भी काव्य के रुप मे ! लिंक सेव कर लिये हैं और इस जानकारी के लिये आपका आभार !

    पारुल जी से ब्लागिय परिचय है वो तो संगीत कि प्रतिभा है ! अक्सर मैं उन्के ब्लाग पर लाग-इन करके कुछ सुनते हुये काम करना अच्छा लगता है !

    अनुराग शर्मा जी के बारे मे आपने बताया , बहुत अच्छा लगा ! मेरे ब्लाग शुरु करने के समय से अगर किसी एक ब्लागर का नाम लूं तो वो अनुराग जी ही हैं, जिनसे मेरी निजी बातचीत शुरु हुई ! बडॆ सहज और बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं ! बडी स्वभाविकता से उनका फ़ोन आ जाता है ! हर स्तर की बातें होती हैं ! परिणिती ये कि वो मेरे प्रिय मित्र बन गये जिन्हे मै प्यार से "अनुज पितस्बर्गिया" कहता हूं !

    उनके लेखन के तो कहने ही क्या हैं ? उनकी पोड्कास्ट की हुई कहानियां अक्सर ही जब भी खाली समय हुआ , मुझे वो सुनना अच्छा लगता है !
    मेरी पत्नि भी इनकी कविताओ मे काफ़ी रुचि लेती है !

    आज जिन तीन विभुतियों का आपने परिचय करवाया उन तीनों को नमन और आपको बहु बहुत धन्यवाद !

    रामराम !

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  4. लावण्या जी,
    सबसे पहले तो आपको नमन. ज़्यादा क्या कहूं, आपके मुंह से अपनी तारीफ़ सुनकर गदगद हूँ. डॉक्टर मृदुल कीर्ति जैसी विदुषी और पारुल जी जैसी स्वर-स्वामिनी के साथ आपने मुझे भी याद किया यह मेरा सौभाग्य नहीं तो और क्या है? सचमुच, मेरी सिर्फ़ छः महीने पहले शुरू की गयी इस ब्लॉग यात्रा का सबसे बड़ा पुरस्कार आप और मृदुल जी जैसे गुणीजनों का आशीर्वाद ही है. ताऊ रामपुरिया (पी सी भाईसाहब) की टिप्पणी भी पढी. सचमुच ही वे बहुत ही गुणी व्यक्ति हैं. परिहास के पीछे छिपकर वे अपने को इतना सामान्य दिखाते हैं कि मुझ जैसा साधारण व्यक्ति भी आसानी से उन तक पहुँच सकें. जिन्हें भी आप सब लोगों का स्पर्श मिला हो वे भला ईश्वर की बनाई इस दुनिया से असंतुष्ट कैसे हो सकते हैं? आप सभी ऐसे ही अच्छे बने रहें और जगत में ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक आपका स्नेह पहुंचे. इसी शुभकामना के साथ,
    अनुराग शर्मा

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  5. उपयोगी जानकारी के लिये शुकरिया

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  6. अनुराग शर्मा जी और पारुल जी से ब्लॉग परिचय है लेकिन पहली बार
    डॉ. मृदुल कीर्ति जी के बारे में अच्छी जानकारी मिली.

    धन्यवाद.

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  7. शुक्रिया लावण्यादी। सब साथियों के बारे में जानकारी मिली। ब्लाग बगिया में ज्यादा घूमना नहीं हो पाता क्योंकि दूसरे सफर में हूं...:) इसीलिए आजतक ये नहीं जान पाया कि स्मार्टइंडियन कौन हैं...आज आपने इनसे भी मिलवा दिया। पारुल जी से तो परिचित थे। मृदुलजी के बारे में जान कर भी अच्छा लगा।
    आभार....

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  8. बहुत अच्छा लिखा आपने और बहुत ही काम की जानकारी भी दी। आपके जरिए हिंद-युग्म पर भी गया। खैर उन्होंने अब माफी मांग ली है। आपकी रचना वाकई सुंदर है। पं. नरेंद्र शर्मा के गीतों का मैं भी फैन रहा हूं।

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  9. धन्यवाद इन तमाम लिंकों के लिये....पारूल जी को तो पहले ही सुन चुका हूं."ब्लौग आइडल" हैं वो तो

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  10. आज तो आप ने पूरी वर्कशॉप पकड़ा दी है।
    धन्यवाद।

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  11. जिन जिन शक्शियत का जिक्र आपने किया है उन सब की प्रतिभा विलक्षण है....आप की इस प्रस्तुति के लिए धन्यवाद...
    नीरज

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  12. अनुराग और पारुल जी के बारे में तो ज्ञात था, डा. मृदुल कीर्ति के बारे में जानना अच्छा लगा। धन्यवाद।

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  13. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  14. First of all Wish u Very Happy New Year...

    Gyanvardhk jankari ke liye dhanvad...

    Regards..

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  15. आपने अच्छे साहित्यकारों से परिचय करवाया लावण्या जी ,नव वर्ष की शुभकामनाये,गीत कंप्यूटर में ऑडियो की खराबी होने से अभी नही सुन पाई,पारुल जी तो बहुत अच्छा गाती हैं,सभी गीत बाद में,लेकिन जरुर सुनूंगी ,आपका आभार.

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  16. बहुत अच्छी जानकारी से रुबरु कराया आपने । शुक्रिया ,साथ ही नए साल की शुभकामनाएं ।

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  17. कुछ रहे वही दर्द के काफिले साथ
    कुछ रहा आप सब का स्‍नेह भरा साथ
    पलकें झपकीं तो देखा...
    बिछड़ गया था इक और बरस का साथ...

    नव वर्ष की शुभ कामनाएं..

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  18. आपको व आपके परिवार को नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें...

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  19. lavnya di,kaafi dino baad blogs dekhey aaj..aapkey sneh ke liye...inna saaraa thxxxxxxx di:))..anurag ji ka blog hameshaa padhti huun...adarniya mridul di ke baarey me to jitna kahaa jaaye kam hai...

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