Thursday, April 2, 2009

कोई कोयल गाये रे

" पिंजरे के पंछी रे....... तेरा दरद न जाने कोई ....तेरा दरद , ना जाने कोई ..."
क्या आप पिंजरे में बंद पंछी को देखना पसंद करते हैं ? या उन्मुक्त , गगन में उड़ते हुए पंछी आपको पसंद हैं ? सुंदर पंछी , कितने ही रंगबिरंगी , मन को लुभाते हैं ..सोचती हूँ , ना जाने ईश्वर ने इन्हें कब और कैसे सजाया होगा ? कुदरत का करिश्मा ही लगते हैं , लाल, पीले, हरे, नारंगी, गुलाबी, जामुनी और मोरपिच्छ रँग के विविध पक्षी --
इनकी विविधता सुंदर फूलों की तरह ही , मन को मंत्रमुग्ध कर देती हैं ।
मुझे इनको आकाश में स्वच्छंद उड़ते हुए देखना ही पसंद हैं । अब इसी को देखिये ना, काली कोयलिया , मीठी तान से , कैसा जादू बिखेरती हैं !!

कोयल की कूक सुनिए .......
संस्कृत सुभाषित में बहुत कम शब्दों से बडी गहरी तथा अर्थपूर्ण बातेँ समझाई जाती हैं ......जैसे यहाँ कहते हैं ,
कौआ भी काला है और कोयल भी ! इन का भेद कब पता चलता है ?
अब आगे समझाते हैं ,
जब वसंत आता है तभी ये भेद उजागर होता है , चूंकि ,
कोयल कूकने लगती है ...
और फर्क साफ़ हो जाता हैं .............
" काक: : कृष्ण पिक: कृष्ण , को भेद पिक काक्यो
वसंत समये प्राप्ते, काक काक; पिक : पिक : ॥
बसंत आगमन पर ,
मेरी हस्त लिखित कविता " कोई कोयल गाये रे " यहाँ पर , प्रस्तुत कर रही हूँ ! पढने के लिए कृपया क्लिक करें : ~~~


Posted by Picasa- लावण्या

30 comments:

  1. panchi to gagan ke hi bhate hai,kavita manohari hai sunder.

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  2. हस्तलिखित गीत बहुत अच्छा लगा..

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  3. सुन्दर प्रस्तुति।

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  4. कविता बहुत सुंदर है और " काक: : कृष्णः पिक: कृष्णः , को भेदों पिक काकयो
    वसंत समये प्राप्ते, काक :काकः पिकः पिक : | यह रचना सामाजिक परिप्रेक्ष्य में भी बहुत सटीक बैठती है .

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  5. बेचारा कौआ! कोई उस की भी तो सोचे। प्रकृति ने उसे कर्कश स्वर दिया। लेकिन साथ ही कितनी ममता कि वह जब तक बोलने न लगे कोयल के बच्चों को अपना समझ कर पालता रहा।

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  6. सुंदर प्रस्‍तुति...मंत्रमुग्‍ध करनेवाली। आपकी कविता बहुत अच्‍छी लगी। आभार।

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  7. बहुत ही सुन्दर रचना थी आपकी. कोयल के बारे में कहना ही क्या. भोपाल में कौव्वे नहीं दीखते. कोयल बहुत हैं तो फिर अंडे कहाँ देती होगी हम इसी सोच में डूब गए.

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  8. आपकी रचना प्राकृतिक और अतिसुन्दर लगी , नये रूप में प्रस्तुत किया आपने ।

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  9. कहते हैं हैंडरायटिंग इन्सान का आईना होती है. बहुत सुंदर है आपकी हैंडरायटिंग. ये आपके सुंदर व्यक्तित्व के बारे मे बता रही है. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  10. हमेशा क़ी तरह तस्वीरे बहुत ही शानदार.. हैंडरायटिंग वाकई में बहुत सुंदर है.. कोयल पर लिखा ये मधुर गीत पसंद आया..

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  11. सुन्दर कविता, सुन्दर प्रस्तुति। मैने कोयल को सदैव उन्मुक्त देखा सुना है। उसे पिंजरे में कैद कभी पसन्द नहीं करूंगा।

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  12. सुन्दर रचना सुन्दर चित्र और आपका लिखा हुआ बेहद मन भाया .

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  13. बहुत सुंदर रचना, चित्र भी बहुत प्यारे बहुत-बहुत बधाई...

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  14. लावण्यम जी ...मनमुग्ध करने वाली आवाज...कविता और लेख...पर दिनेश दिवेदी जी के दर्द से सहमत...मेरे पास भी कोयल की आवाज है.मोबाइल में है

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  15. खुले गगन में पंछी उडते भाते हैं..पिंजरे में नहीं.कोयल की आवाज़ बहुत मीठी होती है..अरसे बाद सुनी.
    हस्तलिखित कविता पढने का अलग ही आनंद है..कविता अच्छी लगी.सुन्दर प्रस्तुति .

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  16. सुंदर रचना ... प्रस्‍तुतिकरण का ढंग और अनोखा।

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  17. कोयल की कूक की तरह आपका हस्त लिखित गीत.......
    बहुत ही सुन्दर गीत.

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  18. बहुत अच्छी मीठी पोस्ट ।

    कोयल तो शायद पिजड़े में कैद होने पर जीवित ही न बचे। कैद में उसकी मधुर आवाज तो कत्तई नहीं निकलने वाली। तोते की बात अलग है।

    कुछ घरों में तोते परिवार में इस कदर घुल-मिल जाते हैं कि उन्हें घर के भीतर खुला भी छोड़ दिया जाता है। लेकिन पिंजड़े की जरूरत बिल्ली से रक्षा के लिए पड़ती है।

    व्यक्तिगत रूप से मैं पिजड़े में पक्षी पालने के खिलाफ़ हूँ। अपने घर पर मैंने ऐसा कभी नहीं होने दिया।

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  19. पहले आपकी कविता -मन की कोयल और तन के पिजरे ने अद्दभुत भाव उदगमित कर दिया है -आध्यात्म और लौकिकता का महीन मिलन ! अब पोस्ट के पूर्वार्ध के संदर्भ में यह श्लोक -
    आत्मनः गुण दोषेण बंध्यते शुक सारिका
    बकः तत्र न बध्यन्ते ,मौनं सर्वार्थ साधिके !

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  20. निसंदेह....चित्र भी कविता के सापेक्ष है जैसे......

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  21. hamari bhor aajkal isi aavaz se hoti hai di:)...geet bahut acchhaa lagaa

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  22. Lavanya Di
    Very nice pictures, wonderful article,sweet VDO and beautifully written poem.
    Thanx.

    -Harshad Jangla
    Atlanta, USA

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  23. बहुत सुंदर, कोयल की आवाज से मंत्र मुग्ध कर दिया, ओर आप की कविता भी बहुत सुंदर लगी.
    धन्यवाद

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  24. geet bahut pyara hai aur tasveeren bhi....

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  25. Sunder Kavita, Sunder Aalekh, Sunder Chitr.

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  26. आपकी लिखी कविता तो बहुत ही सुंदर है । और आपकी राईटिंग भी सुंदर है ।
    कोयल और कौवे दोनों की आवाज का मजा हम यहाँ उठाते रहते है ।
    और कुछ समय पहले हमने इनका वीडियो यू ट्यूब पर भी लगाया है ।

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  27. कविता और सुभाषित दोनों ही बहुत अच्छे लगे.

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  28. आप सभी टीप्पणियोँ के लिये बहुत बहुत आभार -
    - लावण्या

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