Tuesday, June 2, 2009

मिनी बिटिया की कहानी

जब हम इन्सानोँ के पास , ' निन्दिया रानी' आतीँ हैँ ....
तब्, उनकी सहेली 'सपना ' भी अक्सर चली आती है
और
हमें , उड़ा ले चलती है, अपने साथ और
नई नई दुनिया की सैर करवाने ले चलती है --

सोने का अनार
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एक थी लड़की, मिनी नाम था उसका।

बड़ी शैतान और चुलबुली थी मिनी। सुबह उठते ही, सारा घर , सर पर उठा लेती थी। दादा जी , दादी, माँ, बाबूजी , बुआ, बड़ी दीदी , बड़े भैय्या , भाभी , छोटे चाचा सब की लाडली थी मिनी । खेल कूद में इतना मन था मिनी का के अकसर दिनचर्या भी ठीक से नहीं करती और माँ से डांट भी खाती !
एक दिन , घर के सभी बड़े , पासवाले मंदिर में , सुबह सवेरे उठ कर, माता रानी के दर्शन के लिए चले गए।

मिनी की आँख खुली तब वहां घर की महरी फुलवा ही थी.
फुलवा मिन्नतें करती रहीं की, ...

'बिटिया, दांत माँज ले ... चल इसनान करवा दूं ...'
पर मिनी कहाँ माननेवाली थी !
आज माँ भी नहीं थीं जो उसे , धमका कर ये सारे नित्यकर्म करवा लेतीं !
आज मिनी मनमानी करने पे उतारू हो गयी
खूब खेलती रही - आँगन से बाहर बगिया में दौड़ कर जा पहुँची और अमरुद से लदे पेड़ की डाली में पैर फंसा कर उल्टे सर खूब झूला झूली !
कभी बल देकर, ऊपर आती, पका अमरुद तोड़ती और वहीं डाल पे बैठे हुए, कुतर कुतर कर खाती तो कभी हरे हरे तोतों के चीं चीं के साथ खुद भी जोरों से वही दोहराती ....

आज मिनी ने छक्क कर अपनी मर्जी के मुताबिक , खेल खेले ।
शाम होने तक घर के सारे , मंदिर से लौट आये ।

माँ थकी हुईं थीं, फुलवा से
पूछा ' मिनी ने क्या किया दिनभर ? '
और फुलवा ने मिनी बिटिया का बचाव करते हुए , माँ से कोइ शिकायत भी नहीं की
रात का भोजन खाते ही मिनी थककर चूर हुई, जल्दी ही सो गयी !


गहरी निद्रा के आगोश में , मिनी ने देखा, उसकी खिड़की के बाहर, एक चमचमाता कांच का बड़ा गोलाकार यान आ कर ठहर गया है और उसका दरवाजा खुलते ही, एक सुन्दर परी रानी , हवा में तैरती हुई, मिनी के पलंग के सामने आकर खडी हो गयी !
मिनी आश्चर्य से उसे देखती रही --
परी रानी ने कहा,
" चलो मिनी, मैं तुम्हे चंदामामा के पास ले चलूँ ॥" ..

मिनी हवा से भी ज्यादा हल्का महसूस करते हुए, परी रानी के पीछे चल दी यान का दरवाजा खुला । वहां तख्त पर बैठते ही, यान का दरवाजा बंद हो गया और वह गहर नीले आसमान में तारों के बीच से उड़ते हुए, चन्दा मामा की ओर उड़ चली ।
चंद्रमा पूरी चमक के साथ गोलाकार और बहुत सुन्दर दीखलाई दिया ।

यान के रुकते ही परी रानी , मिनी को बाहर ले आयीं ।
मिनी देखती रह गयी !

चंद्रमा की धरती पर, बहुत बड़े , चांदी के पेड़ थे जिस पर सोने के अनार लगे हुए थे । वहाँ , पहाडियां पन्ने की बनी हुईं थीं और हर तरफ, रूई से नर्म बादल तैर रहे थे ।
तालाब में नीला जल था जिसमे , लाल कँवल थे और सुफेद हंस भी तैर रहे थे ! आहा ! कितना सुन्दर दृश्य था !
मिनी प्रसन्न हो गयी !
आगे देखा , सामने एक बड़ा राजमहल था जिसके कमरों में चोकलेट और केंडी के ढेर रखे हुए थे। रबड़ी से भरे सोने के बर्तन में गुलाब जामुन तैर रहे थे । समोसे, कचौडियाँ, नमकीन, लड्डू पेड़े, गुझिया, इमरती , बालूशाही , चमचम, रसगुल्ले, और भी ना जाने , क्या क्या रखा हुआ था !
वहां बाहर बगिया में झूले थे जहां कई सारे , मिनी की उम्र के बच्चे भी खेल रहें थे । मिनी खुश होकर दौडी और उनके साथ खेलने लगी ।

कुछ देर बाद सुमधुर वाध्य बजने लगा जिसकी आवाज़ सुनते ही कई सारी परियां उड़ती हुईं बच्चों के हाथ थामे , वहां आ पहुँचीं और सुनहरी परी ने ताली बजाकर बच्चों से शांत होने को कहा और बतलाया,

" अभी चन्दा मामा पधारेंगें साथ होंगीं उनकी माँ ! "
इतना कहते ही, एक बड़ा तख्त उभर आया और चन्दा मामा के संग उनकी माँ , बैठी हुई दीखलाई दीं ।

दोनों प्रसन्न थे और उनके मुख पर अपार तेज था -
परियों ने उनके समक्ष सुन्दर नृत्य किया ।
विविध प्रकार के वाद्यों पे संगीत बजने लगा और सभी बच्चे बहुत प्रसन्न हुए ।

अब चन्दा की माँ ने कहा,

" बच्चों, चाँद पर आप का स्वागत है ! आप आये , हमें खुशी हुई । अब घर लौटने का समय हुआ है । आप में से, जो बच्चा, अपना हर काम ठीक से करता है उसे आज हम, सोने का अनार, इनाम में देंगे ! इस अनार में मोती के दाने हैं । जो अपने अपने मोती से सुन्दर दांतों को रोज साफ़ रखता है, उसी बच्चे को , ये अनार इनाम में मिलेगा ! "


सभी बच्चे तालियाँ पीटने लगे और खुश हुए बस एक मिनी को छोड़कर !

मिनी उदास हो गयी ...
क्यूंकि वह दातुन नहीं करती थी -

वह बोलने लगी,
" मैं अब रोज दातुन मंजन करूंगी ...."

और हडबडाकर उठ बैठी ....
आह ! ये मिनी का स्वप्न था !

..............मगर इतना सच्चा स्वप्न था कि, अब मिनी ,
रोज दातुन करने लगी है ।
मिनी एक अच्छी बच्ची बन गयी है -
- लावण्या

ये कहानी मैंने , मेरी उमर ९, या १० वर्ष की थी तब लिखी थी । आज स्मृति के पन्ने पलटते हुए , लिख रही हूँ .............
आपके जीवन में , जो भी शिशु हों , उन्हें , सुनाईयेगा ......
मेरा स्नेह और आशीष भी दीजियेगा ।
ये तस्वीर हमारे नोआ जी की है ! मित्र की बिटिया ने ये पोशाक पहनी थी सो, उसे भी मन हुआ पहनकर देखने का - कोस्ट्युम "टीँकर बेल " की है और मुझे नोआ बहुत प्यारा लगा इसे पहने हुए ...

परी के से पंख लगाए, कितना निश्छल और पावन देखा उसे मैंने और मैं अपने बचपन के दिनों को याद करने लगी ।

ये कहानी " सोने का अनार " भी याद आयी और सोचा, आप सभी के संग साझा करूँ !
अंत में, आपके लिए एक गीत का लिंक दे रही हूँ - सुश्री अल्पना जी ने सुझाया है, ऐसे लिंक मेरे जालघर पर, लगाने की विधि बताई है परन्तु, अभी सीख नही पाई -
माफ़ कीजियेगा -
ये जब सीख लूंगी तब से , ऐसा ही किया करूंगी ! तब तक ...यही सही ॥
फ़िल्म है: काबुलीवाला
संगीत " सलिलदा का है --
बचपन के दिनों से आज तक, मुझे, ये गीत सुनना अच्छा लगता है --
अब , ऐसे , बच्चों पे केन्द्रीत , गीत क्यूं नही बनाते हिन्दी ज्यादा ? " तारे जमीन पर " अच्छे विषय पर आधारित है , परन्तु मेरा मत है के, बच्चों के लिए, नादाँ, पवित्र और मन को खुशी दे ऐसी फ़िल्म और गीत , संगीत बनाना बहुत जरुरी है ।
बचपन हो फूलों जैसा !
सुरक्षित हो , दुनिया जहाँ के ताप और गर्द से .दूर .........
फ़िर आगे जो भी आता है उसे , हरेक इंसान को भोगना ही पड़ता है ..........
क्यों न हम बचपन को , सबसे खुशनुमा पड़ाव रखें ?
प्रयास करें , के , हरेक बच्चे को, एक स्वस्थ और सुखी बचपन मिले .............
तब ये दुनिया कितनी सुंदर होगी !
काश हम इतना ही करें .............
अब ये गीत भी देख लीजिये ...
और थोड़े लम्हों के लिए,
आप भी शिशु बन जाइए ............
http://www.youtube.com/watch?v=iiO3k6NVwYo
स्नेह,
- लावण्या

32 comments:

  1. अजी आप की यह मिनी बिटिया की कहानी बच्चो को तो बाद मै सुनायेगे पहले हमे इतनी अच्छी लगी कि इसे दोवारा पढेगे.
    आप का धन्यवाद इस सुंदर कहानी के लिये

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  2. काश हमने अपने बचपन में यह कहानी सुनी होती...अब जब भी मौका मिलेगा, यह कहानी ज़रूर सुनाएंगे

    नोआ की तस्वीर बड़ी प्यारी है...नोआ के गाल पर थपकी देकर उस तक हमारा दुलार ज़रूर पहुंचाएं...नोआ हमें प्यारा है, आपको पता है

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  3. जितनी प्यारी मिनी बिटिया की यह बालकथा है उतना ही प्यारा लग रहा है टिंकर बेल बना हुआ नोआ - आभार!

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  4. वाह यादों के वातायन से निकली यह सुन्दर फंतासी कहानी !

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  5. Lavanya Di
    Very nice story!

    -Harshad Jangla
    Atlanta, USA

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  6. अच्छी कहानी है।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  7. सुंदर कहानी! बचपन की दुनिया बिलकुल अलग होती है। वहाँ दुनिया कहानी और गीतों और सपनों के माध्यम से साकार होती है।

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  8. दीदी साहब बहुत अच्‍छी कहानी है इसका प्रिंट लेकर परी और पंखुरी को सुनाऊंगा । अभी तो दोनों ननिहाल गईं हैं आएंगीं तो बताऊंगा कि तुम्‍हारे लिये सात समंदर पार से बुआ साहब ने ये क‍हानी भेजी है। पूरे स्‍कूल में दिन भर दोंनों बातूनी लड़कियां ये ही बात करेंगीं कि हमारी बुआ ने अमेरिका से कहानी भेजी है, सुनाऊं ? काबुली वाला तो खैर एक ऐसी फिल्‍म है जो यादों से कभी अलग नहीं होगी न फिल्‍म न उसके गीत । आपका भेजा प्रेम भुक्ति मुक्ति का लिंक मिला बहुत दिनों बाद वो स्‍वर्णिम गीत सुना मैं केवल तुम्‍हारे लिये गा रही हूं । अभी दो दिन पहले किसी न्‍यूज चैनल पर लता दीदी का साक्षत्‍कार आ रहा था । वे किसी गाने की रिकार्डिंग पर गईं थीं तो वहीं पर इंटरव्‍यूं लिया गया था ।

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  10. वाह वाह लावण्या जी कितनी सुन्दर कहानी लिखी थी आपने बचपन में,मैं अपनी बेटी को जरुर सुनाउंगी ,वह भी दाँत मांजते समय खूब रोती हैं उसे बस टूथपेस्ट खाने को चाहिए :-),वाकई सुबह सुबह सुन्दर कहानी पढ़ कर मन खुश हो गया

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  11. bahut hee sundar baal kahai hai...main to apne bete ko jaroor sunaataa hoon aisee kahaaniyaa...aisee hee kahaaniyon ke bahaane se hee bachchon ko sikhaayaa jaanaa achha lagtaa hai...

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  12. बाल कहानी तो बहुत पसाद आई. और नोआ की फोटो... सो क्यूट !

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  13. नोआ जी सच मे बहत प्यारे लग रहे हैं....!!!!! नज़तर ना लगे इन्हे...!!!!!
    और आपकी कहानी भी....!

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  14. बहुत ही प्यारी कहानी कही है आपने। मन आनंद से भर उठा।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  15. नोआ बहुत प्यारा लग रहा है उसको प्यार दिजियेगा और बाल कहानी के तो क्या कहने? बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  16. बहुत प्यारा लग रहा है नोआ...:)

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  17. कितनी प्यारी कहानी है-हमें तो ऐसी कहानी कभी सुनाई ही नहीं गई बचपन में. :)

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  18. mere ghar ka naam minni.....aur kahani meri jaan,ban gai hun maa,ab saas bhi banungi,lekin aaj bhi .......sapnon mein chanda ke gaanv aur pyaari kahani,achhi seekh.....sabko sunaya aur kuch der ko ek yaan ruka,pariyaan aayin,mazaa aa gaya..........

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  19. बहुत सुन्दर कहानी है। चित्र भी बहुत बढ़िया हैं। धन्यवाद।

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  20. दी बहुत दिनों बाद आप के ब्लोग पर आयी और लगा कि हमारा बचपन लौट आया। कहानी बहुत सुंदर है और नौआ भी बहुत प्यारा लग रहा है।

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  21. बहुत ही सुंदर ,आनंद आ गया .

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  22. bhut pyarisi khani .mai dadi bnne vali hu shjkar rkhugi bachho ko sunane ke liye .
    dhanywad

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  23. बहुत सुन्दर कल्पना और कहानी। कभी किसी बच्चे को सुनाऊँगी।
    घुघूती बासूती

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  24. मोटाबेन
    देह कुछ अस्वस्थ रही सो लगातार आपके यहाँ आना न हो सका.आज ही ईमेल से इस नई-नकोरी पोस्ट की सूचना मिली और बिना साँस रोके पढ़ गया. हमारे बचपन से मिलवा दिया आपने.
    नोआ का माथा चूम लीजियेगा हमारी ओर से.
    आपको गाने दें न दें,आपकी पोस्ट्स तो अपने आप ही संगीत से सुरभित रहतीं हैं

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  25. लावण्या जी
    आपने तो मुझे अपने बचपन में पहुंचा दिया...जितने सुन्दर चित्र उतनी ही दिलकश कहानी...मजा आ गया पढ़ कर...साथ ही मेरी माता जी द्वारा सहगल की आवाज में गयी कहानी "इक राजे का बेटा लेकर उड़ने वाला घोड़ा...." भी याद आ गयी...
    नोहा बहुत प्यारा लग रहा है...परियों जैसा...इश्वर उसे हमेशा खुश रक्खे...
    नीरज

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  26. आपने इतना सुन्दर लिखा कि बार-बार पढने को जी चाहे.
    __________________________________
    विश्व पर्यावरण दिवस(५ जून) पर "शब्द-सृजन की ओर" पर मेरी कविता "ई- पार्क" का आनंद उठायें और अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएँ !!

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  27. दिलचस्प कहानी...खूबसूरत फोटो ओर कर्णप्रिय गीत.......निदा फाजिल साहब कह गये है...

    एक सबब होते है बच्चे
    गौर तलब होते है बच्चे
    तब घर में क्या रह जाता है
    जब गायब हो जाते है बच्चे

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  28. एक रोचक कहानी ........जिसमे बचपन और उसकी यादे कुट कुट कर भरी पडी है.

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  29. LAVANYA JEE,
    EK TO PYAAREE-PYAAREE KAHANI AUR US PAR KHOOBSOORAT
    CHITRA,MUN MUGD HO GAYAA HAI.
    KAHANI KO PADHTE-PADHTE N JAANE
    KYON SHAKEEL BADAYUNI KA LIKHA
    FILM "DEEDAR" KAA YE GEET YAAD
    AA GAYAA HAI--
    BACHPAN KE DIN BHULAA N DENA
    AAJ HASEN KAK RULAA N DENA

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  30. दीदी , इतने सुंदर चित्र कहां से चुनती है आप?

    कहानी Lucid है, और इतने कम उम्र में इतनी तरलता?

    नोआ को आशिष..

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  31. कहानी पढ़ते-पढ़ते ही लगा कि इतनी सुन्दर कल्पना ज़रूर किसी छोटे बच्चे की होगी. आपने जब कहानी के लेखक काल के बारे में बताया तो बात साबित भी हो गई. बहुत सुन्दर कल्पना. पोस्ट पढ़कर बचपन में पहुँच गए.

    कितना सुन्दर लग रहा है, नोंवा. उसे ढेर सारा प्यार.

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  32. bahut hi sundar kahani likhi thi aap ne apne bachpan mein.
    Noaa 'ki tasveer ne to dil jeet liya.


    puraani yadon ko khangalna bhi kabhi kabhi kitna achcha lgta hai!

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