
सुश्री सुब्बालक्ष्मी !
यही नाम है " भारत रत्न " से सर्व प्रथम विभूषित किए जानेवाली इस महान गायिका का ! इन्होने , तमिल, तेलेगु, संस्कृत , हिन्दी, मलयालम, ,कन्नड़, बंगाली, गुजराती और मराठी भाषाओं में भी गीत गाये थे ।
उस्ताद बड़े गुलाम अली खान साहब उन्हें सदा "सुस्वरलक्ष्मी " कहकर बुलाते थे । सुश्री सुब्बालक्ष्मीजी का जन्म , सितम्बर १९१६ को मदुरै तमिलनाडु में हुआ था ।उनका प्यार से बुलाया जानेवाला नाम था "कुंजमा " !
सं.१९४७ भारत स्वतन्त्र हुआ और उसी अरसे में "मीरा " राजपूतानी भक्त संत कवियत्री की जीवन गाथा पर आधारित फ़िल्म बनी जिस मे,
सुश्री सुब्बालक्ष्मी जी ने इतना सजीव पात्र निभाया था के लोग उन्हें आधुनिक युग की मीरा जी कहने लगे ।
" वेंकटाचल सुप्रभातम " सुश्री सुब्बालक्ष्मी जी के द्वारा गाया गया है जो तिरुपति बाला जी की स्तुति स्वरूप आज भी प्रातः काल मन्दिर में, बजता है ।
विष्णु सहस्त्र नाम, भज गोविन्दम, बाला जी पंचरत्न माला ये भी सुब्बालक्ष्मीजी के तपस्विनी के अमृत स्वर पा कर हर श्रोता को आज भी अभिभूत करने में सक्षम हैं ! तमिल भाषी २०० प्रमुख व्यक्ति विशेष की जीवन गाथा में से एक ना सुश्री सुब्बालक्षमी अम्मा का भी नाम है ।
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http://www.tamilnation.org/hundredtamils/mssubbulakshmi.htm
पण्डित नरेंद्र शर्मा जी ने कई बरसों पहले, दक्षिण भारत में जन्मी सुश्री सुब्बालक्ष्मी जी की मीरा फ़िल्म के हिन्दी चित्रपट के लिए भी गीत लिखे थे ।
मीरा जी का पात्र, सुब्बालक्ष्मी जी ने , बखूबी निभाया । १८ या १९ गीत से सजी इस फ़िल्म के लिए संगीत दिया एस. वी. वेंकटरमण जी तथा रमानाथ व श्री नरेश भट्टाचार्य जी ने ! फ़िल्म के दीग्दर्शक थे एलीस आर डंकन !तमिल भाषा में बनी अत्यन्त सफल "मीरा " के गीतों को हिन्दी में बनी "मीरा " के लिए पण्डित नरेंद्र शर्मा ने गीत कथा के अनुरूप लिख दिए थे ।
भजन : बसों मोरे नैनं में नंदलाल :
राधा जी के ह्रदय के भाव मीरा जी के भजनों में मुखरित हुए थे ।
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Narendra Sharma : Meera baso more nainan mein

हाँ, यही नाम था उस रिकॉर्ड का जिसमे संगीत दिया था श्री ह्रदयनाथ मंगेशकर जी ने और गीत लिखे थे पण्डित नरेंद्र शर्मा ने और स्वर था
भारत कोकिला सुश्री लता मंगेशकर दीदी का !
http://www.raaga.com/channels/hindi/movie/HD000710.htmlasharan sharane shyaam hare : अशरण शरने श्याम हरे
एक और फ़िल्म थी जीवन ज्योति, सं.१९५४ में इस फ़िल्म का
गीत के बोल हैं ,
" मन शीतल , नैना सुफल , जोड़ी जुगल सुहाई .....
ओ देखो , देखो , नज़र लग जाए ना "
जिसे संगीत्बध्ध किया था सचिन देव बर्मन जी ने और इस फ़िल्म के दूसरे गीत साहीर साहब ने लिखे थे ।
नवकेतन बैनर में बनी फ़िल्म "आंधियां " जो स्मृति लोप बन गयी है उसका संगीत दिया था उस्ताद अली अकबर खान साहब ने जो अभी संगीत जगत को सूना कर चल बसे हैं ।
" घनश्याम के हैं, घनश्याम नयन
मन मोरा बना , मन मोर सखी "
ये गीत लिखा था पण्डित नरेंद्र शर्मा जी ने ...
स्वर दिया था श्रीमती लक्ष्मी शंकर जी ने !
आज इन महान कलाकारों को याद करते हुए ,
यही सोच रही हूँ, कैसे कैसे लोग आए और चले भी गए .............
जो आज हमारे साथ हैं, जैसे दीदी ( लतादी ) और ह्रदयनाथ भाई ,
और कई सारे ऐसे ही अविस्मरणीय नाम धारी कलाकार !
उन्हें हम , ना भूलें ...
क्यूंकि ये एक बहुत प्राचीन परम्परा और कला के प्रतिनिधि हैं ।
मेरी इससे पहले लिखी प्रविष्टी पर कई नए और पुराने
हिन्दी ब्लॉग जगत के साथी पधारे और कमेन्ट कर
मुझे अनुग्रहित किया उन सभी की आभारी हूँ ।
आते रहियेगा .........
आज कल ज़रा व्यस्तता बढ़ गयी है ,
कई नए आलेखों को देख नही पाई !
उसके लिए , माफी चाहती हूँ ..........
समय मिलते ही फ़िर आप सभी के साथ ,
फ़िर उसी तरह नियमित रहने की कोशिश करूंगी ।
तब तक ...........
आप सभी के लिए शुभकामना प्रेषित हैं ।
स स्नेह,
- लावण्या
सुश्री सुब्बालक्ष्मी जी को विनम्र श्रधाँजली बहुत बडिया जानकारी के लिये धन्यवाद्
ReplyDeleteदीदी साहब आपके पास तो जानकारियों का खजाना है । इन्हें इसी प्रकार हमारे साथ बांटते रहिये । प्रेम भक्ति मुक्ति में गीत कहां हैं उसमें तो अमृत की बूंदें हैं जो कानों से होकर प्राणों में उतरती हैं ।
ReplyDeleteसुब्बालक्ष्मी जी को श्रद्धान्जलि और आपको धन्यवाद इस लेख के लिए !
ReplyDeleteइस महान गायिका को हमारी भी श्रद्धांजलि. इनकी माताजी भी वीणा वादन में सिद्ध हस्त थीं. एनी जानकारियों के लिए आभार.
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी दिया आपनें ,धन्यवाद.
ReplyDeleteसुब्बालक्ष्मी जी को भाव भीनी श्रद्धान्जलि, ओर आप का धन्यवाद इस सुंदर जानकारी को हम तक पहुचाने के लिये
ReplyDeleteजितना सुन्दर रूप उतनी ही सुन्दर आवाज़...ऐसी विलक्षण प्रतिभा सदियों में पैदा होती है...
ReplyDeleteनीरज
दीदी अब आप पीछे नही हट सकती व्यस्तता के बहाने.
ReplyDeleteआपके पास जो जानकारी का खज़ाना है, वह प्रामाणिक और विश्वसनीय है.ओस की बूंदो समान आपके ये मधुर स्मृति क्षण सहेजने और हम जैसे जिग्यासू साथियों को बांटकर आपको भी अच्छा तो लगेगा ही, और साथ में हम भी धन्य हो जायेंगे.
हृदयनाथ जी के साथ कुछ क्षण बिताये थे, तो मेहसूस हुआ कि कितने विलक्षण प्रतिभा के वे धनी है. मीरा के गीतों पर कोई यादें?
इस प्रस्तुति के लिए आपको बधाई,
ReplyDeleteधन्यवाद
---
प्रेम अंधा होता है - वैज्ञानिक शोध
bahut achhi jankari rahi.
ReplyDeleteसुब्ब लक्ष्मी और पंडित नरेंद्र शर्मा जी से जुड़े इन संस्मरणों के लिए आभार
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी!
ReplyDeleteapki hr ak post dhrohar hai .sushree sublakshmiji ko shrddhanjali .
ReplyDeleteapko dhnywad jo itni jankari ham tk phuchati hai .
dhnywad
इनलोगों को विस्मृत करना सहज नहीं..........
ReplyDeleteइतने सुन्दर और जानकारीपरक आलेख के लिए बहुत बहुत आभार.
Kayeeyon ke ajaramar rahnekee dua kartee hun..Lata deedee unmese ek hain..!
ReplyDeleteWo nahee to mere jeewan me sur nahee...
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ऐसा लगता है ..आपके पास बैठकर कभी ढेर सारी यादो को टटोलना पड़े तो कई दिन गुजर जाये ....चलती फिरती यादो का एक समुंदर आपके पास है....
ReplyDeleteइन सभी बड़े नामों को सुन पढ़ कर मन में श्रद्धाभाव स्वत जगता है।
ReplyDeleteआपकी पोस्ट के लिये बहुत धन्यवाद लावण्याजी।
jaankaari se bhari post
ReplyDeleteभारत रत्न सुश्री सुब्बालक्ष्मी जी को नमन.
ReplyDeleteआप की हर पोस्ट यादों के स्वर्णिम मोती लिए होती है.
ऐसा लगता है उस युग में पहुँच गए हैं.
[आप व्यस्तताओं के बावजूद अपनी यादों को बाँट रही हैं यही क्या कम है.
बाकि सब की पोस्ट तो जब समय मिले तब पढ़ ही लिजीयेगा.लेकिन यादों के खजाने से अनमोल जानकरियां हमसे शेयर करती रहियेगा.]
आदरणीय दीदी
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर वो दुर्लभ खजाना मिलता है जिसे आज हम अगर चाहें तो भी नहीं पा सकते..उस समय के हस्तियों के बारे में जानकार रोमांचित हो जाता हूँ..
आभार स्वीकारें
प्रकाश.
आदरणीय दीदी
ReplyDeleteआपके ब्लोग पर जब भी आता हू तो जाने का मन ही नही करता। आप द्वारा लिखि विभिन्न यादो मे मै समाहीत हो जाता हू। अब देखीए ना आप ही, सुश्री सुब्बालक्ष्मीजी की आपने जो जानकारीया दी वो इस जगत की बहुमुल्य निघि को आपने हम पाठको के बीच बडी ही सहज सरल आत्मयता से पिरो कर प्रस्तुत किया यह ही सबसे बडी सलामी या श्रधाँजली " भारत रत्न सुश्री सुब्बालक्ष्मीजी के लिऐ। वास्तव मे वो एक महान गायिका थी। जिन्होने तमिल, तेलेगु, संस्कृत , हिन्दी , मलयालम, , कन्नड़ , बंगाली , गुजराती और मराठी भाषाओं में भी गीत गाये थे । आपने उनके बारे मे विभिन्न जानकारीया दी जो मुझे इससे पुर्व ज्ञात नही थी। आपके इस योगदान के लिए मै आपको भी प्रणाम करता हू दीदी।
हार्दिक मगलभावनओ सहित
हे प्रभू यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
आप सभी की
ReplyDeleteस्न्हेहपूर्ण टीप्पणियोँ के लिये
बहुत बहुत धन्यवाद
स स्नेह,
- लावण्या
लावण्या जी,
ReplyDeleteसुश्री सुब्बालक्ष्मी जी को विनम्र श्रृद्धाँजलि!
श्री वैंकट भजनमाला (सुश्री सुब्बालक्ष्मी जी के स्वर में ) से सुबह की शुरूआत मेरे जीवन का एक अहम हिस्सा है। मैं ऐसा मानता हूँ वह अलौकिक आवाज़ जब भी गूंजती है तो कितना ही निष्ठुर मन हो एक बार भक्ति-भाव जाग्रत हो ही जाते हैं।
बहुत ही सिलसिलेवार जानकारी पूरी रोचकता के साथ।
आभार,
मुकेश कुमार तिवारी
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