Wednesday, July 29, 2009

आओ , बरखा बून्दनिया

यह कला कृति श्रीमती सुशीला नरेंद्र शर्मा (मेरी अम्मा ) द्वारा हलदनकर आर्ट इंस्टिट्यूट में , बनाई गयी थी ।
ऐसे बिजली और बरखा का तांडव प्रकृति दिखलाती है तब, सारे जीव, अपने अपने आश्रय खोज कर, साँस रोके, सहम जाते हैं और बरखा का जल, जीवनदायी होता है पर कभी कभार तबाही भी बरपा देता है व उसके खौफ से मनुष्य डरते हैं। जीवनदात्री, स्त्री का शांत स्वरूप भी इसी प्रकृति के  शांत स्वरूप की तरह मंगलदायिनी  सा होता है । कालिका के कोप से , भक्त तो क्या , असुर और देवता तक डरते हैं । यही कालिका जब शांत स्वरूप लेकर, भक्त की मनोकामना पूर्ण करतीं हैं तथा अपने भक्त को  सुफल देतीं हैं तब भक्त स्वयं को मुक्ति के मार्ग पर आगे बढाए या तपस्या करे उस का फल भी माँ भगवती कृपावश देतीं हैं। इसी कारण वे , भगवती कहलातीं हैं । अपनी संतान की भूख शांत करनेवाली, माता अन्नपूर्णा कहलाती है । धन सम्पदा प्रदायिनी , महालक्ष्मी प्रसन्न होते ही, ' भरे भंडार वाली माता ' कहलातीं हैं ।देवी माँ का एक रूप भय और शोक देता है तो दूसरा , सुख और शांति !
जीवन के हरेक पल में , धुप और छाया , सुख और दुःख , क्रोध और शांति , अग्नि और जल का विरोधाभास महसूस करता है इंसान !इन विरोधीभासी  अनुभूतियों में , जो सुखद है वही , प्रिय होता है । जिसे याद करने को मन करता है ।यही मनुष्य का स्वभाव है । 
यहाँ अमेरिका में आज दिनभर बरखा की रिम - झिम होती रही । कुछ समाचार भी सुने जिन में से एक यह था कि २ सुंदर स्त्रियों का  देहांत हो गया। जिस के बारे में सुन कर मन उदास हो गया ।इस क्षणभंगुर जीवन और विरोधाभास का पुन: ध्यान हो आया । आपने भी सुना होगा , जयपुर राज्य की महारानी गायत्री देवी का निधन हो गया । दुःख हुआ।  सिने तारिका , लीला नायडू जिन्होंने फ़िल्म अनुराधा में काम किया था वे भी गुजर गयीं ।ईश्वर इन की आत्मा को शांति दे .....
 
नीचे जो तस्वीर है उस में स्व राज कपूर जी की माता जी श्रीमती राम सरणी देवी, पृथ्वी राज कपूर की धर्म पत्नी हैं । हम उन्हें ' चाई जी ' कहकर बुलाते थे और वे भी बड़ी सुंदर और सुशील नारी थीं । वे अपने पति के जाने के १४ दिनों में , चल बसीं थीं । आज इनकी पड़ पोती , मशहूर सिने तारिका है - करीना कपूर , को आज के युवा खूब पहचानते हैं । जीवन चक्र की गतिमानता का यही एक स्वरूप है , जो हम समय के अन्तराल से , अनुभव करते हैं और इस जीवन के बहते प्रवाह को , पहचान पाते हैं । जो आज है वह कल नही रहेगा , जो कल था वह , काल के गाल में , समा जाएगा । इसीलिये, आज को पहचानो और आज जो है, उसी को अपना मानो ।
आज नई सुबह,
रिम झिम बूंदों के संग आयी है
नई सुबह आयी है,
उस का स्वागत है
आओ, नए पैगाम लेकर आओ ,
अपनी सुहानी रुत के नजारे
दिखला  जाओ ,
आओ भी तो तुम ऐसे की खुशियाँ        आओ ~
जमाने के हर दस्तूर को बदल डालो,
अपनी भीनी भीनी कशिश से ,
हर भीगी आंखों को , सहला जाओ ।
आओ ...आओ ..आओ ॥
हे बरखा , बिजली , बादल छाओ ।
हर जलते दिल को ठंडक देते जाओ ।
बरसो, हलके हलके , डूब जाए मन
गिनते हर पल , यादों के मंजर ,
बन बुंदनियाँ मन को भाओ , 
आओ आओ ,
बरखा बून्दनिया , आओ 
मेरे मन पाखी को हर्षाओ ।।
-लावण्या

18 comments:

  1. बहुत सुन्दर चित्र.
    बरखा बून्दनिया , हर्षाओ ।।
    बरखा बून्दनियो को आह्वान बेहतरीन

    ReplyDelete
  2. अम्मा के बनाये चित्र को देखा तो देखता ही रह गया,

    सम्मोहित सा !

    ReplyDelete
  3. माता जी की कलाकृति पसन्द आयी।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

    ReplyDelete
  4. श्रीमती सुशीला नरेंद्र शर्मा की कला कृति तो अनुपम है

    ReplyDelete
  5. कला कृति की सुन्दरता तो अद्वितीय है ,साथ में इन लाइनों ने तो आनंद दे दिया-
    आओ ...आओ ..आओ ॥
    बरखा , बिजली , बादल छाओ ।

    ReplyDelete
  6. धन्यवाद, इस बहाने अम्मा जी की चित्रकला से भी परिचय हुआ.

    ReplyDelete
  7. दीदी साहब आदरणीय माताजी द्वारा बनाई गई ये पेंटिंग सचमुच ही अद्भुत है । वर्षा का जो चित्र खींचा है वो सब कुछ कह रहा है । जिस वर्षा का वर्णन करने में पंडित जी को एक पूरी कविता लिखनी पड़ती उसे आदरणीय माताजी ने एक चित्र से व्‍यक्‍त कर दिया । आप बहुत बहुत सौभाग्‍यशाली हैं जो आपको ऐसे गुणी माता पिता मिले । मेरा नमन ।

    ReplyDelete
  8. वर्षौ सदैव हर्ष लेकर आती है। लेकिन यही जब क्रोधित होती है तो प्रलय लाने वाली भी होती है। आज की आप की पोस्ट ने बहुत कुछ पुराना स्मरण करवा दिया।

    ReplyDelete
  9. अम्माजी की बनाई अदभुत पेंटिंग को बार बार देखा. अब आपसे यह कहने का लोभ संवरण नही कर पा रहा हूं कि उनकी अन्य कृतियां भी आगे अवश्य प्र्दर्षित करने की कृपा करें. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  10. AADARNIYA DIDI JI KO SAADAR PRANAAM,
    PARAM AADARNIYA MATA JI DWARA BANAYEE GAYEE TASVIR WAKAI BARAKHAA KE LIYE KI GAYEE BAHOT HI KHUBSURAT CHITRAKAARI HAI .. KITANI KHUBSURATI SE BANAYEE HAI YE ...NAMAN UNKO MERA



    ARSH

    ReplyDelete
  11. यादों के मंजर ,बन मन भाओ,
    आओ आओ,बरखा बून्दनिया......

    दीदी
    प्रणाम!
    वैसे आपकी पोस्ट की बात ही निराली है। पढने बैठता हू तो दो-तीन बार पढ लेता हू। आपकी पोस्ट मे सभी तरह के सन्देश एक साथ समेटे हुये होते है। अम्माजी द्वारा बनाई गई कला कृति बहुत सुन्दर है। शायद इसका अर्थ बरखा रानी-बारिस कि बुन्दो को हर्षित मन द्वारा आमन्त्रित करना होगा। अम्मा की इस सुन्दर कलाकृति को बनाए हुए कितने वर्ष हो गए होगे, पर आज भी प्रासगिक है।

    आभार/शुभकामनाए
    हे! प्रभु यह तेरापन्थ
    मुम्बई-टाईगर
    SELECTION & COLLECTION

    ReplyDelete
  12. bahut hi sundar rachana ke alawa chitra bhi kuchh bayaan karate hai....badhaaee

    ReplyDelete
  13. पेंटिंग बहुत खूबसूरत है अम्मा जी द्वारा बनायीं हुई .....ओर ये भी कहना सही है की आज को नहीं पहचानोगे तो समय के साथ नहीं चल पयोगे .पर इतना कहूँगा की आप सच मुच एक विलक्षण माता पिता की संतान है .....

    ReplyDelete
  14. हर्षाती post ! कल आपकी gayatri devi waali ईमेल भी मिली. sukhad रहा padhna. कभी आपको call करता हूँ. एक-दो दिन में.

    ReplyDelete
  15. चित्र की प्रशंसा के लिये शब्द ढूँढ़ना मुश्किल हो रहा है दी...! बाकी सब चीजें गौड़ ....! कविता भी सुंदर,...!

    ReplyDelete
  16. कितनी विलक्षण चीज है जल की बूंद। सूक्ष्म से ब्रह्माण्ड तक अपने में समेटे!
    पोस्ट से बड़ा सुन्दर अहसास होता है!

    ReplyDelete
  17. बेहद खूबसूरत चित्र....

    ReplyDelete
  18. अद्भुत रचना .................

    ReplyDelete