
सत्यमेव जयते


बापू : " शांति ~ दूत "

हे भारत माँ के वीर पुत्र ,
तुमने अपनी बलि चढाई थी -
भारत माँ के पुण्य भाल पर ,
चन्दन की बिंदिया सजाई थी !
स्वर्ण - पात्र भरा रक्त चन्दन से,
माँ के अश्रु से भीग, हुआ गीला...
खादी के धागों को बुनकर के,
सूती माला , माँ को पहनाई थी !
सदियों से बंधन में बंधी थी ,
माँ के अरुण चरण, पडी बेडीयाँ
हाथों पर हरी हरी चूड़ियाँ छनकी ,
श्वेत शुभ्र वस्त्र की आभा झलकी ,
केसरिया नर वीर भगत सिंह ने
जब् , रण~ भेरी बजाई थी !
मोहन दास करमचंद गांधी थे तुम
किन्तु, स्वतन्त्र भारत जन मन के " बापू "
" बा " कस्तुरी - सी घिस गयीं , प्रेम से,
" शांति ~ दूत " की वो प्राण शक्ति थी !
स्वतन्त्र भारत के कोटि ह्रदय,
गाते हैं, प्रेम मय, मंगल गीत -
भारत भाग्य विधाता से हम,
मांग रहे , सुख , शांति, प्रीत ~ रीत !
देश रहे संपन्न, हो भूमि , उर्वरा,
काँधे से मिल कान्धा, तोड़, भेद भाव
संकीर्ण मति त्याग, जगे भारत के भाग !
मांग रहा भारत का हर लाल आज,
हे माँ भारती, कर कृपा, हे वरदा !
शस्य श्यामल , हिम किरीट धारणी ,
माँ भारत भारती , अग ~ जग तारिणी !
हम तुम्हारी संतान, मांगते बार बार ,
करें पद वंदना , करो कृपा, हे जग वंदना !
सितम्बर १५, २००६
सीनसीनाटी, ओहायो, उत्तर अमरीका
लिंक देखें -
- लावण्या
एकदम सामायिक और अच्छी रचना. आभार.
ReplyDeletejai ho aapki
ReplyDeleteatyant uttam kaavya..................
waah
waah
badhaai !
पंद्रह अगस्त आने को है। आपके ब्लाग पर राग-तिरंगा नहीं गूंजेगा तो अंतर्मन की बात कहां सुनी जाएगी...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना।
देश रहे संपन्न, हो भूमि , उर्वरा,
ReplyDeleteकाँधे से मिल कान्धा, तोड़, भेद भाव
संकीर्ण मति त्याग, जगे भारत के भाग !
लावण्या जी,
अति सुन्दर!
'पूर्ण घटम' सामायिक ही नहीं, बल्कि यह कहा जा सकता है कि हर काल में यह रचना उपयुक्त ही मानी जायेगी:-
मांग रहा भारत का हर लाल आज,
हे माँ भारती, कर कृपा, हे वरदा !
शस्य श्यामल , हिम किरीट धारणी ,
माँ भारत भारती , अग ~ जग तारिणी !
हम तुम्हारी संतान, मांगते बार बार ,
करें पद वंदना , करो कृपा, हे जग वंदना !
सभी भरतीयों को स्वतन्त्रता के पवित्र पर्व पर शुभकामनायें.
आदरणीय दीदी
ReplyDeleteप्रणाम!
भारत भाग्य विधाता से हम,
मांग रहे , सुख , शांति, प्रीत ~ रीत !
बडी ही सन्देस पुर्ण शब्दावली।
पन्द्राह अगस्त के अवसर पर भारत की जनता के लिऍ आपने जो भारत माता से मॉगा वो अनुपम है, अमुल्य है।
सुन्दर कविता पाठ के लिऐ पुन आपका शुक्रिया!
आभार/ मगल भावनाऐ
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई-टाईगर
SELECTION & COLLECTION
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यादगार रचना ,शुक्रिया !
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर कविता है । स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लिखी हुई ये कविता अपने आप में सम्पूर्ण है । बहुत दिनों बात राष्ट्रीयता से ओतप्रोत कोई इतनी सुंदर कविता वो भी हिंदी के सुंदर शब्दों के साथ पढ़ने को मिली । और क्यों न हो आखिर को दीदी की कविता है । स्वतंत्रता दिवस को और सुंदर बनाने के लिये आभार ।
ReplyDeleteबहुत ही सामयिक पोस्ट. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बेहतरीन वंदना ..एक सच्चे हिन्दुस्तानी के दिल से निकले उदगार ...मन भीग गया .Us mahatama ke bareme kya kahen,jiska naam Gandhi tha..ye amar geet hai 'Jagruti' ka "Sabarmatee ke sant tune kar diya kamaal.."
ReplyDeleteHam bapu ko bhoolte chale hain..aapne behtareen tareeqese yaad dilaya..
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://lalitlekh.blogspot.com
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Swantrata Divas kee Shubhkaamnaayen.
ReplyDelete{ Treasurer-S, T }
बेहतरीन रचना है बहुत पसंद आयी
ReplyDeleteदेश रहे संपन्न, हो भूमि , उर्वरा,
ReplyDeleteकाँधे से मिल कान्धा, तोड़, भेद भाव
संकीर्ण मति त्याग, जगे भारत के भाग्
वाह्! अति सुन्दर एवं सामयिक रचना!!
आभार्!
कभी आपसे मिलना ही पड़ेगा...लावण्या जी.आपके मन में भारत के लिए अथाह प्यार है
ReplyDeleteDidi
ReplyDeleteVery nice poem. Swatantra Divas ki badhaiyaa.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
देश रहे संपन्न, हो भूमि , उर्वरा,
ReplyDeleteकाँधे से मिल कान्धा, तोड़, भेद भाव
संकीर्ण मति त्याग, जगे भारत के भाग !aameen
SHUDH RASHTIY BHAVNAAON SE
ReplyDeletePARIPOORN SHASHAKT RACHNA HAI.
MEREE BADHAAEE SWEEKAR KIJIYEGA.
जन्म-जन्म जन्माष्टमी, मना सकूँ हे नाथ.
ReplyDeleteकृष्ण भक्त को नमन कर, मैं हो सकूँ सनाथ.
वृन्दावन की रेणु पा, हो पाऊँ मैं धन्य.
वेणु बना लो तो नहीं मुझ सा कोई अन्य.
जो जन तेरा नाम ले, उसको करे प्रणाम.
चाकर तेरा है 'सलिल', रस शिरोमणि श्याम..
भारत माँ की विनय सुन, हरि ने करी प्रदान
ReplyDeleteपराधीनता मिटाने गाँधी सी संतान.
विजय सत्य की हो सदा, गूँजा चरखा-राग.
जनगण की हुंकार सुन, गए फिरंगी भाग.
कोटि-कोटि सन्तान ने, किये निछावर प्राण.
अंतर्मन से हो सके, जन-जन तब संप्राण.
नाद किया लावण्यमय, माता ने तब झूम.
'हिंद हुआ आजाद' की मची धरा पर धूम.
'सलिल' शहीदों को करे शत-शत नम्र प्रणाम.
बिसराएँ उनको नहीं, जजों रह गए अनाम.
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं.
ReplyDeleteस्वतंत्रता रूपी हमारी क्रान्ति करवटें लेती हुयी लोकचेतना की उत्ताल तरंगों से आप्लावित है।....देखें "शब्द-शिखर" पर !!
मुबारक हो जी स्वतंत्रता दिवस!
ReplyDeleteWaah!! Waah !! Waah !! Atisundar rachna...aisa koun hoga jiske man me in panktiyon ko padh desh prem ki bhavna aur udipt na ho jaay....
ReplyDeleteवाह वाह वाह!!,
ReplyDeleteदीदी , आपके देशभक्ति के जज़बे की कद्र करता हूं.
"देश रहे संपन्न, हो भूमि , उर्वरा,
ReplyDeleteकाँधे से मिल कान्धा, तोड़, भेद भाव
संकीर्ण मति त्याग, जगे भारत के भाग ! "
नमन!
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ReplyDeleteTitanic Jahaj
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