Tuesday, August 18, 2009

आज के फनकार : ( रेडियो प्रोग्राम ) : " आकाशवाणी " तथा "विविध भारती " के भीष्म पितामह , या वेदव्यास ? ( पृथ्वी पर , सबसे बड़ा रेडियो नेटवर्क ) --


" आकाशवाणी " तथा "विविध भारती " के भीष्म पितामह की यादें आपके सामने प्रस्तुत है --
" आज के फनकार " नाम से रेडियो प्रोग्राम आया करता था जिसमे हिन्दी फिल्म से सम्बंधित किसी कलाकार या रचानाकार के योगदान को याद करते हुए सुमधुर संगीत के साथ उनकी जीवनी पर भी प्रकाश डाला जाता था ...... प्रस्तुत है ' उसी के अंश :
अब कई गीत , जो इस प्रोग्राम में याद किये गए हैं उन्हें , मैंने भी अरसे से सुने नहीं ..शायद विविध भारती के archive में कहीं रखे हुए होंगें ...
शायद रेडियोवाणी व रेडियोनामा के प्रसिध्ध युनूस भाई हमें, इनमें से कई Rare / ( मुद्दत से अनसुने गीत ) सुनवाने की कृपा करें तो, आभारी रहूँगी ..

तरंग / रेडियो वाणी / रेडियो नामा :
रेडियो नामा, एक साझा मंच है जहां रेडियो से संबधित हर बात का स्वागत किया जाता है




युनूस भाई , खुद अपने बारे में , यूं, कहते हैं ,

My Photo vividh bharti में एनाउंसर । नए पुराने तमाम अच्‍छे गीतों में गहरी रूचि । दुनिया भर की फिल्‍मों में रूचि । स्‍वयं कविताएं और लेख लिखता हूं ।..मध्‍यप्रदेश के दमोह शहर में पैदा हुआ । और म.प्र. के कई शहरों में पला बढ़ा । बचपन से ही संगीत, साहित्‍य और रेडियो में गहरी दिलचस्‍पी रही । सन 1996 से मुंबई स्‍िथत देश के प्रतिष्ठित रेडियो चैनल विविध भारती vividh bharti 


अब प्रस्तुत है ," आज के फनकार " पंडित नरेंद्र शर्मा पर प्रसारित किया हुआ एक रेडियो प्रोग्राम :
" इश्वर सत्य है,सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है,
इस परम सत्य को उजागर करनेवाले, पण्डित नरेन्द्र शर्मा
आज हमारे बीच नहीं हैं ! सच तो यह है की वो कहीं गए नहीं है बल्कि बिखर गए हैं~ उनके गीतों, कविताओं और साहित्य से
जब चाहे उन्हें पाया जा सकता है ..
पं नरेन्द्र शर्मा जैसे शख्स इस दुनिया से जाकर भी यहीं रहते हैं .
पं. नरेन्द्र शर्मा एक व्यक्ति नहीं, एकसाथ कई व्यक्ति थे
श्रेष्ठ कवि, महान साहित्यकार, फ़िल्मी और गैर फ़िल्मी गीतकार, दार्शनिक, आयुर्वेद के ज्ञाता, हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी के विद्वान और उससे भी ऊपर एक महामानव!

हमारे बौने हाथ उनकी उपलब्धियों को छू भी नहीं सकते!इसलिए, आज हम केवल उनके फ़िल्मी गीतों के साथ ही सफ़र करेंगे ~
आज के फनकार में आज ज़िक्र पं नरेन्द्र शर्मा के लिखे फ़िल्मी गीतों का~ 

गीत : तुम आशा विश्वास हमारे
गीत : पहले न जाना था पहले ना जाना था
गीत : मैं बन की भोली ग्वालनिया
गीत : यशोमती मैया से बोले नंदलाला
गीत : माँ, तुमसे ही घर , घर कहलाया
गीत : चंद रोजा जिन्दगी है चार दिन की चांदनी है
गीत : है हाथ की रेखाएं , लिखती है चिंगारी




सन १९८९ की ११ फरवरी को एक आत्मा अपने पार्थिव देह को त्याग कर आकाश में विलीन हो गयी जिसने यह देह ७६ साल पहले उत्तर प्रदेश के जहांगीरपुर में धारण किया था। पं. नरेन्द्र शर्मा के रूप में वह दिन था २८ फरवरी १९१३ ~ 
४ वर्ष की बालावस्था में ही अपने पिता की ऊँगली उनके हाथों से छूट गयी और वह अपने परिवार में और भी लाडले हो गए बचपन से ही कवितायें उनके साथी बने रहे और शिक्षा पूरी कर, कवि के रूप में उन्हें ख्याति मिलने लगी। 


सं.१९४३ में , भगवती चरण वर्मा के साथ, वे बम्बई आ गएऔर यहां आकर जुड़ गए फिल्म जगत से
उन्होंने पहली बार बॉम्बे Talkies की फिल्म,
" हमारी बात " में गीत लिखे जिनके संगीतकार थे " अनिल बिस्वास " और अभिनेत्री थीं " देविका रानी " ! पारुल घोष की आवाज़ में इस फिल्म का यह गीत बहुत लोकप्रिय हुआ था
सोंग : मैं उनकी बन जाऊं रे (हमारी बात )
इस फिल्म को दिलीप कुमार की पहली फिल्म होने का गौरव भी प्राप्त है(श्री दिलीप कुमार जी का फिल्म जगत में काफी लंबा सफ़र रहा है और उनका मशहूर नाम "दिलीप कुमार " भी पण्डित नरेंद्र शर्मा ने ही रखा था)( सुना है आजकल दिलीप साहब माने युसूफ खां सा'ब बीमार हैं ..मेरी दुआएं उनके साथ हैं, वे स्वस्थ रहें और उनकी खूब लम्बी उम्र हो )

अरुण कुमार और साथियों के गाये इस गीत ने पं नरेन्द्र शर्मा कोगीतकार के रूप में स्थापित कर दिया।
सोंग : सांझ की बेला, पंछी अकेला (ज्वार - भाटा )

फिल्म
ज्वार भाटा ने पं नरेन्द्र शर्मा के क़दमों को
फिल्म जगत में जमा दिया।
उन दिनों यहां फ़िल्मी गीतों में उर्दू माहौल, शेर -ओ -शायरी और ग़ज़लों का रिवाज़ था।  लेकिन बावजूद इसके पं नरेन्द्र शर्मा ने अपने आप को साबित कर दिखाया।  फिल्म : ज्वार - भाटा के बाद उन्होंने " मालती - माधव " फिल्म के लिए, न केवल गाने बल्कि उसकी पटकथा भी लिखी।
सं १९४९ उन्होंने " वसंत देसाई " के संगीत निर्देशन में फिल्म" उद्धार " में गीत लिखे जिसका मोहन्तारा तलपडे का गाया यह गीत खासा लोकप्रिय हुआ था।
सोंग : बादल के चादर में (उद्धार )


सं. १९५२ में नवकेतन फिल्म्स के बैनर पर उन्होंने फिल्म " आंधियां " के गाने लिखे - जिसके संगीतकार थे उस्ताद अली अकबर खान !
आजादी के बाद जैसे फ़िल्मी गीत भी ताज़ी हवा में सांस लेने लगे थे।  प्लेबैकटेक्नोलॉजी और ज्यादा बेहतर होती गयी, कई नये नये गायकगायिकाओं ने इस जगतमें कदम रखे, जैसे फिल्म आंधियां केइस गीत में, आशा भोसले और हेमंत कुमार की जुगल बंदी थी ~ सोंग : वह चाँद नहीं है, दिल है किसी दीवाने का (आंधियां )

सं.१९४७ में पं नरेन्द्र शर्मा ने विवाहित होकर बम्बई में ही अपनी गृहस्थी बसा ली। सं.१९५३ में वे जुड़ गए आकाशवाणी से ---जहां उन्हें" सुगम संगीत " के कार्यक्रमों के नियोजन का दायित्व प्राप्त हुवा।

नवकेतन फिल्म्स की अगली फिल्म अफसर में सुरैया के स्वर का मोर पं.नरेन्द्र शर्मा के बोलों को पाकर, ऐसा नाचा की संगीतकार सचिन देव बर्मन की धुनें धन्य हो गयीं ~
सोंग : तुम सुहाग हो मैं सुहागिनी (अफसर )
सोंग : नैना दीवाने एक नहीं माने (अफसर )


उन दिनों आकशवाणी के कुछ गिने चुने केंद्र ही थे और उन सभी में शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रमों की अधिकता थी जिसकी वजह से आम जनता के रेडियो की सूइयां, रेडियो सीलोन को ही ढूंडा करती थी।
आकाशवाणी के कार्यकर्ताओं को एक विविध रंगी चैनल की ज़रुरत महसूस हुयी जिसके लिए,पं. नरेन्द्र शर्मा को राजधानी दिल्ली बुलाया गया। 
कभी वेदव्यास को भी राजधानी बुलाया गया था जिसके बाद रचना हुयी " महाभारत महाकाव्य की !
पं. नरेन्द्र शर्मा ने भी मनोरंजन की ऐसी महाभारत रची की रेडियो जगत में,एक मिसाल बनकर रह गयी !
इस महाभारत का नाम है ~~
" विविध भारती "  ३  अक्टूबर १९५७ को सुबह १० बजे जन्म हुआ विविध भारती का और पं. नरेन्द्र शर्मा को बनाया गया इसके चीफ प्रोड्यूसर !!
उन्होंने विविध भारती के बचपन को ऐसा
संवारा की दिन ब दिन उसकी निखार बढती चली गयी।  आज पृथ्वी पर विविध भारती, सबसे बड़ा रेडियो नेटवर्क है जिसके करीब ३५ करोड़ श्रोता हैं। अवकाश प्राप्ति तक पं नरेन्द्र शर्मा, विविध भारती के संरक्षक बने रहे . उसके बाद उन्होंने " एक बार फिर " फिल्म से, गीतकार के रूप में काम करना शुरू किया और एक बार फिर , गीत लेखन में उनका लोगों ने स्वागत किया . पं. नरेन्द्र शर्मा ने जब् जब् कलम उठाई, कागज़, धन्य हो गए .

सोंग : ज्योति कलश छलके (भाभी की चूड़ियाँ )
सोंग : सत्यम शिवम् सुंदरम (टाइटल सोंग )


पं. नरेन्द्र शर्मा ने गैर फ़िल्मी गीतों के आँगन में भी फूल खिलाये - जो आज भी उसी रूप से हवाओं को सुवासित कर रहे हैं.चाहे इन गीतों का भाव प्रेम हो या भक्ति, इनका आधार भारतीयहैं और प्रतिक प्रकृति और संस्कृति से लिए गए हैं

पं. नरेंद्र शर्मा के गैर फ़िल्मी गीत हैं :

गीत : सतरंग चुनर नवरंग पाग (नॉन -फिल्म )
गीत : नाच रे मयूर , खोलकर सहस्र नयन (नॉन -फिल्म )
गीत : प्रार्थना , सुनिए श्री भगवन (नॉन -फिल्म : भजन )
प्रार्थना : आईये प्रभू आईये (नॉन -फिल्म : भजन )

पं. नरेन्द्र शर्मा की कलम ११ फरवरी १९८९ के दिन अचानक चुप हो गयी ! उन दिनों दूरदर्शन पर भारत की जनता महाभारत का दर्शन कर रही थी।  कविता, साहित्य और गीतलेखन के गुरु द्रोणाचार्य या , भीष्म पितामह या आज के युग के ऋषि वेद व्यास और विविध भारती के पितामह के इस प्रस्थान से पूरा देश , शोक सागर में डूब गया था !
कितनी बार पंडितजी ने यह बताना चाहा की जीवन का मूल्य सपने से अधिक नहीं ! लेकिन इसका अर्थ ,हमें , कितनी देर बाद समझ आया उस वक्त कि जब गीतकार हम से बिछुड़ चुका था ..........
सोंग : ऐसी इन सपनों की माया , जैसे जल पर चाँद की छाया .....

संकलन :
- लावण्या

सुनिए एक और नॉन -फिल्म गीत : ~~~~~


24 comments:

  1. नरेन्द्र शर्माजी के लिखे गीतों से आकाशवाणी के कार्यक्रम " छाया गीत " की याद ताजा हो गयी...आपके ब्लॉग पर खूबसूरत तस्वीरों का अच्छा संकलन है ..!!

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  2. पं नरेन्द्र शर्मा के लिखे फ़िल्मी गीतों के जिक्र के साथ ही उनके जीवन संक्षिप्ति हेतु आभार ! ऐसे महनीय व्यक्तित्वों को बार बार याद किया जाना चाहिए !

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  3. लावण्य दी, कितना सुंदर भजन सुनवाया आपने। आप सौभाग्यशालिनी हैं जो पं. नरेंद्र शर्मा जैसे महान इंसान की सुपुत्री हैं।

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  4. पंडितजी की जीवनी के जिक्र के लिये आभार. बहुत ही सुंदर पोस्ट हमेशा की तरह.

    रामराम.

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  5. कार्यक्रम की ब्लाग प्रस्तुति बहुत सुंदर रही, एक संग्रहणीय पोस्ट!

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  6. पंडित जी के बारे में यह आलेख बहुत अच्छा लगा. इनमें से बहुत से गीत सुने हुए हैं और बहुत सों के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है. चाहे इन अद्वितीय रचनाओं की बात हो, चाहे विविध भारती की, चाहे महाभारत धारावाहिक की और चाहे पंडित जी की विनम्रता की, वे सदा अनुकरणीय रहेंगे.

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  7. पं नरेन्द्र शर्मा के फ़िल्मी गीतों के जिक्र के लिये आभार.

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  8. आज के ही नही कल,आज और कल के फनकार । संग्रहणीय पोस्ट । युनुस भाई हर उल्लिखित गीत की कड़ी दें तब संपूर्ण होगी ।

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  9. विविध भारती को सुने एक अरसा बीत गया । पहले छाया गीत प्रोग्राम मे एक अनाउंसर आते थे कुंजीलाल मीणा वो आजकल आते है या नही पता नही उंकी आवाज बहुत अच्छी लगती थी ।

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  10. पंडित जी की विलक्षण प्रतिभा के सम्मुख नतमस्तक हूँ...आपने बहुत महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाई है हम सब तक...आभार आपका...
    नीरज

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  11. EK SAHEJNE WAALA LEKH HAI.MAHAKAVI
    PT.NARENDRA SHARMA JEE KE KRITITV
    AUR VYAKTITV JEE KE JEEWAN KEE
    POOREE JANKAREE DEE HAI LAVANYA JEE
    NE.MAHAKAVI KEE JAANKAAREE KAVITA-
    MAYEE BAN GAYEE HAI.YUN TO UNKE
    SABHEE FILMEE GEET ATULNIY HAIN LEKIN MAN-MOR HUA MATWALA,JYOTI
    KALASH CHHALKE AUR ISHWAR SATYA HAI
    GEETON KAA TO KOEE JAWAAB HEE NAHIN HAI.YE GEET TO AMAR HAIN.
    PATHKON KE LIYE YAH JAANKAAREE
    NAYEE HAI KI YUSUF KHAN KO DILIP
    KUMAR KAA NAAM PT.NARENDRA SHARMA NE DIYA THA.
    PANCHVEN DASHAK KEE BAAT KARTA HOON.DO PANDIT LOKPRIY THE-
    RAJNITI MEIN PANDIT JAWARLAL NEHRU
    AUR SAHITYA MEIN PANDIT NARENDRA
    SHARMA.

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  12. ओह शानदार । ये टेक्‍स्‍ट कहां से आया आपके पास । मैं इन गानों को खोजने की कोशिश करता हूं । शुक्रिया इतनी शानदार पोस्‍ट के लिए । नरेश सिंह जी से ये कहना है कि वो मशहूर उदघोषक कुंजीलाल नहीं लड्डूलाल मीणा थे । आज ही उनसे भेंट हुई । अब वो कोटा में प्रोफेसर हैं ।

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  13. shaandar post di,TUM AASHA VISHVAS HAMARE...mujhey atyant priya hai...SATRANG CHUNAR bhi bahut pasand...bahut se geet to mujhe aapke sampark me aane ke baad pata chale..ki ve aadarniya babuji dvara rachit hain...post per chitr bahut sundar...

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  14. तुम आशा विश्वास हमारे गीत मुझे बेहद पसंद है.....यकीनन यादो के खजाने से एक मुट्ठी खोली आपने ...

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  15. यह पोस्ट निस्संदेह ही संग्रहणीय है. महाकवि पंडित नरेश शर्मा जी के जीवन की झांकी बड़े ही सुन्दर शब्दों में अभिव्यक्त की है. उनके फिल्मी अमर गीत, गानों का रसास्वादन तो रेडियो और फिल्मों में करते ही थे, आज उनकी गैर फिल्मी गाने सुनकर आनंद आगया. आपके इस लेख में पंडित जी के साथ साथ कितनी ही अन्य जानकारी भी मिली.
    लावण्या जी, आपके अन्य लेखों के साथ इस लेख के लिए आभार.

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  16. aadrneey sharmaji ke bare me achhi jankari prapt hui .unke har geet me purnta hai.
    abhar

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  17. आभार इस पोस्ट के लिए. बड़े मधुर गीत हैं.

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  18. और पंडितजी के बारे में हम क्या कहें ! मंत्रमुग्ध हुए पढ़े गए.

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  19. बहुत सुन्दर। संकलन करने योग्य पोस्ट!

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  20. पापाजी प्रसारण,साहित्य और कविता के देवदूत थे. कभी कभी सोचता हूँ कि ग्लैमर संसार में रह कर वैष्णव रहने वाले सेवियों की सूची जब कभी बनाई जाएगी तो क्या उसमें सिर्फ़ एक दो ही नाम होंगे...यथा बलराज साहनी,कवि प्रदीप,भरत व्यास,मोहम्मद रफ़ी and last but not the least....हम सबके पूज्य पापाजी पं.नरेन्द्र शर्मा.

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  21. abhi juda HU NET se,vividhbarati ke janak pd.naredraji sharma ke geetto ko padhakar jankar.bahut achha laga. jyoti kalash zalke,sunkar man nahi bharta.dhanyawad !!!

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