श्री गणेश का आगमन

गौरी कुंड की कुछ मिटटी लेकर हाथों में ,
एक अकेली साँझ को , सोच रहीं माँ पारबती ,
"कब आयेंगे घर , मेरे , शिव ~ सुंदर ? "
केशर मिश्रित उबटन लेकर हाथों में
फिर खूब उसे मल मल कर , उतारा
यूं ही, अपने गोरे अंग से , खेल खेल में ...
बना दी , आकृति एक बालक की और हलके से ,
फूंक दिए प्राण , अपनी सांसों के और कहा ,
" देखो , ये मेरा पुत्र , विनायक है ! "
एक अकेली साँझ को , सोच रहीं माँ पारबती ,
"कब आयेंगे घर , मेरे , शिव ~ सुंदर ? "
केशर मिश्रित उबटन लेकर हाथों में
फिर खूब उसे मल मल कर , उतारा
यूं ही, अपने गोरे अंग से , खेल खेल में ...
बना दी , आकृति एक बालक की और हलके से ,
फूंक दिए प्राण , अपनी सांसों के और कहा ,
" देखो , ये मेरा पुत्र , विनायक है ! "
सूनी साँझ कहाँ फिर रहती सूनी सूनी ?
हुआ आगमन , श्री गणेश का जग में !
पारबती के प्यारे पुत्र अब आये जग में
शिवजी लौट रहे थे , छोड़ कैलाश और तपस्या
द्वार के पहरेदार बन खड़े हो गए बाल गणेश ,
अपनी माता के बन के रक्षक !
" फिर आगे क्या हुआ माँ ? कहो न ...".
पूछने लगी बिटिया मेरी , मुझसे !
एक सूनी साँझ के समय ,
सुन रही थी वोः मुझसे
यह कथा पुरानी और मैं ,
उसे करती जा रही थी , तैयार
रात्रि - भोज के पहले , ये भी , करना था ,
बस , अब , आते ही होंगें , मेहमान ! ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-- लावण्या
…और ये फ़ुरसतिया के पांच साल ....".
हमारे "फ़ुरसतिया जी ..असली कानपुरिया भाई साहब , जिनकी लेखन शैली के हम भी , ज्ञान भाई साहब ( अजी वही " इलाहाबादी / यूपोरियन ,
मानसिक हलचल चिठ्ठे के गंगा जी के दर्शन करवानेवाले भाई साहब )
तो बात , ये कह रही थी के , अनूप सुकुल जी के पांच वर्ष पूरे हुए !!
हमारे ब्लॉग लेखन का आगाज़ ,
सितम्बर की १९ तारीख सन २००६ की पुण्यशाली तिथि के दिवस आरम्भ हुआ था -
-शुरू शुरू में , गुगल महाराज की किरपा से, सारे निर्देश , अंग्रेजी में पढ़कर , अंग्रेजी में ही लेखन आरम्भ किया था -- सोचा था, , हम एक नन्हे से जीव
com/ wordpress.com के अफलातून भाई
इस महासागर सद्रश फैले मकडी के जाल से " विश्व व्यापी वेब " में , ना जाने कहाँ गोते लगाते , बहते, गिरते पड़ते , मौजों के थपेडों में , कहाँ कहाँ , बहेंगें ~~~~~~~~~~
पर , आखिरकार, हिन्दी ब्लॉग जगत के
" उड़न तश्तरी " फेम ,
" समीर लाल " समीर " भाई साहब,
आ ही पहुंचे :)
कहा,
" नारायण नारायण !!
दीदी , आप अपना चिठ्ठा , हिन्दी में लिखा करें ....
तब ज्यादा प्रसन्नता होगी ! "
उनके आदेश तथा सहकार से ,
" ब्लोग्वानी " चिठ्ठा ~ जगत " " नारद " जैसे ,संस्था - समूह संस्था के पेज पर भी ,
हमारे नन्हे वेब पेज का नाम , दर्ज हो गया !
चलिए ....
कई अन्य साथी वहां दीखे ...
बहुत स नया लेखन देखा , पढा ...
विस्तृत , हिन्दी लेखन भारत के दूर - सुदूर के प्रान्तों से ,
सच्ची और जानकारी पूर्ण बातों को , सचित्र , व अविरल धारा में , हर क्षण , परोस रहा था --
जिस तरह , ब्रेकिंग न्यूज़ , पल पल , अप डेट होतीं हैं,
हमारा , विश्व व्यापी हिन्दी आभासी जगत , ठोस तथ्यों को परोस रहा था ...
भारत से बिछुड़ने का तथा मेरे भारत से, मेरी भौगोलिक दूरी का ये रंज , कुछ हद तक , मिट गया ...
मैंने अपने आप को , भारत के करीब पाया ...
दक्षिण के मंदिर हों या कोइ पहले न सुना हो ऐसा कथानक , अब घर बैठे ही सुन लेती थी जैसे श्री शुभ्रमानियम जी का चिठ्ठा ... " मल्हार " आहा हां ...क्या छानबीन और कैसी कैसी अद्`भुत कथा ये नित नवीन , करते हुए , आसानी से , हमारे लिए , प्रस्तुत कर देते हैं के देखते ही बनता है ...
युवा चिठ्ठाकारों की शैली भी
अकसर होंठों पे मुस्कराहट ला देती है .
साहित्य शिल्पी : .http://www.sahityashilpi.com/
जिनमे अल्पनावर्मा जी, महावीर'
http://mahavirsharma.blogspot.विवेकसिंह भाई ,नीरजजी, डा. अमर कुमार जी,
श्री पंकज भाई,
मानसी बिटिया, कंचन बिटिया , आभा बिटिया, लवली बिटिया शेफ़ालीजी, पूजा जी, , सागर भाई,अभिषेक भाई, मसिजीवी जी,
सुजाता जी , नीलिमा जी , बी एस पाबला जी , सृजन शिल्पी ,
अजित वडनेरकर जी, Kavita Vachaknavi कविता जी , संगीता पुरी जी, रंजना जी , कुश भाई ,
श्री आदरणीय प्राण भाई साहब, जिनकी रचनाएं मन को गहरे तक स्पर्श करतीं है
http://kashivishvavidyalay. पारुल,
अनुराग भाई ,
यूनुस भाई ,
रचना,
शिवजी,
भाई श्री गिरिजेश जी
- जिन्होंने मात्र ४ महीने से ब्लॉग लेखन आरम्भ किया है
और एक आलसी का चिठ्ठा ऐसा धाकड़ लिखा की
फणीश्वर नाथ रेणू जी + प्रेमचंद बाबू की यादें ताज़ा कर दीं
( उन्हें कैसे भूल सकतीं हूँ ? भला ;)
दिनेशराय द्विवेदी जी का अनवरत हो या कानूनी सलाह , या ,
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ जी ,
के अविनाश भाई और साथी
के अविनाश भाई और साथी
अब जिन सुन्दर और अथक परिश्रम से लिखे जा रहे चिट्ठों के नाम यहां देने से रह गए हैं ,
उन सभी से अग्रिम क्षमा याचना सहित , आगे बढ़ते हुए ,
मेरी प्रथम प्रविष्टी की और उन्मुख हूँ ..
Feels good to be somewhere in between the world of dreams and reality which is the Cyber space !

Democracy, individualism , a passion for achievements of the finest that is within us is self evident within the diapheonous spheres of existance here ........like a surrelists dream ...the WWW ....is alive with billion human thoughts and mine is a petal of a flower , a drop within the infinite Ocean of TIME !
-- Lavanya
ब्लोगिंग की तीसरी वर्षगाठ पर बधाई ..जब कभी मन यहाँ से खिन्न होने लगता है ..आप सब के स्नेह को याद करती हूँ ..और ब्लोगिंग की ओर दुबारा आने का मन हो जाता है.
ReplyDeleteअरे वाह! बधाई हो आपको तीन साल पूरे करने के! जय हो!
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई..देखिये, समय कैसा पंख लगा कर उड़ रहा है. :)
ReplyDeleteइस चार महीने के नौसिखिए का नाम भी डाल देतीं
ReplyDelete'त केतना नीSक लागित' !
बधाई हो।
बहुत बहुत बधाई .. मुझे भी याद किया .. इसके लिए धन्यवाद !!
ReplyDeleteशुभमगलभावो सहीत बधाई
ReplyDeleteखमत खामणा का महत्व
तीन साल तक अनवरत ब्लॉग लेखन की बहुत बधाई और शुभकामनायें ...!!
ReplyDeleteहिन्दी चिट्ठाकारी, एक परिवार में जोड़ ही लेती है। आपकी चिट्ठाकारी के तीन साल पूरे होने जा रहें हैं इसकी बधाई - लिखती चलें।
ReplyDeleteब्लोगिंग की तीसरी वर्षगाठ पर बधाई
ReplyDeleteआपको तीन साल पूरे करने पर हार्दिक बधाई और अभिनंदन. आपकी लेखन शैली के तो हम कायल हैं. बस निरंतर यह साल युं ही पंख लगाकर उडते रहें आप युं ही चित्र मय पोस्ट से हम सब को सराबोर करती रहें.
ReplyDeleteरामराम.
मुबारक हो जी, बधाई !
ReplyDeletewaah!teen saal poore hone wale hain aap ke blog ko !
ReplyDeletebahut bahut badhaaye!
yah safar yun hi jaari rahe..aap ki kavitayen aur lekhon ki prastuti bahut pasand aati hai.
abhaar.
हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDelete---
'चर्चा' पर पढ़िए: पाणिनि – व्याकरण के सर्वश्रेष्ठ रचनाकार
यही स्नेह मोह जाल बन कर ब्लॉग जगत में बनाए हुए है... तीसरी वर्षगाँठ पर बहुत बहुत बधाई...!
ReplyDeleteLavanya Di
ReplyDeleteHearty congratulations!!!
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
ब्लाग परिवार से जुडने की तृ्तीय वर्षगाँठ पर आपको बहुत बहुत बधाई ओर आगे भविष्य हेतु ढेरों शुभकामनाऎं.........
ReplyDeleteये परिवार यूँ ही फलता फूलता रहे!!!!!!!
दी, इतना स्नेह !
ReplyDeleteबस कहा और आप ने 'नीSक' लगा ही दिया।
आभार कह कर इसे dilute नहीं करूँगा।
देर तक 'गुलगुल' रहूँगा।
बहुत बधाई -आगे भी साथ रहें यह कामना भी !
ReplyDeleteदीदी, आपको ब्लोगिंग के तीन साल पूर्ण करने की खुशी में बधाई.
ReplyDeleteआपको बहुत बधाई जी!हिन्दी ब्लॉगिंग में तो आपके ब्लॉग का महत्वपूर्ण स्थान है।
ReplyDeleteऔर यह पोस्ट तो पर्याप्त विस्तार लिये है! धन्यवाद।
aapke blog ko teen sal pure krne ki bdhai .aur aapko shubhkamnaye .
ReplyDeleteHaardik Shubhkaamnaayen.
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
ganpati baapa moriya...
ReplyDelete...agle (chauthey) baras tu zaldi aa.
bahut bahut badhai ji aapko 3 varsh poora hone par.
aapko= aapke blog ke.
ReplyDelete:)
लावण्या जी, ब्लॉग्गिंग की तीसरी वर्षगाँठ पर बधाई! आप हिंदी ब्लोगिंग न करतीं तो हमें कैसे मिलतीं भला? आपका स्नेह और आर्शीवाद हम जैसे बहुत लोगों को रास्ता दिखा रहा है.
ReplyDeleteअरे! हमें तो बहुत देर से पता चला!
ReplyDeleteतो क्या हुआ, बधाई तो कभी भी दी जा सकती है
बधाई तीन उल्लेखनीय ब्लॉगिंग वर्षों की
Blu-ray in Hindi
ReplyDeleteMegapixel in Hindi
HDMI in Hindi
BCC Full Form
PC in Hindi
really very nice information
ReplyDelete