Sunday, January 31, 2010

आखिर ये `मुहब्बत ' है क्या बला ?

क्या है, न, हमें भी आदत थी , आप में से कईयों की तरह , कि कहीं कोइ बेहतरीन शेर या कविता पढी उसे सहेज लिया - - ऐसी ही किसी घड़ी में, ये शेर , हमने दर्ज कर लिए थे ...
शायद आपने पहले भी सुने होंगें , पर आज यही आपके सामने प्रस्तुत करने का मन हुआ ..

वीकेंड , यहां आराम करने से जियादा ,
बाज़ार में सौदा लाने में, अगले सप्ताह की तैयारी में ही अकसर बीत जाता है
आज भी , बाज़ार में गये तो हर तरफ, लाल और गहरे गुलाबी रंग में सजी , अनगिनती चीजें दीखलाई दीं ...

सोचा, बाहर ठण्ड है ...बर्फ है और ये क्या मांजरा है ?
हरसू लाल ही लाल और गुलाबी रंग बिछा हुआ है ?
तब ध्यान आया,
अरे ! ये तो अमरीकी महा - पर्व की पूर्व तैयारी और स्वागत में सजाया बाज़ार है !!
और याद आया " वेलेन्टाईन डे " ...

जो अभी २ सप्ताह की दूरी पर है ...परंतु , दुकानदार भाईलोग अभी से ग्राहक लुभाने के
विभिन्न पैंतरे रचते हुए , मगन हुए जा रहे हैं और क्या तो डायरी , और क्या तो केंडी ,
सब लाल , गुलाबी आभा लिए लकदक , जगर मगर ,
बेतरतीब , बिखरे , हर खरीदार को लुभाने में , व्यस्त हैं ....

तो सोचा , चलिए , आप में से , किसी को , प्यार भरा संदेस भेजना हो तो उनकी मदद ही की जाए ;-)

ये पुराने शेर जो नोट कर रखे थे , उन्हें , पुरानी डायरी से आज़ाद किया जाए ....

तो पेशे खिदमत हैं ये मुहब्बत पे रचे कुछ चुनींदा शेर ........
आपकी नज़र करते हुए ..............
आज आपसे एक ही विनम्र इल्तजा है,
शेर सुनिए और आपके बहुमूल्य कमेन्ट में, आपका लिखा हुआ
या फिर, आपका पसंदीदा , इश्क, मुहब्बत , प्यार पर एक शेर भी सुनाते जाईये ,
शायद औरों के काम आ जाए :-)
.............बस ... इतना ही कहना था ...
अब आगे , चलते हैं ................


१ ) "बेहज़ाद " साहिब मुहब्बत की पहचान इस अंदाज़ में कराते हैं -
"अश्कों को मेरे लेकर दामन पर ज़रा जांचो ,
जम जाए तो ये खून है , बह जाये तो पानी है !"

२ ) मुहब्बत और मजबूरी का दामन और चोली का साथ है . इसी बारे में -
"मजबूरी -ए -मुहब्बत अल्लाह तुझ से समझे ,
उनके सितम भी सह कर देनी पड़ी दुआएं ."

३ ) आगे वो कहते हैं की इश्क का ख्याल इबादत में भी पीछा नहीं छोड़ता -
"अब इस को कुफ्र कहूं या कहूं कमले इश्क ,
नमाज़ में भी तुम्हारा ख्याल होता है ."

४ ) मुहब्बत की हद्द कहाँ तक है , देखिये --
"जान लेने के लिए थोड़ी सी खातिर कर दी ,
रात मूंह चूम लिया शमा ने परवाने का ."

५ ) ग़ालिब का ये शेर तो आपके ज़ेहन से न जाने कितनी बार गुज़रा होगा -
"इश्क पर जोर नहीं , है ये आतिश ग़ालिब ;
के लगाए न लगे और बुझाये न बुझे ."

६ ) अर्श मल्स्यानी का यह शेर शायद पसंद आये -
"तवाजुन खूब ये इश्क -ओ -सजाए -इश्क में देख ,
तबियत एक बार आई मुसीबत बार बार आई ."

७ ) लेकिन आखिर ये `मुहब्बत ' है क्या बला ?
इकबाल साहिब का ये शेर काबिल -ए -तारीफ़ है -
"मुहब्बत क्या है ?
तासीर -ए -मुहब्बत किस को कहते हैं ?
तेरा मजबूर कर देना , मेरा मजबूर हो जाना ."

८ ) और `आदम ' साहिब भी ढून्ढ रहे हैं
"वो आते हैं तो दिल में कुछ कसक मालूम होती है ,
मैं डरता हूँ कहीं इसको मुहब्बत तो नहीं कहते !"

उनको तसल्लीबख्श जवाब नहीं मिला -

९ )
"अय दोस्त मेरे सीने की धड़कन को देखना ,
वो चीज़ तो नहीं है मुहब्बत कहें जिसे ."

१० ) कहते हैं की इश्क अँधा होता है
लेकिन ? -
"इश्क नाज़ुक है बेहद , अक्ल का बोझ , उठा नहीं सकता ."

११ ) एक ज़माना था के इश्क के मारों की जुबां पर
`दाग 'साहिब का ये शेर बेसाख्ता निकल जाता था -
"दिल के आईने में है तस्वीरे यार ,
जब् ज़रा गर्दन झुकाई देख ली तस्वीरे यार ! "

१२ ) मेरे नोजवान दोस्तों , ये याद रखना -
"मुहब्बत शौक़ से कीजे मगर एक बात कहती हूँ ,
हर एक खुश -रंग पत्थर , गौहर -ओ -नीलम नहीं होता ."

१३ ) और ये भी याद रखना जैसे के इकबाल साहिब ने ताकीद की है -
"खामोश अय दिल ! भरी महफ़िल में चिल्लाना नहीं अच्छा ,
अदब पहला करीना है मुहब्बत के क़रीनों में "

१४ ) आखिर में ,
फैज़ साहिब के इस शेर के साथ बात ख़त्म करती हूँ
जिसमें मानो सारी कायनात एक तरफ
और मुहब्बत ? :-))
"और क्या देखने को बाक़ी है ,
आप से दिल लगा के देख लिया !"

संकलन :
- लावण्या

37 comments:

  1. वाह लावण्या जी यह तो आपने बड़ा उपकार कर दिया वैलेन्ताइन्स डे के मुरीदों पर.

    ReplyDelete
  2. ये तो वेलेन्टाईन डे के लिए बहुत बढ़िया संकलन प्रस्तुत किया आपने,आनन्द आया.

    ReplyDelete
  3. आपकी प्रविष्टियां .. बिल्‍कुल गागर में सागर जैसी !!

    ReplyDelete
  4. वेलेन्टाइन एक बेहद निर्रथक और बकवास दिंन है । हमें इसको इतनी महत्ता नहीं देनी चाहिए ।

    ReplyDelete
  5. उड़न तश्तरी से सहमत हूँ

    ये तो वेलेन्टाईन डे के लिए बहुत बढ़िया संकलन प्रस्तुत किया आपने,आनन्द आया.

    ReplyDelete
  6. प्रेम में समर्पण की एक बात जो मुझै हर बार नई लगती है वो है

    एक धागे का साथ देने को,
    मोम का रोम रोम जलता है


    और हाँ एक और सच्ची बात कि

    मोहब्बत से बढ़ कर नही कोई नेमत,
    मगर शर्त इतनी, कि दुनिया ना जाने....

    ReplyDelete
  7. वाह लावण्या दी,
    आज तो ब्लॉग का तेवर आशिकाना है..
    मैंने लिखा है...पेश करती हूँ..

    तुम्हें रस्में उल्फत निभानी पड़ेगी
    मेरे दिल से इक बार जाकर तो देखो

    बड़ी देर से तुम पे आँखें टिकी हैं
    ज़रा अपनी गर्दन घुमा कर तो देखो

    और एक और है...

    लिपट के रोते रहे एक ही दामन से
    तुम कुछ और कहो हम तो वफ़ा कहेंगे

    ReplyDelete
  8. इस बेहतरीन संकलन को हम सब के साथ बांटते के लिए शुक्रिया लावण्या दी,...सारे के सारे किसी हीरे की तरह जगमगाते हुए शेर हैं और हों भी क्यूँ न जब सभी ग़ज़ल के उस्तादों के लिखे हुए हैं... वाह...

    नीरज

    ReplyDelete
  9. "ये इश्क नहीं आसां बस इतना ही समझ लीजे
    एक आग का दरिया है और तैर के जाना है "
    लेखक का नाम आप बताइये

    ReplyDelete
  10. आपने तो शेरों का पूरा बुके ही भेंट कर दिया है...शुक्रिया...सारे शेर गुलाब की ताजगी लिए हुए से हैं...
    आपका आदेश सर माथे...पेश है एक मेरा पसंदीदा शेर
    "एक रोज़ सुना था, तुने मेरी खुशियों की दुआ मांगी थी ,
    अब तलक इन आखों को हमने रोने न दिया है ......"

    ReplyDelete
  11. हम मुफलिसों की बदकिस्मती तो देखिये...
    जालिमों ने इश्क के लिए भी एक दिन मुकरर कर दिया...

    ReplyDelete
  12. मुहब्बत में नहीं है फर्क जीने और मरने का
    उसी को देख के जीते हैं कि जिस काफ़िर पर दम निकले ....
    एक बहुत ही मीठा सा गाना भी याद आ रहा है ...

    दिल तो है दिल दिल का ऐतबार क्या कीजे
    आ गया जो किसी पे प्यार क्या कीजे ....
    हालाँकि उक्त मुहब्बत पर्व से मुझे कोई सरोकार नहीं है ....!!

    ReplyDelete
  13. शे'रों की बरसात के लिए शुक्रिया.

    एक शेर मैं भी कह दूँ...

    तौबा, ये तकरार की बातें
    इश्क में जीत हार की बातें
    हुस्न शोला अदा क़ातिल
    इश्क में हथयार की बातें

    - सुलभ

    ReplyDelete
  14. बेहतरीन संकलन ....

    जागती आँखों में कोई ख्वाब समेटे हुवे
    मुद्दतों सोया रहा तेरी याद लपेटे हुवे

    ReplyDelete
  15. लावण्या दी
    बहुत खुबसुरत शेरो का गुलदस्ता भेंट किया है आपने
    एक
    शेर ये भी है जो मुझे पसंद है रचयिता का नाम नहीं मालूम कही पढ़ा था
    हर दुआ कुबूल नहीं होती
    हर आरजू पूरी नहीं होती
    जिनके दिल में आपके जैसा दोस्त रहता हो
    उनके लिए धड़कन भी जरुरी नहीं होती

    ReplyDelete
  16. सुंदर संकलन.
    यह शेर अधिक मजेदार लगा-

    "जान लेने के लिए थोड़ी सी खातिर कर दी ,
    रात मूंह चूम लिया शमा ने परवाने का ."

    ..एक यह भी किसी ने लिखा है-

    कितने परवाने जले राज ये पाने के लिए
    शमा जलने के लिए है कि जलाने के लिए.

    शमा की गोद में जलते हुए परवाने ने कहा
    क्यूं जला करती है तू मुझको जलाने के लिए.

    ReplyDelete
  17. Aapne jitne sher diye hain utnee
    baar aapko daad detaa hoon.sweekar
    kijiyega.Meree ek gazal kaa matla
    aapkee nazar hai--
    Hum pyar kee niraalee
    duniya mein kho gaye hain
    unko banaa ke apnaa
    kuchh aur ho gaye hain.

    ReplyDelete
  18. prem mahotsav par is khubsurat guldaste ke liye bahut shukriya lavannya ji

    ReplyDelete
  19. आपका संकलन सराहनीय है!
    चर्चामंच पर भी इसकी चर्चा है!

    ReplyDelete
  20. बहुत मज़ा आया आपके संकलित शेरों को पढ़ कर। धन्यवाद।

    ReplyDelete
  21. सुंदर-सुंदर शेर पढवाने के लिए आभार - मुझे तो शेर और ग़ज़ल के मायने भी नहीं आते लेकिन आपके संकलित शेरे पढ़ते पढ़ते मुझे भी कुछ याद आ गया पता नहीं किस शायर का है आपकी नजर. शब्द या हर्फ़ कहीं गलत हों तो मांफी चाहता हूँ.:
    मोहब्बत के लिए कुछ ही दिल मकसूद होते हैं
    ये वो नगमा है जो हर साज पै गाया नहीं जाता .

    ReplyDelete
  22. ....के लगाए न लगे और बुझाये न बुझे..
    क्या संकलन प्रस्तुत किया आपनें ,बेहतरीन पोस्ट.

    ReplyDelete
  23. ab mohabbat kar hi li hai to ek hi baat kahoonga ki...
    baithe dere dar pe to kuchh kar ke uthenge, yaa tujhko hi le jayenge y amar ke uthenge...

    ReplyDelete
  24. दीदी , माफ़ करें, मैं कवि नहीं हूं , मगर आपके इस ब्लोग के विशिष्ट संकलन से आनंद आ गया.

    ReplyDelete
  25. behtareen sankaln. Abhi to mohabbat ke naam pe faraz ka ye sher yaad aa raha hai

    क़ुर्बतों में भी जुदाई के ज़माने माँगे
    दिल वो बेमेहर कि रोने के बहाने माँगे

    अपना ये हाल के जी हार चुके लुट भी चुके
    और मोहब्बत वही अन्दाज़ पुराने माँगे

    ReplyDelete
  26. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  27. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  28. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  29. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  30. वाह क्या संकलन है -वो भी तो है न ,एक आग का दरिया है और तैर कर जाना है ,,ऐसयीच कुछ !

    ReplyDelete
  31. वेलेंटाइन डे...इस पुनीत पर्व के बारे बिना जाने ही गृहस्थी पूरी हो गयी...क्या करें जरा पिछले ज़माने के जो हैं....लेकिन आपने आज के बच्चों के लिए जो नायाब हीरे मोटी निकाल कर यहाँ रख दिए,उसकी जितनी तारीफ की जाए कम है...एक से बढ़कर एक चुनिन्दा शेरों का संकलन यहाँ प्रस्तुत कर दिया है आपने....

    कभी कहीं दो पंक्तियाँ पढ़ी थीं...
    होता है कैसे प्यार,कभी सोचते थे हम.
    पल भर में एक नजर,बताकर चला गया...

    बहुत ही सुन्दर रोमांचक पोस्ट...वाह...

    ReplyDelete
  32. सचुमच ये सारे के सारे शेर प्रेम के सबसे खूबसूरत शेर हैं । एक एक शेर हीरे की तरह से तराश हुआ है । आपकी पारखी नजरों को प्रणाम कि इस प्रकार के शेर निकाल के आपने प्रस्‍तुत किये । अब मेरे तो किसी काम के नहीं हैं लेकिन अपने यहां काम करने वाले नौजवान बच्‍चों को आपकी इस पोस्‍ट का प्रिंट करके दे रहा हूं कि लो भाई वेलेण्‍टाइन डे पर उपयोग कर लेना इनका । सारे के सारे शेर प्रेम रस की जिस चाशनी में पगे हैं वो अजकल तो कम ही देखने को मिलती हे । दरअसल में आजकल के प्रेमियों को डाइबिटीज हो गई है सो प्रेम की चाशनी वे खा ही नहीं सकते । गये वो दिन जब प्रेम की चाशनी में डूबी कविताएं प्रेमियों के प्रेम का आधार हुआ करती थीं ।

    ReplyDelete
  33. मम्मा.... यह संकलन बहुत अच्छा लगा....

    मम्मा... आप कैसी हैं?

    नोट: लखनऊ से बाहर होने की वजह से .... काफी दिनों तक नहीं आ पाया ....माफ़ी चाहता हूँ....

    ReplyDelete
  34. aapka antarman..lavany se to sarobaar hai hi....kalam bhi lajwaab hai...pahli baat aayi hoon aur aage bhi...

    ReplyDelete
  35. दीदी साहब काश इनमे से कुछ शे'र मुझे पहले मिले होते ... मेरा भी भला हो जाता ... :) :).. पढ़ कर अचंभित हूँ सारे ही शे'र ... आपकी पारखी नज़र को सलाम ...


    अर्श

    ReplyDelete
  36. इस सन्डे बस कोई सुनने वाली मिल जाए. बाकी काम तो आपने कर ही दिया है यहाँ :) बेहतरीन !

    ReplyDelete