tag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post3203177646891410630..comments2023-11-09T10:02:07.593-05:00Comments on लावण्यम्` ~अन्तर्मन्`: पापाजी , आपकी बिटिया , आपको सादर प्रणाम करती है और आपकी पुण्य तिथि पर : ११ फरवरी -लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`http://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comBlogger52125tag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-15819228441220608342010-03-11T06:21:53.186-05:002010-03-11T06:21:53.186-05:00Aap ka comment atul-a song a day blog par padha. ...Aap ka comment atul-a song a day blog par padha. Jyoti kalash yeh geet mai bhi sunte hue hi badi hui hoon. Ye kalpana ki sooraj jyoti kalash hai aur pratahkaal mein chalakta hai isliye vo alag rang dikhayye deta hai, mujhe badi acchi pyaari lagi...Aap Ke Pitaji mahan they. unka naam amar hai. Unko bhaavpurna shraddhanjali. Evam aapko sahruday namaskaar.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-33466532447793841382010-02-17T05:50:56.418-05:002010-02-17T05:50:56.418-05:00पंडित नरेन्द्र शर्मा जी की हस्तलिपि निरख धन्य हो ग...पंडित नरेन्द्र शर्मा जी की हस्तलिपि निरख धन्य हो गये हम, लावण्या जी! <br />हमारी श्रद्धांजलि।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-52940616816681252882010-02-14T03:48:06.106-05:002010-02-14T03:48:06.106-05:00आपके इस लेख और देवेन्द्रजी की सुन्दर टिप्प्णी को ...आपके इस लेख और देवेन्द्रजी की सुन्दर टिप्प्णी को पढ़ने के बाद लिखने के लिए शब्द ही नहीं बचे।<br />आदरणीय पापाजी को सादर नमन।सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-12014759062848333082010-02-13T13:30:47.432-05:002010-02-13T13:30:47.432-05:00आप का लेख मन को छु गया, ओर आंखे भीगो गया, आप के पा...आप का लेख मन को छु गया, ओर आंखे भीगो गया, आप के पापाजी को श्रद्धांजलि !ओर नमन!!राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-66507383011739387272010-02-12T04:26:57.776-05:002010-02-12T04:26:57.776-05:00यह पोस्ट तो साहित्य की अमूल्य निधि है।
श्रद्धेय प...यह पोस्ट तो साहित्य की अमूल्य निधि है।<br /><br />श्रद्धेय पंडित नरेंद्र शर्मा जी को शत शत नमन !annapurnahttps://www.blogger.com/profile/05503119475056620777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-60715556420231147672010-02-11T17:08:20.692-05:002010-02-11T17:08:20.692-05:00भाई दीपक " मशाल जी "
अजित भाई,
आ. प...भाई दीपक " मशाल जी " <br /> अजित भाई, <br /> आ. प्राण भाई सा'ब, <br /> समीर भाई,<br />आ. वर्मा जी, <br /> अनुराग भाई, <br /> अमरेन्द्र भाई , <br />खुशदीप भाई <br />रजनीश जी, <br />अनूप भाई सा'ब ,<br /> भाई गिरिजेश जी , <br />दीनेश भाई जी,<br />अनुज पंकज जी ,<br /> श्रीमती डा. अजित गुप्ता जी, <br />वाणी जी,<br />अरविन्द भाई साहब,<br />संगीता पुरी जी, <br />" सन्नी " भाई ,<br /> युनूस भाई , <br />लवली जी,<br /> उन्मुक्त जी , <br />अल्पना जी,<br />सुब्रह्मनयम जी ,<br /> " अदा " जी ,<br /> भाई श्री दीगम्बर नासवा जी,<br /> पियूष भाई, <br />भाई श्री पंकज शुक्ल जी, <br />आ. ताऊ जी, <br />श्री सुलभ सतरंगी जी, <br />अभिषेक भाई ,<br />शिव भाई , <br />देवेन्द्र ( बिम्बू ) ,<br />भाई श्री तिलक राज कपूर जी , <br />शिखा जी ,<br />परम आ. पितातुल्य अग्रज महावीर जी ,<br />[ आपका आशिष मेरा संबल रहेगा ]<br />नीरज भाई, <br />शार्दूला जी , <br />डा. श्री मनोज मिश्र जी , <br />" अर्श " भाई ,<br /> हरि शर्मा जी ,<br />आचार्य श्री संजीव वर्मा "सलिल" जी ,<br />छोटे भाई श्री दिलीप कवठेकर जी , <br />रश्मि रविजा जी, <br />आ. देवी बहन जी ................<br />आप सभी का<br />बारम्बार , <br /> ह्रदय से आभार ! <br /> विनीत,<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-61878642114696575032010-02-11T16:24:29.515-05:002010-02-11T16:24:29.515-05:00लावण्या जी
आपके ब्लॉग पर आकर अपनी प्यास बुझाए बिन...लावण्या जी<br />आपके ब्लॉग पर आकर अपनी प्यास बुझाए बिना वापस लौट जाना नामुमकिन है. आपके ह्रदय के तट पर कल कल बहती सरस्वती माँ की संगीत और साहित्य कि धारा बहती रहती है.<br /><br />सोच रही हूँ, " पंख होते तो उड़ जाती रे ..." <br />प्रश्न : कहाँ उड़ कर पहुँचती ? <br />उत्तर : अपने शैशव के दरवाज़े पर ... <br /><br />सभी संस्मरण मानव मन पर एक छवि उकेरते हैं. उत्तम श्रधांजलि है जिसमें न भूलने के असार बरकरार रहे.<br />आपकी कलम कि रवानी हमें ऐसे न भूलने वाले पलों के और पास ला देते हैं.. शत शत नमन, बधाई और शुबकामनाएं.<br /><br />Naman Naman naman!!!Devi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-66665798681444608142010-02-11T13:52:45.289-05:002010-02-11T13:52:45.289-05:00asrupurit shradhanjali,...man dravita kar gaya ye ...asrupurit shradhanjali,...man dravita kar gaya ye sansmaran...<br /><br />shat shat naman un paavan aatma korashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-43960485651835032332010-02-11T13:44:49.424-05:002010-02-11T13:44:49.424-05:00श्रद्धेय पण्डित नरेन्द्र शर्माजी को अश्रुपूरित श्र...श्रद्धेय पण्डित नरेन्द्र शर्माजी को अश्रुपूरित श्रृद्धांजली.<br /><br />आपने यह जो भी संजोया है, मन के खिड़की में से झांक झांक कर हमे उनकी पुण्य स्मृतियों को फ़िर से मेहसूस करा रहा है.<br /><br />धन्यवाद दीदी. आप भाग्यशाली हैं, जो आप उनकी पुत्री हैं, और हम भी ... आपके छोटे भाई जो है!!दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-59346313946431473902010-02-11T12:27:33.161-05:002010-02-11T12:27:33.161-05:00स्मृति गीत:
हर दिन पिता याद आते हैं...
संजीव '...स्मृति गीत:<br />हर दिन पिता याद आते हैं...<br />संजीव 'सलिल' <br />*<br />जान रहे हम अब न मिलेंगे. <br />यादों में आ, गले लगेंगे.<br />आँख खुलेगी तो उदास हो-<br />हम अपने ही हाथ मलेंगे. <br />पर मिथ्या सपने भाते हैं.<br />हर दिन पिता याद आते हैं...<br />*<br />लाड, डांट, झिडकी, समझाइश.<br />कर न सकूँ इनकी पैमाइश. <br />ले पहचान गैर-अपनों को-<br />कर न दर्द की कभी नुमाइश.<br />अब न गोद में बिठलाते हैं.<br />हर दिन पिता याद आते हैं...<br />*<br />अक्षर-शब्द सिखाये तुमने.<br />नित घर-घाट दिखाए तुमने.<br />जब-जब मन कोशिश कर हारा-<br />फल साफल्य चखाए तुमने.<br />पग थमते, कर जुड़ जाते हैं <br />हर दिन पिता याद आते हैं...<br />* <br /><br />divyanarmada.blogspot.comDivya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-38009799646928483462010-02-11T11:39:48.340-05:002010-02-11T11:39:48.340-05:00पन्डित नरेन्द्र शर्मा जी को श्रद्धांजलि -पन्डित नरेन्द्र शर्मा जी को श्रद्धांजलि -Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13199219119636372821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-75349903120992839072010-02-11T11:26:15.257-05:002010-02-11T11:26:15.257-05:00दीदी साहब आदरणीय पंडित जी के बारे में कुछ भी कहने...दीदी साहब आदरणीय पंडित जी के बारे में कुछ भी कहने में सामर्थ्य नहीं हूँ ... वो अमर हैं अपने शब्दों और रचनावो के साथ और सभी उस्ताद गायकों के आवाज़ में ... बस उनको सलाम करूँगा ... <br /><br />और भावभीनी श्रधांजलि <br /><br />अर्श"अर्श"https://www.blogger.com/profile/15590107613659588862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-26186461436669484712010-02-11T11:23:28.813-05:002010-02-11T11:23:28.813-05:00ऐसी महान आत्मा को प्रणाम..ऐसी महान आत्मा को प्रणाम..डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-16109896874856031502010-02-11T10:44:41.782-05:002010-02-11T10:44:41.782-05:00आदरणीय पंडित जी के लिए क्या लिखा जाय दीदी. बस उनकी...आदरणीय पंडित जी के लिए क्या लिखा जाय दीदी. बस उनकी स्मृतियों को प्रणाम और उनकी चिर उपस्थिति को महसूस किया जा सकता है !ऊपर से ले के नीचे तक, एक-एक लिंक, एक-एक लेखन की ईमेज को बड़ा कर कई-कई बार पढ़ गयी हूँ. पहले ही मन इतना भावुक हो गया था वह गीत "मैं केवल तुम्हारे लिए गा रही हूँ " सुन के जो पंकज भईया ने मेल पे भेजा था. <br />फ़िर पंडित जी की कवितायें पढ़ीं. यूं-ट्यूब पे जा के "तुमसे घर घर " और "ज्योति कलश छलके" दोनों कई कई बार सुने. <br />'ज्योति कलश छलके' मेरी बहुत ही प्रिय गीतों में से है... अब 'मैं केवल तुम्हारे लिए गा रही हूँ' ... भी मैंने फेवरेट फोल्डर में डाल लिया है. <br />और जैसे ये सब मन के लिए बहुत न था कि आपका लिखा पढ़ के हृदय एकदम द्रवित हो गया! <br />सीधे दिल से निकले हुए शब्द पढ़ के कुछ देर तक निशब्द: सी बैठी रही ... <br />क्या कहूँ ...<br />"पल्लव दल सुकुमार" कितनी सुन्दर कविता है, कुछ बहुत ही प्यारे शब्दों का प्रयोग जैसे " चुरमुर , ललछौंही " वाह!<br />दीदी, यहाँ पढ़ते हुए थोड़ा रुक गयी तो देखा कि इमेज में ठीक लिखा है. टाइपिंग में "स्नेह से रहे प्राण मन सींच " में ... 'रहे' छूट गया है , डाल दीजिएगा कृपया.<br />"प्यासा निर्झर" की भूमिका में जो पढ़ा उस को पढ़ कर चकित रह गई, काव्य क्या है, कवि का धर्म क्या है, ये बात इतने सुन्दर ढंग से शायद ही पहले कहीं पढ़ी हो! <br />ये पोस्ट मैंने अपने फेवरेट फोल्डर में डाल ली है. <br />दुःख की बात है कि ये किताब मैंने नहीं पढ़ी. इस बार भारत आउंगी तो इसे ढूँढ कर ज़रूर ले आउंगी. <br />और क्या लिखूँ ... गीत, कविता के मंदिर की दासी हूँ ... सो इस प्रसाद को पा के आज कितना अभिभूत हुई हूँ मेरे लिए कहना मुश्किल है.<br />नत मस्तक हूँ. सादर प्रणाम करती हूँ... <br />दीदी, आशीष दीजिये ...<br />नमन!<br />शार्दुलाShardulahttps://www.blogger.com/profile/14922626343510385773noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-67789495410593591672010-02-11T09:41:37.280-05:002010-02-11T09:41:37.280-05:00लावण्या दी आज पंडित जी की यादों को आपके माध्यम से ...लावण्या दी आज पंडित जी की यादों को आपके माध्यम से पढ़ कर जी भर आया...क्या कहूँ कोई शब्द ही नहीं मिल रहे...उस महान विभूति को मेरा सादर नमन...वो जहाँ भी हों उनका आशीर्वाद सदा हमारे साथ रहेगा...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-50286980298434576152010-02-11T09:02:24.906-05:002010-02-11T09:02:24.906-05:00पंडित नरेंद्र शर्मा जी कालजयी साहित्यकार .. 'थ...पंडित नरेंद्र शर्मा जी कालजयी साहित्यकार .. 'थे' शब्द कहने में मुझे संकोच हो रहा है. उनका साहित्य अमर है, उनकी कवितायेँ और अन्य रचनाएं आज भी लता जी और कितने ही महान संगीतकारों के स्वरों में एक नया स्वर देती रहीं. , कवि-सम्मेलनों में, चल-चित्रों, रेडियो, टी.वी. के महाभारत जैसे अद्वितीय सीरियलों में हर घर में, ज़मीन पर और ख़ला में उनकी वाणी आज भी गूँज रही है. उनके चित्रों में आज भी सशरीर साकार दिखाई देते हैं, केवल भीतर की आँखे खोलकर देखने की बात है. फिर भी परंपरावादिता के अनुसार पंडित जी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित है.<br />लावण्या, (आज तुम्हारे नाम के साथ 'जी' नहीं लगाऊंगा क्योंकि अपने बच्चों, छोटी बहनों, भतीजियों आदि के नामों से 'जी' जोड़ने से न जाने क्यों मुझे ऐसा लगता है जैसे 'अपनापन' सा छीन लिया गया हो), यही कहूँगा कि आज इस पुण्यतिथि पर मेरी श्रद्धांजलि के साथ यही आशीर्वाद है कि तुम पंडित जी के पदचिन्हों को संभालते हुए साहित्य जगत में देदीप्यमान होकर अपनी और स्व. पंडित जी की साहित्यिक-कृतियों द्वारा इसी प्रकार साहित्य-सेवारत रहो.महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-86041695080722479372010-02-11T07:41:34.476-05:002010-02-11T07:41:34.476-05:00श्रद्धेय पण्डित नरेन्द्र शर्माजी को अश्रुपूरित श्र...श्रद्धेय पण्डित नरेन्द्र शर्माजी को अश्रुपूरित श्रृद्धांजलि<br />बहुत भावुक संस्मरणshikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-52999339805921646152010-02-11T05:45:32.789-05:002010-02-11T05:45:32.789-05:00देह धारण करने से छोड़ने तक, आत्मा निरंतर प्रेरित ...देह धारण करने से छोड़ने तक, आत्मा निरंतर प्रेरित करती है कुछ करने को। देह ने क्या किया यह तय करता है कि जो किया वह कब तक रहता है।<br />स्वर्गीय नरेन्द्र शर्मा जी की देह ने जो किया वह कितनी ही आत्माओं को आधार देता रहेगा।<br />महाकवि की पुण्यतिथि पर सादर प्रणाम।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-41867600339671004762010-02-11T04:25:11.750-05:002010-02-11T04:25:11.750-05:00स्नेही दी,
चाचा जी की पुण्यतिथि पर मैंने एक तुच्...स्नेही दी, <br /><br />चाचा जी की पुण्यतिथि पर मैंने एक तुच्छ काव्य प्रयास किया है, उनके जैसी सशक्त भाषा का मुझे ज्ञान नहीं किन्तु उनकी भावनाओं को रेखांकित करने की चेष्ठा है :<br /><br /><br />"धवल बादल की ओट से <br />स्पंदनशून्य, मूक दृष्टा <br />की भाँती तक रहा<br /><br />सुशीला संग देख रहा अपल<br />विरहित मृग सी <br />स्वयं की उत्पत्ति को<br />माँ की गोद पली <br />लावण्या<br /><br />भूल गयी मेरी सीख <br />अश्रु नहीं तेरा श्रृंगार<br />कैसे बतलाऊँ <br />किस प्रकार समझाऊं <br />पुनः कैसे उसे ज्ञान कराऊँ <br /><br />तरुनाई उत्सर्गों ने <br />संग्राम दे दिए थे, <br />अंगों के अंशों को <br />नाम दे दिए थे <br />मिथ्या है संगम तन का<br />पुत्र पुत्री पिता माता<br />मात्र संबंधों की वर्ण माला <br /><br />मुझमें तुम हो <br />तुम में मैं <br />हम में सब <br />सब में हम<br />हृदय का स्नेह-स्राव रहे<br />अमर शाश्वत ज्ञान रहे <br />शरीर नहीं <br />आत्मा का भान रहे"देवेन्द्र शर्मा (Devendra Sharma)https://www.blogger.com/profile/06120206172706243159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-27089194076589540332010-02-11T04:18:13.985-05:002010-02-11T04:18:13.985-05:00बहुत सुन्दर पोस्ट. इससे बड़ी श्रद्धांजलि और क्या हो...बहुत सुन्दर पोस्ट. इससे बड़ी श्रद्धांजलि और क्या होगी? मन को छू लेने वाली पोस्ट.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-61417376652091014712010-02-11T04:12:30.567-05:002010-02-11T04:12:30.567-05:00श्रद्धांजलि !
हर बार की तरह आकर्षक तरीके से प्रस्त...श्रद्धांजलि !<br />हर बार की तरह आकर्षक तरीके से प्रस्तुत किया अपने. इन यादों में गोटा लगाया हमने भी आपके साथ. 'तुमसे ही घर-घर कहलाया' पहली बार आपके ही दिए लिंक पर सुना था.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-65247231340389777782010-02-11T03:40:23.190-05:002010-02-11T03:40:23.190-05:00श्रद्धेय पूज्य पंडित शर्मा जी की पुण्यतिथि पर मेरी...श्रद्धेय पूज्य पंडित शर्मा जी की पुण्यतिथि पर मेरी श्रद्धांजलि अर्पित है.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-9366787565398330002010-02-11T03:07:37.296-05:002010-02-11T03:07:37.296-05:00पंडितजी को अश्रुपूरित श्रृद्धांजलि.
आपका अतीत को ...पंडितजी को अश्रुपूरित श्रृद्धांजलि.<br /><br />आपका अतीत को याद करना ऐसा ही लगा जैसे हर इंसान की अपनी यही अनुभुति है. बिल्कुल निजी अहसास जैसा. बहुत ही भावुक कर देने वाला.<br /><br />पंडितजी के पुण्य स्मरण को शत शत नमन!!<br /><br />रामरामताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-79348506099711770332010-02-11T03:06:35.702-05:002010-02-11T03:06:35.702-05:00This comment has been removed by the author.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-42239904190266735082010-02-11T02:49:28.110-05:002010-02-11T02:49:28.110-05:00पंडित जी कहीं गए नहीं, यहीं कहीं है हमारे बीच। कभी...पंडित जी कहीं गए नहीं, यहीं कहीं है हमारे बीच। कभी अपने गीतों से तो कभी अपने विचारों से हम सबके लिए आशा दीप जलाए हुए...। सादर नमन।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16312720514784919531noreply@blogger.com