tag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post3476203700712186689..comments2023-11-09T10:02:07.593-05:00Comments on लावण्यम्` ~अन्तर्मन्`: मृण्मय तन, कंचन सा मनलावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`http://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-21217445991944149062021-05-28T02:53:06.862-04:002021-05-28T02:53:06.862-04:00"This is a very useful and informative articl..."This is a very useful and informative article!<br /> Netrockdeals is one of the top Websites in India that provides shopping offers and Discount Coupons. We provide the latest cashback offers deals available on all online stores in India. <a href="" rel="nofollow">Trivago Coupons</a><br /><a href="" rel="nofollow">1mg Coupon</a><br /><a href="" rel="nofollow">adidas promo code</a><br /><a href="" rel="nofollow">The Moms Co Coupons</a><br /><a href="" rel="nofollow">Manyavar coupon code</a>We provide thousands of deals to over one hundred retail merchants to furnish the best online shopping experience each day. Our team maximizes our efforts to provide the best available offers for our users. We are continually working on our website to provide the best satisfaction to our users."Netrockdealshttps://www.blogger.com/profile/17661728905971604193noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-33235056593487659562010-08-17T12:21:14.855-04:002010-08-17T12:21:14.855-04:00लावण्या जी
बहुत ही साधा हुआ आलेख |
ऐसे कैसे हो गये...लावण्या जी<br />बहुत ही साधा हुआ आलेख |<br />ऐसे कैसे हो गये हैं हम लोग जो अपनी सीमा में किसी आगंतुक के लिए कोई भी जगह नहीं दे पाते ?<br />जो चीज अपनी नहीं नहीं है उसी के लिए मरने मरने पर उतारू है \क्या रेल अपनी है क्या धरती अपनी है ?साझा चीजो प्रक्रति को बाँटने क्या हक़ है हमे ?<br />जो बाँट सकते है दे सकते है ले सकते है "प्रेम "बस वाही नहीं देते लेते \बहुर सुन्दर आलेख |धन्यवादशोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-12611883157388581672010-08-09T10:04:10.576-04:002010-08-09T10:04:10.576-04:00बहुत सुन्दर लेख है। हममें से कोई नहीं कह सकता कि ह...बहुत सुन्दर लेख है। हममें से कोई नहीं कह सकता कि हमारे असली मूल क्या है। हम सब मिलकर बहुत गडमड हो गए हैं और यही अच्छा हुआ।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-48887458561297965822010-08-08T02:07:59.777-04:002010-08-08T02:07:59.777-04:00लावण्या दीदी,
प्रणाम :)
बहुत दिनों से बहुत ही व्य...लावण्या दीदी,<br />प्रणाम :) <br />बहुत दिनों से बहुत ही व्यस्त थी पर सोचा था कि जब भी लिखने, पढ़ने नेट पे आउंगी आपकी साईट पे आ के पढूंगी. <br />आपका आलेख बहुत मन से पढ़ा. बहुत अच्छा लगा. आपने बहुत प्रभावशाली और खुले तरीके से अपनी बात कही है. मन को संकुचित कर जीने वाले खुद पे और अपने परिवेश पे दोनों पे ज्यादती कर रहे हैं. टाईम का लेख जब पढ़ने गई तो उसकी लचर शुरुआत के कारण केवल दो अनुच्छेद तक ही पढ़ा ...आगे पढ़ न सकी.<br />मैं खुद भी प्रवासी हूँ, अलग-अलग देशों में रह चुकी हूँ. भारत में भी कोई पूछे कि कहाँ से हूँ तो कोई एक राज्य नहीं है जिसे कह सकूँ कि मैं यहाँ से हूँ, और इसे मैं अपना दुर्भाग्य नहीं सौभाग्य मानती हूँ:) आदमी जैसे-जैसे बाहरी दुनिया देखता जाता है उसके भीतर की दुनिया भी बढ़ती जानी चाहिए. हर्मन हेसे (एक विश्वविख्यात जर्मन लेखक) की एक बहुत सुन्दर कविता है "स्टूफन" यानि सीढियां, वह हमेशा नए परिवेशों में मेरा मार्ग दर्शन करती है. आप गूगल कीजिएगा आपको उसका अनुवाद अवश्य मिल जायेगा. <br />सादर शार्दुलाShardulahttps://www.blogger.com/profile/14922626343510385773noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-11285703145250335512010-08-06T07:33:18.132-04:002010-08-06T07:33:18.132-04:00वाह लावण्या जी क्या कहूँ बहुत अच्छा लिखा हैं ,.सार...वाह लावण्या जी क्या कहूँ बहुत अच्छा लिखा हैं ,.सारी कड़ियाँ तो नही देख पाई.पर आपकी पोस्ट पूरी पढ़ी .कुछ ऐसे ही भाव मन में मेरे भी आ रहे थे पर आपने उन्हें जिस तरह से प्रकट किया हैं वह अतुलनीय हैं .<br />मैं नही जानती की संस्कृति ,दया क्षमा आदि आदि शब्द या उनका अस्तित्व बचेगा या नही ,या कैसे बचेगा ?पर मैं एक ही जानती हूँ हम इंसान और इंसानियत ,मानवीयता न भूले तो शायद सब कुछ बच जायेगा .<br />इस पोस्ट के लिए आपको धन्यवाद .RADHIKAhttps://www.blogger.com/profile/00417975651003884913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-50982627381703315492010-08-06T02:19:34.885-04:002010-08-06T02:19:34.885-04:00बहुत दिन बाद पढ़ा आपको ...इस लेख के द्वारा वहां के...बहुत दिन बाद पढ़ा आपको ...इस लेख के द्वारा वहां के निवासियों और भारत के बारे में नए तथ्य मिले ! समय के साथ सब कुछ ठीक होना चाहिए ! हार्दिक शुभकामनायेंSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-17179416105045173772010-08-03T16:18:10.743-04:002010-08-03T16:18:10.743-04:00LEKH KE SAATH - SAATH PRASIDDH
GAZALKAARAA DEVI N...LEKH KE SAATH - SAATH PRASIDDH <br />GAZALKAARAA DEVI NANGRANI KE SAATH<br />AAPKAA CHITRA DEKH KAR BAHUT HEE<br /> ACHCHHAA LAGAA HAI . KAASH ,AAPKE<br />DONO KE KHAANE - PEENE MEIN HUM<br />BHEE SHAAMIL HO SAKTE !pran sharmahttps://www.blogger.com/profile/14658673113780007596noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-9216191108525562082010-08-02T20:10:40.221-04:002010-08-02T20:10:40.221-04:00अच्छा आलेख, इस आर्टिकल का लिंक ईमेल से प्राप्त हुआ...अच्छा आलेख, इस आर्टिकल का लिंक ईमेल से प्राप्त हुआ था. <br />कभी न्यूयोर्क आना हो तो खबर जरूर कीजियेगा.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-58904815382281095842010-08-02T10:18:53.253-04:002010-08-02T10:18:53.253-04:00मन को कुरेदने वाले विषयों को शाब्दिक पथ दे दिया है...मन को कुरेदने वाले विषयों को शाब्दिक पथ दे दिया है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-61470513915709486222010-08-01T23:32:52.124-04:002010-08-01T23:32:52.124-04:00दुनिया तो अब अधिक वैश्विक होती जा रही है। इसे कोई ...दुनिया तो अब अधिक वैश्विक होती जा रही है। इसे कोई भी ताकत नहीं रोक सकती। जाति,रंग, प्रांत और देश के आधार पर होने वाले भेदभाव समाप्त हो कर रहेंगे। <br />आलेख बहुत अच्छा है। लेकिन पहला लिंक जो एडीसन नगर के बारे में है नहीं खुल रहा है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-25494667405003269842010-08-01T20:40:45.895-04:002010-08-01T20:40:45.895-04:00Lavanya Di
Nice article.
-Harshad Jangla
Atlan...Lavanya Di<br /><br />Nice article.<br /><br />-Harshad Jangla<br /><br /><br />Atlanta USAHarshad Janglahttps://www.blogger.com/profile/00844983134116438245noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-63929481255693584232010-08-01T19:08:18.065-04:002010-08-01T19:08:18.065-04:00बहुत अच्छा लगा आपका आलेख.
देवी जी के साथ आपकी तस्...बहुत अच्छा लगा आपका आलेख.<br /><br />देवी जी के साथ आपकी तस्वीर देखकर आनन्द आया.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-21371775841844006212010-08-01T16:33:14.679-04:002010-08-01T16:33:14.679-04:0002.08.10 की चिट्ठा चर्चा में शामिल करने के लिए इस...02.08.10 की चिट्ठा चर्चा में शामिल करने के लिए इसका लिंक लिया है।<br />http://chitthacharcha.blogspot.com/मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-77904630727711250932010-08-01T15:56:02.702-04:002010-08-01T15:56:02.702-04:00आज का आलेख बहुत अच्छा लगा. आरम्भ से ही स्थायित्व ख...आज का आलेख बहुत अच्छा लगा. आरम्भ से ही स्थायित्व खोजता हुआ मानवमात्र प्रवासी रहा है. उस पर भी भारत और अमेरिका जैसे राष्ट्र तो प्रवासियों की विविधता से भरे हुए हैं. समाज में पहले से जमे लोगों को हर आगंतुक से खतरा ही दिखाई देता है तभी तो देशों की सीमाओं पर प्रहरी और गाँवों/मुहल्लों में चौकीदार होते थे. मगर भय भी तो अज्ञान का ही एक रूप है. <br />अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्<br />उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com