tag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post34827299620867861..comments2023-11-09T10:02:07.593-05:00Comments on लावण्यम्` ~अन्तर्मन्`: मेरी नानी जी ' बा' का घर और वो आम का पेड़लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`http://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-30212863829846075332012-10-05T04:29:33.911-04:002012-10-05T04:29:33.911-04:00bahut sundar yaad:)bahut sundar yaad:)मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-7913437671381161122009-04-21T22:23:00.000-04:002009-04-21T22:23:00.000-04:00सँजय भाई,
दद्दा / श्री मैथिली शरण गुप्त जी ने लिख...सँजय भाई,<br /> दद्दा / श्री मैथिली शरण गुप्त जी ने लिखा है,<br />" हम सुधरेँ तो सुधर जायेगा, ये सँसार हमारा ,<br /> एक दीप सौ दीप जलाये, मिट जाये अँधियारा "लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-88682405627035824752009-04-19T08:35:00.000-04:002009-04-19T08:35:00.000-04:00मोटाबेन
हम निसर्ग को परिवार का हिस्सा मानते थे और ...मोटाबेन<br />हम निसर्ग को परिवार का हिस्सा मानते थे और शायद यही वजह है कि तब पर्यावरण के लिये अलग से कुछ करने की ज़रूरत नहीं होती थी. निसर्ग भी एक संबधी होता था. अब संबधियों से ही पर्यावरण बिगड़ा पड़ा है क्या करें.संजय पटेलhttps://www.blogger.com/profile/04535969668109446884noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-22822574847986656502009-04-14T13:11:00.000-04:002009-04-14T13:11:00.000-04:00आप सभी की टीप्पणियोँ के लिये , बहुत बहुत आभार -आप सभी की टीप्पणियोँ के लिये , बहुत बहुत आभार -लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-46639590091174685942009-04-09T13:28:00.000-04:002009-04-09T13:28:00.000-04:00यादों के बादल जब मन पर छा जाते हैं, तो कभी आल्हादि...यादों के बादल जब मन पर छा जाते हैं, तो कभी आल्हादित कर देते हैं, वर्षा की बूंदों के वाहक बन कर , तो कभी हृदय में पीडा भर देते है, तूफ़ान और बिजली के अंदेशे लिये, पुराने ज़ख्म हरे कर देते है. <BR/><BR/>आम कभी मेरा पसंदीदा फ़ल नही रहा, क्योंकि, हमारे गांव से हर साल इतने आम आते थे कि हमें उसका अजीर्ण हो जाता था. <BR/><BR/>अब पिछले कुछ सालों से फ़िर से भाने लगा है.दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-33343850141243060722009-04-09T11:52:00.000-04:002009-04-09T11:52:00.000-04:00आपकी याह पोस्ट देख मुझे अपने गांव की बारी (जिसमें ...आपकी याह पोस्ट देख मुझे अपने गांव की बारी (जिसमें मुख्यत: आम के पेंड़ हैं) याद आ गये। बचपन उन आम्रकुंजों की छाया में बहुत बीता है। और टपकते आम की ध्वनि तो मन में अभी भी ताजा है।<BR/>बचपन याद आया और उस समय के कई बुजुर्ग। जो अब मात्र स्मृति हैं। आम के पेंड़ कुछ बचे हैं।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-77859913511837644702009-04-09T10:39:00.000-04:002009-04-09T10:39:00.000-04:00ITS GOOD. I HAVE ALSO SEEN OTHER POSTS. KEEP IT UP...ITS GOOD. I HAVE ALSO SEEN OTHER POSTS. <BR/>KEEP IT UP.<BR/>--AJIT PAL SINGH DAIAAjit Pal Singh Daiahttps://www.blogger.com/profile/10366805660526613111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-83122412332311118302009-04-09T03:38:00.000-04:002009-04-09T03:38:00.000-04:00बहुत सुंदर पोस्ट....बहुत सारी बातें याद आईँ बचपन क...बहुत सुंदर पोस्ट....बहुत सारी बातें याद आईँ बचपन कीआभाhttps://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-33070928548724908962009-04-09T03:14:00.000-04:002009-04-09T03:14:00.000-04:00आपके साथ यादों की गलियों मे घूमना अच्छअ लगा दीदी.....आपके साथ यादों की गलियों मे घूमना अच्छअ लगा दीदी...!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-8925030322279934372009-04-09T02:19:00.000-04:002009-04-09T02:19:00.000-04:00बचपन की यादें ऐसे ही गुदगुदा जाती है हमें ... बहुत...बचपन की यादें ऐसे ही गुदगुदा जाती है हमें ... बहुत सुंदर लिखा ... अच्छा लगा आपको पढना।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-34914201101440307672009-04-09T02:07:00.000-04:002009-04-09T02:07:00.000-04:00सच !कहते है हर इन्सान एक समंदर है जाने कितना कुछ अ...सच !कहते है हर इन्सान एक समंदर है जाने कितना कुछ अपने सीने में लिए बैठा है ....एक याद रूह को रिचार्ज कर देती है ना......डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-42269020692371019912009-04-09T02:00:00.000-04:002009-04-09T02:00:00.000-04:00बहुत मीठी सुन्दर यादें बांटी है आपने ..अच्छा लगा इ...बहुत मीठी सुन्दर यादें बांटी है आपने ..अच्छा लगा इसको पढनारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-73455534559804065302009-04-09T01:33:00.000-04:002009-04-09T01:33:00.000-04:00ए मलीहाबाद के रंगी गुलिस्तां अलविदा आम के बागों म...ए मलीहाबाद के रंगी गुलिस्तां अलविदा <BR/><BR/>आम के बागों में जब बरसात होगी पुरखरोश <BR/>जैसी कई पंक्तियां है जो आमों से जुड़ी हैं । मेरे बचपन की भी ढेरों यादें हैं आमों के साथ । वो पहली आंधी में दौड़ पड़ना कच्ची केरियां और पक्की साखें बटोरने । आज के बच्चे नहीं जानते कि वे क्या खो चुके हैं ।पंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-56195179069142993482009-04-09T01:22:00.000-04:002009-04-09T01:22:00.000-04:00इस संस्मरण को पढ़ कर बहुत आनंद आया.'कपिलवस्तु के ब...इस संस्मरण को पढ़ कर बहुत आनंद आया.'कपिलवस्तु के बारे में जाना.अब भी सब बीते कल की बात जैसा लगती होगी?<BR/>आप की नानी जी से आप की इन यादों के जरिए मिलकर अच्छा लगा.<BR/>आम के पेड़ की शाखायों के काटने पर हुई पीडा जानकार जाना कि प्रकृति से आप का प्रेम अद्भुत है.<BR/>आप ने अपनी यादों को हमसे बांटा ..abhaarAlpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-19057459300426295562009-04-09T00:55:00.000-04:002009-04-09T00:55:00.000-04:00आपको तो कल क़ी ही बात लगती होगी ना..आपको तो कल क़ी ही बात लगती होगी ना..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-5280571889511849762009-04-08T23:14:00.000-04:002009-04-08T23:14:00.000-04:00हमेशा की तरह एक सुंदर और बहुत ही नायाब चित्रों से ...हमेशा की तरह एक सुंदर और बहुत ही नायाब चित्रों से सजी पोस्ट. आपके बचपन की यादें बहुत प्रवाहमयी भाषा मे पढना अच्छा लगा.<BR/><BR/>आपने आम पेड सपने मे दिखने की बात कही है तो किसी भी फ़लदार वृक्ष का इस तरह लहलहाते हुये दिखाई देना एक शांत और ऐश्वर्यशाली जीवन की तरफ़ इंगित करता है. बहुत अच्छा स्वपन्न है ये.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-17787880598373702222009-04-08T22:44:00.000-04:002009-04-08T22:44:00.000-04:00आपके सभी पोस्ट के चित्र बड़े मनमोहक और सजीव होतें...आपके सभी पोस्ट के चित्र बड़े मनमोहक और सजीव होतें हैं ,और आलेख भी दमदार ..डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-88350316612526867022009-04-08T22:26:00.000-04:002009-04-08T22:26:00.000-04:00Lavanya DiPondring the memories of childhood in su...Lavanya Di<BR/>Pondring the memories of childhood in such wonderful manner!Beautiful word may not be enough!<BR/>Thanx for sharing.<BR/>-Harshad Jangla<BR/>Atlanta, USAHarshad Janglahttps://www.blogger.com/profile/00844983134116438245noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-17879214580287926022009-04-08T21:51:00.000-04:002009-04-08T21:51:00.000-04:00Aapke blog per na jane kaise aai...aur khatti mith...Aapke blog per na jane kaise aai...aur khatti mithi amon ki tarah ye yaden padhkar achha laga.रेवा स्मृति (Rewa)https://www.blogger.com/profile/13005191329618003468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-82296554961324784532009-04-08T21:19:00.000-04:002009-04-08T21:19:00.000-04:00Arvind bhai,Ye Hapoos Aam ka ped hee tha Meri Nani...Arvind bhai,<BR/>Ye Hapoos Aam ka ped hee tha Meri Nani ji ke Gharwala <BR/><BR/>( sorry to post in English - I am away from my PC )लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-10727097524473036822009-04-08T20:53:00.000-04:002009-04-08T20:53:00.000-04:00यह छतनार आम्र वृक्ष कितना मनोहर है -हापुस है या के...यह छतनार आम्र वृक्ष कितना मनोहर है -हापुस है या केशर ? यह भी तो बताएं ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-13438236196500066802009-04-08T17:18:00.000-04:002009-04-08T17:18:00.000-04:00आपका आलेख पढ़कर मैं यह सोचने लगा कि हम भारतीय रिश्...आपका आलेख पढ़कर मैं यह सोचने लगा कि हम भारतीय रिश्तों को कितना महत्व देते हैं। और, इन रिश्तों का आयाम कितना व्यापक होता है। धरती, आकाश की सारी सजीव-निर्जीव चीजों से हमारा भावनात्मक लगाव ऐसा होता है कि आजीवन हमारी स्मृतियों में उनकी महक बसी रहती है। कई पीढियों को अपनी शीतल छाया व फल दे चुका एक वृक्ष हमें हर पल हमारे पुरखों का अहसास कराता रहता है और हम उनकी पावन स्मृतियों से जुड़े रहते हैं।<BR/><BR/>आपका आलेख सुंदर है ही, चित्र भी कम मनमोहक नहीं हैं। चिरंजीवी नोआ वाली पिछली पोस्ट के चित्र भी मन मोह लेते हैं।Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-31889290941390186962009-04-08T13:42:00.000-04:002009-04-08T13:42:00.000-04:00बहुत सुंदर यादें बचपन की। इन्हें पढ़कर मेहंदी हसन ...बहुत सुंदर यादें बचपन की। इन्हें पढ़कर मेहंदी हसन की गाई ग़ज़ल याद आई....<BR/><BR/>कोंपलें फिर फूट आयी हैं, कहना उसे ....दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com