tag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post4264814619741384492..comments2023-11-09T10:02:07.593-05:00Comments on लावण्यम्` ~अन्तर्मन्`: ' बहुत रात गये ' कविता संग्रह से: ग्राम चित्र : लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`http://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-89170923717871700082020-02-18T20:21:18.289-05:002020-02-18T20:21:18.289-05:00भारतीय गाँवों की उनके लोक व्यवहारों, संस्कारों और ...भारतीय गाँवों की उनके लोक व्यवहारों, संस्कारों और दिनचर्या की पूरी झाँकी ही रच डाली है इस गीत में पंडित नरेंद्र शर्मा जी ने। आज तो गाँवों में बहुत बदलाव आ गया है।ओम निश्चलhttps://www.blogger.com/profile/12809246384286227108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-64122705981969625602016-05-12T10:32:50.073-04:002016-05-12T10:32:50.073-04:00पं नरेन्द्र शर्मा के गीतों में लोक-संवेदना की जो...पं नरेन्द्र शर्मा के गीतों में लोक-संवेदना की जो छटा दिखाई देती है, वह अद्भुत है, इस वृहद भाव-गीत में भी किसान की जीवन-शैली, उसकी रोजमर्रा की दिनचर्या और कठिन जीवन की जो छवि कवि ने उकेरी है, वह उस लोक-संवेदना में पूरी तरह डूबे बगैर संभव करना आसान नहीं है। पं नरेन्द्र शर्मा अपने इन्हीं गीतों और इसी गहरी लोक-संवेदना के कारण हमेशा याद किये जाएंगे। उन्हें शत-शत नमन। नंद भारद्वाजhttps://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-55391953104505639192014-09-18T11:43:21.822-04:002014-09-18T11:43:21.822-04:00लावण्या जी,
पंडित जी, आपके आदरणीय पिता की कलम तूल...लावण्या जी,<br /><br />पंडित जी, आपके आदरणीय पिता की कलम तूलिका का यह चित्र प्रेमचंद के गोदान के होरी-धनिया, जायसी के बारहमासा, फणीश्वरनाथ रेणु के "मैला आँचल" के चौपाल पर हुए गीत की याद दिलाने के साथ-साथ जीवन-जगत के सत्य, द्वैत-अद्वैत की व्याख्या, सृष्टि की सनातन प्रक्रिया के मधुर गीत का अद्भुत चित्र है । बीच-बीच में डाले हुये चित्र उस चित्रात्मकता को बढ़ा रहे हैं।<br /><br />आपके ब्लाग पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं छोड पाई, पर सच ही हृदय से आभार, इस गीत को और अपने ब्लाग को बाँटने के लिये। आप का ज्ञान मेरे मार्गदर्शन के लिये अमूल्य है। पढ़कर हैरान थी कि इतना अमृतधन उपलब्ध है और मुझॆ उसकी जानकारी नहीं थी। सच ही बहुत धन्यवाद !<br /><br />इसी तरह स्नेह बनाये रखियेगा।<br /><br />सादर<br />शैलजालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-58914286449529838242014-07-18T02:48:35.494-04:002014-07-18T02:48:35.494-04:00Beautiful..... Picture of India
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लावण्या जी ,
आपके पिता श्री द...Dr.Rama Dwivedi....<br /><br />लावण्या जी ,<br />आपके पिता श्री द्वारा सृजित रचना सच में अप्रतिम है । ग्राम जीवन के समग्र परिदृश्य का इतना जीवंत वर्णन सचमुच अद्भुत है । मेरे शब्द असमर्थ है किन शब्दों में प्रशंसा करूँ समझ नहीं पा रही....|बस आदरणीय पिता श्री को शत -शत नमन करती हूँ । ऐसी रचनाये आज के युग में दुर्लभ हैं इन्हें सहेज कर रखिये । आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार इतनी अद्वितीय रचना से अवगत कराने के लिए एवं कई नए शब्दों से मेरा ज्ञानवर्धन करने के लिए ...पुन : आपका आभार....<br />डॉ रमा द्विवेदी Ramahttps://www.blogger.com/profile/10010943809475838010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-62565188830893747482014-06-15T07:47:29.207-04:002014-06-15T07:47:29.207-04:00ग्राम्य जीवन की खुशबु समेटे एक सुन्दर गीत -आभार! ग्राम्य जीवन की खुशबु समेटे एक सुन्दर गीत -आभार! Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-38975236606982935172014-06-15T01:39:55.276-04:002014-06-15T01:39:55.276-04:00पापा जी को नमन - उनकी रचना पर कहूँगी क्या, निःशब्द...पापा जी को नमन - उनकी रचना पर कहूँगी क्या, निःशब्द हूँ रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-19571993711775185902014-06-15T00:39:49.434-04:002014-06-15T00:39:49.434-04:00वाह क्या क्या सुन्दर दृश्यों का सृजन किया हैं पं ज...वाह क्या क्या सुन्दर दृश्यों का सृजन किया हैं पं जी ने, उनकी स्मृतियों को शत शत प्रणाम Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/11264165272031445545noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-51516567032908494902014-06-14T22:02:02.613-04:002014-06-14T22:02:02.613-04:00बहुत सुन्दर बिम्ब!! जीवंत!!
उम्दा!! आनन्दित मन हु...बहुत सुन्दर बिम्ब!! जीवंत!!<br /><br />उम्दा!! आनन्दित मन हुआ!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-35416744242713622312014-06-14T21:29:20.370-04:002014-06-14T21:29:20.370-04:00दोनों और आषाढी धरती
बाट देखती बीज की !
आई याद ब...दोनों और आषाढी धरती <br /><br />बाट देखती बीज की !<br /><br />आई याद बहु की, जो पीहर <br /><br />गयी हुई है तीज की ! <br />बहुत ही सुंदर किन पंक्तियों पर ना लिक्खूं <br />गुड्डोदादीhttps://www.blogger.com/profile/10381007322183223193noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-3144885542458159952014-06-14T21:28:46.263-04:002014-06-14T21:28:46.263-04:00अद्भुत! गाँव के जीवन से जुड़े तमाम बिम्ब साकार हो ग...अद्भुत! गाँव के जीवन से जुड़े तमाम बिम्ब साकार हो गये।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com