tag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post6222116446758194235..comments2023-11-09T10:02:07.593-05:00Comments on लावण्यम्` ~अन्तर्मन्`: " एक समय की बात है ..."/ श्री कृष्ण बिहारी ‘नूर’ संस्मरण / एक ग़ज़ललावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`http://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-26659685292429230312010-08-09T09:54:48.445-04:002010-08-09T09:54:48.445-04:00विश्वा के संपादन के लिए बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामन...विश्वा के संपादन के लिए बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-57823994886727287052010-04-08T22:26:37.087-04:002010-04-08T22:26:37.087-04:00आपके ब्लॉग पर तस्वीरें हमेशा ही लुभाती रही है ...
...आपके ब्लॉग पर तस्वीरें हमेशा ही लुभाती रही है ...<br /><br />@ मैं ये भी नहीं जानती भविष्य में क्या क्या संभव होगा<br />सिर्फ इतना कहती हूँ , मेरे बच्चों, के जो भी होगा,<br />वह, तुम्हारे लिए, खुशियों की सौगातें लेकर आयेगा '<br /><br />कितनी प्यारी बात कही है किसी अनाम माँ ने .........<br /><br />हर मां यही कहती है ...हर युग में ...काल में ...<br /><br />विश्वा के संपादन के लिए बहुत बधाई और शुभकामनायें ...<br /><br />आपके ब्लॉग पर एक साथ इतना मसाला होता है ... कई दिनों की खुराक मिल जाती है ...वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-2262250964034884872010-04-07T09:35:13.910-04:002010-04-07T09:35:13.910-04:00आज तो लाटरी लग गयी हो मानो ये पोस्ट पढ़ कर ऐसा लगा....आज तो लाटरी लग गयी हो मानो ये पोस्ट पढ़ कर ऐसा लगा. दीदी, एक और बहुत बढ़िया पोस्ट के लिए बधाइयाँ.<br /> <br />नूर का नूर सलामत रहेगा दुनिया में,<br />पोस्ट को पढके तो हमको भी यकीं होता है.अभिनवhttps://www.blogger.com/profile/09575494150015396975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-43470532875997455232010-03-31T14:48:38.277-04:002010-03-31T14:48:38.277-04:00Mere liye to yahan ek khazaneka pitara khul gaya!A...Mere liye to yahan ek khazaneka pitara khul gaya!Aur kya kahun? Ab padhna chalu hoga....shamahttps://www.blogger.com/profile/15550777701990954859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-63549352544429381502010-03-26T17:34:14.216-04:002010-03-26T17:34:14.216-04:00Lavanya Di
Always getting something new on your bl...Lavanya Di<br />Always getting something new on your blog gives immense pleasure to the heart.Many many BADHAIYAN.<br />-Harshad Jangla<br />Atlanta, USAHarshad Janglahttps://www.blogger.com/profile/00844983134116438245noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-65211602062553232292010-03-25T09:44:44.025-04:002010-03-25T09:44:44.025-04:00हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया ...आप का अपनी व्...हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया ...आप का अपनी व्यस्तता में यहां आकर मेरे लिखे को पढ़ना और मेरे आग्रह पर टिप्पणी भी रखते जाना ये मेरे लिए एक बहुत बड़ा संबल है .भविष्य में , लिखते रहना , हिन्दी साहित्य जगत से जुड़े रहना ये मेरे लिए अपार गौरव की बात है <br />हमारी हिन्दी विश्व के लिए अमृत दायिनी बने ये मेरी सच्चे ह्रदय से की हई प्रार्थना है - पुन: पुन: आभार <br />स स्नेह, सादर,<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-46450969487232971662010-03-25T02:28:02.518-04:002010-03-25T02:28:02.518-04:00लावण्या जी,
अच्छा संकलन है.
कभी अजनबी सी, कभी जा...लावण्या जी,<br />अच्छा संकलन है. <br /><br />कभी अजनबी सी, कभी जानी पहचानी सी, जिंदगी रोज मिलती है क़तरा-क़तरा…<br />http://qatraqatra.yatishjain.com/Yatish Jainhttps://www.blogger.com/profile/14283748451497318321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-69719640681674366562010-03-24T22:56:06.681-04:002010-03-24T22:56:06.681-04:00आपके सम्पादन में "विश्वा" और भी निखरेगी ...आपके सम्पादन में "विश्वा" और भी निखरेगी ऐसी आशा है और शुभकामना भी। कहानी पर केन्द्रित आपका सम्पादकीय अभिभूत करता है। अभिव्यक्ति की आपकी शैली अनोखी और मौलिक है। वर्तनी सम्बंधी अशुद्धियां ठीक करके भी एक रचना को पढा जा सकता है इसके लिये क्षमा मांगना बहुत आवश्यक नहीं लगता। एक प्रसंग मुझे याद आ रहा है - कहीं पढा या सुना था कि किसी प्रकाशक या सम्पादक ने अज्ञेय जी से उनके लेखन में हुई अशुद्धियों के सम्बंध में शिकायत की तो उनका (अज्ञेय जी) कहना था कि आपका काम फिर क्या है ! कहने का अर्थ है कि लेखक और सम्पादक एक दूसरे के पूरक हैं। अशुद्धियां ठीक की जा सकती हैं लेकिन लिखने के लिये लेखक वाला हौसला चाहिये जो भाषाविद में हो आवश्यक नहीं।<br /><br />सादर,<br /><br />अमरेन्द्रअमरेन्द्र:https://www.blogger.com/profile/01441622529368131856noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-49795906611865499812010-03-24T16:23:34.496-04:002010-03-24T16:23:34.496-04:00बहुत बढ़िया सामग्री संकलित की है। बधाई।बहुत बढ़िया सामग्री संकलित की है। बधाई।Laxmihttps://www.blogger.com/profile/01605651550165016319noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-80633063052566596382010-03-24T13:39:49.568-04:002010-03-24T13:39:49.568-04:00दीदी, आप हमेशा ही कमाल करतीं है, और ना मालूम कहां ...दीदी, आप हमेशा ही कमाल करतीं है, और ना मालूम कहां से मोती खोज कर लाती हैं, और उस खज़ाने से हमें मालामाल करती हैं.<br /><br />सुना है नूर साहब से किसी नें कृष्ण की कविता में इस्लाम की तारीफ़ करने को कहा था जो उन्होने नें ’इस लाम’ से काफ़िया मिला कर शेर कह दिया था. आपको वह शेर याद है?दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-41306337373345258142010-03-24T12:43:50.602-04:002010-03-24T12:43:50.602-04:00बहुत सुंदर लगा आज का लेख ओर नूर साहब की गज़ल पढ़वाने...बहुत सुंदर लगा आज का लेख ओर नूर साहब की गज़ल पढ़वाने के लिए आप का धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-35260631719186863672010-03-24T11:16:20.267-04:002010-03-24T11:16:20.267-04:00अद्भुत संकलन लिए हुए है पोस्ट ,आपको बहुत धन्यवाद इ...अद्भुत संकलन लिए हुए है पोस्ट ,आपको बहुत धन्यवाद इतनी बेहतरीन प्रस्तुति हेतु.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-11000235902108088612010-03-24T10:56:23.586-04:002010-03-24T10:56:23.586-04:00कहानी और शब्दों के उद्भव से लेकर उनके काल और देश ...कहानी और शब्दों के उद्भव से लेकर उनके काल और देश से ऊपर होने की बात से लेकर, नूर जी का परिचय और रचना सब पसंद आये. अद्भुत पोस्ट !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-10217951100935923842010-03-24T10:32:11.529-04:002010-03-24T10:32:11.529-04:00बहुत बढ़िया पोस्ट. नूर जी के बारे में जानकारी का और...बहुत बढ़िया पोस्ट. नूर जी के बारे में जानकारी का और गज़ल पढ़वाने का धन्यवाद. मुझे तो उर्दू और हिन्दी में कोई फर्क नज़र नहीं आता है जब तक की उसमें प्रचलन से बहार के कठिन शब्द ज़बरदस्ती न डाले जाएँ. <br /><br />विश्वा के कथा विशेषांक के सम्पादन के लिए बधाई. सम्पादकीय का प्री-रिलीज़ पढ़ना अच्छा लगा.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-33066297337714401822010-03-24T05:29:53.587-04:002010-03-24T05:29:53.587-04:00आपके श्रम को नमन!
रामनवमी की हार्दिक शुभाकमनाएँ!आपके श्रम को नमन!<br />रामनवमी की हार्दिक शुभाकमनाएँ!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-2226429969831125772010-03-24T03:27:06.446-04:002010-03-24T03:27:06.446-04:00लावण्यदीदी
प्रणाम !
अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समीति की...लावण्यदीदी<br />प्रणाम !<br />अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समीति की त्रैमासिक पत्रिका " विश्वा " के आगामी अंक<br /> " कथा - कहानी विशेषांक " का सम्पादन कार्य, आपके शुभ हाथो होने जा रहा है किती वडी एवं ख़ुशी कि बात है.<br />मुझे उम्मीद है आप सक्षम है कुशल सम्पादन के लिए -मगल भावना !<br /> नूर को पढ़कर आनंद मिला.<br />राम नवमी की शुभ कामनाएँ.<br /><br /><a href="http://jainbloger.feedcluster.com/forms/add.jsp" rel="nofollow">जैन ब्लोगर परिवार aggregator</a><br /><br /><a href="http://ombhiksu-ctup.blogspot.com/" rel="nofollow">हे! प्रभु यह तेरापन्थ</a>हें प्रभु यह तेरापंथhttps://www.blogger.com/profile/12518864074743366000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-61027371852617414142010-03-24T03:23:55.235-04:002010-03-24T03:23:55.235-04:00दीदी साहब आपके संपादन में निकली इस पत्रिका के अंक ...दीदी साहब आपके संपादन में निकली इस पत्रिका के अंक को पढ़ने के लिये काफी उत्सुकता हो रही है कि किस प्रकार का होगा ये अंक । आपने संपादकीय बहुत ही प्रभावशाली तरीके से लिखा है । विशेषकर मंगला और मानसी वाली बात तो बहुत ही रुचिकर लगी । ये जानकारी मेरे लिये तो हैरत में डालने वाली थी । आपके संपादन में निकली इस पत्रिका का पीडीएफ अंक क्या पढ़ने को मिल सकता है । एक समय की बात है को शी<br />र्षक बना कर आपने जो सम्पादकीय लिखा है वो पढ़ने के लिये बाध्य कर रहा है ।पंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-8963484600469278752010-03-24T02:24:20.742-04:002010-03-24T02:24:20.742-04:00आपके सम्पादन में विश्वा मं सौन्दर्य और उत्कृष्टता ...आपके सम्पादन में विश्वा मं सौन्दर्य और उत्कृष्टता प्रचुर होगी, इसका पूरा विश्वास है। आपको बहुत बहुत शुभकामनायें!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-42663998098899463992010-03-24T01:52:34.003-04:002010-03-24T01:52:34.003-04:00दीदी आपकी ये पोस्ट ज़िन्दगी के कितने ही खूबसूरत रं...दीदी आपकी ये पोस्ट ज़िन्दगी के कितने ही खूबसूरत रंग समेटे हुए है....पढ़ कर आनंद आ गया...बसंत के आगमन और उसके बाद विश्वा के संपादक बनने पर हार्दिक बधाई...आप की रहनुमाई उसे जरूर बुलंदियों पर ले जाएगी...नूर साहब की लाजवाब ग़ज़लें पढवाने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया और इतनी पुरानी फिल्म की ग़ज़ल भी पढवाने का शुक्रिया...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-67075047523417033122010-03-24T01:49:48.105-04:002010-03-24T01:49:48.105-04:00लावण्या जी!
वन्दे मातरम. राम नवमी की शुभ कामनाएँ.
...लावण्या जी!<br />वन्दे मातरम. राम नवमी की शुभ कामनाएँ.<br />नूर को पढ़कर आनंद मिला. वे पल आँखों के सामने फिर साकार होने लागे जब लखनऊ में श्री देवकीनन्दन 'शांत' (नूर के शागिर्द, जानदार गजलगो, सेवानिवृत्त अभियंता) के निवास पर मेरे कविता सन्ग्रह 'लोकतंत्र का मकबरा का विमोचन नूर साहब ने अपने कर-कमलों से कर मुझ पर नजरें-इनायत की थी. उनकी शायरी तो लाजवाब थी ही हिन्दी कविता कि जितनी सूक्ष्म विवेचना उन्होंने की थी वह भूली नहीं जा सकती. मुझ नाचीज़ को उनका इतना प्यार मिला कि मैं धन्य हो गया. आश्चर्य हुआ कि उन्होंने हिन्दी की कविताओं को न केवल पूरी रुचे से सुना, उन पर यथा स्थान दाद दी, नए रचनाकारों की हौसला अफजाई की औए सुधर के तरीके भी बताये. आपका आभार आपने उन पलों को फिर जीने का मौका दिया.Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-64539189431864815722010-03-24T00:36:18.561-04:002010-03-24T00:36:18.561-04:00लावण्या जी:
नूर साहब को सुनने का अवसर मुझे भी एक ब...लावण्या जी:<br />नूर साहब को सुनने का अवसर मुझे भी एक बार मिला था । बहुत तन्मयता से सुनाते थे । आदरणीय कुँअर बेचैन जी उन्हें अपना गुरु मानते हैं और उन के कई रोचक किस्से उन के पास हैं ।<br />नूर साहब की यह गज़ल ’आग है , पानी है...’ मेरे पास उन की स्वयं की आवाज़ में है । आप को अलग से भेज रहा हूँ यदि उसे अपने ब्लौग पर लगाना चाहें तो ...<br /><br />सादर स्नेह के साथअनूप भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-49332424707016236032010-03-24T00:23:18.914-04:002010-03-24T00:23:18.914-04:00लावण्या जी,
बहुत अच्छी रचनाएं. नूर साहब की गज़ल पढ़...लावण्या जी,<br /><br />बहुत अच्छी रचनाएं. नूर साहब की गज़ल पढ़वाने के लिए आभार. विश्वा के सम्पादन के लिए बधाई.<br /><br />रूपसिंह चन्देलरूपसिंह चन्देलhttps://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-3471718593613823162010-03-23T23:58:51.899-04:002010-03-23T23:58:51.899-04:00आपको अपने लक्ष्य में सफलता मिले।
नूर साहब की रचना...आपको अपने लक्ष्य में सफलता मिले। <br />नूर साहब की रचना पसंद आई...अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-47704170709626876322010-03-23T23:30:33.536-04:002010-03-23T23:30:33.536-04:00मैं भी यही कहना चाहूँगी-
" मैं नहीं जानती क...मैं भी यही कहना चाहूँगी- <br /><br />" मैं नहीं जानती के इंसान के शब्द आकाश तक पहुँचते हैं या नहीं<br />मैं ये भी नहीं जानती के ईश्वर मेरे शब्द सुन रहे हैं या नहीं ,<br />मैं ये भी नहीं जानती कि मेरी मनोकामनाएं , पूरी होंगीं या नहीं<br /><br />मैं ये भी नहीं जानती भविष्य में क्या क्या संभव होगा<br />सिर्फ इतना कहती हूँ , के जो भी होगा,<br />वह, तुम्हारे लिए, खुशियों की सौगातें लेकर आयेगा '<br />साथ में ढेर सारी बधाईरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-75109658747388967372010-03-23T23:15:10.685-04:002010-03-23T23:15:10.685-04:00अघा गया। शुभकामनाएँ।
आप का ब्लॉग सुरुचिपूर्ण सृजन...अघा गया। शुभकामनाएँ। <br />आप का ब्लॉग सुरुचिपूर्ण सृजन का एक दमकता उदाहरण है। <br />गद्य के जिस स्वरूप का मैं अभिलाषी रहा हूँ वह इस पोस्ट में 'एक समय की बात है ...' से आगे दिखता है - सरल, अर्थपरक, प्रवाहशील और आत्मीय। <br />आभार ।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.com