tag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post7911228610350956264..comments2023-11-09T10:02:07.593-05:00Comments on लावण्यम्` ~अन्तर्मन्`: ३ गीत जिन्हेँ आप ने शायद सुना हो या ना सुना हो ...लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`http://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-14164729612165145052007-06-07T14:33:00.000-04:002007-06-07T14:33:00.000-04:00समीर भाई साब,आप के आने से ही तो अब "महफिल" मेँ अँत...समीर भाई साब,<BR/>आप के आने से ही तो अब "महफिल" मेँ अँतरिक्ष का टच आया है ! आखिर, "उडनतश्तरी " के चालक से हम " आउटर ज़ोन " की ताज़ा हवाओँ से वाकिफ हो पाते हैँ ना !! :-)<BR/> बहुत स्नेह के साथ,<BR/>-- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-32559325044213125342007-06-07T14:28:00.000-04:002007-06-07T14:28:00.000-04:00सागर भाई सा' ,नमस्ते ! केम छो तुमे ? ग़ुजराती मारी ...सागर भाई सा' ,<BR/>नमस्ते ! <BR/>केम छो तुमे ? ग़ुजराती मारी मातृभाषा ने सुरत मरी अम्मा ना कुटुँब ना लोको नुँ मूळ वतन -- पण २०० वर्ष थये तेओ मुँबईगराँ थई गयाँ हताँ.:-)<BR/>अब, हिन्दी गीतोँ के लिन्क आपने सुने और पसँद किये ...तो मुझे बडी खुशी हुई !<BR/>आपकी प्रस्तुति "गीतोँ की महफिल " भी देखी, गाने भी सुने -- बहोत आनण्द आया ! आभार !<BR/>आप सभी को गाने सुनकर प्रसन्नता हुई तब मेरी भी कोशिश रहेगी कि ऐसी पोस्ट देती रहुँगी --<BR/>आपके स्नेह के प्रति आभारी,<BR/> स स्नेह,<BR/>-- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-55514701600035325792007-06-07T12:46:00.000-04:002007-06-07T12:46:00.000-04:00बहुत बेहतरीन प्रस्तुति. मैने तो तीनों ही पहली बार ...बहुत बेहतरीन प्रस्तुति. मैने तो तीनों ही पहली बार सुनें. आभार आपका. ऐसे ही महफिल लगती रहे, यही कामना है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-43371511965140694152007-06-07T09:44:00.000-04:002007-06-07T09:44:00.000-04:00आदरणीय लावण्याजीसादर प्रणामआपको किन शब्दों में धन्...आदरणीय लावण्याजी<BR/>सादर प्रणाम<BR/>आपको किन शब्दों में धन्यवाद दूं पता नहीं क्यों कि शब्द ही नहीं हे मेरे पास। आपने आज एक संगीत भूखे को जो दिया है वह अमूल्य है। बंगाली समझ में नहीं आती पर संगीत की तो कोई भाषा नहीं होती सो एक एक गाने को कम से कम पाँच बार सुना होगा और कह्हाँ जाते हो को तो पता नहीं कितनी बार सुना होगा। <BR/><BR/><BR/>आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप इस कड़ी को जारी रखें और हमारी भूख प्यास बुझायें। <BR/>मैने इस पर एक छोटा सा प्रयास किया है आप देख कर सलाह देवें। <BR/><A HREF="http://mahaphil.mypodcast.com/" REL="nofollow">गीतों की महफिल</A><BR/><BR/><A HREF="http://www.nahar.wordpress.com" REL="nofollow">॥दस्तक॥</A>Sagar Chand Naharhttps://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-66159018141787701462007-06-07T01:30:00.000-04:002007-06-07T01:30:00.000-04:00नसीरुद्दीन जी,आदाब !आपने सलील दा के गीतोँ को बारीक...नसीरुद्दीन जी,<BR/>आदाब !<BR/>आपने सलील दा के गीतोँ को बारीकि से सुना है और पसँद किया है जानकर खुशी हुई !<BR/>"ऐ मेरे प्यारे वतन " एक ऐसा सदाबहार गीत है कि सच मानिये जब भी सुना है, आँखेँ नम हो गईँ हैँ !<BR/>मेरे बेटे को पहली दफा कोलिअ पढने के लिये छोडकर आये तो एक दोस्त के घर ठहरे थे -पराया शहर और<BR/>काबुलीवाला की डीवीडी शुरु होते ही ये गीत तक आते आते मन इतना भारी हो गया कि फिल्म रोकने को कहना पडा था -- अमरीका मेँ ये गीत को सुनना, कितने आँसू दे जाता है , क्या कहेँ ! सलिल दा का जादू ही है जिसे समय भी मिटा नहीँ पाया , अब तक !<BR/>उनकी प्रतिभा वस्तुत: बहुमुखी रही है .लोकगीत, जन जागरण के गीत और मधुरता लिये सारे बाँग्ला गीत तो लता दीदी के गाने से भूलाये न भूलेँगेँ ..हर सँगीत प्रेमी के ये सारे गाने चहेते बन कर रहेँगेँ सदा ! इसी को "कालजयी सँगीत " कहते हैँ <BR/><BR/>स स्नेह,<BR/>लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-84355522394830521482007-06-07T01:19:00.000-04:002007-06-07T01:19:00.000-04:00युनूस भाई,आदाब !सबसे पहले तो आप से एक शिकायत है मे...युनूस भाई,<BR/>आदाब !<BR/>सबसे पहले तो आप से एक शिकायत है मेरी ! हम आपकी आवाज़ भी सुनना चाहते हैँ -- क्यूँकि कभी सुनी नहीँ ना इसलिये !:-) पहले भी आपको लिखा था -- आशा है, जल्दी से लिन्क भेजेँगे -- <BR/>और जो अँतिम गीत है, उसका लिन्क मैँने इस वेब साइट से लिया है -- सच मानो, ये पणिकर जी ने शास्त्रीय सँगीत और फिल्मी गीतोँ के बारे मेँ खज़ाना ही सँजोकर रखा है ! देखियेगा ~~ http://www.sawf.org/bin/tips.dll/getcontributions?user=Sawf&contributor=Rajan+P.+Parrikar&class=EZine&subclass=EZine&pn=Contributors<BR/>और अब बात विविध भारती के ५० वर्ष पूरे होने पर आपका तम्मम लोगोँ को उन्हीँ की यादोँ के सहारे विविध भारती के सँग जोडने का खयाल बढिया है ! जरा विस्तार से बतायेँ मेरे लायक जो भी काम होगा मैँ हाज़िर हूँ <BR/>आखिर पापा जी की बेटी हूँ ना ! विविध भारती के जनक थे मेरे पापा जी ! बस आप आदेश देँ ..तकनीकी मामलोँ मेँ मैँ अनाडी हूँ पर सिर्फ एक ई - मेल की दूरी पर हूँ ! <BR/>कश्मीर की झेलम नदी हाउस बोट मेँ एक हफ्ता गुज़ारा था वहाँ पर भी सुबह से ही विविध भारती के गाने सुनाई देते थे ...बम्बई के पोश इलाकोँ के फ्लेटोँ से लेकर डाँडा, खार, की कोळी मछुआरोँ की बस्ती तक वही हमारा चहेता विविध भारती और वही गाने ...गरीबोँ या अमीरोँ की दुनिया हो जैसे सूरज अपनी रोशनी लुटाता है सब पर, भेदभाव किये बिना, वही किस्सा रेडियो प्रसारण के साथ भी है ...और भी बहुत कुछ ...है !<BR/>मैँ अक्सर, मेरे पापाजी, लता दीदी और विविध भारती जैसे विषयोँ के बारे मेँ जरा ज्यादा ही भावुक हो जाती हूँ और मेरी बयानी लम्बी हो जाती है ..स स्नेह,<BR/>लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-2809014136063341072007-06-07T00:34:00.000-04:002007-06-07T00:34:00.000-04:00लावण्या जी, आपने सलील दा की याद ताजा करा दी। मेरा ...लावण्या जी, आपने सलील दा की याद ताजा करा दी। मेरा पास एक कैसेट हैं, लता मंगेशकर सिंग्स फार सलील चौधरी। उसमें करीब डेढ दर्जन बांग्ला गाने हैं, जो अद्भुत हैं। सलील दा की जो सबसे अहम खासियत है कि उन्होंने दुनिया भर के संगीत से प्रेरणा ली, उसे अपनाया, अपने संगीत में ढाला पर न तो उसे छिपाया और न ही उसकी चोरी की। काबुलीवाला का गाना 'ए मेरे प्यारे वतन' ... हो या फिर अपनी लोकधुन को नये सिरे से संजोने वाला मधुमति का गीत 'बिछुआ...चढ् गये पापी बिछुआ' हो...इसके सटीक उदाहरण होंगे... और सलील दा की इससे इतर बडी पहचान भी है... जन संगीतकार की... जब भी प्रश्न उठे, ध्वंस की सृष्टि, उत्तर अपना सृष्टि सृष्टि... जैसे गीत और संगीत इसी पहचान की सृष्टि हैं<BR/>सलील की याद दिलाने के लिए शुक्रिया...ढाईआखरhttps://www.blogger.com/profile/01652717565027075912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4559075607109953498.post-58767960702407928502007-06-06T23:54:00.000-04:002007-06-06T23:54:00.000-04:00लावण्या जी, मैंने सात भाई चंपा तो पहले भी सुन रखा...लावण्या जी, मैंने सात भाई चंपा तो पहले भी सुन रखा था, पर बाक़ी दोनों गीतों पर कभी मेरा ध्यान ही नहीं गया था । पिछले बरस जब लता जी की फ़ोन पर रिकॉर्डिंग की थी तो उन्होंने भी इस गीत का जिक्र करते हुए कहा था कि ये उन्हें बहुत पसंद है । इस बार मुलाक़ात में भी उन्होंने कहा कि हिंदी और मराठी के अलावा बांगला में वो बहुत सहजता से गा पाती हैं । मुझे ये बताईये कि तीसरा गीत के0 महावीर वाला क्या गैरफिल्मी है । क्या आपको पता है कि ये किस रिकॉर्ड से लिया गया है । इतने सुंदर गीतों की प्रस्तुति के लिए आभार । और हां एक बात और । बहुत जल्दी हम कुछ लोग रेडियोनामा नामक एक ब्लॉग शुरू कर रहे हैं । शुरूआत में तो ये विविध भारती के पचास वर्ष पूरे होने पर विविध भारती के चाहने वालों का एक मंच होगा । जिसके ज़रिए लोग बताएंगे कि विविध भारती ने उनकी जिंदगी के कौन से लम्हे बांटे हैं । और बाद में हम इसे रेडियो की दुनिया के लिए खोल देंगे ताकि लोग बता पायें कि लोग रेडियो से किस किस तरह की चीज़ें शेयर करते हैं । क्या महत्त्व है रेडियो का उनकी जिंदगी में । आपके सहयोग के बिना ये कारवां आगे नहीं बढ़ पायेगा ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.com