
कि वे भी दुल्हन को लेकर विवाह मँडपे में, साडीयाँ पहन कर दाखिल होँ -
वे पाँचोँ , ब्लाउज़ और पेटीकोट पहने, साडीको दुशालाया खेस बनाकर, कँधे पे डाल कर, ऐसे ही , अर्ध - वस्त्र अवस्था मेँ खाना खाने आ पहुँचीँ .!!
तो उन्हेँ ६ वार की साडी तो ... " भूल भूलैया " ही लगेगी ना !
आप सब, भीतर कमरे मेँ चलो, वहीँ पे खाना पहुँचा दिया जायेगा ...

परदेसी ललना गोपी के भेस मेँ ,सर पर कान्हा को रीझाने के लिये दुग्ध भरी माटी की, रँगोँ से सजायी हँडिया लिये मुस्कुराती हुई भारत की सडकोँ पर चल रहीँ हैँ जिसे देखकर ये विचार आ रहा है कि भारतीय सँस्कृति व्यापक हो रही है ! भारत के शहरोँ की अत्याधुनिक महिलाएँ,पेन्ट टी शर्ट,बाँह बिना के, खुले कपडोँ मँ दीखने लगीँ हैँ और कोलिज जाती लडकियोँ के परिधान,अब, पास्चात्त्य पध्धति के , आम तौर पर दीखने लगे हैँ,भारत की सडकोँ पर, ये नजारा, आम होता जा रहा है

और ये अँतिम छवि है ...सुप्रसिध्ध सिने कलाकार श्री सशि कपूर जी की ब्रिटीश पत्नी जनीफर केन्डल की बिटियासँजना कपूर की जो , भारत मेँ ही जन्मी, पलीँ, बडी हुईँ हैँ..
ब्रिटेन की आधी + आधी हिन्दुस्तानी विरासत लिये, साडी बाँधे कितनी सहज व प्यारी दीख रहीँ हैँ ...
ये भी कह दूँ कि, इतने बरस विदेश मेँ रहते हुए भी मैँ यही मानती हूँ कि साडी जैसा सुँदर पहनावा, स्त्री के लिये दूजा कोई नहीँ .
.हर तरह की साडी से नारी आकृति की शोभा को गरिमा व असीम सौँदर्य मिलता है ..साडी सदीयोँ से चला आ रहा ऐसा पहनावा है ..जो स्त्री को अधिकाधिक मोहक बनाता है , हर ऐब को ढँकने मेँ सक्षम,साडी, हर नारी के बाह्य सौँदर्य को निखार कर, आकर्षक रुप प्रदान करती है ..यही नहीँ..आँचल की ओट किये, जलता दीपक ले जाती नारी आकृति ने कई मनमोहक छवियाँ प्रस्तुत कीँ हैँ ..और हर बच्चे की स्मृतियोँ मेँ उसके माँ के आँचल को, कस कर थाम ने की छाप अमिट, बसी हुई होती है. , ये मेरा निजी मत हो ...परँतु,साडी सच मेँ मेरा सर्वप्रिय परिधान है और रहेगा
सच कहा आपने . साड़ी बहुत सुन्दर परिधान है और पहनते ही रूप में एक अलग निखार जाता है.
ReplyDeleteवाकई साड़ी एक ऐसा परिधान है जिसे हर कोई पहन सकता है। और मजे की बात ये कि साड़ी हर किसी के ऊपर खूब फबती है या सुन्दर लगती है । फोटो अच्छे आये है।
ReplyDeleteकाफी कुछ जैसा परिवेश होता है वैसा ही हमारा पहनावा हो जाता है. उसमें कुछ भी अच्छा या बुरा निर्धारित किया जाए ये कम ठीक लगता है.. ख़ास कर किसी बाहर के देश के व्यक्ति के द्वारा. पर जो भी हो... नारी की गरिमा का अद्भुत प्रदर्शन है आपकी तस्वीरों में.
ReplyDeleteLavanyaji
ReplyDeleteYour statement about Saree is true to every word.Its elegant and decent too.
Nice blog with good pictures.
Thanx.
साड़ी पहनने के बात शालीनता आती है जो अन्य परिधान में शायद नहीं।
ReplyDeleteमीनाक्षी जी सही कहा आपने -
ReplyDeleteटिप्पणी का शुक्रिया -
ममता जी आपकी
ReplyDeleteटिप्पणी का भी बहुत बहुत शुक्रिया
फोटो पसम्द करने के लिये भी -
पुनीत जी, आपने सही लिखा है प्रविष्टी व तस्वीरोँ को पसँद करने का शुक्रिया -
ReplyDeleteHarshad bhai,
ReplyDeleteThank you so much for your generous & kind words
उन्मुक्त जी मैँ आपकी बातोँ से सहमत हूँ
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