Friday, October 29, 2010

पतझड और शीत की लहर + ये है - हालोईन का त्योहार !

पतझड और शीत की लहर + ये है - हालोईन का त्योहार ! मेरा ग्रांड सन ( नाती नोआ ) स्कूल के बच्चों के संग


ये आलेख हिन्दी की तेज़ी से प्रसिध्ध हो रही सँपादक श्री जयप्रकाश मानस द्वारा स्थापित वेब - पत्रिका, " सृजन गाथा " से साभार " अमेरीकी पाती " स्तँभ के अँतर्गत मेरे द्वारा लिखा गया है

बडे से कद्दू को इस तरह काँट -छाँट कर घर के सामने, ड्योढी पर सजाया जाता है और उसके बीच जलती मोमबत्त्ती भी रखी जाती है
पम्पकीन माने कद्दू की इलेकट्रीक लाइट
नन्हे मुन्नोँ को इस तरह के कपडोँ से सजाया जाता है ताकि बाहर ठँड से सुरक्षा मिले और ये राजकुमार मधुमक्खी बने हुए कितने खुश हैँ ! :)
हाँ वयस्क लोग काफी डरावने या बिलकुल मनमौजी किस्म के परिधान पहनते हैँ --

http://nascarulz.tripod.com/hwpix2.html

पतझड और शीत की लहर ,
साल के अँतिम महीनो की कुदरत प्रदत्त सौगात है हम मनुष्योँ के लिये. सितम्बर माह पूरा हुआ और अक्तूबर भी भागा जा रहा है.
इस वर्ष ठँड का मौसम कहीँ ओझल हुआ सा लग रहा है.
अन्यथा, यहाँ तक आते आते तो सारे पेड रँगोँ की चुनरिया ओढे धीरे धीरे
पतोँ कोजमीन पर बिछाते दीखलाई पडते. मेरे आवास के ठीक सामने एक सुदर्शन पेड है.
पाँच, त्रिकोणाकार की पत्तीयाँ सजाये एक ही पत्ती मेँ, लाल, कत्थई,मरुन,केसरी,पीला,हरा इतने सारे रँगोँ का सम्मिश्रण लिये, कुदरत का करिश्मा सा लगता है वो मुझे !
फिर सारे पत्ते, तेज़ हवाओँ के साथ, टूट कर,गिरने लगते हैँ और पेड, सिर्फ शाखोँ को सम्हाले,खडा ठिठुरने लगता है. इसी पतझड के साथ नवरात्र का त्योहार भी आ जाता है.
अमरीका के हर शहर मेँ भारतीय लोग, मिल जुल कर,
माँ जगदम्बा की प्रतिष्ठा करते हैँ.
मिट्टी के कलश मेँ दीप रखा जाता है, जिसके छिद्रोँ से पावन प्रकाश बाहर आता रहता है और सुहागिन की नत काया को आशिष देता है. माता की चौकी भी सजती है. श्रध्धालु भक्त ९ दिनोँ तक उपवास भी करते हैँ तो स्त्रियाँ औरबच्चे, गरबा मेँ तल्लीनता से,
दूर भारत के गुजरात के गाँवोँ मेँ गाये गरबे , उसी भक्ति भाव से गाते हुए दीखलायी देते हैँ.
अभी गणेशोत्सव सँपन्न हुआ और अब, साक्षात माँ भवानी का आगमन हुआ है.
आरती
के बाद, प्रसाद भी बाँटा जाता है -- मँदिरोँ की शोभा देखते ही बनती है.
बँगाली कौम के लोग दुर्गोत्सव मेँ माँ दुर्गा के स्वरुप की स्थापना करते हैँ.
यही
तो भारतीय सनातन धर्म की रीत है जो हर जगह अपना अस्तित्व नये सिरे से
बना कर दुबारा पल्लवित हो जाती है.
अमेरीका मेँ भी इसी ऋतु मेँ अलग किस्म के त्योहार मनाये जाते हैँ.
जिसका नाम भी बडा अजीबोगरीब है !
जी हाँ, ये है, " हालोईन का त्योहार !
३१ अक्तूबर , अँतिम रात्रि को आइरीश मूल के लोग, १ नवम्बर से पहले अपने मृतक पूर्वजोँ के लियेमोमबतीयाँ जला कर, प्रार्थना किया करते थे.
उनकी मान्यता थी कि मृतक आत्माएँ १ नवम्बर के अगली रात्रि को धरती पर लौटतीँ हैँ -
जिसकी नीँव रखी गयी थी, २००० र्षोँ से पहले !
"समहेन" केल्टीक याने आयर्लैन्डके लोगोँ के यम देवता हैँ --
सो, तैयार हुई फसल की कटाई के बाद,
विविध प्रकार के परिधानोँ मेँ सज कर,
जली हुई मोमबतीयाँ रखीँ जातीँ थीँ कि जिससे प्रेतात्मा की बाधा ना हो और दूसरे दिवस की सुबह, हर आत्मा की भलाई के लिये पूजा करके बिताई जाती थी. ७ वीँ शताब्दि के बाद औयरलैन्ड से चल कर समूचे युरोप मेँ ये प्रथा, प्रचलित हुई और जब वहीँ से प्रवासी, अमरीका भूखँड बसाने आये तो अपनी रीति रीवाज, रस्मोँ को त्योहारोँ को भी साथ लेते आये.
आज अमरीका मेँ बीभत्स, भयानक, वेश भूषा, पहन कर लोग एक दूसरे को डराते हैँ तो कई सारे मनोविनोद के लिये, तस्कर, खलासी,नाविक, नर्स,राजकुमारी, कटे सर से झूठ मूठ का रक्त बहता हो ऐसे या डरावने मुखौटे लगा कर, सुफेद, लाल, नीले पीले, हरे ऐसे नकली बाल लगा कर ,विविध रुप धर लेते हैँ और अँधेरी रात मेँ खुद डर कर मजा लेते हैँ या औरोँ को डराने के प्रयास मेँ तरकीब करते हैँ. छोटे बच्चोँ के साथ उनके माता पिता भी रहते हर घर पर दस्तक देकर बच्चे पूछते हैँ," ट्रीक ओर ट्रीट ? "
मतलब, कोई करतब देखोगे या हमेँ खुश करोगे ?
तो घर से लोग बाहर निकल कर,
चोकलेट, गोली, बिस्कुट इत्यादी उनकी झोली मेँ डाल देते हैँ.
खूब सारी केन्डी मिल जाती है बच्चोँ को !
कई बुरे सुभाव को लोग, बच्चोँ को परेशान भी करते हैँ
इसलिये टी.वी. पर खूब सारी,हिदायतेँ दीँ जातीँ हैँ -
- खैर ! जैसा देश, वैसे त्योहार !
अब भारतीय लोग नवरात्र के साथ साथ
हेलोईन भी मना ही लेते हैँ
और द्वार पर आये बच्चोँ का मन तोडते नहीँ - !
मेरा ग्रांड सन ( नाती नोआ ) स्कूल के बच्चों के संग
( उसने " Cowboy " काव - बॉय का भेस लिया हुआ है )
आजकल, अमरीका के हर मोल की दुकान पर या घरोँ की सामने हर घर की ड्योढी पर, केसरी रँग के कद्दू,मक्का, और खेत मेँ रखते हैँ वैसा गुड्डा सजाया दीख जाता है.
और इस तरह परदेस मेँ रहते हुए भी,
अब भारतीय लोग नवरात्र के साथ साथ हेलोईन उत्साह से मनाते हैँ
और द्वार पर आये बच्चोँ का मन तोडते नहीँ --
विश्व का सबसे विशालकाय कद्दू !!!

क्या ये बात जानते हैँ आप कि, विश्व का सबसे विशाल कद्दू, १६८९ पाउन्ड का है
जिसे
" जो जुत्रास " नामके एक शख्श ने,
सितम्बर २९ , २००७ के दिन, मेसेचुसेट्स प्राँत मेँ दर्ज करवा कर,
विश्व के सबसे विशालकाय कद्दू उगानेवाले का इनाम जीत लिया.

अब चलूँ ......
.-
- स स्नेह, -- लावण्या -- Lavni :~~

7 comments:

संगीता पुरी said...

बहुत ज्ञानवर्द्धक पोस्‍ट ..

Smart Indian said...

सुन्दर आलेख। सारा देश इस समय हेलोईनमय हुआ जा रहा है।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

मजेदार जानकारी देती पोस्ट ..रंगबिरंगी दुनियाँ.. रंग बिरंगी खुशियाँ..।
..ई मोमबत्ती वाला कद्दू तो गजबै है..शुभ दीपावली।

अजित गुप्ता का कोना said...

पता नहीं वहाँ नरक के डर से इतना क्‍यों डराया जाता है बच्‍चों को? बच्‍चा रात को भी डर के कारण सो नहीं पाता। मेरे पोते को भी यही सिखाया जा रहा था कि ऐसा करो नहीं तो मोनस्‍टर आ जाएगा। वह रात में भी डरता रहता है। मैंने कहा कि नहीं बेटा मोनस्‍टर कुछ नहीं होता, रात को तो परियां आती हैं जो अच्‍छे बच्‍चे होते हैं वे उनके साथ खेलती हैं।

प्रवीण पाण्डेय said...

बाप रे बाप।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

हमारे लिए तो यह बिल्कुल नई जानकारी है!
--
चित्रमयी प्रस्तुति बहुत बढ़िया रही!

Harshad Jangla said...

Very Interesting info.

-Harshad Jangla
Atlanta, USA