Thursday, January 31, 2008

माँ ओर शिशु

आप से एक नन्ही सी इल्तजा है, ये पोस्ट पढ़ने से पहले, आप अपनी माँ का ध्यान कीजिए तब आप के भीतर का शिशु , ममता के महासागर में गहरे तक , उतर सकेगा।
माँ का प्यार आपके करीब होगा -
बाल गोपाल माँ यशोमती की गोद बैठे माखन मीस्री खा रहे हैं
गायक : के। एल। सहगल साहब
शब्द: डी। एन मधोक
संगीत : ज्ञान दत्त
फिल्म : सूरदास

गवांन युइन चीन की देवी हैं जिनका स्वरूप , ईसु की माता मेरी से मिलता जुलता है
वे दया और असीम करुना की देवी हैं - Guan Yin (अवलोकितेश्वर ) का पुरुष स्वरूप है और बोधीसत्व भी उन्हीं का रूप है .वे अमरता लिए हुए हैं और सदा विश्व के हर पीड़ित की आर्त्र पुकार सुनतीं हैं वे जापान में Kanzeon (観世音); तो कोरिया में Kannon (観音 ) के नाम से प्रख्यात
हैं देखिए लिंक http://en।wikipedia.org/wiki/Guan_Yin
ब्रिटनी स्पीयर अपनी संतान को भारतीय मन्दिर में दर्शन करवाने ले गयीं थीं उस समय , वे पॉप सीन्गर, तिलक लगाए माँ के रूप में प्रसन्न दीख रही हैं और आज, दुख की बात है परन्तु, वे , अपनी जीवन शैली की वजह से, मनोरोग चिकित्सा करवा रहीं हैं :-(
अन्तिम चित्र में दुखियारी माँ की पीडा मूर्त हो गयी है
गोद में शिशु अनजान है अपनी परिस्थिति से -

और सूरदास फिल्म के गीत का लिंक है सहगल साहब की सदाबहार आवाज़ का जादू है जों १९४२ में बनी , इस पुरानी मेलडी के जरिये सुनिए : ~~~~~ http://www.musicindiaonline.com/p/x/8JKmyvK12S.As1NMvHdW/

गायक : के। एल। सहगल साहब
शब्द: डी। एन मधोक
संगीत : ज्ञान दत्त
फिल्म : सूरदास

Wednesday, January 30, 2008

બાપુ : મોહનદાસ કરમચંદ ગાંધી / टुकड़े टुकड़े विसर्जन

अपने हाथ से बुने खादी के वस्त्रों में , गाँधी बापू सर्दियों में सुफेद वस्त्रों में लिपटे , मुस्कुराते हुए महात्मा गांधी
नीलम बेन परीख , बापु जी की पड़ पौती, चौपाटी बंबई में, महात्मा गांधी जी की अस्थि विसर्जन करते हुए , साथ में उनके कई परिवार जन , भी साथ थे।
कलश को मणि भवन से शोभा यात्रा में, देश के
सर्वोच्च नागरिक सम्मान सहित बिदा किया गया .
१९४८ की १२ फरवरी के दिन, अलाहाबाद के पवित्र संगम पर महात्मा गांधी के पार्थिव शरीर की अस्थियों को प्रवाहित किया गया था।
फिर १९९७ के दिन, गांधी जी के पोते श्री तुषार गांधी ने
बापू की अस्थियों के कलश को फिर संगम में प्रवाहित किया -
- ये दूसरा कलश, एक बैंक के लोकर से प्राप्त हुआ था।
उस घटना के बाद सं २००८ में , ३ रा कलश मिला !
जिसे बंबई शहर के गिरगाम, चौपाटी के समुद्र किनारे पर,
जल में प्रवाहित किया गया।
ये तीसरा कलश, दुबई के एक व्यापारी के पास
सुरक्षित रखा हुआ था और उसने बंबई के संग्रहालय को भेजा था।
बापू की अस्थियों का ४ था कलश, पुणे शहर में आगा खान महल में था
जहाँ पर बापू को १९४२ से १०४४ तक अंगरेजी हुकूमत के आदेश पर बंदी बनाकर रखा गया था।
५ वां कलश अमरीका के "लोस -एंजिलिस " शहर में
Self-Realization Fellowship Lake Shrine के पास सुरक्षित है।
और श्रेध्धेय बापू की अस्थिंयाँ, जहां कहीं भी रखीं हों
वहां पर , श्रध्धालुओं के दर्शन करने आना, स्वाभाविक - सी बात हो जाती है।
बापू ने अहिंसा, प्रेम, सदाचार, सर्व धर्म समभाव, सत्याग्रह, सत्य निष्ठा , भारत छोडो, स्वराज्य , खादी , आश्रम निवास, अस्पृश्यता उन्मूलन , हर मानव को समान मानो, सर्वोदय , शुचिता व स्वछता के प्रति आग्रह , खेतिहर किसान, मजदूर के प्रति प्रेम व उनके उन्नति के लिए प्रयास
ऐसे कई सारे सत्कार्य बापू जी ने किये थे।
कई बुरी बातों का और फैसलों के प्रतिकार स्वरूप
बापू जी ने उपवास और अनशन किये थे।
ऐसे भारत के रत्न को ,
आज सच्चे मन से प्रणाम करते हुए, मेरे श्रद्धा सुमन अर्पित हैं --

Saturday, January 26, 2008

काला रंग चमक उठा !


काले गुलाब का फूल और वायोलेट के फूल की सुगँध से मिश्रित लक्स साबुन अब बाजार मेँ आ गया है -- आप का क्या रुझान है ?
आप सुफेद लक्स, गुलाबी मोती का गुलाब की सुगंध लिए या हरा हमाम , तोतई रंग का लीरील, या आयरिश स्प्रिंग, आसमानी नीला , पीला लक्स , केसरी, बादामी, चंदन की गंध लिए मैसूर साबुन या के कत्थई पीयर्स की पारदर्शक टिकिया या गहरे हरे रंग की खस के इत्तर की सुगंध वाली चौकोर बड़ी , मोती साबुन की टिकिया में से किस रंग का साबुन , इस्लेमाल करना पसंद करेंगें ?
आपका प्रिय साबुन कौन सा है ?

हमने , पहले काले दंत मंजन का उपयोग किया हैं
विको वज्रदंती का लाल मंजन भी खूब यूझ किया है
...पर अब तो , विदेशी , वस्तुएं ही उपयोग में लेते हैं
अब इसे भी इस्तेमाल करके देख लेंगें ....

भारत की आम जनता के लिए उत्पादक
नित नए उत्पादन की इजाद कर रहे हैं

बाजार की पहुंच , भारत के बाहर तक फ़ैली हुई है
मध्यवर्गीय धन खर्चा करने की
क्षमता ,
दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढ़ रही है।
फिर, क्यों न नित नये प्रसाधनों को लॉन्च किया जाये ?


http://addshots.blogspot.com/2007/11/lux-black-soap-provocateur.html
आफ्रीका में भी इस तरह का "काला साबन " बना है ....
http://www।inesscents.com/store/product.php?productid=22&cat=3&page=1
इसी बात पे महमूद का सुविख्यात गीत याद आ रहा है, जों हर व्यक्ति इस साबुन को खरीद कर गायेगा ...
"हम काले हैं तो क्या हुआ दिल वाले हैं ! "

Thursday, January 24, 2008

सुवर्ण सुन्दरी : " कुहू कुहू बोले कोयलिया "


सुवर्ण सुन्दरी १९५७ में बनी हिन्दी फिल्म थी। जिसका गीत ' कुहू कुहू बोले कोयलिया " जिसे रफी साह'ब ओर लता जी ने गाया था, आज भी संगीत प्रेमियों के मध्य बहुत प्रसिध्ध है --

आदीनारायण राव जी के अद`भुत स्वर संयोजन में लय बध्ध किये हिन्दी फिल्म जगत के , सबसे कठिन गीतों में से एक में , शुमार किये जानेवाले इस गीत ने , सदा के लिए , संगीत प्रेमियों के ह्रदय में ,अपना ख़ास स्थान रखा है...

ये आदी नारायण जी के अन्य गीतों की सूची है ...जिसमें से कई सारे भजन हैं।

हर गीत , में , स्वर संयोजन की प्रतिभा ,इतनी अव्वल दर्जे की है कि वो सुननेवालों को भाषा से परे , आध्यात्म जगत में खींच कर ले जानेमें सक्षम है ..


सुवर्ण सुन्दरी एक लोक कथा है जहाँ, एक गन्धर्व कन्या , एक मनुष्य से प्रेम करने लगती है जिसे गलत कारणों से देश निकाला दिया जाता है -

हर कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि को इनका मिलन होता है
देवराज इन्द्र कुपित होकर सुवर्ण सुन्दरी को श्राप देते हैं
जिस की वजह से, राजकुमार उसे भूल जाता है -
आगे की कथा भी रोचक है -
ये फ़िल्म पहले , तमिल व तेलेगु भाषाओं में बनी-
फिर हिन्दी में भी , अपने सुमधुर गीतों के कारण
असीम सफ़लता प्राप्त कर पाई -
ख़ास तौर से, प्रसिध्ध नायक और नायिका के न होते हुए भी
शास्त्रीय संगीत से सजे मधुर गीतों के कारण !
अब देखिये रागमालिका तमिल में --

और ये हिन्दी राग मालिका " कुहू कुहू बोले कोयलिया "



Thursday, January 17, 2008

मेहंदी मालवा से, जिसका रंग निखरा गुजरात में (एक लोक -गीत )

हाय, हाथों में मेहंदी ...सजी दुल्हन...
अब , ये , दुल्हन , ससुराल चली
!
पांवों में महावर , पहने हो झांझर, दुल्हन , ससुराल चली !ये गुजरात का सबसे ज्यादह , गाया जानेवाला " गरबा -गीत " है
मेहंदी मालवा में उगाई गयी थी पर आज इसका रंग निखारा है दुल्हन के मेहंदी में, जों गुजरात में , ससुराल जाने के लिए, सोलह श्रंगार किये, सजी हुई है।
जिसे यहां, हिन्दी भाषांतर सहित प्रस्तुत करते हर्ष हो रहा है -
गुजराती ब्लोग जिसे जयश्री जी लिखतीं हैं उसी से साभार --
गीत सुनने के लिए क्लीक करें --

સ્વર : લતા મંગેશકર

તન છે રૂપનું હાલરડું ને આંખે મદનો ભાર
( तन है रूप की लोरी आंखों में मद अपार )
ઘૂંઘટમાં જોબનની જ્વાળા ઝાંઝરનો ઝમકાર

घूंघट में यूवानी की ज्वाला, झांझर के झंकार
લાંબો છેડો છાયલનો, ને ગજરો ભારો ભાર
लंबा आँचल चुनरी का, गजरों की बहार
લટકમટકની ચાલ ચાલતી જુઓ ગુર્જરી નાર
लटक मटक चाल चलती, देखो गुर्जरी नार !
મેંદી તે વાવી માળવે ને એનો રંગ ગયો ગુજરાત રે
मेहंदी बोयी थी मालवा में, जिसका रंग निखरा गुजरात
મેંદી રંગ લાગ્યો રે
आहा मेहंदी तेरा रंग लगा रे!
નાનો દિયરડો લાડકો જે,
કંઇ લાવ્યો મેંદીનો છોડ રે
लाडला देवर लाया मेहंदी का बिरवा रे
… મેંદી …
आहा मेहंदी तेरा रंग लगा रे!
વાટી ઘૂંટીને ભર્યો વાટકો ને ભાભી રંગો તમારા હાથ રે …
कूट पीस कर भरी कटोरी , भाभी अब रंग लो हाथ
મેંદી …
आहा मेहंदी तेरा रंग लगा रे!
હે… લાંબો ડગલો, મૂછો વાંકડી, શિરે પાઘડી રાતી
लंबा कोट , मूंछें बांकी,सिर पे पगड़ी लाल
બોલ બોલતો તોળી તોળી છેલછબીલો ગુજરાતી
एक एक बोल, तौल कर बोले, छैलछबीला गुजराती
હે॥ .......
તન છોટુ પણ મન મોટું, છે ખમીરવંતી જાતી
तन छोटा पर मन बडा खमीरवन्त है जाति
ભલે લાગતો ભોળો, હું છેલછબીલો ગુજરાતી
भले ही लागूँ मै भोला भाला, मैँ हूँ छैलछबीला, गुजराती !
હાથ રંગીને વીરા શું રે કરું?
इन हाथोँ को रँग के वीराँ क्या करूँ ?
એનો જોનારો પરદેશ રે …
इन्हेँ देखनेवाला गया है परदेस रे
મેંદી …
आहा मेहंदी तेरा रंग लगा रे!
મેંદી તે વાવી માળવે નેએનો રંગ ગયો ગુજરાત રે
મેંદી રંગ લાગ્યો રે.

Monday, January 14, 2008

एहसास

शर्मीली नादाँ, कली - सी
http://www.youtube.com/watch?v=cDhQVw38aos
प्यार मेँ मिल जाते हैँ जब दो दिल,
आसमान के उजालोँ मेँ छिप जाती है
तारोँ की बारात,
गाती है सहर,रोती है रात
गाता है समाँ अँगडाइयाँ ले.
देता है दीलबर तुझे हर नज़ारा
प्यार के मेरे, ये ,मीठे पैगाम
बड़े अरमानों से वादों ने
दिल में घर बसाया था,
पर मोहोब्बत करनेवालों का तड़पना
किसने देखा है ?
प्यार में मर जाने का
हाय, ये अंदाज़ किसने देखा है ?
********************************************************
"आपकी नज़रों ने समझा प्यार के काबिल मुझे "
"
http://www.youtube.com/watch?v=4F2hKCBlBls"




Wednesday, January 9, 2008

श्री अमर सिंह जी एक बंगाली फिल्म में अभिनय करेंगे !

श्री अमर सिंह जी एक बंगाली फिल्म में अभिनय करेंगे ! जया प्रदा , सह नायिका हैं और जया जी, निर्मात्री भी हैं -- वे एक आदीवासी स्त्री का रोल निभायेंगी.......

ामोजी फिल्म सिटी में , शुटिंग होरही है .




तेलेगु भाषा में पहले बन चुकी फिल्म, " ओसे रामुलामा " से अब ये
एक बँगला - फिल्म बनने जा रही है -- अब अमिताभ बच्चन जी के परम मित्र भी उनकी फिल्म के कलाकार हो गए हैं !

मेरा भारत महान !!

संचार माध्यमों की पहुँच अब विश्व व्यापी बन गयी है -- आनेवाला समय , रोचक और नयी नयी जानकारी देते हुए, आम जनता तक हर खबर पहुंचाने में अब देर नहीं करता ...See for yourself !



Sunday, January 6, 2008

भारत की नारी

नारी का ये रूप आप ने कहाँ देखा होगा / याद करिये .....आस पास, या कभी नहीं ?
इतने कष्ट उठाकर भी , चुनरी के भीतर , मुस्कुराती , ये भी एक माँ , पत्नी , भाभी बेटी , हैं
सबसे पहले जागती, सबसे बाद में सोती है जो,
ये भारत की नारी है परदे में रहती है वो
और ये शहरी, आधुनिक, सफल, महिलाएं हैं -- २ जया --


दीनेश बागैती कर , सुधीर नाइक्वाडे , कुनाल जाधव, शोबी डी 'सुझा , अजय मराठे, वैभव मराठे, संदीप पंचाल, संदीप शुक्ला, डेरीक जाधव, स्वपनिल मन्दारे, सिध्धार्थ सिंह , अमित कपूर, ओर रवींद्र शुक्ला ...ये लड़कों के नाम हैं जो मुम्बई ३१ दिसम्बर की

मध्य रात्री को २ अनजान युवती , जो अप्रवासी भारतीय मूल की थीं , अपने दोस्त व परिवार के सदस्यों के साथ बिपाशा बासु का शो देखकर बाहर निकलीं थीं तब , उनके साथ बदसलूकी की गयी --

इन सारे युवकों को बेल मिल गयी हैं चूंकि ये पहले से अपराधी नहीं थे।

इनका केस नागेश जोशी नामक वकील की टीम ने सम्हाला हैं।

ऐसी ही बदसलूकी देहली यूनिवर्सिटी की छात्राओं के साथ भी हुई ॥

कोल्कत्त्ता में भी शर्र्म्नाक वारदातें हुईं हैं :(

.लाटुर में भी ऐसा किस्सा सुनने में आया हैं।

Rape cases in India jump 678% since 1971:


ये भी समाचार पत्रों ने , बतलाया हैं । तब , विश्व जाल पर सर्फ़ करते ये , तस्वीरें भी मिलीं ...जिन्हें आपके सामने प्रस्तुत कर रही हूँ ....

[ The arrested identified as - Dinesh Bagaitkar, Sudhir Naikwade, Kunal Jadhav, Shobby D'Souza, Ajay Marathe, Vaibhav Marathe, Sandip Panchal, Manoj Panchal, Sandip Shukla, Derek Jadhav, Swapnil Mandare, Siddharth Singh, Amit Kapoor and Ravindra Shukla - have been charged with outraging modesty of women, unlawful assembly, rioting, causing hurt and wrongful restraint


Friday, January 4, 2008

टेक्सी को क्या कहेंगें ? हिन्दी में ?

सिंगापोर की टेक्सी
बम्बैया टेक्सी सजी धजी
आस्ट्रेलिया भूखंड की टेक्सी --- सैलानियों के इंतज़ार में कतार बध्ध खडी हुई ~
लंदन की काले रंग की टेक्सी , विवाह अवसर पर सजी हुई
देहली : इंडिया गेट पे खडी टेक्सी
ब्राजील :दक्षिण अमरीका में इस्तेमाल की जानेवाली टेक्सी
ओर ये होन्ग - कोंग द्वीप की टेक्सी है ---
२१ वीं सदी का जगत , एक बहुआयामी, जीता जागता विश्व है .हर पल, नये घटना क्रमों से , धड़कता हुआ -- , मास टेलिकोम्युनिकेशन , मास ट्रांसपोर्टेशन , से दिन रात, गुंजायमान , ये विश्व ,जहाँ , यातायात सुविधा कई, स्तर पर सुलभ हैं।
रेलवे, हवाई जहाज, जल यान, टैक्सी, बसें, हेलिकोप्टर, होवर क्राफ्ट , निजी सुविधा से लेकर , किराए पर भी आसानी से प्राप्त हो जाते हैं। --
आज, मन में कौतुहल उपजा देखने का किस विध दुनिया के शहरों में लोग बाग़ टैक्सी का उपयोग करते हैं -- ओर पेश है, ये नमूने, टैक्सी के -
- अरे हां, टेक्सी को क्या कहेंगें ? हिन्दी में ? :)



Wednesday, January 2, 2008

नजरों का फेर या नज़ारों का फेर ? पच्छिम से पूरब की यात्रा ...

poppy माने अफीम के पौधे ..
जो केसरी या लाल फूलों से सजे लहराते , खूबसूरत नज़ारा पेश कर रहे हैं...

या फिर कई रंग में खिलनेवाले बोगन्वेलिया ...जिनमें खुशबु न होने पर भी ये नयनाभिराम सौन्दर्य के धनी हैं जो बाग़ को दिलकश रंग से निखारते हैं.
ओर ये हरी ओर कुछ पकी हुई लाल मिर्चें ...घरों के बगीचों में अक्सर उगती दिखाई देतीं हैं ...मेक्सिकन व्यंजनों में, ऐसी ही मिर्च का उपयोग होता है।
और ये हैं हरे नीम्बू जिन्हें Lime कहते हैं -- ओर पीले , बडे नीम्बू को lemons कहा जाता है ...इनका रस , टकीला में मिलाकर , मेक्सीकन आहार के साथ पीया जानेवाला पेय "मार्र्गरीटा " बनाया जाता है .. टकीला...आगावे नामक कैक्टस से बनता है ...ये सारे द्रश्य, अमरीका के पच्छिम के प्रान्तों में देखे जा सकते हैं ...पर हम , ६ घंटों के हवाई सफर के बाद , सीधे , बर्फ , कोहरे व धुंध से ढंकी , हमारे शहर की गलियों में , आ पहुंचे ! पर ये क्या ? कहाँ गया वो बाग़ ? वो पौधे ? वो फूल ? वो फल और पेड़ , पौधे , साग, जो बागों में मुस्कुरा रहे थे ? यहां तो ऐसा आलम था , के गोया, हम , उत्तरी ध्रुव पर आ पहुंचे हों !!

चारों तरफ, बर्फ की सुफेद चादर फ़ैली हुई थी। धरती माता ने श्वेत वस्त्र धारण कर लिए थे। सुना है ,उत्तर भारत में भी कड़ाके की ठंड पडी है ....
राजस्थान , देहली, कश्मीर, उत्तरांचल, शीत ऋतु से जकडा हुआ है ...
देखा की हमारा डाकिया , मुस्तैदी से , अपनी ड्यूटी पे है ,
वो अपने , डग भरता हुआ , घर , घर जा कर , डाक पहुंचा रहा था !

अब इसे नजरों का फेर कहें या 'नज़ारों का फेर ? ' ~~

~ आहा ! भला हो हमारे "डाकिया महाशय " का ~~

~ ढेरों क्रिसमस व नये साल के कार्ड्स , मिल गए !

तो आप सभी को इस नये साल की शुरुआत में, यही कहूंगी ~~

~ स्वस्थ रहें, खुश रहें, अपने अपने कार्य की सफलता के लिए , आगे बढ़ते जाएँ .