Wednesday, August 14, 2019

अधूरे अफ़साने कथा संग्रह मेरी पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है।


नमस्ते
अधूरे अफ़साने कथा संग्रह मेरी पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है।

आप तक, अगर  ' अधूरे अफ़साने ' किताब पहुंची है और आप मेरी बात सुन रहें हैं, तब आप से नमस्ते, दुआ सलाम, राम ~ राम,  सत श्री अकाल कहते, मैं, मन की बात कहना चाहती हूँ !
मैं, इस समय मेरे परम आदरणीय पापाजी, हिन्दी साहित्य के नक्षत्र स्वरूप सुप्रसिद्ध साहित्यकार, गीतकार, कविश्रेष्ठ पं. नरेंद्र शर्मा एवं मेरी ममतामयी अम्मा श्रीमती सुशीला शर्मा जी को याद कर, उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करती हूँ और पुण्यात्माओं को आदर, श्रद्धा और दुलार सहित प्रणाम करती हूँ। 
मेरी पुस्तकें, १) कविता संग्रह ' फिर गा उठा प्रवासी ' और २) उपन्यास ' सपनों के साहिल ' प्रकाशित हो चुके हैं। अधूरे अफ़साने कहानियों का संकलन मेरी तीसरी साहित्यिक कृति है। 
 कहानी संग्रह ' अधूरे अफ़साने ' का प्रकाशन मेरे छोटे भाई समान परम गुणी पंकज सुबीर जी [ जो भारतीय ज्ञानपीठ युवा लेखन के लिए, कथा यू. के. सम्मान प्राप्त, श्री प्रेमचंद सम्मान प्राप्त, प्रतिभाशाली लेखक के साथ साथ एक सफल संपादक भी हैं ]
उन के सौजन्य से आप तक पहुंच रहा है अतः  उन्हें मेरे हार्दिक धन्यवाद और स्नेहाशीष !
 ऐमेज़ॉन इंडिया वेब पोर्टल पे अधूरे अफ़साने कहानियों का संग्रह अब उपलब्धहै। लिंक ~
ADHOORE AFSAANE (Short Stories Lavnya Deepak Shah)
amazon.in/dp/9381520267/… via
 हिंदी साहित्य जगत के अनेक साथी साहित्यकारों ने इस पुस्तक के लिए  उदारता पूर्वक लिखे  शुभकामना ~ सन्देश भेजे हैं।   पुस्तक की गरिमा~  शोभा में, अभिवृद्धि हुई है उन्हें मैं अपना हार्दिक धन्यवाद कहती हूँ! 
डा. मृदुल कीर्ति जी परम विदुषी सन्नारी हैं और मेरी अंतरंग सहेली ! उन्हें हार्दिक आभार। 
भाई अमरेंद्र जी एक सफल और 
सशक्त कथाकार हैं और मेरे अनुज हैं! उन्हीं आभार !
भाई श्री अनुराग शर्मा जी के स्नेहानुराग से जो अपनत्त्व प्राप्त हुआ, वह 
अनमोल है ! अतः धन्यवाद !
कथा यू. के. स्व सु श्री इंदु जी की स्मृति में साहित्यकारों को सम्मानित करती हिन्दी 
संस्था, ग्रेट ब्रिटेन में स्थापित करनेवाले, कर्मठ, आधुनिक मानव के संघर्षों को वाणी देनेवाले ऐसे अद्भुत कथाकार भाई श्री तेजेन्द्र शर्मा जी को भी धन्यवाद ! 
 हिन्दी साहित्य को २१ वीं सदी में उच्च कोटि के सृजन से समृद्ध करनेवाले मेरे हमसफ़र साहित्यकार मित्रों को पुनः अनेकानेक धन्यवाद ! उनके उज्जवल भविष्य के लिए मेरी मंगलकामनाएं।
                अब कुछ इस नई किताब के बारे में ~ पुस्तक ' अधूरे अफ़साने ' आम इंसान की ज़िंदगानी की कहानियाँ हैं
प्रश्न :  शीर्षक ' अधूरे अफ़साने ' चुनने के पीछे क्या कारण है ?
उत्तर : यही कि हरेक 
इंसान की कहानी और ज़िंदगानी अक्सर अधूरी रह जातीं हैं! किसी व्यक्ति या किसी पात्र के बारे में अभी हम कुछ जानें या समझें, उस के पहले, जीवन के बहते दरिया में दुसरी लहर उभरती है। समय गुजर जाता है। लम्हा बीत जाता है। लहरें लौट जातीं हैं रह जातीं हैं रेत पर पड़ी सीपियाँ या सिर्फ कहानियाँ ! 
           हम बचपन में दादी या नानी से अक्सर पूछा करते थे 
' फिर क्या हुआ ? '  हर कहानी के खत्म होते, एक प्रश्न, अक्सर अनुत्तरित रह जाता है। एक नई कहानी, एक नई ज़िंदगानी , शेष ~ अशेष ~~ 
          ज़िंदगानी के चित्रों के कोलाज में, लालटेन की रोशनी से कुछ पलों के लिए धुंधलके और कोहरे से भरी रात में, रोशनी की लकीरें किसी चेहरे पर पड़ जाएं और आप अपरिचित को अपना समझनें लगें ऐसे रहस्यमय अनुभव, इन कहानियों द्वारा, इन पात्रों द्वारा आप के मन तक पहुंचें ! पात्रों के जीवन से कुछ क्षण आपके समक्ष उजागर हों तो उन्हें स्वीकारीयेगा।  आप, सफर के साथी हैं।
अब इन कहानियों को आप के हवाले कर रही हूँ। 
          ' ज़िंदगी ख़्वाब है ' कहानी  के रोहित ~  शालिनी हों या  कथा ' मन - मीत '  के मोहन ~  मालती हों,  या ' जनम जनम के फेरे ' कथा  की शोभना और उसका पति धर्मेश हों या फिर  नर्तकी ' कादंबरी' हो, या ' समदर देवा ' कथा के मंजरी और देवा, किशना और मधु हों, या की कथा ' स्वयंसिद्धा ' की नई दुल्हन 'सिद्धेश्वरी' हो या ' कौन सा फूल " कहानी  के दादाजी और नई नवेली दुल्हन बनी दादाजी की लाड़ली पोती हो, ये सभी, आप से, अपनापा साधेंगें ! आप को वे अपने लगें, यह कामना है। 
        किताबें, अक्सर बड़ों के हाथ पहुँचती हैं। तो यही सोच कर के परिवार के शिशुओं के लिए भी इस किताब में कुछ कहानियाँ  हों, ऐसा सोच कर , चार बाल कथाएँ लीं हैं। 
१)  ' सोने का अनार, २) नृत्य नाटिका ' खिलती कलियाँ ' ,
३) ' टूटा हुआ सिपाही'   ४) एकाँकी नाटक ' एक पल सर्वनाश से पहले ' [ अंतरिक्ष यात्रा विषय पर लिखी  हुई ] ये बाल - कथाएँ भी आप तक पहुंचा रही हूँ। 
 आपके परिवार के नन्हें मुन्नों को प्यार और आशीर्वाद। उन्हें यह बाल कहानियाँ अवश्य सुनाऐं और हाँ, १४ वर्षीय नाती चिरंजीवी नोआ मेकरेडमंड और ४ साल के पोते चिरंजीव ओरायन सोपान शाह  से भी उन्हें जरूर मिलवाऐं। दोनों शिशुओं के चित्र संलग्न हैं। 
अंत में विनम्र अनुरोध है कि अपने विचारों से भी अवश्य अवगत करवाऐं । 
मेरा ई मेल :  Lavnis@gmail.com 
खुदा हाफ़िज़ ! ईश्वर आपको सदा सुखी रखें ~ 
सद्भावना एवं स्नेह सहित ,
~ लावण्या 
   Mrs Lavanya Deepak Shah
       Ohio USA
   From : ओहायो , उत्तर आमेरिका

1 comment:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (16-08-2019) को "आजादी का पावन पर्व" (चर्चा अंक- 3429) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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स्वतन्त्रता दिवस और रक्षाबन्धन की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'