Wednesday, October 31, 2007

यादोँ की सचित्र झलकियाँ : कलाकार श्री विजयेन्द्र 'विज' व अन्य

सबसे प्रथम चित्र मेरी अम्मा श्रीमती सुशीला नरेन्द्र शर्मा द्वारा बनाया यह तैल चित्र जो मुझे बहुत पसँद है और आज अम्मा के जाने के बाद मेरे लिये अमूल्य निधि बना सुरक्षित है.
यह चित्र रेखा राव जी का है जिसमेँ बना नील रँग का पक्षी देर तक मानस पटल पर अपना रँग छोड कर यादोँ मेँ बस जाता है. अँग्रेज़ी मेँ कहते हैँ, " धी ब्ल्यु बर्ड ओफ हेपीनेस " खुशियोँ के प्रतीक - सा नीलवर्ण पँछी -
ये मेरा पानी के रँगोँ से बना पोर्ट्रेट है जिसके पीछे भी मज़ेदार वाकया है ~~~ एक दिन फोन बजा , सामने से एक युवा लडके का स्वर पूछने लगा, " क्या आप, लावण्या हैँ ? " "हाँ मेरा उत्तर था -कहिये -" " क्या कोई साडी की दुकान होगी आपके शहर मेँ ? मेरी बात पे विश्वास कीजिये, मैँ एक अमरीकन लडकी से मँगनी करना चाहता हूँ और मुझे एक साडी खरीदनी है " वहाँ से उस लडके ने बताया -
खैर! अजनबी अमरीकन युवती और एक भारतीय कलाकार युवक ३० मिन्टोँ मेँ मेरे सामने हाज़िर थे - - पास के शहर की युनीवर्सीटी मेँ कला विषय मेँ स्नातकोत्तर एम्. ए. की शिक्षा के अँतिम वर्ष मेँ पढ रहे थे -
मैंने , दीया, कुमकुम, नारीयल,नयी साडी उस कन्या को पहना कर,भोजन करवाया और उनकी मँगनी मेरे ही ड्राँइग रुम मेँ करवा दी !
सच कह रही हूँ - उस कलाकार युवक का पी.एच डी का शोध ग्रँथ ( थीसीस ) भी , कुछ पृष्ठ तक पढा और उसी ने उपहार स्वरुप, मुझे खिडकी से पड रहे प्रकाश के सामने बिठलाकर ये चित्र बना डाला !
है ना मज़ेदार कहानी ? :)
चित्र मेँ रात्रि के घने साँध्य आकाश पर चाँदनी का फैलाव
दीलकश बन पडा है, नायिका जल के पास, खुले बालोँ मेँ ,
किसी आगँतुक को निहारती कितनी सजीव जान पड रही है , है ना ?-
- और इस चित्र के चित्रकार, दक्षिण भारत के सबसे विख्यात कलाकार,
राजा रवि वर्मा हैँ --
उनके द्वाराबनाये चित्रोँ मेँ से एक है ,
उनकी विलक्षण प्रतिभा की , ये तो ,एक झलक मात्र है --
उनके बारे मेँ अन्य जानकारी के लिये देखेँ --
&

और सबसे बडे चित्रकार "ऊपरवाले" ईश्वर को हम कैसे भूल सकते हैँ ??
जो ऐसी चित्रकारी करते हैँ कि भूरा आकाश, गुलाबी से लाल, स्वर्णमय तपता सा हो जाये तो कभी केसरी आभा से लाल अँगारे से सूरज को आगोश मेँ छिपाता हुआ दमकने लगे और विस्मय से ताकते मानव समुदाय को फिर अचरज मेँ डाल कर स्याह रात के नीले , काले रँग मेँ बदल डाले और वे पल पल परिवर्तित रँगोँ के द्रश्य बदलनेवाले कलाकार को किसी ने देखा तक नही ...
है ना , यही तो , सब से बडा अजूबा ?? :)

कलाकार श्री विजयेन्द्र 'विज'

http://www.vijendrasvij.com/
हिंदी ब्लोग जगत के हमारे युवा साथी तो हैँ ही
http://vijendrasvij.blogspot.com/2007/10/blog-post.html
पर, अनेकानेक हिन्दी जाल - मासिक, पाक्षिक
जैसे
http://groups.yahoo.com/group/anubhuti-hindi/
कृत्या : www.kritya.in
अनूभूति, अभिव्यक्ति ,
आनेस्ट इंटरटेनमेंट , एक शार्ट फिल्म..
इत्यादी मेँ लगातार,अपना योगदान देते रहे हैँ
हाल ही मेँ उन्होँने,मशहूर शायर मुनव्वर राणा जी पर एक बेमिसाल लघु चित्रपट बनाकर अपनी प्रतिभा की झलक को नई दिशा देते हुए,
महत्त्वपूर्ण कार्य का आरँभ किया है -
उनकी जीवन सँगिनी भी हिन्दी ब्लोग जगत की सक्रीय सदस्य हैँ
कवियत्री भी हैँ और विज की कला की प्रेरणा दायिनी,
उर्जा भी हैँ जिनका नाम है सौभाग्यवती सँगीता बिटिया
http://behind-thelens.blogspot.com/
(जो प्रमवश मुझे "मौसी" बुलाती है )--
http://www.sangeetamanral.blogspot.com/

आशा है आपको यह चित्रमय झलकियाँ पसँद आयीँ होँगीँ -
-इन चित्रोँ को , देखने आनेवालोँ का शुक्रिया --

4 comments:

Udan Tashtari said...

सभी चित्र उम्दा हैं. विजेन्द्र के द्वारा बनाया गया यह बेहतरीन चित्र पहले भी उनके साइट पर देखा था.

आभार सब यहाँ पेश करने के लिये.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

समीर भाई,
आपका बहुत बहुत आभार !
स स्नेह,
--लावण्या

Harshad Jangla said...

Lavanyaji
It was like making a tour in a painting exhibition.Nice collections with interesting episode!!
Thanx.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

Harshad bhai,
I'm glad you enjoyed the picture gallery tour --
aavta rehjo --
- L