Sunday, August 24, 2008

सूर्य - स्वर्णिम


भाई अभिषेक ओझा से फोन पर बात करने का मौका मिला !

लगा मानोँ हम लोग पुराने परिचित ही हैँ !

आजकल अभिषेक भाई हमारे अतिथि हैँ ! स्वागत है यहाँ !!

"Welcome to USA !! "

आशा है अमरीकी यात्रा बढिया चल रही है. आपकी !!

... खूब मज़े करिये और खूब घूमिये और तस्वीरेँ भी दीखलाइयेगा !

" बकलमखुद " पर भी आपकी जीवन यात्रा के बारे मेँ पढकर खुशी हो रही है :) और आपके प्रेम के किस्से , फुरसतिया जी के ब्लॉग पर पढ़कर कर भी खुशी हुई :) अगर आपने ना देखी हों ये प्रस्तुति , अवश्य देखियेगा और आज , सूर्य देवता को अर्पित है ये कविता : ~~~

सूर्य - स्वर्णिम [ HYMN : स्तुति ]
सूर्य स्वर्णिम आत्मा भी स्वर्णिम फूल स्वर्णिम !
तरंग आतीं व्योम भरतीँ उठाये हूँ , भुजा , रोम रोम झरतीं !
स्वर्ण लेखा रेख चिरंतन शाश्वती आह्वान देता हूँ तुम्हे
सँवारो गीत - स्वप्न मेरे !
हे प्रभु मेरे पुण्योदय स्वर्ण -गर्भा कोख तुम !
व्योम पार प्रकाशित तुम ,फूल सद्रश सुकोमल !
सुरभित स्वप्न से तुम ,करते दिशा दिशा उद्भासित
अहम् , सत्त्व , शरीर - तीनो कृपा तेरी आराधाते हैं !
दो ज्योति का वरदान हे ,यह , तुम से मांगते हैं !
दो मुक्ति का आधार -इतना याचते हैं !
दो स्वर्णिम प्रभा एक बार ,
हे मेरे स्वर्णिम - पुष्प - सूर्य प्राण मेरे , तुमसे मांगते हैं !
मेरी प्रार्थनाओं के तुम ही तो , हो आधार ,
सर्वस्व मेरा दोहराता बार ~ बार , बाहें फैला प्राण ,
तुम्ही से गान - आशा का प्रभु ! ये मांगते हैं !
स्वर्णिम प्रभा बलवती, सद्`-गति तुम से मांगते हैं !

दिवाकर ! नमोस्तुते ! प्रभाकर ! नमोस्तुते !

भास्कर नमोस्तुते ! ॐ ! शान्ति ! शान्ति शान्ति :
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~



- लावण्या

16 comments:

Abhishek Ojha said...

बहुत-बहुत धन्यवाद आपका !
सूर्य स्तुति अच्छी लगी... 'ॐ भास्कराय नमः'

मुझे नहीं पता था की ये... शुरू होने के पहले ही ख़त्म हो जाने वाले किस्सों को 'प्यार के किस्से' से संबोधित किया जायेगा :-)

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

सूर्य की तरह ही उदय हो आपके जीवन के आगे आनेवाले दिनोँ का ये स्नेहभरे आशिष हैँ आपके लिये ..अब तो क्या है जहाँ "प्रेम " नाम आया बस्स ..चर्चा वहीँ शुरु हो गया है... ना ?
पर नो फीकर ..
हम तो आपकी शादी होगी उस की प्रतीक्षा करेँगेँ ..
- लावण्या

Smart Indian said...

लावण्या जी,
ऋषियों की परम्परा को याद दिलाती हुई रचना.
बहुत सुंदर और प्रेरणादायक कविता है. धन्यवाद!

अजित वडनेरकर said...

सुंदर कविता लावण्याजी...

Arvind Mishra said...

जीवन में आशा और आलोक के संबल साक्षात् सूर्य -दृश्य देव का स्तवन निश्चय ही शुभकारी है !हम आपके साथ ही सूर्यार्चन में सम्मिलित होते हैं !

Tarun said...

हमने देखा था लेकिन किस्से पढ़े नही, सोचा जब उनसे मिल ही रहे हैं तो क्यों ना उनके मुँह से ही सुनाया जाय,

pallavi trivedi said...

bahut sundar tasveeren aur bahut paavan rachna....

Gyan Dutt Pandey said...

अच्छा अभिषेक और सूर्य साथ साथ। दोनो ही ओजस्वी हैं!

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर सूर्य स्तुति ! भगवान भास्कर
के साथ ही साथ आपको भी प्रणाम , इतनी
सुंदर सूर्य स्तुति के लिए !

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर सूर्य स्तुति ! भगवान भास्कर
के साथ ही साथ आपको भी प्रणाम , इतनी
सुंदर सूर्य स्तुति के लिए !

Radhika Budhkar said...

bahut sundar abhivyakti llavanyji.bahut sundar stuti

डॉ .अनुराग said...

अभिषेक वाकई एक उम्दा इंसान है ओर जाहिर है उनके पास अच्छी स्मृतिया होगी....आपका सूर्य नमस्कार अच्छा है

art said...

bahut hi achhi post...abhishekji ko mera bhi namaskaar kahiyega

पारुल "पुखराज" said...

सूर्य स्तुति बहुत अच्छी लगी दी

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

अभिषेक भी और सूर्य की स्तुति भी। ...दोनो मोहक और लावण्य आभा के साथ प्रदीप्त। ...देखकर, पढ़कर और कल्पित कर आनन्द आ गया।

लावण्या जी, आपको नमन्।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

आप सभी के स्नेह और सराहना के लिये आभारी हूँ -
स स्नेह,
- लावण्या