Saturday, August 8, 2009

एक खुली परियोजना : कविता कोश / उर्दू के अजीम तरीम मशहूर शायरों के कलाम -

कविता कोष एक स्वयंसेवी प्रयास है .

कई लोगों ने अथक परिश्रम कर हिंदी - उर्दू भाषा ही नहीं कई प्रादेशिक तथा

संस्कृत के शाश्वत काव्य को खोज कर , इन्टरनेट पर स्थापित करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है
-
हिन्दी/उर्दू काव्य में युगाधार रहे रचनाकारों से लेकर नई पीढ़ी के युवा रचनाकारों तक -
कविता कोश में सैकडों रचनाकारों की रचनाओं का संकलन है।
हिन्दी काव्य के इस विशाल संकलन में आपका स्वागत है। यह एक खुली परियोजना है जिसके विकास में कोई भी भाग ले सकता है -आप भी! आपसे निवेदन है कि आप भी इस संकलन के परिवर्धन में सहायता करें। देखिये कविता कोश में आप किस तरह योगदान कर सकते हैं। इस समय कविता कोश में २०,८१४ पन्ने बन चुके हैं

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- ब्लॉग लेखन की तरह कविता कोष भी एक आधुनिक प्रयास है -
- रचनाकारों की पुस्तकें , पुस्तकालय या निजी संग्रह में मिला करतीं थीं --
आज कई प्राचीन युग से लेकर २१ वीं सदी तक की रचनाएं आपको ,
इंटरनेट सर्फ़ करते हुए पढने को मिल जाएँगीं --
आज , आपके लिए प्रस्तुत हैं उर्दू के अजीम तरीम मशहूर शायरों के कलाम -
- एक एक लफ्ज़ ऐसा जो दिल को चीर कर गहराई में उतर जाए


दिखाई दिये यूं कि बेख़ुद किया

मीर तक़ी 'मीर'
www.kavitakosh.org/meer


जन्म: 1723
निधन: 20 सितंबर 1810

उपनाममीर
जन्म स्थानआगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
कुछ प्रमुख
कृतियाँ
--
विविध--
जीवनीमीर तक़ी 'मीर' / परिचय
चित्र:Globe-Connected-32x32.pngकविता कोश पता
www.kavitakosh.org/meer

    हमें आप से भी जुदा कर चले

    जबीं सजदा करते ही करते गई
    हक़-ए-बन्दगी हम अदा कर चले

    परस्तिश की यां तक कि अय बुत तुझे
    नज़र में सभों की ख़ुदा कर चले

    बहुत आरज़ू थी गली की तेरी
    सो यां से लहू में नहा कर चले

      अहमद फ़राज़


      जन्म: 14 जनवरी 1931
      निधन: 25 अगस्त 2008

      उपनामफ़राज़
      जन्म स्थाननौशेरा, पाकिस्तान
      कुछ प्रमुख
      कृतियाँ
      खानाबदोश, ये मेरी गजलें वे मेरी नज़्में
      विविधअहमद फ़राज़ का मूल नाम सैयद अहमद शाह है। आप आधुनिक युग के उर्दू के सबसे उम्दा शायरों में गिने जाते हैं।
      जीवनीअहमद फ़राज़ / परिचय

      अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें

      जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें

      ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
      ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें

      तू ख़ुदा है न मेरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा
      दोनों इंसाँ हैं तो क्यों इतने हिजाबों में मिलें

      ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो
      नशा बड़ता है शरबें जो शराबों में मिलें

      आज हम दार पे खेंचे गये जिन बातों पर
      क्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें

      अब न वो मैं हूँ न तु है न वो माज़ी है "फ़राज़"

      जैसे दो शख़्स तमन्ना के सराबों में मिलें
      ( 2 )
      रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ

      आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ

      कुछ तो मेरे पिन्दार-ए-मोहब्बत* का भरम रख
      तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ

      पहले से मरासिम* न सही, फिर भी कभी तो
      रस्मे-रहे दुनिया ही निभाने के लिए आ

      किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
      तू मुझ से ख़फ़ा है, तो ज़माने के लिए आ

      एक उमर से हूँ लज्जत-ए-गिर्या* से भी महरूम
      ए राहत-ए-जाँ मुझको रुलाने के लिए आ

      अब तक दिल-ए-खुशफ़हम को तुझ से हैं उम्मीदें
      यह आखिरी शमाएँ भी बुझाने के लिए आ


      पिन्दार=ग़रूर; मरासिम=दस्तूर; गिर्या=रोना

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      कैफी साहब की लेखनी का जादू पेश है
      जन्म स्थानग्राम मेज़वान, आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत
      कुछ प्रमुख
      कृतियाँ
      आख़िरे-शब, झंकार, आवारा सज़दे
      विविधकैफ़ी आज़मी का मूल नाम अख़्तर हुसैन रिज़्वी था। आप राष्ट्रिय पुरस्कार और फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित हैं।

      वक्त ने किया क्या हंसी सितम

      कैफ़ी आज़मी


      जन्म: 1919
      निधन:

      तुम रहे न तुम, हम रहे न हम ।

      बेक़रार दिल इस तरह मिले
      जिस तरह कभी हम जुदा न थे
      तुम भी खो गए, हम भी खो गए
      इक राह पर चल के दो कदम ।

      जायेंगे कहाँ सूझता नहीं
      चल पड़े मगर रास्ता नहीं
      क्या तलाश है, कुछ पता नहीं
      बुन रहे क्यूँ ख़्वाब दम-ब-दम ।

      ( 2 )

      तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
      क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो

      आँखों में नमी हँसी लबों पर
      क्या हाल है क्या दिखा रहे हो

      बन जायेंगे ज़हर पीते पीते
      ये अश्क जो पीते जा रहे हो

      जिन ज़ख़्मों को वक़्त भर चला है
      तुम क्यों उन्हें छेड़े जा रहे हो

      रेखाओं का खेल है मुक़द्दर
      रेखाओं से मात खा रहे हो

      ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

      मिर्ज़ा असदुल्लाह खाँ 'ग़ालिब'


      जन्म: 27 दिसम्बर 1796
      निधन: 15 फ़रवरी 1869

      उपनामग़ालिब, असद
      जन्म स्थानआगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
      कुछ प्रमुख
      कृतियाँ
      दीवान-ए-ग़ालिब
      विविधउर्दु के सबसे प्रमुख शायरों में से एक।
      जीवनीग़ालिब / परिचय

      दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

      आख़िर इस दर्द की दवा क्या है

      हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार
      या इलाही ये माजरा क्या है

      मैं भी मुँह में ज़बान रखता हूँ
      काश पूछो कि मुद्दआ क्या है

      जब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूद
      फिर ये हंगामा, ऐ ख़ुदा क्या है

      ये परी चेहरा लोग कैसे हैं
      ग़म्ज़ा-ओ-इश्वा-ओ-अदा क्या है

      शिकन-ए-ज़ुल्फ़-ए-अम्बरी क्यों है
      निगह-ए-चश्म-ए-सुरमा क्या है

      सब्ज़ा-ओ-गुल कहाँ से आये हैं
      अब्र क्या चीज़ है हवा क्या है

      हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद
      जो नहीं जानते वफ़ा क्या है

      हाँ भला कर तेरा भला होगा
      और दरवेश की सदा क्या है

      जान तुम पर निसार करता हूँ
      मैं नहीं जानता दुआ क्या है

      मैंने माना कि कुछ नहीं 'ग़ालिब'
      मुफ़्त हाथ आये तो बुरा क्या है

      ( 2 )

      हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी की हर ख्वाहिश पे दम निकले,

      बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले ।


      निकलना खुल्द से आदम का सुनते आये हैं लेकिन,

      बहुत बेआबरू हो कर तेरे कूचे से हम निकले ।


      मुहब्बत में नही है फर्क जीने और मरने का,

      उसी को देख कर जीते हैं जिस काफिर पे दम निकले ।


      ख़ुदा के वास्ते पर्दा ना काबे से उठा ज़ालिम,

      कहीं ऐसा ना हो यां भी वही काफिर सनम निकले ।


      क़हाँ मैखाने का दरवाज़ा 'ग़ालिब' और कहाँ वाइज़,

      पर इतना जानते हैं कल वो जाता था के हम निकले।

      ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

      आशा है आप को भी मेरी तरह सुकून मिला होगा
      - लावण्या

      19 comments:

      Udan Tashtari said...

      जरुर प्रयास होगा कि कुछ कर पायें. आनन्द आ गया इन्हें पढ़कर. आभार!

      दिनेशराय द्विवेदी said...

      प्रयास हम भी करेंगे कुछ योगदान करने का।

      चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

      प्रयास हम कर रहे हैं:)

      Unknown said...

      bahut badhaai
      great post !

      pran sharma said...

      KAVITAKOSH KAA KAAM LAJAWAAB HAI.
      IS WEBSITE KAA KOEE SAANEE NAHIN HAI.
      KAVITA KOSH KO BHARNE WAALE NIMN-
      LIKHIT SAHITYASEVION KO MERAA NAMAN
      PRATISHTHA,ANIL JAIVIJAY,,SAMYAK,
      CHANDRA MAULESHRA,SHRDDHA JAIN,
      PRAKASH BAADAL,DWIJENDRA DWIJ,AMIT,
      RAMESHWAR KAMBOJHI ITYAADI.
      LAVANYA JEE,AAPNE KAVITA
      KOSH PAR ACHCHHA PRAKASH DAALAA HAI.SADHUWAD .

      Akanksha Yadav said...

      Bahut khub...aise prayason se hi sahitya shashwat hai..!!

      शब्द-शिखर पर नई प्रस्तुति - "ब्लॉगों की अलबेली दुनिया"

      ताऊ रामपुरिया said...

      बेहद नायाब पोस्ट लिखी आपने. बहुत शुभकामनाएं.

      रामराम.

      अनुनाद सिंह said...

      हिन्दी के लिये 'कविता कोश' की कल्पना करना और उसे आगे बढ़ाना एक महान कार्य सिद्ध हुआ है। इसे और आगे ले जाया जाय।


      इसी के साथ हिन्दी विकिपिडिया पर भी सभी हिन्दीप्रेमी अपने-अपने विशेषज्ञता और अभिरुचि के अनुसार अलगलग विषयों (टोपिक्स्) पर लेख लिखें। इससे हिन्दी में ज्ञान-विज्ञान की कमी सदा-सदा के लिये मिट जायेगी। हिन्दी सशक्त होगी।

      Gyan Dutt Pandey said...

      आपने एक बार प्रेरित किया कि कविता कोश देखा जाये!
      धन्यवाद।

      Arvind Mishra said...

      mujhe urdu shaayree isliye hee psand hai ki vah bahut baareek ghantam bhavon ko bhee bahut powerful tareeke se abhivykt krtee है
      उर्दू शायरी के दिग्गजों और उनके कलाम से रूबरू करने के लिए बहुत बहुत आभार -कई तो मेरी बहुत पसंद हैं !

      Himanshu Pandey said...

      कविता कोश में अल्प ही सही पर योगदान कर रहा हूँ । क्षमता व समयानुसार इसे जारी रखना चाहूँगा ।
      आभार इस प्रविष्टि के लिये ।

      दिलीप कवठेकर said...

      दीदी, आज इन सभी बेहतरीन से बेहतरीन गानों के गीतकारों को याद कर आपनें इन्हे अपना उचित सन्मान मिलने की पहल की, साधुवाद.

      अब इन गीतों को सुनने की ख्वाईश लेकर ये दिल कहां जाये?

      प्रकाश पाखी said...

      लावण्या दी,
      आपका हर प्रयास अद्भुत और अनुपम है...आपकी पोस्ट पढ़ कर कभी निराश नहीं होता हूँ...कविता कोष पर आदरणीय प्राण साहब ने जो फरमाया है...उसके बाद कुछ कहना शेष नहीं रहता है..
      सार्थक और उपयोगी प्रयास.
      प्रकाश

      Smart Indian said...

      ज्ञानवर्धक आलेख - हिन्दी उर्दू में तो कोई फर्क ही नहीं है.कविता कोश वाकई एक अभिनव प्रयोग है

      Astrologer Sidharth said...

      सुकून'''' जैसे कि मेरा बेटा कान्‍हा कहता है ठण्‍डा पीकर


      जी ठण्‍डा हो गया।


      दिखाई दिए यूं ----- तो कल ही यू ट्यूब पर देख रहा था। उसे मैंने अपने ब्‍लॉग पर भी चस्‍पा कर दिया है। आज पंक्तियां पढ़ी तो कुछ अधिक स्‍पष्‍ट हुआ।

      दिल से आभार बड़ी दी..

      Unknown said...

      kavitakosh ek behtarin chabhi hai

      Paise Ka Gyan said...

      IRDA Full Form
      NTPC Full Form

      betflixเครดิตฟรี said...

      สามารถแจ้ง betflix เครดิตฟรี ได้เลยครับ และยังสามารถรับโบนัสต้อนรับ welcome drink อีก 50% เมื่อฝากเงินครั้งแรกกับ เบทฟิก อีกด้วย ซึ่งท่านสามารถรับเงินโบนัสจากเรา

      betflixเครดิตฟรี said...

      ในวงการคาสิโนออนไลน์นี้คงไม่มีผู้เล่นคนไหน ไม่รู้จัก betflix เพื่อสร้างความเชื่อใจและไว้ใจในการบริการของ betflik68 ด้วยการจัดโปรโมชั่น ให้ได้ร่วมลุ้นในทุกเดือน