Thursday, January 15, 2009

"महा गणित "

पूर्ण को पूर्ण से निकाल लो फ़िर भी पूर्ण ही रहता है !
( चित्र पर --- क्लिक करेँ )
मुझे विश्वास है कि आज की पोस्ट पढकर अभिषेक भाई तथा सभी जिन्हेँ "गणित " विषय मेँ दिलचस्पी है उन्हेँ बहुत प्रसन्नता होगी !

गणित मेरा सबसे कमजोर विषय रहा है तथा सर्वथा उपेक्षित भी !

पैसा भी गणना से ही सँभाला जाता है परँतु 'लक्ष्मी देवी " का दूसरा नाम "चँचला " भी तो है ! वे कहाँ स्थिर होने लगीँ किसी एक के पास !!

नारायण ही एक मात्र प्रियतम पूर्ण पुरुषोत्तम हैँ 'लक्ष्मी देवी के

....जहाँ वे, चरण सेवा मेँ सँलग्न रहतीँ हैँ -स्थिर रहतीँ हैँ !

आजकल यहाँ समाचार सुनते हुए अचानक बीलियन डालर कर्जे की राशि जो भावि अमरीकी पीढी पर लाद दी गई है उसकी जगह अब ट्रीलियन डालर बजट डेफीसीट के आँकडे उछाले जा रहे हैँ !

तब ट्रीलियन शब्द सुनकर मैँ चौँकी और फिर सोचने लगीकि

" हे नारायण ! ये ट्रीलियन तो बहुत बडा आँकडा लगता है !!

अब और कोई लडाई छिडी, तब इसके भी आगे कौन सा नँबर आयेगा ?"

चलो पता तो करेँ - और "गुगल देवता " की कृपा से कुछ चटके लगाते ही बडा दीलचस्प नज़ारा सामने आया --

यहाँ भी हमारे भारतीय गणितज्ञोँ के ज्ञान तथा नामकरण सामने आये --

बडे बडे अँकोँ के लिये सुँदर सुँदर नाम भी हमारे महा ज्ञानी गणितज्ञोँ ने रखे हैँ -- आपने भी शायद सुने होँगेँ -

अब हमेँ भी नाम देने का शौक है तो आज इसे

"महा गणित " ही कहे देते हैँ !!

और कोई नाम आप को पसँद हो तब - आप भी सुझा देँ -

यहाँ कोटी से आगे के नाम हैं अगर इनमे संशोधन या सुझाव देना हो अवश्य दीजियेगा -- मैं इन सारे नामों को पहली बार पढ़ रही हूँ

-- Yajur Veda यजुर वेद ने (ईसवी पूर्व . १२०० –९०० ) कहा था ,

" पूर्ण को पूर्ण से निकाल लो फ़िर भी पूर्ण ही रहता है !
ललिताविस्तार सूत्र महा यान बौध्ध ग्रन्थ में एक प्रसंग है
जहाँ बुध्ध तथा कई प्रतिद्वंदी भाग लेते हैं --
लेखन, गणित, अंक गणित , मल्ल युध्ध, धनुष विद्या जैसे खेल रखे गए हैं --

बुध्ध तथा उस युग के महान गणितज्ञ अर्जुन के बीच अँकोँ की स्पर्धा होती है

१ तल्लक्षणा, १०५३ -- powers of ten up to 1 'tallakshana',

which equals १० ५३ , यह अंक बुध्ध बतलाते हैं और जीत जाते हैं !

बौध्ध धर्म में लिखी सबसे बड़ा अंक अवतास्मका सूत्र मेँ है १०३७२१८३८३८८१९७७६४४४४१३०६५९७६८७८४९६४८१२८ ,
कोटी—10 7
अयुत —109
नियुत—1011
कंकर —1013
पकोटी—1014
विवर —1015
क्षोभय —1017
विवाह —1019
कोटीप्कोटी—1021
बहुल—1023
नागबल —1025
नाहटा —1028
तित्लाम्भा —1029
व्यवस्थानापज्नापति —1031
हेतुहिला —1033
निन्नाहुता —1035
हेत्विन्द्रिया —1037
समप्तालाम्भा —1039
गणनागति —1041
अक्खोबिनी —1042
निरवद्य —1043
मुद्रबल—1045
सर्वबल —1047
बिन्दु —1049
सर्वजन —1051
विभुतान्गम —1053
अर्बुद—1056
निरब्द —1063
अहः —1070
अब्र —1077
अटत् —1084
सोगंघिका —1091
उप्पल —1098
कुमुद —10105
पुण्डरिक—10112
पदम —10119
कथना —10126
महकथाना —10133
asankheya/ असँख्य —10140
ध्वजग्रनिशाम्नी —१०४२१

१००० × १००० २ = १०९ बिलियन होता है और

उस से बड़ा अंक ट्रीलियन १००० × १००० ३ = १०१२ होता है ---
अमेरिका : और माडर्न ब्रिटिश में नाम अलग अलग होते हैं --

Million : अमेरिका में कहते हैं और ब्रिटिश उसे यही कहते हैं जबके, अमरीकी

बिलियन : और ब्रिटिश उसे Thousand million-- कहते हैं !

फ़िर आता है अमरीकी , Trillion जिसे ब्रिटिश " बिलियन" कहते हैं !

अब आया, Quadrillion , Quintillio Sextillion Septillion, Octillion, Nonillion, Decillion, Undecillion, Duodecillion, Tredecillion, Quattuordecillion, Quindecillion, Sexdecillion -- देखिये -- ये लिंक :


http://en.wikipedia.org/wiki/Names_of_large_numbers


एक १ ,००० १ - १ एक १ ,००० ,००० ० .०
१० ३ = १ ,००० हजार १ ,००० १ + ० हजार १ ,००० ,००० ० .५
१० ६ = १ ,००० ,००० लाख १ ,००० १ + १ लाख
१ ,००० ,००० १ .०
१० ९ = १ ,००० ,००० ,००० बिलियन

१ ,००० १ + २ हजार मिलियन ( (इसे मिलियर्ड भी कहते हैँ )1,000,000 1.5
१०१२ = १ ,००० ,००० ,००० ,००० ट्रीलियन
१ ,००० १ + ३ बिलियन
१ ,००० ,००० २ .०
१०१५ = १ ,००० ,००० ,००० ,००० ,००० क्वाड्रीलियन .....
"Fast Food Nation," ( किताब के अँग्रेज़ी नाम पर क्लिक करेँ ज्यादा जानकारी के लिये ) के लेखक ऐरिक स्लोशर Eric Schlosser का कहना है , अमिरिकी फास्ट फूड विक्रेताओँ मेँ सबसे सफल "मैकडोनाल्ड ", " क्वीँटीलियन " नामक भौगोलिक सूचना पद्ध्ति इस्तेमाल करता है --

" Geographic Information System "
( अँग्रेज़ी नाम पर क्लिक करेँ ज्यादा जानकारी के लिये )

Quintillion : satellite photos, income, new housing plans, and road layouts to predict future incomes and population patterns.[12]

Some More Reading :
The names googol and googolplex were invented by Edward Kasner's nephew, Milton Sirotta, and introduced in Kasner and Newman's 1940 book, Mathematics and the Imagination,[14]

in the following passage:
Words of wisdom are spoken by children at least as often as by scientists. The name "googol" was invented by a child

(Dr. Kasner's nine-year-old nephew) who was asked to think up a name for a very big number, namely 1 with a hundred zeroes after it.

He was very certain that this number was not infinite, and therefore equally certain that it had to have a name.

At the same time that he suggested "googol"

he gave a name for a still larger number: "Googolplex".

A googolplex is much larger than a googol, but is still finite, as the inventor of the name was quick to point out.

It was first suggested that a googolplex should be1, followed by writing zeros until you got tired.

This is a description of what would actually happen if one actually tried to write a googolplex, but different people get tired at different times and it would never do to have Carnera a better mathematician than

Dr. Einstein, simply because he had more endurance.

The googolplex is, then, a specific finite number,

with so many zeros after the 1 that the number of zeros is a googol.

The highest numerical value banknote ever printed was a note for 100 trillion marks printed in Germany in 1924.

In 2008, Zimbabwe was forced to print a 100 billion Zimbabwean dollar note, which at the time of printing was only worth about the cost of two loaves of bread.[13]

गूगोल: : १०१०० ✓✓✓✓✓✓✓
googolplex:१०

googolगूगोल:✓✓✓✓✓✓

१४७५
French mathematician Jehan Adam recorded the words

"bymillion" and "trimillion" as meaning 1012 and 1018 respectively।

1484
French mathematician Nicolas Chuquet, in his article "Triparty en la science des nombres",[7] [8] used the words byllion, tryllion, quadrillion, quyllion, sixlion,septyllion, ottyllion, and nonyllion to refer to 1012, 1018, etc. Chuquet's work was not published until the 1870s, but most of it was copied without attribution byEstienne de La Roche and published in his 1520 book, L'arismetique

27 comments:

Vinay said...

मेरे पापा एक बार ऐसी ही कुछ जानकारी चाह रहे थे, तो किसी पर्सनल ब्लाग पर मिली पर वह बहुत संक्षिप्त थी लेकिन आपने तो खुलकर लिखा है,

धन्यवाद


---मेरा पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम

राज भाटिय़ा said...

नमस्कार अभी इसे ध्यान से पढे गे फ़िर बतायेगे.
धन्यवाद

Smart Indian said...

दद्दा रे! अब याद आया की बीस साल से गणित क्यों नहीं छुआ!

Udan Tashtari said...

बस, बस!! काम बन गया. इसे प्रिन्ट करके रख लेते हैं. जब कभी कोई पूछेगा-इसी से देख कर बता देंगे. समझ तो आने से रहा. आखिर गणित है और हम समीर लाल-कैसे आपस में पटे.

तार दिया इस सागर से पार,
आपका बहुत बहुत आभार.

अनूप शुक्ल said...

सुन्दर!

ताऊ रामपुरिया said...

पूर्ण को पूर्ण से निकाल लो फ़िर भी पूर्ण ही रहता है !

ये पर्फ़ेक्ट महा गणीत का सुत्र है. हम गणित और उसके पढाने वाले मास्टर जी के अलावा जीवन मे किसी से नही डरे.

फ़िर हमने पी.डी ओस्पंस्की की "टर्शियम ओर्गानम" पढी... बस ये सुत्र समझ मे आगया..

इस पुस्तक के प्रिफ़ेस मे ही लेखक कहता है.. कि जब पहला सिद्धांत भी नही था..दुसरा सिद्धंत भी नही था..तब भी मेरा ये तीसरा सिद्धांत मौजूद था.

आज आपने बहुत सारे लिंक और सामग्री परोस दी है. सो जैसे जैसे समय मिलेगा..इनका भी लुत्फ़ लिया जायेगा.

बहुत धन्यवाद.


रामराम.

विवेक सिंह said...

मुझे चक्कर आरहा है कोई सँभालो !

कुश said...

आईला यहा भी गणित.. आप सब लोग मिलकर मुझे भगाने का प्लान बना रहे है..

Unknown said...

bahut sahi....

Alpana Verma said...

यह तो वाकई महा-गणित है!

बहुत ही ज्ञानवर्धक लेख.

Abhishek Ojha said...

ये लीजिये जिम्बाबे पर एक रोचक लिंक.

http://www.portfolio.com/views/blogs/market-movers/2008/12/01/zimbabwe-when-even-the-central-bank-cant-keep-up?tid=true

और एक ये भी:
http://freakonomics.blogs.nytimes.com/2008/12/18/freak-shots-when-money-goes-down-the-toilet/

बाकी अगर यही हाल रहा तो ऐसे नंबर उपयोग में आने ही लगेंगे. बाकी ये तो महा सूत्र है ही:
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्य्ते॥

mamta said...

ओ बाबा आज कहाँ आपने गणित ही गणित लिख दिया । अपने राम तो इकाई ,दहाई ,सैकडा वाले ये सब हमारे पल्ले कहाँ पड़ेगा । :)
पर एक बात की तारीफ करनी होगी आपने लिखा बहुत ही मस्त अंदाज मे है ।

रंजू भाटिया said...

बहुत गणितीय पोस्ट है ..समझ में तो नही आई क्यों कि गणित और मेरा भी ३६ का आंकडा है :) पर इसको बुक मार्क कर लिया है ..कभी काम आयेगी यह जरूर

Gyan Dutt Pandey said...

ध्वजग्रनिशाम्नी! असंख्य से बड़ी संख्या! यह तो आपने नयी बात बताई।
बहुत रोचक जानकारी।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

चलिये...
आप सभी का प्रतिसाद गणितीय अँदाज़ मेँ कहेँ तो, ५०%से ज्यादा पोज़ीटीव ही रहा !

विनय जी, आप के पापा जी को ये प्रविष्टी बतला दीजियेगा -

उन्हेँ पसँद आये तब मुझे खुशी होगी !

हमेँ भी खुशी हुई और जानकारी की खोज का आनँद आया वह अलग ~~
ताऊ जी, हमने यह पुस्तक नहीँ पढी -अब आप इसी पर कुछ जानकारी देते हुए आलेख लिखियेगा
....जब भी हो पाये ...
(पी.डी ओस्पंस्की की "टर्शियम ओर्गानम" पढी... बस ये सुत्र समझ मे आगया..)

कुश जी
आपको भगाने का कतई हमारा इरादा नहीँ था :)
नम्बरोँ से क्या डरना कुश जी ?
धन्यवाद आपकी टीप्पणियोँ का और अभिषेक भाई,
आपके लिन्क्ज़ देखती हूँ
स -स्नेह,
- लावण्या

Arvind Mishra said...

आप ने कहा अंकगणित आपका प्रिय विषय नही रहा ,मेरा भी पर यहाँ तो आपने जो अंकशास्त्र बांचा है तबीयत हरी हो गयी !

vijay kumar sappatti said...

baap re ... ye padhkar to dil aur dimag dono hil gaya ..

ganit mera priy subject raha hai , maine maths/applied mechanics etc men 98 marks tak laaya hoon .. par ye poora lekh padkar to maatha gum gaya ji ..

main ise save liya hai , kal print out nikal kar padhunga ..phir se ..

lekin , ek baat kahen , aapne ,kamaal ki jaankari di hai .

aapko badhai ..

vijay

दिनेशराय द्विवेदी said...

कहाँ आप गणित में कमजोर? हम खुद को होशियार समझने वालों को होशियार कर दिया।

नीरज गोस्वामी said...

जो अपने आप को गणित में कमजोर कह रहा है उसने इतनी गणित मय पोस्ट लिख डाली है तो वो क्या लिखेगा तो अपने आप को गणित विशेषग्य मानता होगा....कमाल की जानकारी...बहुत कुछ सीखा आपकी पोस्ट से...आभार...
नीरज

Harshad Jangla said...

Lavanya Di
Manoranjan is multiplied
Ganit me gum kar diya aapne.
Bahut sundar!
-Harshad Jangla
Atlanta, USA

डॉ .अनुराग said...

गणित के डर से डॉ बने .लेकिन आज का बड़ा प्यारा रूप दिखा ....थोड़ा नटखट सा....अच्छा लगा......

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाहवा... कमाल की जानकारी.. वाह...

डा० अमर कुमार said...


दीदी, पहले ही पोस्ट देख गया था..
थोड़ा दिमाग माँगता है, जो कि ब्लागर के अधिकांश पोस्ट नहीं माँगते :)
यही सोच कर खाली क्षणों के लिये रख छोड़ा था..
आज पढ़ा, ठीक से टिप्पणी कर सकूँ..
इतना दिमाग भी नहीं बचा कि अभी वर्डप्रेस पर काकोरी के शहीद अगली कड़ी दे पाऊँ ।

डा० अमर कुमार said...

अपने बहुमूल्य विचार
काकोरी के शहीद
पर अवश्य ही देंगी, सादर !

दिलीप कवठेकर said...

मैं गणित में कमज़ोर तो नहीं, पर ये गणित तो अजब गजब!!

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

आपके ब्लॉग पर आज आया..........इस पन्ने को पूरा देखा.........क्या कहूँ....मैं अपने-आप को इस पर कुछ कहने लायक ही नहीं पाता..........कम से कम पूर्ण में से पूर्ण के निकाल लेने पर पूर्ण ही बचता है.............ना जाने कितने सालों पूर्व मैंने इशावास्यो उपनिषद पढ़ी थी मैंने.......आज उसके शब्द चित्र बनकर मन में चलने लगे... पढ़ा तो ना जाने कितना ही कुछ है..........मगर क्या फायदा.......जब हम जीवन को आदर्शों के अनुरूप जी ही नहीं पाते.............!!

RADHIKA said...

बाबा रे !गणित तो मेरा कभी सगा नही हुआ ,फ़िर भी आपकी पोस्ट में पहली लाइन समझ आई ,बाकि कुछ नही ,यहाँ तो १००-१०० करते करते हालत ख़राब हो जाती हैं ,बिलियन और ट्रिलियन क्या होते हैं .भगवान बचाए इनसे .
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