Monday, January 5, 2009

(俳句, हाइकु

हाइकु - ये जापानी काव्य प्रकार है । हाइकु अकसर कुदरत वर्णन के लिए लिखे गए हैं । जिसे " कीगो " कहते हैं । जापानी हाइकु , एक पंक्ति में लिखा जाता है और १९ वीं शताब्दी पूर्व इसे हिक्को कहा जाता था ।
( हाइलाइट किये रँगीन शब्दोँ पर क्लिक करने से
आप जापानी महाकवि मात्सुओ बाशो तथा
उनके महाकाव्य " ओकु नो हीशोमोची "
और
कवि " मात्सुओका शिकी " के बारे मेँ
अधिक जानकारियाँ पढ सकेँगेँ - अवश्य पढेँ )
Masaoka Shiki - मासाओका शिकी महोदय ने १९ वीं सदी के अंत तक इसे हाइकु नाम दिया ।


सबसे प्रसिध्ध हाइकुकार हैं महोदय Matsuo Bashō -

जिनकी पुस्तक Oku no Hosomichi, - या ,

" अंतर्मन के रस्ते " जापानी साहित्य की श्रेष्ठतम कृतियों में गिनी जाती है -

इस सुंदर काव्य विधा को जब विश्व की अन्य भाषाओ ने अपनाया तब उनका स्वरूप , उसी के अनुरूप बदला - जैसे अंग्रेजी हाइकु, ३ पंक्तियों में लिखा गया । उदाहरणार्थ :

scent of plum blossoms
on the misty mountain path
a big rising sun --
Matsuo Bashoume

ga ka ninotto hinoderuyamaji
( जापानी शब्द )
इस जापानी हाइकु से जो द्रश्य उभरता है वह बेहद रंगीन और संवेदना से भरा हुआ है -

मानो केसरिया सन्यासीयों का वस्त्र लपेटे , बौध्ध मुनि , सदीयों पुराने मन्दिर में ,

पुराने पीतल से बनी सपाट तश्तरीनुमा गोंग बजा रहे हैं और सूर्य उदित हो रहा है

दूर दूर से , श्रद्धालु यात्री , पहाडी , पगडंडी ढलान से चढ़ते हुए, आ रहे हैं

और उनके पथ में असंख्य , हलके गुलाबी और श्वेत रंग से खिले

चेरी के पुष्प , बिछे हुए हैं ।

old pond
a frog jumps
the sound of water

या ,

the silence a droplet of water trickles down a stone
—Matsuo Allard

Sweden, स्वीडन , जर्मनी , Germany, फ्रांस , France, बेल्जियम , Belgium और नैधरलैन्ड Netherlands , क्रोएशिया Croatia, स्लोवेनिया , Slovenia, सर्बीया Serbia, बल्गेरीया , Bulgaria, रोमेनिया , Romania , रशिया तथा Bharat) / भारत में भी इस काव्य पध्धति का विकास हुआ है।

( हर गहरे शब्द पर क्लीक करने से

आप उन देशों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकेंगें )

हाइकु , कविता में ३ पंक्तियाँ होतीं हैं ।

जिनका अनुपात है,

प्रथम पंक्ति में ५ अक्षर , दूसरी में ७ अक्षर और फ़िर

तीसरी पंक्ति में ५ अक्षर हों --

अकसर , संधि अक्षर भी एक अक्षर ही गिना जाता है ।

आज आपके सामने मेरी काव्य पुस्तक,
" फ़िर गा उठा प्रवासी " से कुछ हाइकु -
प्रयत्न किया गया है , आपके समक्ष , शब्द - चित्र उपस्थित हो -
[ १ ]
रातों प्रहरी ,
जगे मन प्राण के ,
एकाकी जहाँ !
[ २ ]
नर्म घास है
चलते पाँव थमे
बैठ जाऊं मैं ?
[ ३ ]
चमेली बिछी
महेकने लगी हवा ,
खुशबु झोंका !
[ ४ ]
धीमे धीमे से ,
रे तू चल मनवा
रात बाकी है !
[ ५ ]
कोई आता है ,
वो साज सजाता है
गीत गाता है
[ ६ ]
आसमान पर
एक नन्ही चिडिया
मैं जमीन पर !
[ ७ ]
लाल गुलाब
खिलखिलाता बाग़
हरी टहनी !
[ ८ ]
सिंदूरी गेंदा
मुस्काए जयमाला में
दूल्हा मगन !
[ ९ ]
नदी किनारा
बिखरा है सन्नाटा
धुप चढी है !
[ १० ]
रश्मि रथ
सूर्य प्राची दिशसे
उग आए हैं !
[ ११ ]
कोई बुलाता
बांसुरी मीठी बजाता
हूक उठता
[ १२ ]
सुन री , संध्या
शुक्र तारक राग
क्षितिज पार
[ १३ ]
रैन सुहानी
झिल्मिलातीं रातें
मेरी सौगातें !
[ १४ ]
हरी दूब पे ,
थिरकते ये पाँव
मन हिरन
[ १५ ]
पनिहारिन
पीली चुनरी भीगोये
गगरी तोरी ...
[ १६ ]
तुलसी क्यारा
शीश नवातीँ माता
लिपा आँगन
[ १७ ]

हर- सिंगार
झिर झिर झरते
मन आँगन
[ १८ ]
राम लखन
चलते कंटक वन
संग जानकी !
[ १९ ]
धरे शबरी
झूठे बेर प्रभु को
भक्ति निर्मल
[ २० ]
चंपा कली
लाजवंती मुखडा
राधे लाडली !
[ २१ ]
मयुर पंख
कौस्तुभ मणि हार
वैजयन्ती का !
[ २२ ]
यमुना तीरे
कदम्ब छैयाँ तले
हरे मुरार !
[ २३ ]
धन जोबन
आवन जावन हैं
नाम सुमेर
[ २४ ]
पाप पुण्य की
गठरी तन काया
तज माया !
[ २५ ]
चले सेनानी
रण क्षेत्र मेँ युद्ध
जय - विजय !
[ २६ ]
पावन गंगा
राम चरित कथा
अमरगाथा
[ २७ ]
महा भारत
वेद व्यास की वाणी '
जग तारिणी !
- लावण्या

27 comments:

Vinay said...

बहुत महत्वपूर्ण जानकारी दी है, आपने! जिसके लिए धन्यवाद!


---मेरे पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम पर आपका सदैव स्वागत है|

राज भाटिय़ा said...

इस सुंदर जानकारी के लिये आप का धन्यवाद, साथ ही मेने बच्चो से इस के बारे पुछा तो उन्हे इस के बारे स्कुल मै पढाया गया था.
कवियो के लिय बहुत उपयोगी होगा.
धन्यवाद

Smart Indian said...

लावण्या जी,
(俳句, हाइकु के बारे में इतने विस्तार से बताने के लिए धन्यवाद! विशेषकर मूल जापानी और अंग्रेजी की तुलना के लिए. आपकी हाइकु रचनाएं भी पढीं और बहुत अच्छा लगा.

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

उत्तम जानकारी दी आपने...। ...और आपकी हाइकू तो अनूठी है। धन्यवाद।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

हाइलाइट किये रँगीन शब्दोँ पर क्लिक करने से आप जापानी महाकवि मात्सुओ बाशो तथा उनके महाकाव्य " ओकु नो हीशोमोची " और मात्सुओका शिकिे बारे मेँ अधिक जानकारियाँ पढ सकेँगेँ - अवश्य पढेँ -
All these links are worth reading once -
- Lavanya

वर्षा said...

जानकारी तो बढ़ी ही, आपकी हाइकु भी बहुत सुंदर है। पढ़कर अच्छा लगा।

Vivek Gupta said...

सुंदर

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

लावण्य दी, मेरी कक्षा के बच्चों का काम देखिये। ग़ौरतलब हो कि ये वेबसाइट भी उन्होंने मिल कर बनाया है और ये सब १०-११ साल के थे जब इसे बनाया ( पिछले साल)।

http://www.freewebs.com/ell2008/

मानोशी

Arvind Mishra said...

वाह ! बहुत गहरे अर्थबोध को समेटे हैं ये शब्द चित्र ! सच कहा है ब्रेविटी इज द सोल ऑफ़ विट !

Unknown said...

आपकी हाइकू तो अनूठी है। धन्यवाद।

Alpana Verma said...

hayku ke baare mein jaankari achchee lagi.

-hindi mein hayku likhne ke liye-jahan tak meri jaankari hai--
-pahli pankti mein 5 aur dusri mein 7 aur last line mein 5 'Akshar'[alphabet hone chaheeye]
-aap ne apne lekh mein 'akshar' ke sthan par shabd[word] likha hai.kripya correct kar lijeeye .

-aur thodi jaankari----hayku mein -half aksar count mein nahin aata..aap ka diya example--
रातों प्रहरी , जगे मन प्राण के ,एकाकी जहाँ !
is mein 'prahari' aur 'Pran' mein p ke saath r-'pr' ko ek akshar count kiya jaata hai..

-chitr hamesha ki tarah behad sundar hain--Abhaar sahit.

रंजू भाटिया said...

बहुत बढ़िया जानकारी दी है आपने ..सुंदर शब्द चित्र हैं

ताऊ रामपुरिया said...

सुन्दर चित्र और हायकू की सुन्दर जानकारी दी आपने. लिंक भी बहुत जानकारी परक हैं. आपका बहुत धन्यवाद.

रामराम.

Abhishek Ojha said...

सुंदर जानकारी और आपके हाइकु तो हैं ही कमाल के.

कुश said...

हमने तो झोली भर ली जी..

डा० अमर कुमार said...

लावण्या दीदी, मैं सच कहूँ तो.. बड़ा बेताब था यह हाइकु-रहस्य जानने को..
पर नक्कू बनने के डर से खुल कर किसी से पूछ भी नहीं पा रहा था !
आजकी आपकी सोदाहरण प्रस्तुत की गयी जानकारी पृष्ठांकित कर ली है !

प्रवीण त्रिवेदी said...

महत्वपूर्ण जानकारी दी है, आपने!

और अब चलिए !! मेरी मदद करने .....

दिनेशराय द्विवेदी said...

जानकारी के साथ अच्छे अच्छे हाइकु पढ़ने को मिले। मगर दीदी! एक साथ इतने गुलाब जामुन खिलाओगी तो पेट खराब न हो जाएगा?

Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " said...

मजा आ गया
हाईकू पढ कर
और भी लिखें.

भेद बहुत
भारत-इन्डिया में
समझे ज्ञानी.

बदलना है
इन्डियन सिस्टम
मिलें तो सही.

प्रेम की धारा
भारत का स्वर है
कोरा इन्डिया.

आत्मा का स्वर
कैसे सुने पदार्थ
जो है इन्डिया.

चेतन जागे
भौतिकता से आगे
भारत जीते.

Puja Upadhyay said...

haiku ke bare me detail me padhna accha raha. aapka shukriya sare links yahan dene ke liye. aur aapki rachnayein to mahohari hain.

आभा said...

अच्छी जानकारी और चित्र भी .दी को नए साल का प्रणाम..

Gyan Dutt Pandey said...

हाइकु अभिव्यक्ति की सुन्दर विधा है। इस साल मैं हाइकू लिखना सीखूंगा। इस लिये यह पोस्ट मार्क कर ली है।
धन्यवाद।

makrand said...

very informative intersting too

Dileepraaj Nagpal said...

achi jaankari di aapne. aabhar

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

आप सभी की टीप्पणियोँ का बहुत बहुत आभार -
अल्पना जी
आपके सुझाव पर
अमल कर दिया गया है -
स स्नेह,
-लावण्या

गौतम राजऋषि said...

मैं तो विस्मित हो फिर-फिर पढ़्ता गया इन जानकारियों को...

फिलहाल बस शुक्रिया कह कर काम चला रहा हूं और जा रहा हूं मात्सुओ बशो की दुनिया में खोने

Ashok Pandey said...

लावण्‍या दी, हाइकु शब्‍द से पत्र-पत्रिकाओं में अक्‍सर सामना होता रहता था, लेकिन आज पहली बार आपसे इसके बारे में विस्‍तारपूर्वक जान पाया। जानकारी बढ़ाने के लिए शुक्रिया।
'फिर गा उठा प्रवासी' की कविताएं बहुत सुंदर हैं..जब समय मिलता है उनमें से कुछ को पढता हूं। पढ़ना अच्‍छा लगता है।