बूँद और समुद्र
[ कविता ~~ पहली ]
रिश्ते ~~ नाते ,
सगे सम्बन्धी
पास ~~ पडौस
गली मोहोल्ला और
घर गृहस्थी
दूर की बस्ती ,
महलों की हस्ती ,
देश ~~ विदेश ,
भेस परिवेश !
ग्रह ~ उप ग्रह ,
तारिकाएँ , निहारिकायें ,
अनगिनती चेहरे ,
जाने ~ पहचाने ,
या , कुछ अनजाने ,
और ~~~ मैं !!
~ सन्दर्भ ~
[ कविता - दूसरी ]
ज्योति का जो दीप से ,
मोती का जो सीप से ,
वही रिश्ता , मेरा , तुम से !
प्रणय का जो मीत से ,
स्वरों का जो गीत से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
गुलाब का जो इत्र से ,
तूलिका का जो चित्र से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
सागर का जो नैय्या से ,
पीपल का जो छैय्याँ से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
पुष्प का जो पराग से ,
कुमकुम का जो सुहाग से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
नेह का जो नयन से , डाह का जो जलन से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
दीनता का शरण से ,
काल का जो मरण से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
9 comments:
बहुत सुंदर रचनाएं.
आपको पसँद आयीँ इसकी खुशी है -
- लावण्या
अच्छी रचनाऐं.
जिस अंतर्मन की प्रसन्नता और सौन्दर्य से लिखी हैं, वह बरकरार रहे।
Lavanyaji
wonderful creation!
Tulika is a Kalam or a Lekhani or a pen. Right? Or a paint brush?
सरल सहज शब्दों में रिश्तों को अच्छी तरह पढ़ा है आपने। सन्दर्भ खास पसंद आई !
सुंदर भावना ओर एक अलग अंदाज मे पेश की गई कविता ओर शीषक बेहद लाजवाब....कुल मिलकर लाजवाब
ज्ञान भाई साहब, मनीष भाई, समीर भाई, डा. अनुराग भाई आप सभी का आभार
मेरे प्रयास को पसँद करने के लिये
&
Harshad bhai,
"Tulika" is the Paint brush indeed ! You guessed it right.
Warm Rgds to all ~~
L
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