Wednesday, June 4, 2008

रात का तूफान और ओबामा / (अमरीकी राजकरण पे एक नजर)

अमरीका की राजधानी - वॉशिंगटन डी सी
टोर्नाडो
और ट्विन टावर्स
कल रात , हमारे शहर के ऊपर से भयानक तूफान गुजरा।
दिन भर , लगातार बारीश होती रही थी जो रात होते होते , तूफान में तब्दील हो गयी -
अमरीका का मध्य भू भाग, हमेशा ऐसे ही तूफानोँ की चपेट मेँ आता रहता है ..
पूर्वी इलाकोँ मेँ ,हरीकेन, आता है (समुद्री तूफान के साथ बहुत तेज बारीश) , पूर्व अमरीका, बाढ और तबाही से, हर साल, जान माल की हानि उठाता है -
तो पस्चिम अमरीका मेँ , भूकँप के साथ, तूफान भी आते हैँ.
देखिये ये लिन्क --
( from "Adventures in Tornado Alley"
by Mike Hollingshead and Eric Nguyen --
अमरीका का पूर्वी इलाका , साल में, कई बार,
ऐसे ही तेज वर्षा के साथ , हरीकेन , के प्रकोप से जूझता रहता है ..
(जैसा, एक बार, समीर भाई ने लिखा था ,
ऐसे हरीकेनोँ के नाम,
आल्फाबेट पे आधारित होते हैँ )
...New Orleans/ न्यु ओर्लीन्स का तबाही बरपानेवाला एक ऐसा ही हरीकेन अभी, जहन मेँ , ताजा है ..और ९/ ११ का हादसा भी भूलाये नहीँ भूलता -
ये क़ुछ ऐसे समाचार थे जब समूचा देश
समाचार सामने आ रहे रहे थे, उसी के साथ मानोँ एकाकार हो गया था !
-
कुछ कुछ वैसा ही कल रात भी हुआ जब्, "बराक हुसैन ओबामा" जो अश्वेत अमरीकी सीनेटर हैँ , इलीनोइस प्राँत से , उनका डेमोक्रेटीक पार्टी के राष्ट्रपति की प्रतिस्पर्धा के लिये मतदाताओँ द्वारा चयन हुआ !
ये एक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना है --
खास कर इस तथ्य को ध्यान मेँ रखते हुए कि, अश्वेत प्रजा गुलामी की जँजीरोँ से जकडी हुई ,उनकी इच्छा के विरुध्ध, अमरीकी प्रदेश मेँ गुलामी करने के लिये लायी गयी थी जिन्हेँ अब्राहीम लिँकन ने अपने राष्ट्रपति पद के अधिकार से आज़ाद किया और दक्षिण और उत्तर अमरीका मेँ सीवील वोर भी उसी के विरोध मेँ हुई थी और आज, एक ऐसे ही अश्वेत पिता की, गोरी माँ से पैदा हुई सँतान,
ओबामा-- आज हीलरी क्लीँटन से आगे निकल गये हैँ !!

आगे प्रतिद्वँदी बनेँगेँ , रीपक्ब्लीकन पार्टी से मानोनीत , वियतनाम युध्ध मेँ, बहादुरी की मिसाल बने, श्रीमान जोन मेकेन जो एरीज़ोना प्राँत के रहनेवाले हैँ ..
और बराक ओबामा डेमोक्रेटीक पार्टी से चयन किये उमीदवार होँगेँ,
विश्व के दूसरे नँबर के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बनने की जँग मेँ !!
सबसे शक्तिशाली व्यक्ति मेरे खयाल मेँ "पोप" केथोलिक सम्प्रदाय के धर्मगुरु ही हैँ --
आज के समय मेँ, चीन की बढती हुई व्यापारिक और क्षेत्रीय क्षमता और भारतेीय प्रगति, अरब के खाडी मुल्कोँ का खनिज तैल भँडार पर वर्चस्व और एक जुट हुए युरोप के "युरो" की बढती ताकत के सामने डालर और अमेरीका का पहला स्थान , विश्व के देशोँ मेँ , नँबर वन होने का तमगा ,
छीना जा रहा हो ऐसा आभास हो रहा है -
ओबामा की जीत होगी तब, अमरीकी राष्ट्र प्रमुख शायद फिर एक बार्, अमरीकी हितोँ की रक्षा के लिए कटीबध्ध होते हुए जान पडेँग़ेँ ..
जोन मेकेन की जीत से शायद अराजकता और अन्य मुल्कोँ मेँ,
अमरीका के प्रति गुस्सा बढ सकता है -
आनेवाला वक्त ही बतायेगा कि किस दिशा मेँ प्रगति होगी और किस दिशा मेँ अवरोध उठेँग़ेँ .

साईब्लाग [sciblog] अरविंद मिश्रा जी का आलेख पढा तो अमरीका की जीवन पध्धति के बारे में सोचने लगी ... उन्होंने कोयल के बारे में बतलाया जो अपने अंडे , कौए के घोसले में रखती है और जब् बच्चे बड़े हो जाते हैं तब कोयल उन्हें ले जाती है ...खैर, यहां भी , ऐसा कई बार देखा है, नन्हे मुन्नों को , २ हफ्ते के बाद , या २ महीनों के बाद " day care" में रखा जाता है ...
तभी तो , माता पिता, जॉब पे जा सकते हैं ...
सामाजिक परिस्थितियाँ भी आसान नहीँ हैँ अमरीका मेँ ..कयी तरह की विडम्बनाएँ, विषमताएँ ,कठिनाइयाँ, यहाँ के रोज के जीवन का हिस्सा हैँ - सुख सुविधा, आधुनिकता के साथ साथ एकाकीपन, विलुप्त होते पारिवारिक रीश्ते,एक खालीपन, हिँसा, अत्याधिक खुलेपन से उत्पन्न होते टकराव्, व्याभिचार, समलैँगिक सँबँध, शराब्, नशीले पदार्थोँ का सेवन, समाज के लिये, भविष्य के लिये क्या लायेँगेँ
ये सोचनेवाली बात है -
हम भारतीय मूल्योँ को सँजोये,
अनेक सँघर्षोँ के बीच
हमारी अलग पहचान बनाये और बचाये रखने के दुर्गम पथ पे चल रहे हैँ ..

अमरीका मेँ , शादी ब्याह सिर्फ एक समझौता हो ऐसा नहीँ -

बहुत सारे अलग पहलू भी शादी - ब्याह के साथ जुडे हुए हैँ - जैसे, समलैँगिक शादियाँ, - कईयोँ के ५० बरसोँ से एक ही पति पत्नी का जोडा भी होता है -तो कई युवक, युवती शादी ही नहीँ करते -

भारतीय मूल के लोग भी बदल रहे हैँ -

तो कई सारे बहुत सफल भी हैँ और ठेठ भारतीय ही रहे हैँ -

कुल मिलाके अमरीका एक ऐसा देश है जहाँ आप के कार्यक्षमता, सफलता, इच्छाओँ को पूरा करने, जिँदगी को, अपने तरीके से जीने की, कोई सीमा ही नहीँ

-रस्सी खूब लम्बी है जीवन की -

ये सर्वथा आप पर, अकेले आप पे निर्भर है कि,

आप उस रस्स्सी का घेरा कहाँ और कितना लम्बा या छोटा रखना चाहते हैँ !!....

बातेँ अभी खत्म नहीँ हुईँ ..

If you have any Q, do ask & I will reply to the best of my ability -

-- लावण्या

15 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

मुझे अमरीकी राजनीति की समझ तो नहीं है; पर जैसा यह केम्पेन चला है ओबामा-क्लिण्टन का; लगता है मेक केन जीत सकते हैं। डेमोक्रेट्स में एकता कैसे आ सकती है पूरी तरह?

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

अमरीकी प्रजा मेँ एक ये भी आदत है कि वो हमेशा " under Dog" को जीतता हुआ देखना पसँद करते हैँ --
so the common folks r sick & tired of spending too much for Gas & see the unnecessery destruction &
killings of their own patriotic troops @ Iraq --
The Debates between both Candidadtes will determine the mood of the Natio also to win for the candidates the Presidency of the United States of America -
&
they say that "Politics sees strange bed felllows " so who knows who Obama will choose as his running mate for VP -
the American media is hotly debating these issues among many others -- Rgds,
L

बालकिशन said...

जी अपन तो शून्य है ओबामा, क्लिंटन और मेक केन के बीच.
बाकी आपने जो लिखा अमेरिका के बारे मे उससे सहमत है.
और आपके लेखन की दाद देते हैं.
बहुत खूब.

Udan Tashtari said...

शायद हिलेरी की उप राष्ट्रपति पद की मान्यता डेमोक्रेट्स को बचा ले जाये.

अच्छा आलेख. ढ़ेरों जानकारी के साथ..

Pankaj Oudhia said...

शोध संस्थानो के ढेरो प्रस्तावो के बाद भी भारत छोडकर अमेरिका जाने का मन नही करता। अब आपकी लेखनी से ही अमेरिका के दर्शन हो जायेंगे ऐसी उम्मीद है।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

बालकीशन जी,
जिस तरह भारत के बारे मेँ जितना कहा जाये, लिखा जाये वह अधूरा ही रहेगा इसी तरह अमेरीका के बारे मेँ
यह सतही बातेँ ही हैँ..हर स्वतम्त्र देश का एतिहास और समाज एक जीवँत ईकाई होते हैँ ..जितना जान पायेँ
वही अच्छा है..आपकी टिप्पणी के लिये बहुत आभार -
- लावण्या

Harshad Jangla said...

Lavanyaji
A wonderful coverage with interesting information. Tornedo pic is great.
Thanx & Rgds.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

पँकज जी,
अगर आपको शोध सम्स्थानोँ से निमँत्रण मिल रहे हैँ
तब उन्हेँ कुछ वर्ष तक,
स्वीकारने मेँ कोयी हर्जा नहीँ

परन्तु,
ये निर्णय आपका अपना ही है -
यहाँ जिम्मेदारी के साथ
स्वतँत्रताएँ भी मिलेँगीँ ..
सम्भावनाएँ भी बृहत्त होगीँ..
अगर कोयी प्रश्न होँ तब अवश्य पूछियेगा -
-- लावन्या

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

Thank you Harshad bhai for your commebts
What is the mood in your area (Atlanta) regarding
this new turn of events ?
Do write ...&
rgds,
L

दिनेशराय द्विवेदी said...

"सामाजिक परिस्थितियाँ भी आसान नहीँ हैँ अमरीका मेँ ..कयी तरह की विडम्बनाएँ, विषमताएँ ,कठिनाइयाँ, यहाँ के रोज के जीवन का हिस्सा हैँ - सुख सुविधा, आधुनिकता के साथ साथ एकाकीपन, विलुप्त होते पारिवारिक रीश्ते,एक खालीपन, हिँसा, अत्याधिक खुलेपन से उत्पन्न होते टकराव्, व्याभिचार, समलैँगिक सँबँध, शराब्, नशीले पदार्थोँ का सेवन, समाज के लिये, भविष्य के लिये क्या लायेँगेँ
ये सोचनेवाली बात है"
दीदी! आप भारत से जा कर बसी हैं उस देश में जो आज दुनियाँ का सिरमोर है। होना तो यह चाहिए कि वहाँ की सामाजिक व्यवस्था भी सब से विकसित हो। हम उस के बारे में जानना चाहते हैं। आप के पास लेखनी भी है, लेखक की आंखें भी। एक माँ, बहन और बेटी का दिल भी, आप दुनियाँ की आँखें बन सकती हैं अमरीका देखने के लिए। शायद इसी लिए अमरीका जा कर बसी हों। ऊपर जो आप का ही वाक्यांश है, उसे ही विस्तार दे दीजिए। सारा अमरीका सिमट आएगा उस में।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

"सामाजिक परिस्थितियाँ भी आसान नहीँ हैँ अमरीका मेँ ..कयी तरह की विडम्बनाएँ, विषमताएँ ,कठिनाइयाँ, यहाँ के रोज के जीवन का हिस्सा हैँ - सुख सुविधा, आधुनिकता के साथ साथ एकाकीपन, विलुप्त होते पारिवारिक रीश्ते,एक खालीपन, हिँसा, अत्याधिक खुलेपन से उत्पन्न होते टकराव्, व्याभिचार, समलैँगिक सँबँध, शराब्, नशीले पदार्थोँ का सेवन, समाज के लिये, भविष्य के लिये क्या लायेँगेँ
ये सोचनेवाली बात है"
---------------------------
दिनेश भाई साहब,

अगर सामाजिक व्यव्स्था पर विस्तार पूर्वक मेरे विचार , मेरी समझ के अनुसार सुनना चाहतेँ होँ तब अगली प्रविष्टी उसी पर लिखूँगी -
हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया -
अमरीका एक विशाल देश है
अच्छाईयाँ और बुराईयाँ दोनोँ हैँ यहाँ ..
परँतु, बार बार एक एह्सास तो
होता ही रहता है कि, लाख मन को मना लेँ, मँदिर और गुरुद्वारे भी बना लेँ, दीवाली भी मिलजुल कर मना लेँ, ये भारत तो है ही नहीँ ..

-- लावन्या

Abhishek Ojha said...

अच्छी और विस्तार से तुलना की आपने, समस्याएं तो हर जगह होती ही हैं... आर्थिक सफलता और सामाजिक समस्याएं दोनों अलग-अलग पहलू है ... और अमेरिका इनका समिश्रण. आगे भी लिखती रहे.

डॉ .अनुराग said...

कल टी वी मे दोनों समाचार देखे....तब नही मालूम था की आपका भी शहर है......अमेरिका पर आपने विस्तार से चर्चा की....दरअसल मैं इस विषय का आपसे अनुरोध ही करने वाला था .अच्छा हुआ आपने विस्तार से बताया ,मेरे कई मित्र वहां है ....लेकिन हमारी बाते अक्सर लड़कपन को याद करने मे ही पुरी नही होती....लिखती रहिये.....

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

अभिषेक भाई
आपने सही कहा -
अमरीकी समाज सम्मिश्रण है आर्थिक सफलता के साथ सामाजिक दुराव का -
स स्नेह,
- लावण्या

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

शुक्रिया अनुराग भाई
आपकी टिप्पणी का -
आपके दोस्त,
किन शहरोँ मेँ रहते हैँ ?
आप को यहा,
घूमने अवश्य आना चाहिये .
स स्नेह,
- लावण्या