Sunday, October 26, 2008

http://anuragarya.blogspot.com/ :
डॉ ।अनुराग आर्य " दील की बात " वाले :) ॥आप ने कहा था सो ये लीजिये, मेरे घर के सामनेवाले सुदर्शन पेड का चित्र - आपके लिये ..
और हम , जैन सेण्टर जाने के लिए तैयार ..
दीपावली पर एक पुरानी सुनी हुई कथा याद आ रही है ..अब सच है या मनगढँत ..उसका प्रमाण तो है नहीँ ..पर जब इसे सुना था तब बहुत दिनोँ तक मन मेँ घुमती रही और बार बार विश्वास - अविश्वास के बीच मन झूलता रहा था - खैर ! सन्क्षिप्त में कथा सुनाती हूँ ....
एक थे धनी व्यापारी ..काफी धन कमा लिया था ..दीपावली की रात थी ..पूजन विधि हो चुकी थी ..चोपडे में पहला हिसाब 'मिती ' लिख कर दादाजी , अपने तिमंजिले पर जगमग दीपमालिका व गेंदे के फूलों के बंदनवार , देखने लगे की अचानक एक सुंदर स्त्री सामने देख नमस्कार , करने लगे ॥
" दीपावली मंगलमय हो ! " वे बोले , और कहा, ' भीतर हैं घर की महिलायें ..आप पधारें ! "
वह स्त्री मुस्कुराकर नमस्ते करती हुईं भीतर दाखिल हो गईं --
फिर एक के बाद एक सभी सदस्योँ से वे मिलीँ और कोई समझा भाभी से मिलने आईँ हैँ तो कोई उन्हेँ चाची की सखी मानकर उनके कमरे तक छोड आया -
- वे पूरा घर, घूमघाम कर, फिर दादाजी के सामने, घर के बारामदे तक आ गईँ
॥दादा जी ने प्रश्न किया , " आप मिल लीँ ? जिनसे , मिलना था ? "
अब वे बोलीँ , " सभी से ! अब मैँ चलूँ ?"
तभी दादाजी की काग द्रष्टि ने दीपकोँ की मध्धम रोशनी मेँ भी स्त्री के चरणोँ से कुमकुम से बने हुए , रक्ताभ पद्`चिह्न बारामदे मेँ भीतर जाते और अब बाहर निकलते हुए देख लिये !!
तेजी से समूचे जीवन का हिसाब करते हुए अब वे बोले,
" आप रुकीये ..जब तक मैँ लौट ना आऊँ कृपा कर यहीँ रुकीये ! "
और वे लगभग दौडते हुए अपने आवास के पिछवाडे भागे ..छप्पक की अवाज़ आई फिर निस्तब्धता छा गई !
दादाजी ने बावडी मेँ छलाँग लगा ली थी -
कहते हैँ , महालक्ष्मी जी स्वयम्` पधारीँ थीँ इन सज्जन के घर और दादाजी के कहने पर उसी घर मेँ स्थिर हो गईँ ! :)
चूँकि दादाजी स्वर्ग से लौटकर तो आनेवाले ना थे ~~~
कोई कहता है ये किस्सा बिडला परिवार के किसी पूर्वज का है ॥
जिन्हेँ ये भी आदेश मिला है कि जब तक वे मँदिरोँ का निर्माण करवाते रहेँगेँ, उनकी लक्ष्मी सदा स्थायी रहेँगीँ -
सच और कथा की काल्पनिकता के बारे में ..और क्या कहूं ? :)
अब यहां की दीपावली की बात सूना दूँ ......
दीपावली आ रही है और हमारे यहाँ के भारतीय समाज मेँ अमरीकी धरा पर रहते हुए, कामकाजी व्यस्तता के चलते हुए भी, लोग उत्साह से भारतीय पर्वोँ का आयोजन करते हैँ -
ज्यादातर शादी -ब्याह होँ या ऐसे पर्व या कोई कवि सम्मेलन जैसे मिलाप , वीक एन्ड मेँ ये सारे आयोजित होते हैँ सो कल भी जैन सेन्टर मेँ शाम को सूर्यास्त से पहले , रात्रि भोज था फिर गायक राज पँड्या नामक गायक व गायिका रश्मि जी, युवा गायिका बिटीया ऐष्णा व तबला वादक पुत्र अमित इन चारोँ ने
"सँगीत -सँध्या " मेँ कई नये पुराने गीतोँ से समाँ बाँधा -
एक स्कुल के नये सजाये होल मेँ सँगीत सँध्या आयोजित की गई थी
- यहाँ सभी से मिलना हुआ - बडा अच्छा रहा -
और पहला गीत "सत्यम शिवम सुँदरम " गाया तो मेरे नजदीक बैठे सज्जन ने उठकर " गीत के लेखक स्व. पँडित नरेन्द्र शर्मा हैँ और यहाँ उनकी पुत्री "लावण्या जी " उपस्थित हैँ " कहते हुए सभागृह मेँ पधारे सभी से मेरा परिचय करवाया - और पहली पँक्ति मेँ बैठे हुए हमेँ भी उठकर सब के स्नेह अभिवादन को स्वीकार करना लाजिमी हो गया -
ये सारा अनायास घटित हुआ --
और देर रात घर आकर "आवाज़" पर डा, कीर्ति जी द्वारा सँचालित कवि सम्मेलन भी सुना और सभी साथी कवियोँ को सुनना अच्छा लगा --
डॉक्टर मृदुल कीर्ति : लीजिये आपके सेवा में प्रस्तुत है अक्टूबर २००८ का पॉडकास्ट कवि सम्मलेन। अगस्त और सितम्बर २००८ की तरह ही इस बार भी इस ऑनलाइन आयोजन का संयोजन किया है हैरिसबर्ग, अमेरिका से डॉक्टर मृदुल कीर्ति ने। आप भी सुनियेगा ....
http://podcast.hindyugm.com/2008/10/podcast-kavi-sammelan-part-4.html --

18 comments:

Udan Tashtari said...

रोचक किस्सा रहा...आपको पढ़ना हमेशा सुखद रहता है.

आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

ताऊ रामपुरिया said...

वाह मजा आ गया आपका घर और पेड़ देख कर ! आपने तो डाक्टर अनुराग साहब के लिए यहाँ दिया था पर ताऊ तो चोरी डकैती का डाक्टर है सो ताऊ ने उड़ा लिया इसको ! क्या फर्क पङता है ? डाक्टर डाक्टर एक ही बात है ! वाकई बहुत सुंदर !

लक्ष्मी जी वाली कहानी का आपने सही कहा है ये कहानी कुछ और विस्तार के साथ बिरला'ज के पित्र पुरूष राजा बलदेवदास जी से जुडी है ! पर मुझे ऐसा लगता है की कहानिया सच झूंठ की मोहताज नही होती ! उनका संदेश मुख्या होता है इस कहानी ने मुझे हमेशा इंस्पायर किया है पर प्रेजेंस आफ माईंड के बतौर ! और ख़ास तौर पर अर्थ जगत से सम्बन्ध रखने वालो के लिए ! और आज मंदी के माहौल में इसकी आज भी उतनी ही महता है ! दीपावली के मौके पर बहुत ही सामयीक कहानी की याद दिलाई आपने !

आपको परिवार और इष्ट मित्रो सहित दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !

Smart Indian said...

कथा रोचक है और पेड़ सुदर्शन है. दीपावली की मंगलकामनाएं!

महेन्द्र मिश्र said...

रोचक
दीप पर्व की हार्दिक शुभकामना आपको और आपके परिजनों को . आपका भविष्य सुख सम्रद्धि से परिपूर्ण हो

दिनेशराय द्विवेदी said...

यह तो घर घर की कहानी है हर व्यक्ति अपनी संतानों के सुख वैभव के लिए अपना जीवन देता है।

दीपावली पर हार्दिक शुभ कामनाएँ।
यह दीपावली आप के परिवार के लिए सर्वांग समृद्धि लाए।

seema gupta said...

दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

जितेन्द़ भगत said...

अच्‍छी कथा रही।
आपको दीपावली की हार्दिक बधाई।

पंकज सुबीर said...

श्रद्धेय दीदी साहिब आपको तथा पूरे परिवार को इस दीपावली की शुभकामनायें । कामना है आने वाला वर्ष आपके लिये तथा पूरे परिवार के लिये शुभ हो

Abhishek Ojha said...

किंवदंतीयाँ ऐसी ही तो होती हैं... और चित्र तो बहुत पसंद आए. आपको सपरिवार दीपावली की ढेर सारी शुभकामनायें !

--
देश की दिवाली अच्छी चल रही है... एक बात बड़ी अच्छी लग रही है... पटाखों में कमी आई है.

कंचन सिंह चौहान said...

satya ya kinmvadanti.katha sundar thi...!

Deepawali mangalmay ho !

Alpana Verma said...

आपको एवं आपके परिवार को दीपावली पर्व पर मेरी हार्दिक शुभकामनायें!!!!!

art said...

दीपावली की हार्दिक मंगलकामनाएं...

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

आपको तथा आपके परिवार को दीपोत्सव की ढ़ेरों शुभकामनाएं। सब जने सुखी, स्वस्थ, प्रसन्न रहें। यही मंगलकामना है।

डॉ .अनुराग said...

शुक्रिया ..आपने इतना स्नेह दिया ,उसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया ......दीपावली की आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाये

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सुन्दर लगी कहानी ,
दीपावली पर आप को और आप के परिवार के लिए
हार्दिक शुभकामनाएँ!
धन्यवाद

डा. अमर कुमार said...

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यह आख्यान देने का धन्यवाद, लावण्या बेन,
इसके झूठ और सच में जाने का औचित्य नहीं है ..किन्तु आप मेरा एक भ्रम दूर करने में सफल रहीं..
अब तक मैं यह सोचता रहा कि बिड़ला परिवार का
मंदिर-प्रेम अपने अर्जित सम्पत्ति के केवल स्याह सफ़ेद करने का खेल है ।
ईश्वर मुझे क्षमा करें !

ताऊ रामपुरिया said...

परिवार व इष्ट मित्रो सहित आपको दीपावली की बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं !
पिछले समय जाने अनजाने आपको कोई कष्ट पहुंचाया हो तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ !

आशीष "अंशुमाली" said...

आप तो बहुत अच्‍छी किस्‍सागो हैं.. अच्‍छा लगा.. दीवाली की ढ़ेर सारी बधाइयां स्‍वीकारें।