Sunday, May 18, 2008

दर भी था थीं दीवारें भी , माँ तुम से ही घर घर कहलाया

जामिनी राय कलाकृति
ब्रिटनीस्पीयर शिशु के साथ
और माँ आनंदमयी

" दर भी था थीं दीवारें भी , माँ
तुम से ही घर घर कहलाया "

ये गीत सुनकर अकसर मैं, बहुत ज्यादा भावुक हो जाती हूँ ॥

फिल्म्: भाभी की चुडियाँ :

http://www.youtube.com/watch?v=1Cz4dJfpPG0

स्व मुकेशचँद्र माथुर जी की दिव्य - स्वर लहरी , स्व पण्डित नरेन्द्र शर्मा के पवित्र शब्द और स्व सुधीर फडके जी का संगीत , परदे पे, स्व मीना कुमारी का सशक्त अभिनय , भाभी के अन्तिम श्वास , देवर का उनके समीप , पूजाभाव से , गीत गाते , रोना ..कुल मिलाकर , ये गीत , अंतर्मन को झकझोर देता है ..

.देखिये , बहुत समय से इसे खोज रही थी ..आज मिला है ...

9 comments:

रंजू भाटिया said...

बहुत ही प्यारा गीत है यह ...

अमिताभ मीत said...

वाह ! बहुत सुंदर. बहुत बहुत शुक्रिया इतना बढ़िया गीत सुनवाने का.

रेणु said...

meri bhee ankhe nam v dil bhaari ho jata hai.bahut acha likha aapne shu kamna.

Abhishek Ojha said...

कभी विविधभारती पर इस गीत को सुना था, फ़िल्म की कहानी के साथ. सुंदर गीत !

Udan Tashtari said...

बड़ा सुन्दर गीत.

Gyan Dutt Pandey said...

धन्यवाद जी। मां पर जो लिखा/कहा/सुना जाये, वही अद्भुत होता है।

डॉ .अनुराग said...

वाकई एक अजीब सी मिठास है...

Harshad Jangla said...

Very touching song. Brought tears in eyes.
Thanx Lavanyaji.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

रँजू जी, मीत जी, रेनुबाला जी, अभिषेक भाई, समीर भाई, ज्ञान भाई साहब, अनुराग जी, हर्षद भाई ,

आप सभी ने इस मार्मिक गीत को पसण्द किया और यहाँ आकर आपकी बहुमूल्य टिप्पणीयाँ भी रखीँ हैँ जिसके लिये मै , आप सभी की आभारी हूँ - स स्नेह,
-लावण्या