Monday, May 26, 2008

" बगिया , बरखा के बाद "


जेअन क्लोद अलेंन फ्रांस के नागरिक हैं जो केरल यात्रा पर गए थे। बरखा की तेज बौछार के समय केरलीय प्रदेश की प्राकृतिक सुषमा , अत्यन्त रमणीय हो जाती है जिस का असर , उन पे ऐसा हुआ के एक अद्भुत नयी खुशबु की उत्पत्ति हुई। उनका कहना था , पानी से आग पैदा हो गयी ! बरखा हो जाने के बाद, बगिया मे फूलों , पत्तियों गीली मिट्टी की कभी न भूलानेवाली सुगंध को , एक शीशी में , कैद कैसे किया जाए ? सोचिये ....पर , परफ्यूम बनानेवाले साहसी , सपने देखते हैं उन्हें सच में तब्दील करना भी , जानते हैं ...ऐसा ही काम किया श्रीमान जेअन क्लोद अलेंन ने ! जिसकी ख़बर बंगलूर के समाचार पत्रों ने भी छापी थी।
..." उन जर्दीन अप्रेस ला मोंसून " == " बगिया , बरखा के बाद " (A Garden After the Monsoon), नामक परफ्यूम का जन्म हुआ ..." आगे का किस्सा, देखिये ...

http://images.google.com/imgres?imgurl=http://artsuppliesonline.com/blog/elephantsdraggingsandalwood.jpg&imgrefurl=http://ayalasmellyblog.blogspot.com/2006_06_01_archive.html&h=309&w=482&sz=37&hl=en&start=57&sig2=uGAxCt2Qbtr8fCPfhUIDsQ&um=1&tbnid=Kbn_LIog6Xa0wM:&tbnh=83&tbnw=129&ei=FFsvSK3FPIqoiAHon4nNAQ&prev=/images%3Fq%3Dimage%2Bof%2Ba%2Bsandalwood%2Btree%26start%3D40%26ndsp%3D20%26um%3D1%26hl%3Den%26rls%



7 comments:

Gyan Dutt Pandey said...

जेअन क्लोद अलेंन खुद में हर जगह सुगंध खोजने वाले इन्सान होंगे। अन्यथा कुछ लोग तो हर जगह कमियां ही खोजते रहते हैं।

Udan Tashtari said...

अच्छा लगा खुशबु की तलाश और उसे हकीकत अंजाम देना. आभार इसे यहाँ लाने का.

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया भीनी-भीनी माटी की सुगंध दिलो मे उत्साह उमंग का संचार कर देती है . धन्यवाद कृपया समयचक्र देखें
http://mahendra-mishra1.blogspot.com/2008/05/blog-post_26.html

डॉ .अनुराग said...

बहुत बढ़िया ....खुशबू सी फ़ैल गई.....

बालकिशन said...

आभार.
सच ही है.
खुशबू फ़ैल गई है.

mamta said...

वाह !
क्या खुशबू है।
शुक्रिया !!

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

आप सभी का
सच्चे मन से आभार -
- लावण्या