Thursday, August 14, 2008

श्री सादिक अली : आल इंडिया कांग्रेस कमिटी की यादें

हरेक श्रमजीवी के श्रम से मुस्कुराती हैं "भारत - माता " वँदे मातरम !!
स्व पँडित नरेन्द्र शर्माकी कुछ काव्य पँक्तियाँ
" रक्तपात से नहीँ रुकेगी, गति पर मानवता की
हाँ मानवता गिरि शिखर, गहन, गह्वर
सीखै पाशवत व्यथा छिपे सीमा नहीँ मनुज के,
गिर कर उठने की क्षमता की !
आज हील रही नीँव राष्ट्र की,
व्यक्ति का स्वार्थ ना टस से मस !
राष्ट्र के सिवा सभी स्वाधीन,
व्यक्ति स्वातँत्र अहम के वश!
राष्ट्र की शक्ति सँपदा गौणॅ,
मुख्य है, व्यक्ति व्यक्ति का धन!
नहीँ रग कोई अपनी जगह,
राष्ट्र की दुखती है नस नस!
राष्ट्र के रोम रोम मेँ आग,
बीन " नीरो " की बजती है-
बुध्धिजीवी बन गया विदेह ,
राष्ट्र की मिथिला जलती है !
क्राँतिकारी बलिदानी व्यक्ति,
बन बैठे हैँ कब से बुत !
कह रहे हैँ दुनिया के लोग,
कहाँ हैँ भारत के सुत ?
क्योँ ना हम स्वाभिमान से जीयेँ?
चुनौती है, प्रत्येक दिवस !
जन क्राँति जगाने आई है,
उठ हिँदू, उठ मुसलमान-
सँकीर्ण भेद त्याग,
उठ, महादेश के महा प्राणॅ !
क्या पूरा हिन्दुस्तान, न यह ?
क्या पूरा पाकिस्तान नहीँ ?
मैँ हिँदू हूँ, तुम मुसलमान,
पर क्या दोनोँ इन्सान नहीँ ?"
नहीँ आज आस्चर्य हुआ,
क्योँ जीवन मुझे प्रवास ?
अहंकार की गाँठ रही,
निज पँसारी के हाथ !
हो भ्रष्ट न कुछ मिट्टी मेँ मिल,
केवल गल जाए अंहकार ,
मेरे अणु अणु मेँ दिव्य बीज,
जिसमेँ किसलय से छिपे भाव !
पर, जो हीरक से भी कठोर !
यदि होना ही है अँधकार,
दो, प्राण मुझे वरदान,
खुलेँ, चिर आत्म बोध के बँद द्वार!
यदि करना ही विष पान मुझे,
कल्याण रुप हूँ शिव समान,
दो प्राण यही वरदान मुझे!
तिनकोँ से बनती सृष्टि,
सीमाओँ मेँ पलती रहती,
वह जिस विराट का अँश,
उसी के झोँकोँ को ,
फिर फिर सहती !
हैं तिनकोँ मेँ तूफान छिपे ,
ज्योँ, शमी वृक्ष मेँ छिपी अगन !

आल इंडिया कांग्रेस कमिटी की यादें : श्री सादिक अली जी के शब्दों में :

पुस्तक : शेष - अशेष से -
Shri Sadiq Ali जी :

"नरेन्द्र " : Association with All India Congress Committee : I greatly cherish my brief but intimate association with Narendra Sharma He was with me in the A।I।C।C। Secretariat at Allahabad in the late thirties। He was in charge of its Hindi department even though Hindi or Hindustani had yet to get its due place in the Congress scheme of things।It is good to recall the political environment for Hindi when Narendra assumed the responsibility। Most of the A।I।C.C. work was done in English despite Gandhiji's stress on Hindi or Hindustani.The working committee of the Congress carried on its deliberations mostly in English.There was, of course, the outstanding exception of Maulana Azad. The other exceptions were Khan Abdul Ghaffar Khan and Seth Janalal Bajaj whenever they chose to express themselves on any issue.Gandhiji, at times, spoke in Hindi but he was often prevailed upon to speak in English. It was important and necessary that each member of the working committee understood correctly what Gandhiji meant.Further, all the proceedings of the working committee and the A.I.C.C. meetings were in English. There was however one important change. In the A.I.C.C. deliberations and the deliberations of the annual open session, there was a growing number of Hindi and Urdu speakers.It was in this set-up that we had Narendra Sharma in charge of the Hindi department. We were all happy with him. It fell on him to translate all Congress resolutions and the A.I.C.C. circulars in good effective Hindi.Congress resolutions in those stormy days carried great weight. They did not just contain Congress decisions on issues of the day. They were, in not a few cases, a clarion call to the nation to be ready for a grim trial ahead and a source of inspiration not only to congressmen but to millions outside the formal congress register.At all A.I.C.C. meetings it was important that the Hindi knowing members had the Hindi translation in their hands along with the original English version.It was Narendra Sharma's task to produce quick translations and he did it with ease and without fail. There was also some correspondence in Hindi which Sharmaji handled for the period he was in the A.I.C.C. Secretariat.He would have been with us a few years longer but with the coming of Industrial Civil Disobedience Movement and the1942 final struggle for freedom the working of the A.I.C.C. office was thrown into some kind of turmoil.Narendra Sharma was a poet in the making when he was with us in the A.I.C.C. Secretariat.Association with the A.I.C.C. in those days meant active association with India's struggle for freedom and experience in prison life if not anything more extreme.Narendra was ready for this experience but he had a wide range of interests. He had pronounced literary tastes. He had contacts with literary figures in Allahabad, Sumitranandan Pant and he lived under the same roof. In Pant, he found a perennial fountain of inspiration. These two were kindred souls, the elderly Pant treating Narendra almost as his son".Poet, late Pandit Narendra Sharma, was arrested without trial under the British Viceroy's Orders, for more than two years. His appointment to AICC was made by Pandit Jawaharlal Nehru.Pandit Narendra Sharma's photo along with then AICC members, is still there in Swaraj Bhavan, Allahabad.Call of 'the Nation':2.On 3rd October 1957, at 10.30 a.m. Government of India, under the Ministry of Information and Broadcasting, All India Radio [AIR] started 'Vividh Bharati'; Poet, late Pandit Narendra Sharma not only conceived, planned and programmed but also named both Vividh Bharati and all its programs, including but not limited to Hava Mahal, Chaubara, Gunjaan, Bela Ke Phool, Jai Mala for the 'Jawans'.Here it need not be mentioned that 'Vividh Bahrati' has brought in thousands of crores of revenue, name and fame to the Government of India.After the Chinese aggression on India and after Pandit Jawaharlal Nehru's death, Pandit Narendra Sharma, stayed on with Vividh Bharati as it's Chief Producer, politely turning down an offer to teach Indian Culture and Hindi at the Berkeley University, California, USA, as Smt. Indira Gandhi, then I&B Minister, asked him to stay on, in the country's interest.

- लावण्या






23 comments:

राज भाटिय़ा said...

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाऐं ओर बहुत बधाई आप सब को

Unknown said...

लावण्या दी- आभार याद दिलाने का इन्हें बांटने का - प्रखर शाश्वत का धारा प्रवाह कहता है कुछ नहीं बदला यदि मानव नहीं बदला--टीस गौरव और आशा का नायाब संगम - "हो भ्रष्ट न कुछ मिट्टी मेँ मिल, / केवल गल जाए अंहकार ,/ मेरे अणु अणु मेँ दिव्य बीज, / जिसमेँ किसलय से छिपे भाव !/ पर, जो हीरक से भी कठोर !/ यदि होना ही है अँधकार, / दो, प्राण मुझे वरदान,/ खुलेँ, चिर आत्म बोध के बँद द्वार!" - सादर - मनीष

Udan Tashtari said...

इस आलेख के लिए बहुत आभार.
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

मीनाक्षी said...

दो, प्राण मुझे वरदान,
खुलेँ, चिर आत्म बोध के बँद द्वार! ..
आज़ादी के दिवस पर बस यही कामना करते है कि हर मानव यही वरदान पा जाए....

दिनेशराय द्विवेदी said...

आजाद है भारत,
आजादी के पर्व की शुभकामनाएँ।
पर आजाद नहीं
जन भारत के,
फिर से छेड़ें संग्राम
जन की आजादी लाएँ।

Smart Indian said...

लावण्या जी,
पंडित जी के शब्दों के लिए बहुत आभार!
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं!

योगेन्द्र मौदगिल said...

शुभकामनाएं पूरे देश और दुनिया को
उनको भी इनको भी आपको भी दोस्तों

स्वतन्त्रता दिवस मुबारक हो

aapki is prastuti ke liye aabhari hoon. pandit g ko padna har baar achha lagta hai...

अनिल रघुराज said...

कलुष भेद, तम हर, प्रकाश भर, जगमग जग करे दे... आज़ादी की 61वीं वर्षगांठ मुबारक।

mamta said...

स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं।

कुश said...

स्वतंत्रता दिवस के इस पवन पर्व पर सभी ब्लॉगर मित्रो को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

रंजू भाटिया said...

स्वतंत्रता दिवस की बधाई

Dr. Chandra Kumar Jain said...

शुभकामनायें अंतर्मन से.
==================
आपकी प्रस्तुति सामयिक
और
प्रभावशाली है....हमेशा की तरह.
========================
डा.चन्द्रकुमार जैन

ताऊ रामपुरिया said...

आजादी के इस उल्लासमय पावन अवसर पर आपको
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

इस रचना के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद ! ये
रचनाएं नही हैं बल्की हस्ताक्षर हैं !

Gyan Dutt Pandey said...

पण्डित नरेन्द्र शर्मा जी ए.आई.सी.सी. मे सचिवालय,इलाहाबाद में भी थे, रोचक जानकारी।
और यह कविता देश प्रेम से ओतप्रोत है! सुन्दर।

सुनीता शानू said...

जय-हिन्द! जय-हिन्द! जय-हिन्द!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं...

Ashok Pandey said...

इतनी सुंदर देशभक्तिपूर्ण काविता पढ़ाने के लिए आभार। स्‍वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

شہروز said...

aap bahut hi shrm aur urjaa ke saath lekhan mein rat hain.
lekin gandhi aur sadiq ali ke saath ye narendr modi ki photo kahan se aa gayi
modi aur gandhi dono gujraat se hain lekin jahan gandhi ji bapu kahlaye aur desh-dunya mein logon ke nayak-adarsh huye.
wahin modi khalnayak hi hain ab tak.
mumkin hai aapko bat atpati lage.
jaise mujhe atpata laga.
blog sundar hai.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

शहरोज़ जी,
गाँधी जी की फोटो जब आज़ादी मिली उस समय का भारत था और नरेन्द्र मोदी, मायावती जी और प्रतिभा पाटील की फोटो आज के भारत का सच है - जिसे जगह दी है मैँने अपने आलेख के साथ -
अटपटा लगे... पर आज भारत के यही तो नेता हैँ!
भारत मेँ जन्म हुआ,
पली बडी हुई और मेरे पुरखे भारत की मिट्टी मेँ समा गये हैँ !
ऐसी "माँ" को,
मेरे नमन हैँ!
भारत से दूर हूँ
तभी शायद
ज्यादा तीव्रता से - शिद्दत से,
याद करती हूँ !-
शुक्रिया आपको ब्लोग पसँद आया -
- लावण्या

डॉ .अनुराग said...

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

डॉ .अनुराग said...

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

डॉ .अनुराग said...

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

आज़ादी का मंत्र जप रहे ब्लॉगर भाई।
मेरी भी रख लें श्रीमन् उपहार बधाई॥

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

आप सभी के
सौहार्द्र के लिये आभारी हूँ -
स्वत्तँत्रता दिवस
भली भाँति गुजरा होगा -
- लावण्या