"शीशे की छत ? " ये क्या है जी ।।।?
हाँ , हाँ शायद आपके ज़हन में भी शायद, फ़िल्म ‘वक़्त’ का मशहूर डायलोग, जिसे कलाकार राजकुमार साहब ने बड़ी अदा से कहा था -
' चिनॉय सेठ, जिनके मकान शीशे के होते हैं, वो दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते ! " कौंध गया हो ! अजी, याद आया क्या ?
अजी, शीशे के मकान हम ने भी बहुत देखे हैं पर आज के कोर्पोरेट व्यावसायिक जग में 'शीशे की छत' शब्द एक प्रसिद्ध मुहावरा बना हुआ है जिसे अँगरेज़ी में, 'glass ceiling ' कहते हैं । व्यापार, व्यवसाय कोर्पोरेशन में, अमेरीका या इंग्लैंड जैसे पाश्चात्य देश हों या एशिया के जापान या चीन या हमारा भारत भी, अकसर बड़ी-बड़ी इंटरनेशनल कम्पनियों के सर्वोच्च स्थान पर, हमेशा पुरुषों को पदासीन हुआ ही हम देखते हैं । महिलाओं या स्त्रियों को ऐसी सब से ऊँची और शक्तिशाली कुर्सी पर विराजमान हुआ हम कम ही देखते हैं ।
तो ये हुआ एक तरह से पारदर्शी छत का होना जिसे महिलाएँ बहुत कम तोड़ पायी हैं । भले ही किसी महिला में अन्य पुरुषों की तरह सारी विशेषताएँ, सारी कार्य कुशलता, कार्य दक्षता हो, पर कंपनी के सर्विच्च स्थान सीईओ के पद पर हमेशा पुरुषों का चुनाव करके उन्हें उस पद पर आसीन किया जाता है । ये एक तरह से सेक्सीज़म या रेसीज़म का प्रारूप है । ये एक तरह से ऊपरी चढ़ाई को रोकने का कृत्रिम प्रयास है, जो पारदर्शी नहीं है चूँकि ऐसी कोई प्रणाली या अधिनियम, कंपनी में कहीं लिखित रूप से मौज़ूद नहीं होते । एक व्यक्ति की प्रगति में बाह्य रूप से, शिक्षा, या किसी कार्य के पूर्व अनुभव की कमी होना जैसे बाह्य कारण होते हैं , जो प्रगति या आपकी नौकरी में आगे बढ़ने में रुकावट या अवरोध उत्पन्न कर सकते हैं ।
अमरीकी गणतंत्र ने सन 1964 में संविधान पारित किया जिसके तहत सामाजिक स्वतंत्रता से सम्बंधित क़ानूनन तौर पर, व्यक्ति का स्त्री या पुरुष होना, व्यक्ति की कार्य क्षमता या प्रगति में आड़े आना निरापद होगा । यह तथ्य ठोस रूप से सामने रखा गया था, जिससे प्रयाप्त कार्य कुशलता तथा सही कार्य प्रणाली के अनुभवों के बाद महिलाएँ भी सही प्रगति के पथ पर आगे बढ़ पायें और सर्वोच्च स्थान पर अपना पद ग्रहण कर पाएँ। इस क़ानून के तहत यही प्रयास किया गया था, उसी पर भार रखा गया था ।
अमरीकी स्टोक कम्पनी सम्बंधित पत्रिका 'वोल स्ट्रीट जर्नल ' में , सन 1986 के मार्च 24 तारीख के अंक में क़ेरोल हाय्मोवीट्ज़ [ Carol Himowitz ] और टीमोथी स्तेल्हार्द्ज़ [ Timothee Steilhardz ] ने सबसे पहली बार एक नया तथा पहले कभी जिसे प्रयोग ना किया गया हो ऐसा शब्द
’द ग्लास सीलिंग’ अपने आलेख में प्रस्तुत करते हुए स्त्रियों की प्रगति में अदृश्य व पारदर्शक व्यवधान होने की बात को उजागर करते हुए यह कोर्पोरेशन में होनेवाले वाकये को खुलकर समझाते हुए ये नया नाम दिया था जिसे मीडिया तथा जनता ने तुरंत अपना लिया और आम भाषा में ' ग्लास सीलिंग ' मुहावरा या शब्द , स्त्री सशक्तिकरण के मुद्दों के साथ सदा के लिए जुड़ गया ।
फिर ग्लास सीलिंग मुहावरे के मशहूर हो जाने पर इस पर संशोधन भी हुए । संशोधनों के बाद यह भी पता चला है कि सन 1984 में 'एड्वीक' पत्रिका के एक आलेख में, गे ब्र्यायनट ने सबसे प्रथम ग्लास सीलिंग मुहावरे का प्रयोग किया था । अब तो खोज विस्तृत होने लगी और पता चला कि, 1979 में ह्यूलीट पेकार्ड कंपनी में कार्यरत केथरिन लाव्रेंस और मेरीएन श्र्च्रेइबेर नामक दो महिलाओं ने इसी मुहावरे को समझाते हुए कहा था कि, बाहरी तौर पर महिलाओं की प्रगति भले सुचारू रूप से चलती हुई दिखलाई दे परंतु इस प्रगति के अवरोध में अदृश्य, पारदर्शक अवरोध खड़े किये जाते हैं, जो महिला कर्मचारी के प्रगति, प्रमोशन और सर्वोच्च पद पर आसीन होने के मार्ग में बाधाएँ व रुकावट उत्पन्न करते हुए हर स्थान पर हर प्रगति के रास्तों पर अवरोध उत्पन्न करने के लिए रखे जाते हैं ।
ग्लास सीलिंग से और भी कई नाम उत्पन्न हुए हैं --
- बैमबू सीलिंग - एशियन-अमेरिकेन महिलाओं के सर्वोच्च स्थान ग्रहण करने में किये गये अवरोधों के लिए प्रयुक्त मुहावरा बन गया है जिसके तहत मैनेजर या एक्स्सीक्युट पोजीशन के लिए अकसर ये बहाना बनाया जाता है कि इनमें लीडर बनने की क्षमता नहीं है या यह भी मिथ्या कारण बतलाया जाता है कि, इनमे आपसी बातचीत माने अच्छे कम्यूनीकेशन के गुण नहीं हैं । भले ही एशियन कर्मचारी महिलाओं में अन्य सारे गुण मौजूद हों जो उन्हें टॉप पोजीशन पर ले जाने में सहायक हों - तब ये उदाहरण देते हुए बैमबू सीलिंग शब्द प्रयुक्त किया जाता है-
- ग्लास एलेवेटर - ( या ग्लास एस्कलेटर ) जब पुरुष कर्मचारियों को प्रगति के सोपान आसानी से पार करने में कोर्पोरेशन कल्चर में हर सुविधा और गति प्रदान कर सहायता मिलती देखी जाती है और मेनेजर की पोस्ट पर पुरुषों को बैठाल दिया जाता हो ख़ास तौर से उन कार्य क्षेत्रों में, जहाँ महिला कार्यकर्ताओं का वर्चस्व और बहुसंख्या में उपस्थित होना आम बात हो । उदाहरणार्थ- नर्सिंग ।
- ग्लास क्लिफ्फ़ - ऐसी जगह पर आपको पदासीन किया जाए जहाँ आपके उस क्षेत्र में असफल होने के चांस ज़्य़ादादा हैं और कार्य भार अत्यधिक और मुश्किल किस्म का हो ऐसी कंपनी की चाल को ग्लास क्लिफ्फ़ मुहावरे का नाम दिया जाता है ।
- सेल्यूलोईड सीलिंग - होलीवूड चलचित्र निर्माण की अमरीकी जग विख्यात संस्था में भी हर सर्वोच्च संस्था या कार्यक्षेत्र में आप पुरुषों को ही पदासीन देखते हैं इस सत्य को लोज़ेन नामक व्यक्ति ने सन 2002 में सेल्यूलोईड सीलिंग के नाम से प्रचलित करते हुए यह नाम दिया था ।
अमरीका में ऐसे एकल परिवारों की संख्या में वृद्धि हो रही है जहाँ परिवार का ' मुखिया' = माने हेड ऑफ़ द फ़ेमेली ' एक स्त्री पात्र है सन 1970 से ऐसे परिवारों की संख्या में निरंतर बढ़ावा हो रहा है और ऐसे परिवार अमरीका में बड़ी तादाद में हैं परंतु वे अकसर ग़रीबी की रेखा के नीचे रहते हैं -
ज़्य़ादादातर, ऐसे स्त्री मुखिया वाले एकल परिवार की महिलाएँ तलाकशुदा होतीं हैं या इनमें से कई बिन ब्याही माएँ हैं । सन` 2000 की जन गणना के आँकड़ों के अनुसार 11 प्रतिशत परिवार अमरीका में ग़रीबी की हालत में जी रहे हैं । जबकि 28 प्रतिशत एकल मुखिया स्त्री वाले परिवार ग़रीबी की हालत में जीने को बाध्य हैं । बिनब्याही माँ अकसर कच्ची या कम उम्र में माता बनी हैं । पढाई शिक्षा सिर्फ़ स्कूल तक सीमित होते ना उनके पास कोई डिग्री है ना कोइ ऐसा हुनर है जिस के तहत उन्हें अच्छा रोज़गार प्राप्त हो सके इस कारण ऐसी महिलाओं को नौकरी या पेशा भी ऐसा ही मिल पाता है जो उन्हें कम आय ही प्राप्त करवाता है । बच्चों की परवरिश के लिए भगौड़े पति या जिनके साथ उनका शारीरिक सम्बन्ध रहा वे व्यक्ति बच्चे की आवश्यकता पूर्ति के लिए पैसा नहीं देते या तो बहुत कम हिस्सा अपनी सीमित आय में से दे पाते हैं । बच्चे के लिए प्राप्य ऐसी धनराशि को चाईल्ड सपोर्ट कहते हैं । अमेरीका में
' तलाक' ही धन की समस्या या इकॉनोमिक दीवालियेपन का एक प्रमुख कारण है ।
आईये आगे हम ऐसी महिला का उदाहरण देखते चलें । जिन्होंने ना ही ग्लास या सीलिंग शीशे की छत को तोड़ दिया बल्कि शानदार तरीक़े से कोर्पोरेट जगत में अपनी साख भी ऊँची की है । सफलतम महिलाओं की ऐसी सूची में, प्रमुख नाम इन्द्रा नूयी का है ये इन्द्रा नूयी जी भारतीय मूल की महिला हैं और अन्तरराष्ट्रीय पेप्सीको कंपनी की सर्वोच्च पद पर आसीन हैं माने सीईओ हैं ।
यह बेहतरीन कार्य श्रीमती इन्द्रा नूयी जी ने ना सिर्फ़ भारत में किया बल्कि अंतर्राष्टीय स्तर पर कर दिखलाया है जो वाक़ई क़ाबिले तारीफ़ है । आज इन्द्रा नूयी, जिनका जन्म स्थान चेन्नई है अमरीकी कोर्पोरेट जगत में, शायद सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची के प्रमुख नामों में अपनी गिनती करवा सकतीं हैं । वे इतनी प्रसिध्ध व कामयाब हैं । सी ई ओ माने चीफ़ एक्ज्यूक्युटिव ऑफ़िसर । इस पद पर आने से पहले इन्द्रा नूयी चीफ़ फ़ायनेंसर ऑफ़िसर यानी - सीईओ थीं और पेप्सी को इनटरनॅशनल कंपनी में किये कई सारे बदलावों का फ़ैसला लेकर उन फ़ैसलों से कंपनी को सफलता के रास्ते पर आगे बढ़ने में इन्द्रा नूयी का हाथ था जिससे उन्हें कंपनी के सर्वोच्च पद पर आसीन करने का मार्ग प्रशस्त हुआ । उन्होंने कंपनी को मज़बूत किया और सफलता के एक के बाद मुकाम भी जीत कर आगे बढ़तीं गयीं तब उनकी यह सफलता अमरीकी कोर्पोरेट जगत के लिए कोइ आश्चर्य का विषय ना रहा -
मिसिज इन्द्रा नूयी
कार्य कुशलता : इन्द्रा नूयी ने $ 33 बीलीयन का व्यापार कर रही कंपनी पेप्सी को। में ठन्डे पेय के साथ साथ कई तरह के खाद्यान्न नाश्तों में प्रयोग किये जाने वाले तैयार खाने के पैकज फ़ूड को भी बेचना शुरू किया । इन्द्रा नूयी ने सी ई ओ का पदभार सम्हालने के साथ-साथ कई दर्जन व्यापार बढाने के नये नुस्ख़े आजमाए । जैसे युमी ब्रांड इंक । कई रेस्तरां पेप्सी पेय को तैयार कर भरने की काँच की शीशियाँ मशीन से तैयार करनेवाले बोत्लींग प्लांट ( पी.बी.जी) = पेप्सी बोट्लींग ग्रुप और क्वेकर ओट्ज़ तथा गेतोरेड जैसे पहले से जमे हुए व्यापारों को पेप्सी में मिलाकर पेप्सी को और ज़्य़ादा व्यापक विस्तार दिया है । ट्रोपीकाना तैयार ओरेंज जूस कंपनी को $ 3.3 बीलीयन डालर में ख़रीद कर पेप्सी में मिलाने से पेप्सी कंपनी को अमरीका का सबसे मनपसंद और अधिक बिकनेवाला ओरेंज जूस का व्यापार भी मिला - ये भी एक अत्यंत सफल प्रयास रहा । इन्द्रा नूयी भी आम महिलाओं की तरह सुशिक्षित परिवार से हैं परंतु इन्द्रा की अप्रत्याशित सफलता, उनकी कोर्पोरेट कल्चर में ऊँचे तक पहुँच पाने के कारण विश्व में प्रसिद्धि पा गयी !
मद्रास या चेन्नई शहर दक्षिण भारत में मद्रास क्रीस्चीयन कोलेज से इन्द्रा नूयी ने बेचलर डीग्री हासिल करने के बाद, आईआईटी से मास्टर डिग्री बिजनेस ऐडमिनीस्ट्रेशन में प्राप्त की थी।
23 कर्ष की उम्र में, वे अमरीका पहुँचीं सुप्रसिध्ध येल विश्वविद्यालय से , पब्लिक और प्राइवेट मेनेजमेंट में मास्टर की डीग्री हासिल की और बोस्टन कंसलटिंग कंपनी में काम शुरू किया बाद में, मोटोरोला कंपनी में कार्य किया जहाँ इन्द्रा नूयी ,
व्यवस्था संस्थापक व प्रणाली निर्देशिका = डाईरेक्टर ऑफ़ स्ट्रेटेजी और प्लानिंग के पद पर थीं ।
सन 1994 में इन्द्रा नूयी ने पेप्सी को कंपनी में कार्यभार सम्भाला । इन्द्रा नूयी , भारत को प्रगति के पथ पर देख कर प्रसन्नता अनुभव करतीं हैं और उनकी बागडोर सम्हाली कंपनी " पेप्सी को " के लिए भी , आनेवाले समय में, भारत में विस्तृत व्यापारी सफलता का अनुमान करतीं हैं और आगामी वर्षों में $ 300 मिलियन या $ 500 मिलियन तक कि धनराशि इस व्यापार में जोड़ने की, संभावित - भावि योजना है जिसमे, 60 % प्रतिशत पेय व्यापार और 40 % नाश्तों में पैकज फ़ूड में किया जाएगा पंजाब प्रांत के साथ 15 वर्ष पूर्व $ 700 मिलियन से व्यापार शुरू किया गया था और वह भी और ज़्य़ादा बढ़ने की सभावना है ।
भारत में शिक्षा प्राप्त भारत में पली इन्द्रा नूयी आज पेप्सी पेय में कीट नाशक दवाईयों के अंश पाए जाने पर भारत में जो क्रोध और पेप्सी कंपनी के विरोध में रोष है उसे इन्द्रा पेप्सी की कर्णधार होने से किस तरह निपटेंगी। ये भी भविष्य ही बतलायेगा । इन्द्रा नूयी ने स्वीकार किया है कि, भारत में पेप्सी कंपनी को, व्यापार करने में, बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है । उनका कहना है कि, पेप्सी कंपनी को चीन में इतनी मुशिकलें नहीं आयीं ।
अब कुछ नये क़ानून भारत सरकार द्वारा - खाद्य पदार्थों के लिए भी रचे गये हैं और इन्द्रा नूयी ने इन क़ायदों का स्वागत किया है उनका कहना है कि, ऐसे क़ानून ना बिकनेवाले सिर्फ़ पेय पदार्थों के लिए लागू किये जाने चाहियें बलके हर प्रकार की खाद्य सामग्री में क्या क्या डाला गया है । वह स्पष्ट किया जाना चाहिये और हर पैकेज्ड फ़ूड पर भी । इसी तरह के कड़े क़ानून लागू किये जाने ज़रूरी हैं --
इन्द्रा नूयी का कहना है कि पेप्सी कंपनी भरसक प्रयास करती है कि सारे पदार्थ स्वच्छ और खाने लायक और पीने लायक हों ! फिर भी कीटनाशक दवाई के कण पेप्सी की शीशी में पाए गये जिनका उन्हें बहुत ज़्य़ादा दुःख व खेद है ।
चलिए, इन्द्रा नूयी आगे क्या करतीं हैं । उसकी पड़ताल मीडिया भी अवश्य करती रहेगी और आम जनता को अवगत भी करवाती रहेगी उस पर हमे पूरा यक़ीन है ।
अब हम भारत में सफलता के नये मापदंड स्थापित करनेवाली एक महिला से मिलें जिन्होंने कोर्पोरेट कल्चर में ‘शीशे की छत या ग्लास सीलिंग’को तोड़ दिखलाया है ।
चन्दा कोचर
मिलिए, अब चन्दा कोचर से !
चंदा कोचर - आईसीआई बैंक की वरिष्ठ अधिकारी हैं । यह पद उन्होंने बस कुछेक साल पहले ही सम्हाला है । अत: पिछले 14 महीने चन्दा कोचर के लिए मानों कड़ी परीक्षा के रहे हैं । परतु उन्होंने अपना लोहा मनवा लिया है साथ-साथ कंपनी के सर्वोच्च पद पर आसीन होकर कार्य क्षमता का सफल उदाहरण भी उपस्थित किया है ।
ICIE आई सी आई सी बैंक के अधिकार में , उनकी अन्य शाखाओं में भी चन्दा कोचर के निर्णायक संशोधनों का प्रभाव पडा है ।
आम लोगों के ख़रीद करने की आदत को बैंक किस तरह सूहुलियत देती है उसकी प्रणाली से जुड़े मुद्दों से चन्दा कोचर ने बैंक के कार्य में मानो हर दिशा में क्रान्ति लाकर खडी कर दी है । बैंक खातों से सम्बंधित लोगों को कई क्षेत्रों में ऋण देने से बैंक का व्यापार और मुनाफ़ा कई गुना बढ़ा है । इससे 60 प्रतिशत क्रेडिट कार्ड द्वारा प्रचारित व्यापार में भी वृध्धि हुई है । आज विश्व में व्यापार विनिमय क्षेत्रों में मंदी की हवा बह रही है जिसका असर बैन्किंग के क्षेत्र पर भी हुआ है । ऐसी अनिश्चितता से भरे वातावरण में चन्दा कोचर ने बैन्किंग को सुरक्षित क्षेत्र में स्थायी करने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है । आई सी आई बैंक की बागडोर सम्हालने के बाद चंदा कोचर ने 5 वर्षीय योजना रेखांकित की और उसी के अनुरूप कार्य प्रणाली को भी लागू किया है और अगर विश्व में पुन: तेज़ी का वातावरण आता है तब चंदा कोचर के नेतृत्व में उनका बैंक सफलता की हवाओं के सहारे अवश्य नये कीर्तिमान स्थापित करेगा इस बात में कोई संशय नहीं होना चाहिए ।
-- लावण्या