Thursday, November 13, 2008

धर्म परिवर्तन और बदलाव

राज कुमार विलियम - ब्रिटेन के सत्ताधिकारी महारानी एलिजाबेथ के बाद गद्दी पर शायद यही उत्तराधिकार प्राप्त करेंगें ऐसा अंदेशा है -
सत्ता , सिर्फ़ नाम की रह गयी है ब्रिटिश राज परिवार के पास २१ वीं सदी तक आते आते !
वहाँ पर प्रधान मंत्री गोर्डन ब्राउन ही सही अर्थ में , राष्ट्र प्रमुख हैं
~ पश्चिम के महत्वपूर्ण राज्यों में , मुख्य नायक पर, आम जनता की नज़रें हमेशा टिकी रहतीं हैं -
अमरीका में , राष्ट्रपति २० जनवरी के दिन , बदल जायेंगें ...बुश जायेंगें और ओबामा आयेंगें ...ये एक बहुत बड़ा बदलाव होगा।
ये चित्र है राजकुमारी एन के पुत्र पीटर फिलिप तथा उनकी मंगेतर केनेडा की नागरिक ओटम केली के ! ओटम केली ने अपना धर्म ( केथोलिक ) त्याग दिया है !
आप कहेंगें क्यों भला ?
वो इसलिए , ताकि उनके होनेवाले पति , जो महारानी एलिजाबेथ से ११ वें स्थान पर हैं, गद्दीनशीन होने की लम्बी कतार में, उनके दूसरे , खून से बंधे रिश्तेदारों में से , वहाँ पीटर फिलिप की जगह बनी रहे इसलिए ! और पीटर फिलिप का राजवंश में , उतराधिकार बना रहे , इसलिए , उनकी मंगेतर को , अपना चर्च त्याग कर , दुसरे चर्च का सदस्य होना पडा है ! ये एक तरह का धर्म परिवर्तन है !
ओटम केली ने चर्च ऑफ़ इंग्लैंड के धर्म को अपना लिया है ! और केथोलिक चर्च का त्याग किया है ! अगर वे ऐसा ना करतीं , तो उनके मंगेतर को , महारानी एलिजाबेथ के वारिसों की लम्बी कतार में ११ वां स्थान प्राप्त है, वो नहीं मिलता !
चूंकि सन` १७०१ से ये कानून ब्रिटेन में बना हुआ है के , केथोलिक धर्मावलम्बी , राजसी परम्परा का हिस्सा नहीं बन पायेंगें !
इस ख़बर को पढ़कर मुझे बहुत विस्मय हुआ था !
ऐसे कई किस्से , सुने हुए हैं । जैसे शर्मीला टेगोर ने इस्लाम धर्म अपनाया था जब उनका निकाह नवाब पटौदी के संग हुआ !
हम समझते हैं के भारत में धार्मिक बंधन तथा अवरोध बहुत अधिक हैं !
और पश्चिम में ईसाई धर्म एक ही प्रकार का होता है परन्तु असल में , ऐसा नहीं है -
ईसाई धर्म भी विविध प्रकार के चर्चों में, अलग अलग खेमों में विभाजित हुआ पनप रहा है
जिनके कायदे क़ानून और व्यवस्था अभी तक समझ नहीं पाई हूँ !

३०० साल पुराना क़ानून , पुरूष प्रधान है और पुत्र को , राज परिवार के मुखिया का हक्क देता रहा है -

खैर ! यहाँ महारानी एलिजाबेथ की बिटिया राजकुमारी एन के पुत्र, जिनके पिताजी मार्क फिलिप हैं, वे , पीटर फिलिप अपनी मंगेतर के साथ प्रसन्न मुद्रा में घुड़सवारी प्रतियोगिता का आनंद लेते हुए दीखाई दे रहे हैं - उन दोनों के विवाह की वीडियो - तस्वीरें देखिये - जिसके लिए हेलो पत्रिका ने उनको १ मिलियन पाउँड की धन राशि दी थी !
http://www.britishroyalwedding.com/2008/05/16/autumn-kelly-peter-phillips-wedding/
http://www.britishroyalwedding.com/2008/11/11/video-prince-williams-speech-at-centrepoint/
ये हैं राजकुमार विलियम जो ब्रिटिश राज परिवार के सबसे प्रथम दावेदार हैं अपनी सहेली .
केट मिडलटन के साथ .....इनके पिताजी प्रिन्स चार्ल्स प्रतीक्षा ही करते रह जायेंगें शायद चूंकि एलिजाबेथ महारानी स्वस्थ हैं और लम्बी आयुष्य जीयेंगी ऐसी संभावना है ---
और अंत में , महारानी के विशाल राजमहल बकिंघम पेलेस के बाहर , दीपक व मैं ..सैलानियों के साथ , राज परिवार के राजसी ठाठ - के दर्शन करते हुए ....लन्दन यात्रा के दौरान , कोहिनूर हीरा तथा महारानी की असीम संपत्ति के दर्शन भी किए ! उसके चित्र फ़िर कभी ....










15 comments:

Smart Indian said...

"एको पन्थाः..." के मानने वाले तो भारत में ही ख़त्म से होते जा रहे हैं तो बाहर तो शायद यह विचार कभी पनपा ही नहीं था.

Tarun said...

सही बात इनके यहाँ भी वही कहानी है

ताऊ रामपुरिया said...

आपकी यादो के सहारे ये यात्रा हमने भी कर ली ! हमेशा की तरह इन सुंदर चित्रों के साथ इन क्षणों को जीने का एक अलग ही आनंद आया ! थोड़ी देर के लिए किसी और ही लोक में पहुँच गए ! बहुत शुभकामनाएं !

डॉ .अनुराग said...

३०० साल पुराना क़ानून , पुरूष प्रधान है और पुत्र को , राज परिवार के मुखिया का हक्क देता रहा है -


सोचता हूँ आइना घुमा लूँ ......

Abhishek Ojha said...

ये ब्रिटेन में धर्म वाला प्रतिबन्ध इतिहास में पढ़ा था... उदहारण पहली बार सुना ! आभार.

तस्वीर अच्छी आई है... यात्रा को और आगे बढाइये... इंतज़ार रहेगा.

RADHIKA said...

वाह लावण्या जी मजा आ गया ,आपसे पुरी राजसी परिवार की कहानी जानकर ,बहुत अच्छा लगा .

दिनेशराय द्विवेदी said...

यह व्यक्तिगत विधि के धर्म से जुड़े रहने के प्रभाव हैं। लेकिन अब वक्त आ गया है कि व्यक्तिगत विधि को धर्म से बिलकुल पृथक कर दिया जाना चाहिए। यह वसुधैव कुटुम्बकम के भी विरुद्ध है।

संगीता-जीवन सफ़र said...

आभार/आपके साथ-साथ हम भी लंदन घुम लिये अच्छा लगा/यहां अर्जेन्टिना में भी किसी भी महत्वपुर्ण पद के लिये यहां के अनुसार धर्म-परिवर्तन का नियम है/

Gyan Dutt Pandey said...

धर्म परिवर्तन के यह (आर्थिक, भौतिक) कारण तो ठीक नहीं हैं।
धर्मान्तरण प्रलोभन/जबरी/भौतिक लाभ के लिये/माध्यम से नहीं होना चाहिये!

Udan Tashtari said...

आप हर बात इतने रोचक अंदाज मेँ पेश करती हैं कि आनन्द आ जाता है. बहुत आभार राज परिवार से जुड़ी जानकारियों का.

राज भाटिय़ा said...

लावण्यम् जी बहुत सुंदर लगा आप का यह लेख, क्या क्या देखा इगलेंड मे, ओर कहा कहा घुमे ? गाधी जी की प्रतिमा देखी क्या लंडन मै ?हमारे यहा से नजदीक है मै तो पहले व्यापार के मामले मै हर सप्तहा जाता था, घुमने ३,४ बार ही गये है,

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

राज भाई साहब,
लँदन के प्रमुख आकर्षण -
ट्युरीस्ट स्पोट्ज़ देखे थे -
वहीँ से पेरिस भी देख आये थे -
आप सभी को आलेख पसँद आया उसके लिये आभार !

कुश said...

सबकी अपनी अपनी कहानी है

makrand said...

bahut accha laga aapka lekh aur photograph
regards

महावीर said...

बहुत रोचक लेख है। यह कितनी विडंबना है कि केवल भौतिक लाभ के लिए धर्म बदल लेना - ऐसे लोगों के लिए 'धर्म' कोई माइने नहीं रखता। हो सकता है कि यह भी कहा जा सकता है कि गौर वर्ण के ईसाईयों ने भी तो श्रीला प्रभू पाद जी स्थापित International Society for Krishna Consciousness के अंतर्गत हिंदू-धर्म स्वीकार किया है। यहां मैं यह कहना चाहूंगा कि इस धर्मान्तरण में कोई भौतिक लाभ या प्रलोभन नहीं दिया गया है। उन्होंने ईसाई धर्म को किसी हीन भावना या दुर्भावना से त्यागा नहीं है। चैतन्य महाप्रभु ने यह भी कहा कि किसी भी नाम भगवान के लिए (उदाहरण के लिए जिक्र, जेनोवा, अल्लाह, कृष्ण, राम, आदि). है पूरी तरह से शुद्ध और किसी को भी, जो भी उनके धर्म, दर्शन, संस्कृति या परंपरा सिखाया है, इस प्रक्रिया को गाने का अभ्यास कर सकते हैं। ऐसी ही आध्यात्मिक यात्रा की ऐसे लोगों को बरसों से तलाश थी। एक ईसाई पादरी ने तो यहां तक कहा था कि जब से वह महामंत्र का स्मृण करता है तो ऐसा लगता है कि वह अपने आप को उच्चतर ईसाई अनुभव करता है।
आज के युग में धर्म के नाम पर भौतिक लाभ के कारण जो खिलवाड़ हो रहा है तो कभी कभी दिल कह उठता है कि ऐसे धर्मावलंबी धर्मात्माओं से तो एथीस्ट ही भले हैं।
एक रोचक और जानकारी के लिए बधाई। चित्रों ने तो इसे बहुत ही रोचक बना दिया है।
आनंद आगया।