गीतकार : पंडित नरेंद्र शर्मा
गायक : महेंद्र कपूर
राग : कलावती
वर्षा ~~ मंगल
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सत रंग चूनर नव रंग पाग
मधुर मिलन त्यौहार गगन में
मधुर मिलन त्यौहार गगन में
मेघ सजल बिजली में आग ...
सत रंग चूनर नव रंग पाग !
पावस ऋतु नारी, नर सावन
रस रिमझिम संगीत सुहावन
सारस के जोड़े सरवर में
सुनते रहते बादल राग …
सत रंग चूनर नव रंग पाग !
उपवन उपवन कांत कामिनी
उपवन उपवन कांत कामिनी
गगन गुंजाए मेघ दामिनी
पत्ते पत्ते पर हरियाली,
फूल फूल पर प्रेम पराग …
सत रंग चूनर नव रंग पाग !
पवन चलाये बाण बूँद के
सहती धरती आँख मूँद के
बेलों से अठखेली करते
मोर मुकुट पहने बन बाग़ ....
सत रंग चूनर नव रंग पाग !
चित्र : श्री अतुल तोलिया जी ( केनेडा )
संकलन - लावण्या शाह
- Lavanya
3 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (13-06-2014) को "थोड़ी तो रौनक़ आए" (चर्चा मंच-1642) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत ही खूबसूरत एवं सारगर्भित पंक्तियाँ हैं बहुत अच्छी रचना है ! शुभकामनायें स्वीकार करें !
सुन्दर गीत।
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